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lanthanide compounds in hindi , लैन्थेनाइड यौगिक का सूत्र क्या है , लेन्थेनाइड यौगिक किसे कहते हैं

जाने lanthanide compounds in hindi , लैन्थेनाइड यौगिक का सूत्र क्या है , लेन्थेनाइड यौगिक किसे कहते हैं ?

लैन्थेनाइड यौगिक (Lanthanide Compounds)

जैसा कि ऊपर बताया गया है, किसी एक विशेष ऑक्सीकरण अवस्था में विभिन्न लैन्थेनाइड आयनों के आचरण में काफी समानता पायी जाती है तथा भिन्न-भिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में एक लैन्थेनाइड काफी असमानताएँ प्रदर्शित करता है। अतः लैन्थेनाइड यौगिकों का विवेचन पृथक-पृथक तत्वों के आधार पर करने की अपेक्षा ऑक्सीकरण अवस्था के आधार पर करना अधिक उपयुक्त है । लैन्थेनाइड यौगिकों का, अतः, निम्न श्रेणियों में विवेचन किया गया है:

(1) अन्तर्धात्विक यौगिक (Intermetallic compounds)

(2) ऑक्सीकरण अवस्था +2 में लैन्थेनाइडों के यौगिक

(3) ऑक्सीकरण अवस्था +3 में लैन्थेनाइडों के यौगिक

(4) ऑक्सीकरण अवस्था +4 में लैन्थेनाइडों के यौगिक

अन्तर्धात्विक यौगिकः- अन्तर्धात्विक यौगिकों से हमारा तात्पर्य उन पदार्थों से है जो एक लैन्थेनाइड तत्व तथा अन्य विशुद्ध धातु के मध्य स्टाइकियोमितीय संयोग से बनते हैं। वास्तव में द्विअंगी, (binary) अन्तर्धात्विक तन्त्रों का ही सर्वाधिक भलीभांति अध्ययन किया गया है।

लैन्थेनाइड तत्व स्वयं इलेक्ट्रॉन न्यून होते हैं। यह पाया गया है कि एक लैन्थेनाइड अन्य इलेक्ट्रॉन न्यून धातुओं के साथ मिलकर अन्तर्धात्विक यौगिक नहीं बनाती है। इस कारण से लैन्थेनाइड धातुओं के मध्य सामान्यतः स्टाइकियोमितीय संयोग नहीं होता है। तथापि, ऐसी धातुओं के साथ लैन्थेनाइड स्थायी अन्तर्धात्विक यौगिक बनाते हैं जिनमें बन्धी कक्षकों की तुलना में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है। लैन्थेनाइड के साथ इस प्रकार के यौगिक बनाने वाली। धातुओं के परमाणुओं में, सामान्यतः 8 या अधिक इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं – Fe, Ru, Os तथा इनके बाद आने वाली धातुएँ इस प्रकार के तत्व हैं। दूसरी ओर, जिन धातुओं में 6 या इससे कम इलेक्ट्रॉन होते हैं, वे लैन्थेनाइडॉ के साथ अन्तर्धात्विक यौगिकों का निर्माण नहीं करती हैं। Cr. Mo, W तथा इनसे पूर्व आने वाली धातुएँ इस श्रेणी की धातुएँ हैं। जिन धातुओं में प्रति परमाणु 7 इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं (Mn. Tc, Re) वे परिवर्ती आचरण प्रदर्शित करती हैं। केवल Eu तथा Yb ही ऐसे लैन्थेनाइड हैं जो प्रति परमाणु दो संयोजी इलेक्ट्रॉनों का योगदान करते हैं अन्यथा सभी लैन्थेनाइड तीन इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं। अन्तर्धात्विक यौगिकों के कुछ उदाहरण सारंणी 4.10 में दिये गये हैं।

  1. +2 ऑक्सीकरण अवस्था में लैन्थेनाइडों के यौगिक- द्विसंयोजकीय समेरियम, यूरोपियम टर्बियम तथा थूलियम का भली प्रकार अध्ययन किया गया है। इसमें से केवल Eu2+ तथा Yb2+ ही जलीय विलयनों में ऑक्सीकृत हुए बिना लम्बे समय तक स्थाई रह सकते हैं। इस ऑक्सीकरण अवस्था को प्रदर्शित करने वाले बहुत से यौगिक बनाये जा चुके हैं, लेकिन Sm (II), Eu (II) तथा Yb (II) के यौगिकों की ही व्यवस्थित रसायन ज्ञात हैं। मानक अपचयन विभव के मानों से पता चलता है कि जलीय विलयनों में इन आयनों की अपचायक क्षमता निम्न क्रम में परिवर्तित होती है:

Eu2+ < < Yb2+ < < Sm2+

Sm2+ तथा Yb2+ दोनों ही आयन हाइड्रोनियम आयन द्वारा तेजी से त्रिसंयोजकीय आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते हैं लेकिन Eu2+ आयन अपेक्षाकृत बहुत धीमी गति से ऑक्सीकृत होते हैं। तथापि, तत्वीय ऑक्सीजन की उपस्थिति में तीनों आयनों का ऑक्सीकरण तेजी से हो जाता है

4Ln2+ + 4H3O+ + O2 -→ 4Ln3+ + 6H2O

द्विधनीय लैन्थेनाइडों के यौगिक प्राप्त करने की कुछ सामान्य विधियाँ निम्न प्रकार हैं- (i) उच्च ताप पर निर्जलीय यौगिकों के अपचयन द्वारा गलित ट्राईहेलाइडों या ऑक्साइडों के अपचयन द्वारा ये यौगिक प्राप्त होते हैं ।

(ii) विलयन में रासायनिक अपचयन द्वारा इसके उदाहरण निम्न हैं:

Eu (III) Zn/ Hg) Eu (II)

SmCl3 Mg/C2H5OH, SmCl2

(iii) विलयन में विद्युतअपघटनी अपचयन द्वारा – इस विधि में पारे की कैथोड पर केवल जलीय Eu (III) तथा Yb (III) अपनी द्विसंयोजकीय प्रजाति में अपयचित हो जाते हैं।

(iv) निर्जलीय हेलाइडों के ऊष्मीय अपघटन से – इस प्रकार के अपघटन को निम्न प्रकार प्रदर्शित- किया जा सकता है :

2LnX3 → 2LnX2 + X2           Ln=Sm, Yb, Eu

X=Cl,Br,I

हेलाइड LnX2–गलित लैन्थेनाइड धातुओं की गलित +3 हेलाइडों पर अभिक्रिया द्वारा इन यौगिकों को बनाया जा सकता है। सभी LnF, यौगिकों की संरचना समान तथा CaF2 जैसी होती है। SmCl2 तथा EuCl2 लगभग एक से लेकिन YoCI2 से भिन्न होते हैं। ब्रोमाइडों में केवल YbBr2 की संरचना SrBr2 से भिन्न होती है लेकिन किसी भी आयोडाइड की संरचना Srl2 या Bal2 जैसी नहीं पाई जाती है।

Ln+2Ln.X3 → 3LnX2

कैल्कोजनाइड (Chalcogenides), LnZ (Z=O, S, Se, Te) – जैसा कि अपेक्षित है, Ln सामान्यतः Eu, Sm या Yb होता है। LnO ऑक्साइड को सामान्यतः सेस्क्वीऑक्साइड (sesquioxide ) के धातु द्वारा उच्च ताप पर अपचयन से प्राप्त किया जा सकता है। LnZ यौगिकों की NaCl जैसी घनीय संरचना होती है ।

त्रिअंगी (Ternary) यौगिक- ये सामान्यतः कार्बोनेट तथा सल्फेट या मिश्रित धातु ऑक्साइड, उदाहरणार्थ SrEu2O4, जैसे ऑक्सीयौगिक हैं। इन्हें अधिकांशतः अवक्षेपण विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। कार्बोनेटों की Ba तथा Sr कार्बोनेटों जैसी ऑर्थोरोम्बिक (orthorhombic) संरचना होती है। ऑर्थोरोम्बिक Sm(II) तथा Eu (II) सल्फेटों की BaSO4 जैसी संरचना होती है।

Eu(OH)2 . H2O के क्रिस्टलों को कक्षीय ताप पर Eu तथा 10N NaOH विलयन की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। इसकी Ba तथा Sr के समसूत्रीय यौगिकों जैसी संरचना होती है।

+ 3 ऑक्सीकरण अवस्था में लैन्थेनाइडों के यौगिक- लैन्थेनाइडों के त्रिधनीय आयन लगभग सभी ज्ञात आयनों से संयुक्त हो सकते हैं। CI, Br, I,NO3 – या CIO 4, आयनों के साथ निर्मित यौगिकों के जलीय विलयन प्रबल 3 : 1 विद्युत अपघट्यों की भाँति आचरण करते हैं। जैसा कि लैन्थेनाइड संकुचन के कारण आशा की जाती है, La 3 + यौगिकों से Lu 3 + यौगिकों तक आयनिक गुण लगातार घटते जाते हैं। यह इन यौगिकों की ठोस तथा विलयन अवस्था में भौतिक गुणों के अध्ययन से स्पष्ट पता चलता है। जलयोजित Ln3+ आयन स्वयं इतने दुर्बल अम्ल होते हैं कि इनका व्यापक रूप से जलअपघटन नहीं होता है। ऋणायनों के दुर्बल क्षारीय होने पर यौगिकों के जलीय विलयन मन्द (mild) अम्लीय होते हैं। तथापि, प्रबल क्षारीय ऋणायन (उदाहरणार्थ, CN, S, NO2, OCN, N3) जलअपघटन द्वारा इतने अधिक हाइड्रॉक्साइड आयन उपलब्ध करा देते हैं कि लैन्थेनाइडों के हाइड्रॉक्साइड या क्षारीय लवण अवक्षेपित हो जाते हैं। ऊष्मा के प्रति स्थाई ऋणायनों (उदाहरणार्थ, O2 2-, F, CI, Br, PO4 3-) वाले निर्जलीय यौगिक, सामान्यतः, गर्म करने पर अपघटित होने की अपेक्षा पिघल जाते हैं।

Ln3+ आयन की त्रिज्या घटने पर यौगिकों की विलेयता में कोई नियमित क्रमण नहीं पाया जाता है-विलेयता बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है। NO3, CIO4, CF, Br, I, BrO3, CH3COO जैसे एकऋणीय आयनों वाले यौगिक जल में विलेय होते हैं। तथापि, F-व OH- जैसे छोटे एकऋणीय आयन तथा – 2 या – 3 आवेश वाले ऋणायन यौगिकों को अविलेय बना देते हैं। यद्यपि ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड जल में लगभग पूर्णतः अविलेय हैं, इनकी क्षारकता इन्हें अम्लों में तेजी से घोलने के लिए पर्याप्त है। थोड़े से उच्च ताप पर लैन्थेनाइड तत्वों की H2 के साथ अभिक्रिया द्वारा उनके हाइड्राइड LnH2 व LnH3) बनाये जा सकते हैं। LnH2 यौगिकों में सामान्यतः धात्विक चमक पाई जाती है तथा ये अर्धचालक (semiconductor) होते हैं।

हेलाइड – आयोडाइडों के अतिरिक्त, लैन्थेनाइडों के सभी संभव ट्राइहेलाइडों को निर्जलीय रूप में या जलयोजित योगिकों के रूप में बनाया जा चुका है । मध्य सीधी अभिक्रिया निर्जलीय यौगिकों तत्वों को बनाने की सर्वोतम विधि है । अन्य हैलाइडों की तुलना में फ्लुओराइडों की जलअपघटन के प्र संवेदनशीलता कम होती है। अन्य हेलाइड जल मे इतने अधिक विलेय हैं कि उनके हाइड्रेटों को क्रिस्टलीकरण विधि द्वारा आसानी से पृथक नहीं किया जा सकता है। इसी कारण से निर्जलीय हेलाइड आर्द्रताग्राही (hygroscopic ) तथा प्रस्वेदी (deliquescent) होते हैं। ट्राइहेलाइड उच्च गलनांक व क्वथनांक वाले अवाष्पशील क्रिस्टलीय यौगिक हैं। ये हाइड्रेट का निर्माण करते हैं जिनके सामान्य सूत्र LnCl3. H2O, LnCl3, 6 या 7H2O तथा LnBr36-8H2 O होते हैं।

ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड – सभी लैन्थेनाइड ऑक्साइड (Ln2 O3) आसानी से बनाये जा सकते हैं। इनका भली-भाँति अध्ययन किया जा चुका है। Ce Pr तथा Tb के अतिरिक्त सभी धातुओं के ऑक्सीजन के साथ सीधे संयोग से या हाइड्रॉक्साइड तथा बहुत से ऑक्सोऋणायन (उदाहरणार्थ, C2 O4 2- , SO4 2- लेकिन PO4 3- नहीं) युक्त यौगिकों को वायु की उपस्थिति में जलाने पर ऑक्साइड व हाइड्रॉक्साइड यौगिकों को अन्तिम उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। ऑक्साइड जलयोजित होकर हाइड्रॉक्साइडों में परिवर्तित हो जाते हैं। वायु से CO2 अवशोषण करके ये क्षारीय कार्बोनेटों का निर्माण करते हैं। जलीय अमोनिया, बहुत से ऐमीन तथा विलेय क्षारों द्वारा हाइड्रॉक्साइडों का जलयोजित रूप में अवक्षेपण हो जाता है।

कैल्कोजेनाइड–अधिकांश लैन्थेनाइडों के लिए Ln2 S3, LT2 Se3 तथा Ln2 Te3 कैल्कोजनाइड बनाये जा चुके हैं। इन यौगिकों को निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है-

(i) तत्वों के सीधे संयोग से

(ii) धातुओं की H2 S या H2 Se के साथ अभिक्रिया द्वारा

(iii) निर्जलीय लवण या ऑक्साइड की H2 S या H2 Se के साथ अभिक्रिया से

(iv) पॉलिसल्फाइड या पॉलिसीलिनाइड, Ln2 X4 (X = S, Se), के ऊष्मीय वियोजन से

(v) सल्फाइड, सीलिनाइड इत्यादि ऑक्सीलवणों के अपघटन से

निक्टाइड (pnictides)- बहुत से लैन्थेनाइडों के VA वर्ग के लगभग सभी सदस्यों के साथ द्विअंगी यौगिक बनाये जा चुके हैं। इन यौगिकों का सामान्य सूत्र LnX (X = N, P, As, Sb, Bi) है। इनमें से अधिकांश की संरचना NaCl जैसी होती है। नाइट्राइडों को सामान्यत: लगभग 1200°C पर तत्वों के सीधे संयोग से या हाइड्राइडों की N2 या NH3 के साथ कुछ निम्नतर तापक्रम पर अभिक्रिया द्वारा बनाया जा सकता है। इसी प्रकार अन्य निक्टाइडों को भी बनाया जा सकता है।

कार्बाइड–किसी लैन्थेनाइड तत्व की, इसके ऑक्साइड की या इसके हाइड्राइड की कार्बन के साथ उच्च ताप पर अभिक्रिया से सामान्यतः डाइकार्बाइड, LnC2, प्राप्त होते हैं। कुछ मात्रा में अपेक्षाकृत कम सामान्य यौगिक Ln2C3, LnC, Ln2 C तथा Ln3 C भी बन सकते हैं। LnC2 की संरचना CaC2 जैसी होती है तथा इनके क्रिस्टल में C2 समूह पाये जाते हैं । LaC2 में C – C बंध दूरी 1, 28A है जो द्विबंध व त्रिबन्ध दूरी के मध्य पड़ती है।

Ln2C3 (Ln = La से Ho) यौगिकों की Pu2C3 जैसी कायकेन्द्रित घनीय (BCC) संरचना होती है। कार्बाइडों की विशिष्ट अभिक्रिया की भांति LnC2 तथा Ln2 C3 अम्लीय माध्यम में जलअपघटित होकर संतृप्त अथा असतृप्त हाइड्रोकार्बन देते हैं लेकिन H, भी काफी मात्रा में निकलती है। कार्बोनेट–लैन्थेनाइड आयनों के जलीय विलयन में क्षार कार्बोनेट या बाइकार्बोनेट अभिक्रिया करके | कार्बोनेट Ln2 (CO3)3 बनाते हैं जो अवक्षेप में संभवतः जलयोजित अवस्था में होते हैं। कार्बोनेट अधिकांश यौगिकों के साथ तेजी से अभिक्रिया करते हैं। उच्च ताप पर ये अन्ततः ऑक्साइडों में अपघटित हो जाते हैं।

नाइट्रेट – लगभग सभी लैन्थेनाइड आयनों के जलीय विलयन के वाष्पीकरण से क्रिस्टलीय जलयोजित नाइट्रेट, मुख्यतः Ln (NO3) 3.6H2O, प्राप्त होते हैं। ये यौगिक जल में अत्यधिक विलेय हैं तथा अधिकांश ऐल्कोहॉल, कीटोन तथा एस्टर में भी घुल जाते हैं। ट्राई-n-ब्युटाइल फॉस्फेट में निष्कर्षण द्वारा लैन्थेनाइड आयनों के पृथक्करण के बारे में पूर्व में बताया जा चुका है।

  1. + 4 ऑक्सीकरण अवस्था में लैन्थेनाइडों के यौगिक- पूर्व में बताया जा चुका है कि यह ऑक्सीकरण अवस्था सीरियम तथा टर्बियम की विशिष्ट ऑक्सीकरण अवस्था है, यद्यपि प्रेसियोडायमियम के चतुर्संयोजकीय यौगिक भी बनाये जा चुके हैं। सीरियम (IV) यौगिकों के बहुत से अनुप्रयोग, विशेषतः विश्लेषणात्मक क्षेत्र में, ज्ञात हैं। जलीय विलयन में केवल चतुर्धनीय सीरियम ही प्रत्यक्षतः स्थाई है अतः इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है यदि हम कहें कि सीरियम (IV) यौगिकों की रसायन ही लैन्थेनाइड (IV) यौगिकों की रसायन है। इसी कारण से आगे सीरियम (IV) यौगिकों की अधिक विस्तार से विवेचना की गई है।