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केल्विन किसका मात्रक है ? kelvin is unit of what in hindi केल्विन की परिभाषा क्या है किसे कहते है ?

kelvin is unit of what in hindi केल्विन किसका मात्रक है ? केल्विन की परिभाषा क्या है किसे कहते है ?

परिभाषा :  केल्विन (Kelvin)-ऊष्मागतिकी में ताप को केल्विन में मापते हैं। शून्य डिग्री केल्विन प्रकृति में पाया जाने वाला न्यूनतम ताप है। केल्विन ताप का मात्रक होता है |

 आइसोटोनिक (Isotonic)-वे स्थान जिनके दाब समुद्र की सतह को आधार मानते हुए समान हो, आइसोटोनिक कहलाते हैं।
 गतिज ऊष्मा (Kinetic energy)-किसी वस्तु में उसकी गति के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं।
 गुप्त ऊष्मा (Latent heat)-अवस्था परिवर्तन के समय पदार्थ द्वारा ली गई या दी गई ऊष्मा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं। यह ऊष्मा पदार्थ के ताप को नहीं बढ़ाती।
 लैटिस (Lattice)-पदार्थ में अणुओं के नियमित रूप में व्यवस्थित रहने वाले निकाय को ‘लैटिस‘ (जालक) कहते हैं।
 लेसर (Laser)-‘Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation’ लेसर का पूरा रूप है। लेसर किरणों में दिशात्मकता, संबद्धता तथा उच्च तीव्रता के गुण होते हैं।।
 प्रकाश (Light)-विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के उस भाग को जिसकी तरंगदैर्घ्य 4×10-7 मीटर से लेकर 7×10-7 मीटर होती है, प्रकाश कहते हैं।
 अनुदैर्घ्य तरंगें (Longitudinal waves)-अनुदैर्घ्य तरंगों में माध्यम के कण, तरंग के संचरण की दिशा के समान्तर कम्पन करते हैं।
 ल्यूमेन (Lumen)-प्रकाशमिति (Photometry) में ज्योति फ्लक्स (Luminous flux) के मात्रक को ‘ल्यूमेन‘ कहते हैं।
 लक्स (Lux)-प्रकाशमिति में प्रदीप्ति-घनत्व (Illuminance) के मात्रक को ‘लक्स‘ कहते हैं।
 चुम्बक (Magnet)-चुम्बक वह पदार्थ है, जिनमें आकर्षण का गुण पाया जाता है तथा जो स्वतंत्रतापूर्वक सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है।
 चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field)-किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी चुम्बकीय सुई पर बल आघूर्ण आरोपित होता है जिसके कारण वह घूमकर एक निश्चित दिशा में ठहरती है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
 चुम्बकीय सुई (Magnetic needle)-चुम्बकीय सुई एक छोटी सी सुई होती है, जो काँच की एक डिबिया में बन्द रहती है तथा सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है। इसका उपयोग दिशा ज्ञात करने में किया जाता है।
 आवर्धन क्षमता (Magnifying power)-किसी प्रकाशिक यंत्र की आवर्धन क्षमता, यंत्र से बने प्रतिबिम्ब द्वारा आँख पर बनने वाले दर्शन कोण (Visual angle) तथा बिना यंत्र के केवल आँख से देखने पर वस्तु द्वारा बने दर्शन कोण के बराबर होती है।
 द्रव्यमान-स्पेक्ट्रोमीटर (Mass-spectrometer)- द्रव्यमान- स्पेक्ट्रोमीटर एक ऐसा यंत्र है, जिसकी सहायता से तत्वों के परमाणु द्रव्यमान ज्ञात किये जाते हैं।
 मैकेनिकल इक्युवेलेन्ट ऑफ हीट (Mechanical Equivalent of Heat)-एक कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक कार्य की मात्रा को मैकेनिकल इक्युवेलेन्ट ऑफ हीट कहते हैं।
 ऊष्मा (Heat)-ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, जो दो वस्तुओं के बीच उनके तापान्तर के कारण प्रवाहित होती है।
 ऊष्मा पम्प (Heat pump)-ऊष्मा पम्प एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा ऊष्मा को नीचे से ऊँचे ताप पर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में पम्प को बाहर से कार्य प्रदान किया जाता है। ठंडे देशों में इस तकनीक के द्वारा पानी से ऊष्मा निकालकर घरों से प्रवाहित की जाती है।
 होलोग्राफी (Holography)- होलोग्राफी एक लेसर तकनीक है, जिसके द्वारा बिना किसी कैमरा व लैंस की सहायता से त्रिविमीय (Three dimensional) चित्रों का फोटोग्राफ लिया जाता है।
 हाइड्रोडाइनामिक्स (Hydroeclectricity)- भौतिकी में द्रवों के प्रवाह के अध्ययन को हाइड्रोडाइनामिक्स कहते हैं।
 हाइड्रोइलैक्ट्रिक (Hydroelectricity)-पानी की सहायता से उत्पन्न विद्युत् जल-विद्युत् (Hydroelectricity) कहलाती है, तेज पानी के बहाव के कारण जेनरेटर में लगे आरमेचर घूमने लगते हैं और विद्युत् उत्पादन प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार जल की स्थितिज (Potential) और गतिज (Kinetic) ऊर्जा द्वारा जल-टरबाइन के माध्यम से जो विद्युत् उत्पन्न की जाती है, उसे जल-विद्युत् कहा जाता है।
 इम्पीडेन्स (Impedence)-एक प्रत्यावर्ती धारा के परिपथ में उपस्थित कुल प्रतिरोध इम्पीडेन्स कहलाता है। इन्केडेसेंस (Incandescence)-यह तार की वह अवस्था है जिसमें विद्युत् तार से प्रवाहित होकर इसे लाल कर देती है और यह चमकने लगता है।
 प्रेरण (Induction)-जब कोई चालक किसी चुम्बकीय क्षेत्र की फ्लक्स रेखाओं को काटते हुए गति करता है तो चालक के सिरों के बीच एक वैद्युत विभवान्तर प्रेरित हो जाता है। इस घटना को प्रेरण कहते हैं।
 व्यतिकरण (Interference)-जब किसी माध्यम में समान आवृत्ति व आयाम की दो तरंगें एक साथ एक ही दिशा में गति करती हैं तो माध्यम के कुछ बिन्दुओं पर परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है व कुछ बिन्दुओं पर न्यूनतम होती है। इस घटना को व्यतिकरण कहते हैं।
 इन्फ्रा रैड किरण (Infra-red Rays)-सूर्य के प्रकाश में सात रंगों का समावेश होता है, जिसे स्पेक्ट्रम कहते हैं। इन सात रंगों के अलावा इस स्पेक्ट्रम के लाल रंग की तरफ जो अदृश्य विकिरण होता है, उसे इन्फ्रा रेड विकिरण कहते हैं। इसका तरंगदैर्घ्य बहुत अधिक होता है तथा इसकी आवृत्ति (Frequency) कम होती है।
 अवरक्त विकिरण (Infrared radiation)-अवरक्त विकरण, विद्युत्-चुम्बकीय विकिरण का वह भाग है जिसकी तरंगदैर्घ्य लाल प्रकाश की तरंगदैर्घ्य से अधिक होती है। इस क्षेत्र में अनेक विद्युतीय व चुम्बकीय क्रियाएँ होती रहती हैं।
 आयनोस्फीयर (lonosphere)-पृथ्वी के ऊपर 80 किमी से 640 किमी तक की ऊँचाई का क्षेत्र आयनोस्फीयर कहलाता है। यह क्षेत्र मुख्यतः आयनों का बना होता है। इस क्षेत्र में अनेक विद्युत व चुम्बकीय क्रियाएँ होती रहती हैं।
 आइमोक्लीनिक लाइन्स (Isoclinic Linos)-ये रेखाएँ, ओपमान नमन कोण वाले स्थानों को मिलानी हैं, आइमोक्लीनिक लाइन्म कहलाती है।
 वैधुत द्विध्रुव (Electric dipole)-विद्युत् द्विध्रुव ऐमा निकाय होता है जिसमें दो विपरीत आवेश एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित होते हैं।
 विद्युत क्षेत्र (Electric field)-किमी आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी अन्य आवेश को लाने पर, उस पर एक बल आरोपित होता है विद्युत क्षेत्र कहलाता है।
 विद्युत विभव (Electric potontial)-विद्युत् क्षेत्र के किसी विन्द पर विद्युत विभव उस कार्य के बराबर होता है, जो एकांक आवेश को अनन्त मे उस बिन्दु तक लाने में करना पड़ता है।
 मूल कण (Elementary particles)-भौतिकी में मूल कण वे कण है, जिन्हें विभाजित नहीं किया जा सकता।
 इलेक्ट्रॉन वोल्ट (Electron volt)- इलेक्ट्रॉन योल्ट ऊर्जा नापने का मात्रक है। एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट में 1.6×10-19 जूल ऊर्जा होती है।
 एन्थैल्पी (Enthalpy)-एन्थैल्पी एक ऊष्मागतिक फलन है। यह किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा व दाब तथा आयतन के गुणनफल के योग के बराबर होती है।
 समविभव पृष्ठ (Equlpotential surface)-समविभव पृष्ठ एक ऐसा पृष्ठ है, जिसमें स्थित सभी बिन्दु समान विभव पर होते हैं।
 पलायन वेग (Escape velocity)-वह न्यूनतम वेग जो किसी पिण्ड को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्पण से बाहर निकाल दे, पलायन वेग (Escape velocity) कहलाता है।
 वाप्पन (Evaporation)- सामान्य ताप पर किसी द्रव के वाष्य में बदलने की क्रिया को वाप्यन कहते हैं।
 फारेनहाइट पैमाना (Fahrenheit scale)-यह ताप का वह पैमाना है जिस पर बर्फ का गलनांक 32°F व पानी का क्वथनांक 212°F होता है। इस पैमाने पर ताप को फारेनहाइट से प्रदर्शित करते हैं।
 अवपात (Fallout)-नाभिकीय विस्फोट के पश्चात् रेडियोऐक्टिव पदार्थों के पृथ्वी पर गिरने की घटना को अवपात कहते हैं।
 फाइबर-ऑप्टिक्स (Fibre-optics)- भौतिकी की इस शाखा के अन्तर्गत प्रकाश के काँच की अत्यन्त बारीक व लचीली छड़ों द्वारा संचरण व इसके अन्तर्गत गुणों का अध्ययन करते हैं।
 प्रतिदीप्ति (Fluorescence)-प्रकृति में कुछ ऐसे पदार्थ पाये जाते हैं कि जब उन पर ऊँची आवृत्ति का प्रकाश डाला जाता है तो वे उसे अवशोषित कर लेते हैं व निचली आवृत्ति के प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं। उत्सर्जन की यह घटना तभी तक होती है, जब तक उन पर प्रकाश डाला जाता है। इस घटना को प्रतिदीप्ति कहते हैं।
 बल (Force)-बल वह क्रिया है, जो किसी वस्तु को स्थिर अथवा एक समान गति की स्थिति में परिवर्तन करने की प्रवृत्ति रखती है।
 आवृत्ति (Frequency)-कोई दोलन करती हुई वस्तु एक सेकण्ड में जितने दोलन पूरे करती हैय उसे उस वस्तु की आवृत्ति कहते हैं।
 गुरुत्व (Gravity)-गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है।
 अर्ध आयु (Half life)-अर्ध आयु वह समय है, जिसमें कोई रेडियोऐक्टिव पदार्थ क्षय होकर अपनी प्रारम्भिक मात्रा का आधा रह जाता है।