intrinsic semiconductor in hindi definition नैज अर्धचालक किसे कहते हैं उदाहरण फर्मी स्तर
जानिये intrinsic semiconductor in hindi definition नैज अर्धचालक किसे कहते हैं उदाहरण फर्मी स्तर ?
नैज अर्धचालक (INTRINSIC SEMICONDUCTOR)
अधिकांश अर्धचालक युक्तियाँ (semiconductor devices) जैसे डायोड, ट्रॉजिस्टर आदि जरमेनियम (Ge) या सिलीकॉन (Si) अर्ध-चालक पदार्थों से बनाई जाती हैं। ये दोनों ही तत्व आवर्त सारणी (periodic table) के चतुर्थ वर्ग के सदस्य हैं व इनकी संयोजकता चार होती है। चतुर्थ वर्ग के तत्वों में परमाणु क्रमांक, इलेक्ट्रॉनों वितरण तथा वर्जित ऊर्जा अंतराल सारणी (1) में दिये गये हैं।
सारणी (1)
उपरोक्त तत्वों में कार्बन (हीरे के रूप में) कुचालक है, सिलीकन व जरमेनियम अर्ध-चालक हैं तथा टिन व
सीसा चालक ।
चित्र 2.4-1 : जरमेनियम में सहसंयोजी आबन्ध चित्र 2.4-2 : चतुष्फलकीय आबन्ध
(i) क्रिस्टलीय संरचना (Crystaline structure)- दोनों सिलीकन व जरमेनियम में आंतरिक कक्षायें पूर्णत: भरी होती हैं इन कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉन नाभिक से दृढ़तापूर्वक बन्धे रहते हैं जबकि बाह्यतम कक्ष में उपस्थित चार इलेक्ट्रॉन जिन्हें संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहते हैं, नाभिक से शिथिलत: बद्ध (loosely bound) होते हैं। अत: परमाणु को स्थायी अवस्था में आने के लिए चार इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इन चार इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक परमाणु के चारों इलेक्ट्रॉन निकटवर्ती चार परमाणुओं के एक-एक इलेक्ट्रॉन से साझेदारी करते हैं इससे परमाणु का संयोजकता कक्ष पूर्ण हो जाता है। इस प्रकार प्रत्येक परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन निकटवर्ती चार परमाणुओं के एक-एक इलेक्ट्रॉन के साथ सहसंयोजी आबन्धों (covalent bond) की रचना करते हैं जैसा कि चित्र (2.4–1) में प्रदर्शित किया गया है। प्रत्येक आबन्ध में दो इलेक्ट्रॉन होते हैं और इस रचना से प्रत्येक परमाणु की बाह्य कक्षा में आठ इलेक्ट्रॉन आ जाते हैं और कक्षा स्थाई बन जाती है। सिलीकन व जरमेनियम दोनों की क्रिस्टलीय संरचना कार्बन (हीरे) की भांति हीरक-संरचना (diamond structure) होती है जिसमें आबन्ध चतुष्फलक की रचना करते हैं। चतुष्फलकीय आबंध चित्र (2.4-2) में प्रदर्शित किया गया है। प्रत्येक परमाणु के चार निकटतम प्रतिवेशी (nearest neighbours होते हैं। सिलीकन व जरमेनियम के जालक नियतांक ( lattice constant) क्रमश: 5.43Å व 5.66Å होते हैं।
(ii) आवेश वाहक (Charge carriers ) – परम शून्य ताप (absolute zero temperature) पर सभी संयोजी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजी आबन्धों में दृढ़तापूर्वक बन्धे रहते हैं तथा कोई भी इलेक्ट्रॉन चालन बैंड में नहीं होता है व पदार्थ जैसे-जैसे ताप में वृद्धि होती है कुछ इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा ग्रहण कर सहसंयोजी आबन्ध तोड़ने में सफल हो जाते हैं की चालकता शून्य होती है, अर्थात् परम शून्य ताप पर सभी अर्धचालक पदार्थ कुचालक की भाँति व्यवहार करते हैं। और वर्जित ऊर्जा अन्तराल पार कर चालन बैण्ड में पहुँच जाते हैं। जैसे ही कोई इलेक्ट्रॉन सह संयोजी आबन्ध को तोड़कर मुक्त होता है तो यह इलेक्ट्रॉन स्थल (electron site) रिक्त हो जाता है। इस रिक्त स्थल को कोटर या विवर या होल (hole) कहते हैं। अत: मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electron ) तथा होल दोनों ही एक साथ युग्मों (pair) में उत्पन्न होते हैं। अर्थात् इस प्रकार के अर्ध चालकों में चालन बैण्ड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या व संयोजकता बैण्ड में होलों की संख्या समान होती है। कक्ष ताप पर जरमेनियम में प्रति 10^10 परमाणु एक इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न होता है। ताप बढ़ने से इस संख्या में तीव्रता से (चरघातांकी रूप से) वृद्धि होती है। अर्धचालक युक्तिओं (डायोड, ट्रॉजिस्टर आदि) में नैज के लिये अधिकतम प्रचालन ताप (operating temperature) लगभग 85°C तथा सिलीकन के लिये 180°C होता है। चालन अपेक्षित नहीं होता है अतः युक्ति का ताप एक सीमा से अधिक नहीं होने का उपाय किया जाता है। जरमेनियम ऐसे अर्ध-चालक जिसमें ताप जनित इलेक्ट्रॉन-होल युग्म होते हैं नैज अर्धचालक (intrinsic semiconductor) कहलाते हैं। यदि नैज अर्धचालक में प्रति एकांक आयतन मुक्त इलेक्ट्रॉनों एवं होलों की संख्या क्रमश: ni व pi
ni = Pi व ni Pi = ni2 …………………….(1)
(iii) आवेश वाहकों की यादृच्छिक गति (Random movement of charge carriers)
सामान्य ताप पर चालन बैण्ड में मुक्त इलेक्ट्रॉन गैस के कणों के समान यादृच्छिक गति करते हैं तथा संयोजक
बैण्ड में होलों की गति भी यादृच्छिक होती है जिसे निम्न तरीके से समझाया जा सकता है।
माना तापीय ऊर्जा के कारण चित्र (2.4-3) में दिखाये गये किसी सहसंयोजी आबन्ध में स्थल A से एक इलेक्ट्रॉन मुक्त होकर चालन बैण्ड में संक्रमण करता है इससे स्थल A पर एक होल उत्पन्न हो जाता है। अत्यल्प तापीय ऊर्जा के कारण किसी निकटवर्ती परमाणु से संयोजकता इलेक्ट्रॉन (स्थल B) सहसंयोजी आबन्ध तोड़ कर स्थल A पर स्थित होल पर संक्रमण करता है तो यह सहसंयोजी आबन्ध पूर्ण हो जाता है तथा स्थल B पर होल उत्पन्न कर देता है। अतः संयोजकता इलेक्ट्रॉन के स्थल B से A की ओर गति करने के कारण होल A से स्थल B की ओर गति करता हुआ प्रतीत होता है। इस प्रकार किसी संयोजकता इलेक्ट्रॉन की यादृच्छिक गति ABCD दिशा के कारण संयोजकता बैण्ड में होल इसके विपरीत दिशा में यादृच्छिक गति DCBA दिशा में करता हुआ प्रतीत होगा। इस प्रकार अर्ध चालक में इलेक्ट्रॉन – होल दोनों आवेश वाहक का कार्य करते हें और विद्युत चालन इन दोनों आवेश वाहकों के कारण होता है।
मुक्त इलेक्ट्रॉन
चित्र 2.4-3
2.5 फर्मी- डिराक ऊर्जा वितरण तथा फर्मी-स्तर (FERMI-DIRAC ENERGY DISTRIBUTION AND FERMI LEVEL )
इलेक्ट्रॉनों की वृहद् संख्या तथा पदार्थ के परमाणुओं से याद्दच्छिक टक्करों के कारण उनमें ऊर्जा वितरण की व्याख्या एक साख्यिकीय समस्या होती है। इलेक्ट्रॉन पाउली के अपवर्जन नियम का पालन करते हैं और उनकी चक्रणी क्वांटम
संख्या (spin quantum number) ½ होती है। ऐसे कण फर्मी- डिराक वितरण का पालन करते हैं। इस वितरण में ताप T पर ऊर्जा E की क्वान्टम अवस्था में स्थित होने की प्रायिकता f (E) निम्न होती है-
चित्र 2.5-1
जहाँ k बोल्ट्जमान नियतांक है (k= 1.38 × 10-23 जूल /K)) तथा Ef एक ऊर्जा नियतांक है जिसे फर्मी ऊर्जा कहते हैं।
परम शून्य ताप (T = 0) पर Ef से कम E के सब मानों के लिये ( E – Ef) ऋणात्मक होगा व exp(E-Ey)/kT =exp(−००) शून्य होगा जिससे f(E) = 1 अर्थात् Ef से कम ऊर्जा के लिये अधिष्ठान प्रायिकता (occupation probability) 1 होगी और ये सब ऊर्जा स्तर भरे होंगे। E का मान Ef से अधिक होने पर (E – Ei) | धनात्मक होगा जिससे e(E – Ef)/KT = exp(0) अर्थात् अनन्त मान प्राप्त करेगा और (E) का मान शून्य हो जायेगा।इस प्रकार T = 0 परE = Ef तक सब ऊर्जा स्तर भरे हो सकते हैं व Ef से अधिक ऊर्जा के स्तर रिक्त होंगे। अन्य रूप में T = 0 परफर्मी ऊर्जा Ef ऊर्जा का वह अधिकतम स्तर है जिसमें इलेक्ट्रॉन स्थित हो सकते हैं।
अन्य तापों पर E = Ef होने पर (E – Ef) = 0 जिससे
f(E) = 1/e° + 1 = 1/2 …………………(2)
अर्थात् परम शून्य से अधिक सब तापों पर वह ऊर्जा स्तर जहाँ अधिष्ठान प्रायिकता ( occupation probability) 1/2 होती है, फर्मी ऊर्जा स्तर ( fermi energy level) कहलाता है।
2.6 नैज अर्ध – चालकों में फर्मी स्तर की स्थिति (POSITION OF FERMI-LEVEL IN INTRINSIC SEMICONDUCTORS)
नैज अर्धचालकों में कुछ इलेक्ट्रॉन संयोजकता बैंड से चालन बैंड में संक्रमण कर जाते हैं और सरलता के लिये यह कल्पना की जा सकती है कि संयोजकता बैंड के शीर्ष पर स्थित क्वांटम अवस्थाओं से ही यह ताप जनित संक्रमण होता है। इसी प्रकार यह भी माना जा सकता है कि संक्रमण के पश्चात् ये इलेक्ट्रॉन चालन बैंड की निम्नतम क्वान्टम अवस्थाओं में स्थित होते हैं। अतः यदि क्रिस्टल में प्रति एकांक आयतन N इलेक्ट्रॉन हो तो फर्मी डिराक प्रायिकता नियम के अनुसार ताप T पर चालन बैंड में E = E के निकट अध्यासित ( occupied) क्वांटम अवस्थाओं का घनत्व
Nc = N(Ec) = Nf (Ec) = N /e(Ec-E)/kT +1………………………(1)
संयोजकता बैंड के शीर्ष E = E, पर इसी प्रकार अध्यासित ( occupied) क्वांटम अवस्थाओं का घनत्व
Nv = Nf(Ev) = N /e(Ev-Efy) /KT +1………………………………….(2)
अतः संयोजकता बैंड में रिक्त क्वांटम अवस्थाओं का घनत्व
Nc = N – Nv
N = N- /e(Ev-Ey)kT+1 ………………………..(3)
परन्तु संयोजकता बैंड में रिक्त अवस्थाओं (empty states) की संख्या चालन बैंड में अध्यासित अवस्थाओं (occupied states) की संख्या के बराबर होनी चाहिये, अतः
अर्थात् फर्मी स्तर संयोजकता बैंड के उच्चतम स्तर Ev व चालन बैंड के निम्नतम स्तर E के मध्य स्थित होता है (चित्र 2.6-1)।
2.7 मुक्त इलेक्ट्रॉन सन्निकटन में अवस्था घनत्व (DENSITY OF STATES IN FREE ELECTRON APPROXIMATION)
चालन बैंड में उपस्थित इलेक्ट्रॉन उसके निम्नतम स्तर के निकट क्वांटम अवस्थाओं में स्थित होते हैं व शेष बैण्ड रिक्त होता है अत: इन इलेक्ट्रॉनों को मुक्त माना जा सकता है। मुक्त इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
E = 1/2 mv^2 = p^2/2m………………..(1)
जहाँ उसका संवेग है, जो कि देब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य λ से संबंधित है।
p =h/λ …………………….(2)
यदि हम एक सदिश k ( तरंग सदिश ) परिभाषित करें जो तरंग संचरण की दिशा में एकांक लम्बाई में कलान्तर
के तुल्य हो अर्थात्
K = 2π/λ
तो मुक्त इलेक्ट्रॉनों के लिये
k = 2π/h p p = h/2π k ……………………(3)
अतः संबंध (1) से
यदि X, Y व Z अक्षों के अनुदिश सदिश k के घटक kx ky व kz हैं तो
k – समष्टि (k-space) में उपरोक्त समीकरण नियत E के लिये एक गोले का समीकरण है जिसकी त्रिज्या
होगी।
k- समष्टि में नियत ऊर्जा के संगत पृष्ठ फर्मी – पृष्ठ ( fermi-surface) कहलाते हैं। अतः मुक्त इलेक्ट्रॉनों के
लिए फर्मी पृष्ठ
त्रिज्या का गोला होता है ।
यदि हम Lx, Ly व Lz भुजाओं वाले व V = LxLyLz आयतन के आयताकार षट्फलक (rectangular parallelopiped) पर विचार करें तो सीमा बन्धनों के कारण वे तरंगदैर्ध्य जो एक मुक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर सकता है
निम्न होंगी :
N1, n2 व n3 प्रत्येक के मान में इकाई की वृद्धि करने पर यदि kx, ky व kz. के मानों में क्रमशः वृद्धि kx, ky
व kz हो तो
k-समष्टि में यह आयतन एक क्वांटम अवस्था के संगत आयतन होता है।
अत: समीकरण (5) व (7) के उपयोग से E ऊर्जा तक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों के लिये क्वांटम अवस्थाओं की
संख्या त्रिज्या के गोले के आयतन से एकल क्वांटम अवस्था के संगत आयतन का भाग देने से प्राप्त होगी।
E ऊर्जा तक क्वांटम अवस्थाओं की संख्या
परन्तु प्रत्येक क्वांटम अवस्था में विपरीत चक्रण (opposite spin) के दो इलेक्ट्रॉन स्थित हो सकते हैं अत: ऊर्जा E तक की क्वांटम अवस्थाओं की कुल संख्या
अतः E तथा E + dE ऊर्जा के मध्य एकांक आयतन ( V = 1) में इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या (अवकलन से)
जिससे
…………………………………..(10)
राशिdN/bE अवस्था घनत्व (density of states) कहलाती है तथा इसे S(E) से निरूपित किया गया है।
2.8 नैज अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन व होल संख्या घनत्व (DENSITY OF ELECTRONS AND HOLES IN INTRINSIC SEMICONDUCTORS)
(i) इलेक्ट्रॉन संख्या घनत्व
मुक्त इलेक्ट्रॉन सन्निकटन में एकांक आयतन में ऊर्जा E व E + dE के मध्य क्वांटम अवस्थाओं की संख्या
(संबंध 2.7-10 से)
परन्तु फर्मों-डिराक वितरण के अनुसार ताप T पर ऊर्जा E की अवस्था में स्थित होने की प्रायिकता
अत: ऊर्जा E व E + dE के मध्य क्वांटम अवस्थाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
शॉक्ले (Shockley) के अनुसर चूंकि चालन बैंड का न्यूनतम स्तर E पर होता है व उससे कम ऊर्जा वाले स्तर वर्जित ऊर्जा अंतराल में स्थित होते हैं अतः क्वांटम अवस्थाओं के घनत्व के सूत्र में E1/2 के स्थान पर (E-Ec) 1/2 प्रयुक्त करना चाहिये। इसके अतिरिक्त चालन बैंड में इलेक्ट्रॉनों के लिये E> Ec तथा फर्मी ऊर्जा स्तर वर्जित ऊर्जा अंतराल के मध्य में है। अत: (E – Ef) >> kT जिससे e (E-Ef) /kT >> 1, अत: समीकरण (3) के चालन बैंड में इलेक्ट्रॉन
संख्या घनत्व
यदि E-Ec /kT को x मान लें तो
…………………(5)
उपरोक्त विवेचन में मुक्त इलेक्ट्रॉन की कल्पना की गई है। वास्तविकता में इलेक्ट्रॉन जालक के आवर्ती विभव क्षेत्र में गति करता है। इस आंतरिक अन्योन्य क्रिया को कण के द्रव्यमान में सन्निहित कर दिया जाता है और कण के लिये एक प्रभावी द्रव्यमान की कल्पना कर ली जाती है, अर्थात् आंतरिक अन्योन्य क्रियाओं को झूलते हुए कण पर आरोपित बाह्य बल व परिणामी त्वरण का अनुपात उसका प्रभावी द्रव्यमान होता है। जरमेनियम व सिलीकन में इलेक्ट्रॉन के प्रभावी द्रव्यमान में अंतर के कारण ही Nn के मान में अंतर प्राप्त होता है।
नैज अर्धचालक के लिये
Ec-Ef = Ec – Ev /2= Eg /2
जहाँ Eg वर्जित ऊर्जा अंतराल है। अतः चालन बैंड में इलेक्ट्रॉन संख्या घनत्व
(ii) होल संख्या घनत्व
n = Nn exp (−AEg/2kT)
…(8)
संयोजकता बैंड में होल-संख्या घनत्व भी चालन बैंड में इलेक्ट्रॉन संख्या घनत्व की भांति ज्ञात किया जा सकता है। संयोजकता बैंड में Ey उच्चतम स्तर है तथा विभिन्न क्वांटम अवस्थायें Ev से कम ऊर्जा की होगी। अतः Eval आधार स्तर मानते हुए क्वांटम अवस्थाओं के घनत्व के सूत्र में E1/2 के स्थान पर शॉक्ले के अनुसार (Ev – E) Mi लेना चाहिये। इसके अतिरिक्त ऊर्जा E की क्वांटम अवस्था में होल स्थित होने का तात्पर्य है कि ऊर्जा E की क्वांटम अवस्था में इलेक्ट्रॉन की अनुपस्थित, जिसकी प्रायिकता ( 1- f(E)] होगी। अत: ऊर्जा E से E + dE के मध्य क्वांटम अवस्थाओं में होल संख्या
जिससे संयोजकता बैंड में (Ef – E)>> kT
dp = Ni (Ev – E)^½ exp { – (Ef – E)/kT} dE …………………………………(10)
जिससे संयोजकता बैंड में होल संख्या घनत्व
m’ होल का प्रभावी द्रव्यमान है। समीकरण (8) व (11) से
नैज अर्धचालक के लिये n x p = ni2
जरमेनियम के लिये K1 K2 का मान लगभग 3.1 × 10^44 प्रति घन मी. व सिलीकन के लिये यह 1.5 x 10^45 प्रति घन मी. होता है।
n1 को नैज आवेश वाहक घनत्व (intrinsic charge carrier density) भी कहते हैं। वर्जित ऊर्जा अंतराल अधिक होने पर यह चरघातांकी रूप से घटता है तथा ताप पर भी यथेष्ट रूप से निर्भर होता है।
नैज अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन- होल युग्म उत्पन्न होने से, चालन बैंड में इलेक्ट्रॉन संख्या घनत्व n व संयोजकता बैंड में होल संख्या घनत्व p बराबर होते हैं, अतः
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