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हृदय की धड़कन मापने वाला यंत्र कौन सा है instrument used to measure heartbeat is called in hindi दिल की धड़कन मापने की मशीन

instrument used to measure heartbeat is called in hindi name हृदय की धड़कन मापने वाला यंत्र कौन सा है दिल की धड़कन मापने की मशीन  ?

उत्तर : Heart rate monitor या stethoscope का प्रयोग मानव ह्रदय की धडकन मापने के लिए किया जाता है |

ह्रदय धड़कन का संवाहन और उत्पत्ति

ह्रदय कार्डियक पेशियों से बना होता है जिनमें उत्तेजनशीलता और सञ्चालन का गुण पाया जाता है | जब कार्डियक पेशियाँ एक विशिष्ट आवेग द्वारा उत्प्रेरित होती हैं तो ये उत्तेजित हो जाती हैं और विद्युत विभव की तरंग प्रारंभ होती है जिसे कार्डियक आवेग (cardiac impulse) कहते हैं | ये ह्रदय प्रकोष्ठ की दीवारों पर विशिष्ट कार्डियक पेशी तंतुओं के साथ संचालित होती है | जब ह्रदय शरीर से पृथक होता है और यह कार्यिकी लवणीय विलयन (रिंगर विलयन) में रखा जाता है तो यह कुछ समय के लिए धड़कता रहता है | ह्रदय धड़कन की शुरुआत कार्डियक पेशियों के तीन विशिष्ट बंडलों से होती है जिन्हें नोडल ऊत्तक कहते हैं |

ह्रदय धड़कन की उत्पत्ति ह्रदयी पेशियों के तीन विशिष्ट समूहों द्वारा संपन्न होती है –

  • शिरा आलिन्द घुण्डी (Sino – auricular node) (S.A. node) : यह दायें आलिन्द की दीवारों में स्थित होता है और पश्च महाधमनी की ओपनिंग की समीप होता है | यह साइनस विनोसस को प्रदर्शित करता है जो कि दाएं आलिन्द की दीवार में पूरी तरह दबा हुआ होता है | यह पेसमेकर भी कहलाता है | यह कार्डियक आवेग उत्पन्न करता है और ह्रदय धड़कन की दर उत्पन्न करता है | यह ह्रदय धड़कन की नियमितता बनाये रखता है | ये कार्डियक आवेग दोनों आलिन्दों पर एक मीटर/सेकंड की दर से विशिष्ट कार्डियक पेशीय तंतुओं की प्रणाली के साथ संचालित होते हैं | ये आवेग निलयों की दीवार से नहीं गुजर सकते |
  • आलिन्द निलय घुण्डी (atrio – ventricular node) , (A.V. node) – यह पेस सैटर भी कहलाता है | यह अंत: आलिन्द और अन्त:निलय पट के जंक्शन के समीप दायें आलिन्द में स्थित होता है | यह A. node द्वारा उत्पन्न संकुचन तरंग द्वारा उत्प्रेरित होता है | कार्डियक आवेग निलय की पेशियों में बण्डल ऑफ़ हिज और पुरकिन्जे तन्तु द्वारा 5 मीटर/सेकंड की दर से संचालित होते हैं |
  • बण्डल ऑफ़ हिज : यह V. बण्डल भी कहलाता है | यह A.V. node से उत्पन्न होता है और अन्त: निलय पट पर स्थानांतरित होता है और दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है जो कि अन्तरानिलय पट की दो दीवारों के सहारे नीचे उतरता है और चिकने तंतु जिन्हें पुरकिन्जे तन्तु कहते हैं , के नेटवर्क द्वारा निलय की दीवार की आपूर्ति करते हैं | ये तंतु ह्रदय के एपेक्स से निलय के संकुचन लाते हैं जो कि रक्त को पल्मोनरी चाप और दैहिक चाप में धकेलती है | जब S.A. node क्षतिग्रस्त हो जाए तो यह कार्डियक आवेग उत्पन्न करने के योग्य नहीं होता जब ह्रदय धड़कन अनियमित हो जाती है जिसे arrhythmia कहते हैं | यह कृत्रिम पैसमैकर द्वारा सही किया जाता है | यह सर्जिकल ग्राफिंग द्वारा रोगी की छाती में आवश्यक मात्रा में रक्त पम्प करने के लिए सैट किया जाता है |

ह्रदय स्पंदन का नियंत्रण

नोडल ऊतकों द्वारा ह्रदय पर मायोजेनिक नियंत्रण होता है | इसके अलावा ह्रदय धड़कन दो तंत्रों द्वारा नियमित की जाती है ताकि ह्रदय धड़कन की दर शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार व्यवस्थित की जा सके | उदाहरण – ह्रदय धड़कन व्यायाम , डर , भय , क्रोध आदि के दौरान बढ़ जाती है जबकि आराम के समय कम हो जाती है |

  • तंत्रिकीय नियंत्रण : ह्रदय धड़कन की दर और धड़कन की प्रबलता स्वायत्त तंत्रिका के दो कार्डियोवैस्कुलर केन्द्रों द्वारा नियंत्रित की जाती है |
  • cardiac acceleratory centre : यह अनुकम्पी तंत्रिका तंतुओं के साथ संयुक्त होता है जो कि बाद में A. node के साथ संयुक्त होता है | ये तंत्रिका तन्तु उत्प्रेरित होते हैं तथा तंत्रिकीयट्रांसमीटर रसायन एड्रीनेलिन (एपिनेफ्रीन) के द्वारा S.A. node के संकुचन की गहराई को बढ़ा देते हैं | यह ह्रदय धड़कन की दर को बढाता है |
  • cardiac inhibitory centre : यह वेगस अथवा परानुकम्पी तंत्रिका तंतुओं से सम्बन्धित होता है जो कि आगे A. node से सम्बन्धित होते हैं | ये तंत्रिका तंतु एक न्यूरोट्रांसमीटर रसायन एसीटाइलकोलीन द्वारा S.A. node के संकुचन की गहराई और दर को कम करते हैं |
  • हार्मोन नियंत्रण : यह नियंत्रण दो एमीन हार्मोन्स एपिनेफ्रीन , नॉरएपिनेफ्रीन द्वारा होता है जो कि एड्रिनल ग्रंथि के एड्रीनल मेड्युला द्वारा स्त्रावित होते हैं | दोनों हार्मोन ह्रदय धड़कन की दर को बढाते है लेकिन विभिन्न स्थितियों में परिचालित करते हैं | एपिनेफ्रीन आपातकालीन स्थिति के दौरान ह्रदय धडकन बढाता है जबकि नॉरएपिनेफ्रीन सामान्य स्थितियों में ह्रदय धडकन बढाता है |

दवाओंकाह्रदयपरप्रभाव

  1. digitalis : यह सीधे ह्रदय पेशियों और परिधीय परिसंचरण पर कार्य करता है | यदि ये दवा लम्बे समय तक उपयोग की जाती है तो यह ह्रदय पेशियों की टोनीसिटी , संकुचनशीलता और irritability बढ़ा देती है | हालाँकि ये दवा संकुचन बल को बढ़ाने में शक्तिशाली कार्डियक टॉनिक के रूप में कार्य करती है |
  2. Pilocarpine , muscarine : जब ये उपयोग में ली जाती है तो ह्रदय पेशियों अथवा वेगस टर्मिनेशन पर कार्य कर ह्रदय धड़कन को धीमा कर देती है | एट्रोपिन द्वारा इन दवाओं का प्रभाव हटाया जा सकता है |
  3. एट्रोपिन ह्रदय धडकन की दर बढ़ाती है |
  4. Serotonin (5-हाइड्रोक्सीट्रिप्टेमिन) रक्त दाब को प्रभावित करती है |

Pulse – स्पन्द फैलने और सिकुड़ने की तरंग है जो परिधीय धमनी में महसूस की जाती है | प्रत्येक निलयी सिस्टोल एक नया स्पंदन प्रारंभ करता है | यह धमनियों द्वारा फैलने की तरंग के रूप में बढती है और केशिकाओं में गायब हो जाती है | स्पंदन दर और ह्रदय दर समान ही होती है | स्पंदन (पल्स) वहां महसूस की जा सकती है जहाँ एक धमनी सतह के समीप स्थित होती है , जैसे – कलाई की रेडियल धमनी , टेम्पोरल धमनी , गर्दन में कॉमन कैरोटिड , मुँह के किनारों पर फेशियल धमनी , कुहनी (elbow)के बैण्ड पर ब्रेकियल धमनी और टांग में टखने (ankle)की हड्डी के पास की धमनी | स्पन्द सामान्यत: 5-8 मीटर/सेकंड की दर से गति करती है जबकि धमनियों में रक्त 300-500 mm/sec, की दर से गति करता है |