आदर्श विलयन और अनादर्श विलयन में अंतर (differences between ideal and non ideal solution in hindi)
आदर्श विलयन : वे विलयन जो सांद्रता तथा ताप की हर स्थिति में राउल्ट के नियम की पालना करते है , ऐसे सभी विलयनों को आदर्श विलयन कहते है।
माना कोई विलयन दो अवयवों से मिलकर बना है , अवयव A तथा अवयव B , यदि कोई विलयन निम्न सभी शर्तों को पूर्ण करता है तो ऐसा विलयन आदर्श विलयन होता है।
1. वह विलयन राउल्ट का नियम का अनुसरण करना चाहिए जो निम्न प्रकार है अर्थात निम्न शर्त को पूरा करना चाहिए –
P = PA0 XA + PB0 XB
2. अवयव A तथा अवयव B के आयतन का योग , इन दोनों से मिलकर बने विलयन के आयतन के बराबर होना चाहिए। अर्थात अवयवों के आयतन में तथा विलयन के आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
3. विलयन बनाने के लिए जब दोनों अवयवो को मिलाया जाता है तब एंथैल्पी में कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात अवयवों को मिलाने से इस क्रिया में ऊष्मा का न तो उत्सर्जन किया जाता है और न ही अवशोषण।
4. अवयवों के कणों के मध्य पाया जाने वाला बल , विलयन के कणों के मध्य पाए जाने वाले बल के समान होता है अर्थात A-A तथा B-B के मध्य आकर्षण का बल , A-B के मध्य पाए जाने वाले आकर्षण बल के समान होता है।
उदाहरण : CCl4 तथा SiCl4 का विलयन आदि।
अनादर्श विलयन : वे विलयन जो सभी ताप और सान्द्रता पर राउल्ट के नियम की पालन नहीं करते है , उन्हें अनादर्श विलयन कहा जाता है।
अनादर्श विलयन वे होते है जो निचे दी गयी चारों शर्तों को पूरा करते है –
1. इस प्रकार के विलयन राउल्ट के नियम की पालना नहीं करते है , राउल्ट के नियम की शर्त निम्न है जिसे अनादर्श विलयन पूर्ण नहीं करता है अर्थात पालना नहीं करता है।
P = PA0 XA + PB0 XB (इसकी पालना नहीं करता है)
2. जब कोई अवयव A तथा अवयव B से मिलकर बना होता है तो इन दोनों का कुल आयतन , इन दोनों से बनने वाले विलयन के आयतन से हमेशा भिन्न रहता है।
3. जब अवयवो को मिलाकर कोई विलयन बनाया जाए और विलयन बनाने से इसकी एन्थैल्पी में परिवर्तन आ जाए अर्थात इस क्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण हो तो ऐसे विलयन को अनादर्श विलयन कहते है।
4. विलयन के कणों के मध्य पाया जाने वाला बल , इसके अवयवी कणों के मध्य पाए जाने वाले बलों से भिन्न होता है अर्थात A-B के मध्य पाया जाने वाला बल , A-A और B-B के मध्य पाए जाने वाले बल से अलग होता है।
उदाहरण : CH3OH तथा जल का विलयन आदि।
आदर्श एवं अनादर्श विलयन में अंतर
आदर्श विलयन
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अनादर्श विलयन
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1. सांद्रता व ताप की सभी रेंज में राउल्ट के नियम की पालना करते है।
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राउल्ट के नियम का अनुसरण नहीं होता है।
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2. अवयवो से मिलकर विलयन बनने में न तो ऊष्मा का अवशोषण होता है और न उत्सर्जन।
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जब अवयवों को मिलाकर विलयन बनाया जाता है तो इस प्रक्रिया में ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन होता है।
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3. विलयन का कुल आयतन , अवयवों के अलग अलग आयतन के योग के बराबर होता है।
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विलयन का कुल आयतन , अवयवों के आयतन के योग से भिन्न होता है।
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4. शुद्ध अवयवों में अंतराण्विक आकर्षण अन्योन्य क्रियाएं , विलयन के कणों के मध्य अंतराण्विक आकर्षण अन्योन्य क्रियाओं के समान होती है।
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विलयन की अंतराण्विक आकर्षण अन्योन्य क्रियाएं , शुद्ध अवयव में अंतराण्विक आकर्षण अन्योन्य क्रियाओं से अलग होती है। |
5. उदाहरण : बेंजीन और टोलुइन का विलयन आदि।
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इथेनोल व एसीटोन का विलयन आदि।
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