microsporangium definition in hindi लघुबीजाणुधानी परिभाषा क्या है लघु बीजाणु धानी किसे कहते है ?
चित्र
लघु बीजाणुधानी में बाहर से भीतर की ओर क्रमशः चार कलर पाये जाते है।
1 ब्राहाचर्य
2 अंतराचर्य
3 मध्यमचर्य
4 टेपीटम (Teptum):- यह लघु बीजणुधानी की सबसे भीतरी परत है।
5 इसमें सघन जीवद्रव्य एवं स्पष्ट बडा केन्द्रक पाया जाता है कई बार इसमें एक से अधिक भी केन्द्रक पाये जाते है ।
6 लघुबीजाणुधानी का स्फुटन (Hypotension):-
चित्र
7 लघुबीजाणु जनन(Spermatogenesis):-
लघुबीजाणुधानी के केन्द्र में:-बीजाणुजनउत्तक → राग-मातृकोशिका (2n) → अर्द्धसूत्री विभाजन →लद्यु बीजाणु चतुष्टय →लघुबीजाणु/परागकण
लघुबीजाणुधानी की संरचना (structure of microsporangium)
A. परागकोष भित्ति : परिपक्व परागकोष की भित्ति चार परतों में विभेदित होती है। ये परतें परिधि से केंद्र की तरफ एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित रहती है। ये भित्ति पर्तें निम्नलिखित प्रकार है –
1. बाह्यत्वचा
2. अन्त: स्थीसियस
3. मध्य परत
4. टेमीटम अथवा पोषोतक
1. बाह्यत्वचा : यह परागकोष की सबसे बाहरी परत है जिसकी कोशिकायें अरीय रूप से सुदीर्घित (लम्बाई में कम और चौड़ाई में अधिक) होती है। वैसे परागकोष के विकास के साथ साथ ही बाह्यत्वचा कोशिकाओं में भी अपनतिक विभाजन देखे जा सकते है जो बाह्यत्वचा को परागकोष के फैलाव के साथ साथ बनाये रखते है लेकिन मरूदभिदीय पौधों में बाह्यत्वचा कोशिकाओं के मध्य बहुत अधिक खिंचाव पाया जाता है जिसके कारण कई बार तो ये कई स्थानों से फट जाती है और अलग अलग टुकड़ों में बंट जाती है। कुछ पौधों जैसे एलेन्जियम में परागकोष की बाह्यत्वचा में रन्ध्र भी पाए जाते है।
2. अन्त: स्थीसियस : यह बाह्यत्वचा के भीतर उपस्थित भित्ति परत होती है और जब परागकोष प्रस्फुटन के लिए तैयार होते है तो उस समय इनका विकास सर्वाधिक होता है। अन्त: स्थिसियस सामान्यतया एक स्तरीय परत होती है और इनकी कोशिकाएँ सुदीर्घित होती है लेकिन कोक्सीनिया में अन्त: स्थिसियस परत द्विस्तरीय होती है। इन कोशिकाओं की आंतरिक स्पर्शरेखीय भित्तियों पर रेशेदार पट्टियों की उपस्थिति अन्त: स्थीसियम कोशिकाओं का विशेष लक्षण होता है। ये पट्टियाँ सामान्यतया अंग्रेजी अक्षर की U आकृति या गोलाकार होती है लेकिन मेलोथ्रिया में ये पट्टियाँ अतिव्यापी वलय के रूप में होती है। मोमोर्डिका में इनका स्थूलन अनुप्रस्थ पट्टिकाओं के रूप में पाया जाता है।
भ्रूणविज्ञानिको के अनुसार इन कोशिकाओं में स्थूलन पदार्थ इनमें संचित मंड कणों के रूप में होता है। लेकिन डी फोसार्ड (1969) के अनुसार अन्त: स्थिसियस कोशिकाओं में स्थूलन पदार्थ सेल्यूलोस के रूप में पाया जाता है। जिन परागकोषों में अनुदैधर्य स्फुटन होता है वहां प्रत्येक परागकोष की दो लघुबीजाणुधानियों की संधि के चारों तरफ अन्त: स्थीसियस कोशिकाओं में रेशेदार पट्टियाँ नहीं पायी जाती है।
अंत: स्थीसियस कोशिकाओं के विभेदी लक्षण जैसे रेशेदार पट्टियों की उपस्थिति , बाहरी और आन्तरिक स्पर्श रेखीय भित्तियों का विभेदक प्रसार और इनकी आद्रताग्राही प्रकृति परागकोष के प्रस्फुटन में विशेष रूप से सहायक होती है।
हाइड्रोकैरीटेसी कुल के सदस्यों में अन्त: स्थीसियस परत में रेशेदार पट्टिकाओं का स्थूलन अनुपस्थित होता है। इसके अतिरिक्त एनोना , म्यूजा और आइपोमिया आदि कुछ पौधों में भी अन्त: स्थिसियम कोशिकाओं में रेशेदार पट्टिका का स्थूलन नहीं पाया जाता है लेकिन यहाँ परागकोष की बाह्य त्वचा कोशिकाओं पर क्यूटिन और लिग्निन का जमाव देखा जा सकता है।
3. मध्य परत : अंत: स्थिसियम के ठीक निचे मध्य परत कोशिकाएँ 1 से 3 पंक्तियों में व्यवस्थित होती है। इन परतों की कोशिकाएँ अल्पजीवी होती है और लघुबीजाणु अथवा पराग मातृ कोशिकाओं के अर्द्धसूत्री विभाजन पूर्व ही कुचल जाती है।
कुछ पौधों जैसे रेननकुलस और लिलियम में मध्य परत कोशिकाओं की एक या एक से अधिक पंक्तियाँ नष्ट नहीं होती और ये अनिश्चितकाल तक बनी रहती है। कुछ पौधों जैसे साइडा में मध्यपर्त की कोशिकाएँ स्टार्च और अन्य खाद्य पदार्थो का संचय करती है जो पराग मातृ कोशिकाओं द्वारा पोषण हेतु प्रयुक्त होते है।
4. टेपीटम पोषोतक : यह लघुबीजाणुधानी की सबसे भीतरी परत है जो संरचनात्मक और क्रियात्मक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण परत मानी जा सकती है क्योंकि क्योंकि परिवर्धनशील लघुबीजाणुओं या परागकणों के लिए उपलब्ध पोषक पदार्थ इस टेपीटम में से होकर ही लघुबीजाणुधानी तक पहुँच पाता है। इस परत की कोशिकाएँ बड़ी आकार की सुदीर्घित , गाढ़े कोशिकाद्रव्य युक्त और बड़े केन्द्रक वाली होती है। शुरू में इन कोशिकाओं में केवल एक केन्द्रक होता है लेकिन बाद में ये बहुकेन्द्रकी हो सकती है। सामान्यतया आवृतबीजी पौधों में टेपीटम कोशिकाएँ केवल एक पंक्ति में पायी जाती है लेकिन कुछ पौधों जैसे कोक्सिनिया में टेपिटम की दो या दो से अधिक पर्तें भी मिल सकती है। ऐसी टेपीटम परत की कोशिकाओं में परिनत विभाजन के कारण हो सकता है। टेपिटम की कोशिकाएं स्वतंत्र रूप से विभाजित होती है और ये परिधि से केंद्र की तरफ फैली हुई पायी जाती है। इन कोशिकाओं के जीवद्रव्य में खाद्य पदार्थो के अतिरिक्त कभी कभी वर्णक भी पाए जाते है , जैसे सेब की टेपीटम कोशिकाओं में लाल रंग के वर्णक और एनीमोन में बैंगनी रंग के वर्णक पाए जाते है |