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मनुष्य के मस्तिष्क में कितनी अस्थियां होती हैं how many bones in human head in hindi मानव के चेहरे में कितनी हड्डियां होती हैं

how many bones in human head in hindi मनुष्य के मस्तिष्क में कितनी अस्थियां होती हैं मानव के चेहरे में कितनी हड्डियां होती हैं  ?

उत्तर : मानव का क्रेनियम (मस्तिष्क) 8 हड्डियों से मिलकर बना होता है और चेहरा 14 अस्थियों से बना होता है इस तरह मनुष्य की खोपड़ी में कुल 22 हड्डियाँ पायी जाती है |

अंत: कंकाल के कार्य

  1. इसका कार्य एक सुव्यवस्थित ढ़ांचा और शरीर को निश्चित आकार प्रदान करना है |
  2. यह सम्पूर्ण शरीर को सहारा प्रदान करता है |
  3. रेखित पेशियाँ त्वचा के नीचे और पादों के अन्दर कंकालीय ढांचे के चारों तरफ पायी जाती है | यह इन पेशियों से जुड़ाव प्रदान करती है | जब पेशियाँ संकुचित होती है तो कंकालीय तत्व जोड़ों पर गति करते हैं | जैसे –levers fulcrum पर गति करता है |
  4. यह सभी आंतरिक अंगों की क्षति अथवा अन्य खतरों से सुरक्षा करता है |
  5. यह श्वसन में सहायक होता है |
  6. सुनने में (मध्य कर्ण में ध्वनि का सञ्चालन और प्रवर्धन)
  7. पाद की बड़ी अस्थि खोखली होती है और मुलायम उत्तकों युक्त होती है | इनकी गुहा में अस्थि मज्जा होती है | अस्थि मज्जा हीमोपोएटिक होती है |
  8. लवण संग्रह – शरीर का कैल्सियम अस्थियों में संग्रहित रहता है |
  9. वसा संग्रह – बड़ी अस्थियों की marrow गुहा एडिपोज उत्तकों युक्त होती है |
  10. अक्षीय कंकाल – यह शरीर की अनुदैधर्य केन्द्रीय अक्ष पर स्थित होता है |
  11. कपाल (skull) – यह कशेरुक दण्ड के सबसे ऊपर स्थित होता है |
  • क्रेनियम – इसमें मस्तिष्क बंद होता है इसे मस्तिष्क बॉक्स भी कहते है | क्रेनियम 8 हड्डियों से मिलकर बना होता है | इसमें 1 frontal , 2 parietals , 1 occipital , 2 temporals , 1 sphenoid और 1 ethmoid सम्मिलित है | क्रेनियम अस्थि एक तरंगीय , गतिहीन , सीमा रेखा द्वारा एक दूसरे से फिट होती है | जिन्हें sutures कहते हैं | एक छिद्र जिसे foramen magnum कहते हैं | कपाल के आधार पर यह मस्तिष्क को मेरुदण्ड से नियमितता बनाये रखने देता है जो कि occipital अस्थि पर स्थित होता है | ये sutures सिर के आघात पर shock से dissipate होने में सहायक होते हैं | ऑक्सीपीटल अस्थि पीछे की ओर और क्रेनियम की गुहा के निचले भाग में होती है | फोरामेन मैग्रम द्वारा मेड्युला ओब्लागेटा कशेरुक दण्ड के अन्दर घुसकर मेरुरज्जु से सतत रहता है | फोरामैन मैग्रम के प्रत्येक तरफ अस्थियों का मास होता है जो कि कपाल के कोंडाइल बनाता है और एटलस के लिए युग्मन सतह उपस्थित कराता है | दो कोंडाइल उपस्थित होते हैं | मानव का कपाल द्विकंदीय (डाईकोंडाइल) होता है | क्रेनियम के दोनों तरफ एक ऑडीटरी केप्सूल होता है | तीन छोटी अस्थियों युक्त होता है जिन्हें कर्ण अस्थियाँ कहते है ये है – मैलियस , इनकस , स्टेपीस |
  • face : यह 14 अस्थियों से बना होता है | इसमें शामिल है , 2 nasals , 2 maxillae , 2 palatines , 2 zygomatic (or cheek bones) , 2 lacrymals , 2 inferior nasal conchae , 1 vomer and 1 mandible , मन्डीबल चबाने और बोलने के लिए गतिशील होती है | एक अस्थि जिसे हायड (hyoid) कहते हैं | , जीभ के आधार पर स्थित होती है | यह जीभ अस्थि भी कहलाती है |
  1. कशेरूक दण्ड – यह 33 गतिशील वलय जैसी अस्थियों से बना होता है परन्तु वयस्क में इनकी संख्या केवल 26 होती है | कशेरुकाएं पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत की गयी है |
  • ग्रीवा कशेरुक (cervical vertebra) – संख्या में 7 , गर्दन में उपस्थित | प्रथम ग्रीवा कशेरुक एटलस कहलाती है | यह कपाल को ऊपर नीचे अथवा नोडिंग गति प्रदान करती है | द्वितीय ग्रीवा कशेरूक एक्सिस होती है | यह साइड टू साइड अथवा टर्निंग गति के रूप में एटलस और कपाल को साथ साथ गति प्रदान करती है | ग्रीवा कशेरुक अस्थियों में सबसे छोटी होती है | अपवाद – प्रथम और द्वितीय जो कि आकार में विशिष्ट होती है , ग्रीवा कशेरुक में लक्षण सामान्य होते हैं | तंत्रिकीय चाप बड़ा होता है | कंटक अंतिम सिरे पर द्विविभाजित होता है | अनुप्रस्थ प्रवर्ध कशेरुक धमनियों के गुजरने के लिए छिद्रित होता है | e. कशेरुक धमनी नाल (सातवीं को छोड़कर)

विशिष्ट ग्रीवा कशेरूक – प्रथम ग्रीवा कशेरुक अथवा एटलस सिर को सहारा देती है और एक अग्र और एक पश्च चाप द्वारा दो पाशर्व मास से संघटित होकर बनी अस्थि की पूर्ण वलय बनाती है | इसकी ऊपरी सतह पर ऑक्सीपीटल अस्थि के कंदों के साथ जुड़ने के लिए वृक्क आकृति की facets उपस्थित होती है | जो कंदीय जोड़ बनाती है | एटलेंटो – ऑक्सीपीटल जोड़ जिस पर सिर की नोडिंग गति होती है | इसके नीचे एटलस द्वितीय ग्रीवा कशेरूक से जुडती हैं |

द्वितीय ग्रीवा कशेरूक अथवा एक्सिस , पिवोट के समान है , जिस पर एटलस सिर के साथ गति में मुड़ जाती है | शरीर के अक्ष से अस्थि का एक प्रवर्ध उत्पन्न होता है | जिसे odontoid peg कहते हैं | यह पैग एटलस की अग्र चाप के पीछे से जुड़ता है और एटलस के अनुप्रस्थ तंतुओं द्वारा स्थिति में बना रहता है | एटलस का पाशर्वमास एक्सिस पर सम्बन्धित फेसिट से जुड़ता है जो ऑडोन्टोइड पैग के प्रत्येक तरफ स्थित होता है एटलस एक्सिस के ओडोन्टोइड पैग के चारों ओर गति करता है और इस प्रकार पायवोट सन्धि बनाता है |

अप्रारूपिक ग्रीवा कशेरूक –1 , 2 , 7

प्रारूपिक ग्रीवा कशेरुक – 3 से 6

सातवाँ ग्रीवा कशेरुक गर्दन के पीछे के भाग पर दूरस्थ प्रवर्ध बनाता है जिसे कशेरूक प्रवर्ध कहते हैं |

  • वक्षीय कशेरूकाएं – संख्या में 12 , जिनमें से दूसरी से आठवीं तक प्रारूपिक होती है और 1 , 9 , 10 , 11 , 12 अप्रारूपिक होती है |
  • कटि कशेरुकाएं – संख्या में पाँच और सबसे बड़ी एवं सबसे मजबूत कशेरुकाएं है जो कि पीठ के भाग के निचले भाग में लगी होती है |
  • त्रिक कशेरुकाएँ – संख्या में पाँच , पेल्विस में स्थित | ये बचपन में ही जुड़कर एकल अस्थि बनाती है जिसे सेक्रम कहते हैं | यह वयस्क में पायी जाती है |
  • पुच्छ कशेरुकाएँ – संख्या में चार , अवशेषी पुच्छ क्षेत्र में उपस्थित | ये बहुत छोटी और अवशेषी होती है और परस्पर जुड़कर एक त्रिभुजाकार अस्थि कोकिक्स बनाती है |