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helmholtz free energy in hindi , हेल्महोल्ट्ज़ मुक्त ऊर्जा क्या है , हैल्महोल्टज मुक्त ऊर्जा का सूत्र लिखिए

जाने helmholtz free energy in hindi , हेल्महोल्ट्ज़ मुक्त ऊर्जा क्या है , हैल्महोल्टज मुक्त ऊर्जा का सूत्र लिखिए ?

द्रव या ठोस के साथ संतुलन में वाष्प (Vapour in Equilibrium with a Liquid or Solid)

जब किसी पदार्थ की वाष्प ताप T पर ठोस या द्रव के साथ साम्यावस्था में रहती है तो पाप T पर उस वाष्प के दाब को वाष्प दाब (vapour pressure) कहते हैं, सन्तुलन अवस्था में वाष्प दाब की गणना क्लासियस – क्लैपीरॉन समीकरण द्वारा की जा सकती है जिसके अनुसार,

जहाँ ताप T पर प्रति मोल वाष्प की गुप्त ऊष्मा L है तथा V1 तथा V2 पदार्थ के क्रमशः द्रव एवं वाष्प अवस्था में प्रतिमोल आयतन हैं। चूंकि वाष्प का आयतन द्रव के आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है इसलिए V2 -V1 = V2

अतः समीकरण (1) से
इस समीकरण से स्पष्ट है कि साम्यावस्था में वाष्प दाब की ताप पर निर्भरता गुप्त ऊष्मा L निर्धारित करती है। पदार्थ की नियत गुप्त ऊष्मा के लिये ताप में कमी करने से वाष्प दाब चरघातांकी रूप से कम होता है।
ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में नियत आयतन वाले निकाय के लिए सन्तुलन प्रतिबन्ध : हैल्महोल्टज मुक्त ऊर्जा (Equilibrium Conditions for a System of Fixed Volume in Contact with a Heat Reservoir: Helmholtz Free Energy)
पिछले खण्ड में नियत ताप एवं दाब के ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में किसी निकाय A के लिए संतुलन प्रतिबन्ध ज्ञात किया था। यदि निकाय A के बाह्य प्राचल आयतन V को नियत कर दें तो इस स्थिति में भिन्न सन्तुलन प्रतिबन्ध प्राप्त होगा। इस अवस्था में संतुलन स्थिति ज्ञात करने के लिए माना निकाय A ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में है और ताप
T” पर ऊष्मा Q’ अवशोषित करता है। अतः ऊष्मा भण्डार द्वारा ताप T’ पर अवशोषित ऊष्मा की मात्रा (-Q’) होगी।
ऊष्मा भण्डार की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से नियत आयतन वाले निकाय A द्वारा अवशोषित ऊष्मा Q’ निकाय की माध्य आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि के तुल्य होगी, अर्थात्
इस प्रक्रम में संयुक्त निकाय A* की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
चूंकि निकाय A के सन्तुलन के लिए यह आवश्यक होता है कि संयुक्त निकाय की एन्ट्रॉपी s* अधिकतम हो। अतः स्वतः प्रक्रम (spontaneous process) के लिए
इस प्रतिबन्ध से स्पष्ट है कि यदि कोई निकाय नियत ताप एवं दाब के ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में हैं और उसका आयतन नियत है तो स्थायी साम्यावस्था के लिए यह आवश्यक होगा कि उसके लिए फलन का मान न्यूनतम हो। समीकरण ( 5 ) से फलन की विमा ऊर्जा होती है इसलिए इस फलन को हेल्महोल्टज् ऊर्जा फलन (Helmholtz Function) कहते हैं। गिब्स फलन G की परिभाषानुसार,
फलन F को निकाय की मुक्त ऊर्जा (free energy) भी कहते हैं। F = Ē – T’S यदि समान ताप T” पर दो संतुलन अवस्थाओं में आयतन V1 व V2 हों तो समीकरण (8) से समतापी प्रक्रम के

यह मान आदर्श गैस द्वारा उत्क्रमणीय समतापी प्रक्रम में किये गये कार्य के तुल्य है।
अर्थात् हैल्महोल्टज् फलन के मानों का अंतर उत्क्रमणीय समतापी प्रक्रम में उस ऊर्जा के तुल्य होता है जिसे मुक्त किया जा सकता है अर्थात् यांत्रिक कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है।
ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में नियत दाब वाले निकाय के लिए सन्तुलन प्रतिबन्ध : एन्थेल्पी (Equilibrium Conditions for a System at Constant Pressure in Contact with Heat Reservoir : Enthalpy)
माना एक निकाय A (गति कर सकने योग्य पिस्टन युक्त सिलिण्डर में गैस) ताप T’ के ऊष्मा भण्डार A’ के सम्पर्क में है। यह निकाय स्थिर दाब p पर ऊष्मा भण्डार से Q ऊष्मा अवशोषित करता है। निकाय का बाह्य प्राचल आयतन V है। यदि ऊष्मा अवशोषण से आयतन में परिवर्तन △V है तो गैस द्वारा किया गया कार्य P△V होगा ।
निकाय A की माध्य आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन AĒ
है तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से
Q = AĒ + p△V1 p नियत होने से
Q = △(Ē + pV)
अब यदि एक नये फलन H को निम्न रूप से परिभाषित करें
तो
H=Ē+pV
Q = △H

चित्र
समीकरण (3) द्वारा परिभाषित फलन H की विमा ऊर्जा की होती है। नियत दाब पर H में परिवर्तन निकाय को दी गई ऊष्मा के तुल्य होता है। इसलिए H निकाय की पूर्ण ऊष्मा या एन्थैल्पी (Enthalpy) कहलाता है। A व A’ के संयुक्त निकाय के लिये एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
△S* = △S + △S’
ऊष्मा भण्डार A द्वारा निकाय A को ऊष्मा Q नियत ताप T” पर प्रदान की जाती है अतः

प्रावस्थाओं के मध्य संतुलन : रासायनिक विभव (Equilibrium Between Phases: Chemical Potential) एक निकाय A पर विचार कीजिए जो उचित ऊष्मा भण्डार से सम्पर्क द्वारा नियत ताप T एवं दाब p पर है। निकाय में दो प्रावस्थाऐं 1 व 2 उपस्थित हैं। इस निकाय का कुल गिब्स मुक्त ऊर्जा फलन G नियत ताप T व दाब p पर प्रावस्था 1 व 2 में उपस्थित अणुओं की संख्या N1 तथा N2 का फलन होता है।

G = G (N1, N2) ……….(1)

यदि इन प्रावस्थाओं में अणुओं की संख्या में परिवर्तन हो जाये तो इससे गिब्स फलन G में परिवर्तन हो जाता है। अत: समीकरण (1) का आशिक अवकलन करने पर,

यहाँ किसी प्रावस्था में अणुओं की संख्या के सापेक्ष कुल गिब्स फलन के परिवर्तन की दर उस प्रावस्था का प्रति अणु रासायनिक विभव (Chemical potential) कहलाता है। इसलिए प्रावस्था i में रासायनिक विभव प्रति अणु

नियत दाब एवं ताप के ऊष्मा भण्डार के सम्पर्क में विभिन्न प्रावस्थाओं के सन्तुलन के लिए यह आवश्यक कि साम्यावस्था में कुल गिब्स फलन G का मान न्यूनतम हो अर्थात्
है
△G = 0 ………….(5)
यह प्रतिबन्ध समीकरण (4) में रखने पर,

अर्थात् सन्तुलन अवस्था में विभिन्न प्रावस्थाओं के प्रति अणु रासायनिक विभव परस्पर बराबर होते हैं। परन्तु यदि प्रावस्था 1 व 2 में प्रति अणु गिब्स ऊर्जा क्रमशः g1 तथा g2 हो तो

अतः किसी रासायनिक क्रिया की संतुलन अवस्था में रासायनिक विभव μ प्रति अणु गिब्स ऊर्जा g के बराबर होता μ है। अब रासायनिक साम्यावस्था (chemical equilibrium) के प्रतिबन्ध को ज्ञात करने के लिए निम्न रासायनिक क्रिया पर विचार करते हैं :

2 CO2 → 2 CO + O2 …………..(11)

इस रासायनिक क्रिया से यह ज्ञात होता है कि CO के दो अणु 02 के एक अणु से संयुक्त होकर CO2 के दो अणु बनाते हैं और साम्यावस्था में इन तीनों प्रकार के अणुओं का निकाय में सहअस्तित्व होता है। को व्यापक रूप देने के लिए इस रासायनिक क्रिया में CO2 अणु को B1 से, CO अणु को B2 से तथा O2 अणु B3 से अर्थात् अणुओं को Bi से तथा इनके गुणकों को bi से निरूपित करते हैं। उपरोक्त रासायनिक क्रिया के लिए bi = 2, b2 = −2 तथा b3 =-1 व्यापक रूप में,

माना निकाय में Bi अणुओं की संख्या Ni हैं। रासायनिक क्रिया द्वारा अणुओं की संख्या Ni में परिवर्तन हो सकता परन्तु यह परिवर्तन समीकरण ( 12 ) के अनुसार ही होना चाहिए। अतः संतुलन अवस्था में रासायनिक क्रिया द्वारा अणुओं की संख्या में परिवर्तन △Ni गुणक bi के अनुक्रमानुपाती होगा।
△Ni = λbi
जहाँ λ एक समानुपाती नियतांक है।
….(13)
चूंकि निकाय में कुल गिब्स ऊर्जा फलन G उपस्थित अणुओं की संख्या N1, N2, N3 का फलन होता है।
G = (N1, N2, N3)

परन्तु i प्रकार के अणुओं का प्रति अणु रासायनिक विभव

यह समीकरण संतुलित रासायनिक क्रिया का सामान्य प्रतिबन्ध कहलाता है। रासायनिक क्रिया ( 11 ) के संतुलन के लिए bi के मान रखने पर 2μ1 = 2μ2 + μ3

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