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15 वें वर्ग के तत्व , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , कौन कौनसे तत्व शामिल है , वर्ग 15 के तत्वों के नाम (Group 15 Elements in hindi)

(Group 15 Elements in hindi) 15 वें वर्ग के तत्व , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , कौन कौनसे तत्व शामिल है , वर्ग 15 के तत्वों के नाम : इस ग्रुप में कुल 5 तत्वों को शामिल किया जाता है जिनमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), आर्सेनिक (As), एंटीमनी (Sb) और बिस्मथ (Bi) तत्व आते है।

इन तत्वों में नाइट्रोजन और फास्फोरस अधातु होती है , आर्सेनिक और एंटीमनी उपधातु की श्रेणी में आती है और बिस्मिथ धातु होती है अर्थात 15 वें वर्ग में दो अधातुओं को , दो उपधातुओं को और एक धातु को शामिल किया जाता है।
15 वें वर्ग के तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np3 होता है , यहाँ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास देखकर हम बता सकते है कि इस ग्रुप के तत्वों की संयोजकता कोश में 5 इलेक्ट्रॉन होते है अर्थात इन तत्वों के बाह्यतम कोश में पांच इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते है , इनमें बाह्यतम कोश में s पूर्ण रूप से भरा हुआ रहता है अर्थात s में दो इलेक्ट्रॉन होते है और p कक्षक में तीन इलेक्ट्रॉन विद्यमान होते है।
15 वें वर्ग के तत्वों को निकोजन्स कहते है और इन तत्वों से मिलकर जो यौगिक बनते है उन्हें निकोमोइड्स कहा जाता है।
हमारे वायुमंडल में उपस्थित गैसों में से नाइट्रोजन मात्रा में सबसे अधिक होती है , लगभग 75% भाग (आयतन) में नाइट्रोजन होती है तथा लगभग 21% आयतन में ऑक्सीजन विद्यमान रहती है।
इस वर्ग के तत्वों में निम्न आते है –
अर्थात इस ग्रुप में N , P , As , Sb , Bi तत्वों को डाला गया है।
अब हम वर्ग 15 के तत्वों के रासायनिक और भौतिक गुणों का अध्ययन करते है –

15 वें वर्ग के भौतिक और रासायनिक गुण

  • सामान्यता जब इस वर्ग में ऊपर से नीचे आते है तो तत्वों की सहसंयोजक त्रिज्या और आयनिक त्रिज्या का मान बढ़ता जाता है।
  • जब वर्ग में ऊपर से नीचे आया जाता है तो आकार बढ़ता जाता है इसलिए आयनन एन्थैल्पी का मान नीचे आने पर घटता जाता है , चूँकि इस वर्ग के तत्वों में आखिरी कोश में p कक्षक अर्द्धपूर्ण होता है इसलिए इस वर्ग के तत्वों से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालना तुलनात्मक रूप से अधिक कठिन होता है इसलिए इस वर्ग के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी 14 वें वर्ग के संगत तत्वों से अधिक होती है।
  • इस वर्ग में निचे जाने पर विद्युत ऋणता का मान कम होता जाता है अर्थात ऊपर से नीचे आने पर तत्वों की विद्युत ऋणता घटती जाती है।
  • इस वर्ग में नीचे आने पर तत्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती जाती है।
  • वर्ग में ऊपर से आर्सेनिक तक क्वथनांक का मान बढ़ता है अर्थात नाइट्रोजन से आर्सेनिक तक क्वथनांक बढ़ता जाता है , फिर बिस्मिथ तक कम होता जाता है।
  • नाइट्रोजन को छोड़कर , इस वर्ग के सभी तत्व अपररूपता का गुण दर्शाते है।
  • इस वर्ग का नाइट्रोजन तत्व  कई pπ– pπ बन्ध बनाने में समर्थ होता है जबकि इसी वर्ग के आर्सेनिक और फोस्फोरस तत्व dπ– pπ बना सकते है।
  • वायु में नाइट्रोजन मुख्य घटक के रूप में पाया जाता है , नाइट्रोजन पूरे वायुमंडल का लगभग 78% भाग होता है।
  • नाइट्रोजन संयुक्त रूप में प्रोटीन के रूप में उपलब्ध होता है और पादपो व जंतुओं में प्रोटीन पायी जाती है।

उपयोग

  • इस वर्ग के नाइट्रोजन तत्व को शीतलक के रूप में किया जाता है , इसका उपयोग उर्वरक आदि बनाने के लिए किया जाता है।
  • फास्फोरस का उपयोग उर्वरक बनाने के लिए नाइट्रोजन के साथ किया जाता है इसके अलावा इसका उपयोग आग जलाने वाली माचिस बनाने के लिए किया जाता है।
  • आर्सेनिक का उपयोग अर्द्धचालक में किया जाता है जैसे गैलियम आर्सेनाइड आदि बनाने में।
  • किसी अर्द्धचालक में डोपिंग पदार्थ के रूप में एंटीमनी का उपयोग किया जाता है।
  • बिस्मिथ तत्व को उत्प्रेरक के रूप में काम में लिया जाता है और इसका उपयोग कॉस्मेटिक सामान आदि बनाने के लिए किया जाता है।