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गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (gravitational Potential energy in hindi)

(gravitational Potential energy in hindi) गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा : किसी वस्तु को गुरुत्वीय क्षेत्र के विरुद्ध अन्नत से गुरुत्व क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य का मान उस वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है इसे ही गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते है।

चित्रानुसार एक पिण्ड M है , यह एक गुरुत्वीय क्षेत्र उत्पन्न करेगा। इसके गुरुत्व क्षेत्र के अन्दर r दूरी पर एक द्रव्यमान m रखा हुआ है।  अब यदि इस द्रव्यमान m को इस गुरुत्वीय क्षेत्र के अन्दर कही पर भी विस्थापित किया जाता है तो इस विस्थापन के लिए पिंड m पर इस क्षेत्र के विरुद्ध कार्य करना पड़ेगा और यह किया गया कार्य m में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगा और इसे m पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते है।
माना m पिण्ड को dx दूरी तक अल्प विस्थापित किया जाता है , पिण्ड m को dx विस्थापन में किया गया कार्य निम्न होगा –

यदि इस पिण्ड m को अन्नत से इस गुरुत्वीय क्षेत्र के विरुद्ध M से r दूरी पर लाया जाए तो इसमें किया गया कार्य निम्न होगा –

पिंड m को अन्नत से r दूरी तक लाने में किया गया कार्य उस पिंड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है और इसे r दूरी पर पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा कहेंगे।
अत: पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मान निम्न होगा –
U = -GMm/r
गुरुत्वीय स्थितिज उर्जा का SI मात्रक जूल होता है और यह एक अदिश राशि है।
हम सूत्र से देख सकते है कई यह सूत्र गुरुत्व विभव जैसा कुछ दीखता है बस अंतर यह है कि उसमे m नही होता है और यहाँ m विद्यमान है , अत: हम सक सकते है कि –
यदि किसी गुरुत्वीय क्षेत्र में किसी स्थान पर गुरुत्वीय विभव का मान V है तो उस स्थापन पर m द्रव्यमान की वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मान -mV होगा अर्थात दोनों में निम्न सम्बन्ध पाया जाता है –
U = -mV