Glycogenesis in hindi ग्लाइकोजेनेसिस क्या है वर्णन कीजिए ग्लाइकोजिनोलाइसिस (Glycogenolysis)
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ग्लाइकोजिनेसिस (Glycogenesis)
ग्लाइकोजिनेसिस वह क्रिया है जिसमें ग्लूकोस ग्लाइकोजन में परिवर्तित होता है । ग्लाइकोजन का निर्माण यकृत व पेशि कोशिकाओं में होता है। मनुष्य में दोनों में अलग-अलग 200 ग्राम ग्लाइकोजन संग्रहित रहती है। जब भी रक्त परिवहन तंत्र में ग्लूकोस की मात्रा ज्यादा होती है यह यकृत व पेशी कोशिकाओं में ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित हो जाती है। ग्लाइकोजिनेसिस में निम्नलिखित क्रियाऐं होती है-
(1) ग्लाइकोजन के निर्माण में सर्वप्रथम ग्लूकोस, ग्लूकोस – 6 – फॉस्फेट में परिवर्तित होता है। यह क्रिया ग्लूकोकाइनेस एन्जाइम तथा मैग्नीशियम आयन की उपस्थिति में होती है। इस क्रिया में ग्लूकोस फॉस्फेट ATP से ग्रहण करता है जो कि ADP में परिवर्तित हो जाता है . इस प्रकार ग्लूकोस – 6 – फॉस्फेट बनना हैं।
(2)अब फॉस्फोग्लूकोम्यूटेस एंजाइम व मैग्नीशियम आयन की उपस्थिति में फॉस्फेट समूह कार्बन 6 से कार्बन 1 पर स्थानान्तरित कर दिया जाता हैं इसके फलस्वरूप ग्लूकोस- 6-फॉस्फेट से ग्लूकोस-1-फॉस्फेट बनता है।
(3) अब पाइरोफॉस्फोरिसस एंजाइम की उपस्थिति में ग्लूकोस – 1- फॉस्फेट यूरिडिन ट्राफॉस्फेट (UTP) से क्रिया कर यूरिडिन डाइफॉस्फेट ग्लूकोस (UDPG) बनता है।
(4) यह यूरिडिन डाइफास्फेट, ग्लूकोस, एंजाइम ग्लाइकीजन सिन्थेटेज (ग्लूकोसाइल ट्रान्सफरेज) की उपस्थिति में ग्लूकोस अणु को पहले से ही उपस्थित ग्लाइजाने श्रृंखला (प्राइमर) पर स्थित टर्मिनल ग्लूकोस अवशिष्ट के कार्बन – 4 पर स्थानान्तरित कर देता है तथा यूरिडिन डाइफास्फेट मुक्त हो जाता है ।
UDP पुन: UTP में परिवर्तित हो जाता है UDP फॉस्फेट ATP से ग्रहण करता है।
(5) ग्लूकोस अणुओं को पूर्ण स्थित ग्लाइकोजन प्राइमर में 1-4 लिन्केजेज द्वारा जुड़ने से ग्लाइकोजन श्रृंखला व उसकी शाखाओं में वृद्धि के दौरान 11 ग्लूकोस अणु जुड़ जाते हैं तो ब्रान्चिग एंजाइम – एमाइलो [1 [→4] →[1 → 6]-ट्रान्सग्लूकोसाइडेज (Branching enzyme Amylo) [1→ 4] → [1 → 6 ]- (Transglycosidase) ग्लाइकोजन 1-4 श्रृंखला के एक भाग (कम से कम 6-ग्लूकोस अणु सहित) को पास वाली श्रृंखला पर स्थानान्तरित कर – 1→ 6 लिन्केज द्वारा जोड़ने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करता है ।
ग्लाइकोजिनेसिस पर हार्मोनी नियंत्रण –
ग्लाइकोजिनेसिस के लिए आवश्यक एंजाइम ग्लाइकोजन सिन्थेटेज दो अवस्थाओं में पाया जाता है। ग्लाइकोजन सिन्थेटेज I जो सक्रिय अवस्था है तथा सिन्थेटेज D जो निष्क्रिय अवस्था है। सिन्थेटेज I का परिवर्तन D में तथा D का I में हो सकता है। सिन्थेटेज | का सिन्थेटेज D में परिवर्तन 3-5′ चक्रीय AMP की उपस्थिति में होता है। इसीलिए 3′ – 5′ चक्रीय AMP ग्लाइकोजिनेसिस को संदमित करता है। हार्मोन इन्सूलिन ग्लाइकोजन सिन्थेटेज की प्रक्रिया को सक्रिय करता है।
ग्लाइकोजिनोलाइसिस (Glycogenolysis)
वह क्रिया जिसके द्वारा ग्लाइकोजन से ग्लूकोस फिर से बनता है जो ग्लाइकोजिनोलाइसिस कहते हैं। यह ग्लूकोस की मात्रा रक्त में कम हो जाती है तो ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित ग्लूकोस यकृत में ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया यकृत व पेशि कोशिकाओं में होती । ग्लाइकोजिनोलाइसिस की क्रिया ग्लाइकोजेनेसिस की उल्टी होती है। इसमें निम्न क्रियाऐं होती है।
(1) ग्लाइकोजन का अपघटन फॉस्फोरिलेस एंजाइम की उपस्थिति में प्रारम्भ होता है। ग्लाइकोजन के बाहरी श्रृंखला से 1,4 ग्लाइकोसिस अवशिष्टों के अपघटन को उत्प्रेरित करता है तथा एक ग्लूकोस-1-फॉस्फेट ग्लाइकोजन श्रृंखला से अलग हो जाता है।
फास्फोरिलेज एंजाइम ग्लाइकोजन – 1. 4 लिन्फेज के विघटन के लिए एक विशिष्ट एंजाइम । चक्रीय AMP फॉस्फोरिलेज की क्रिया को उद्दीप्ति करता है।
यह प्रक्रिया तक तक होती रहती है जब की लगभग चार ग्लूकोस अवशिष्ट 1-6 शाखित बिन्दु से लगे रहें। अब एक अन्य एंजाइम – ग्लूकोज ट्रान्सफरेज (Glucon transferase) 3 ग्लूकोस अवशिष्टों (ट्राईसैकेराइड) की यूनिट को इस शाखा से दूसरी शाखा पर स्थानान्तरित कर देता है। (चित्र 3)। इस प्रकार -1-6, शाखा बिन्दु अनावरित हो जाता है। अब 1-6- शाखित बिन्दु का जलीय-अपघटन डिब्रान्चिग एंजाइम (एमाइला – 6 1 ग्लूकोसाइडेज) की उपस्थिति में होता है। (चित्र 3)। इस 1, 6 शाखित बिन्दु के पृथक होने से फास्फोरिलेस अपनी प्रक्रिया आसानी से जारी रख सकता है।
(2) अब ग्लूकोस-1 फॉस्फेट फिर से ग्लूकोस – 6 फॉस्फेट में परिवर्तन होता है। यह क्रिया फॉस्फोग्लूकोम्यूटेस एंजाइम की उपस्थिति में होती है।
(3) यकृत कोशिकाओं में ग्लूकोस – 6, फॉस्फेट ग्लूकोस के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया फॉस्फेट (phosphatase) एंजाइम की उपस्थिति में होती है। पेशि कोशिकाओं में किया ग्लूकोस – 6 फॉस्फेट पर की रूक जाती है एवं यह ग्लाइकोलाइसिस में प्रवेश कर ऊर्जा देता है।
ग्लाकोजिनोलाइसिस पर हार्मोनी नियंत्रण (Hormonal control on glycogenolysis) फोस्फोरिलेज एंजाइम कि दो अवस्थाएँ होती है-
(i) फोस्फोरिलेज—a सक्रिय अवस्था जिसकी उपस्थिति में ग्लाइकोजन से ग्लूकोस अवशिष्ट मुक्त होता है।
(ii) फोस्फोरिले b निष्क्रिय अवस्था ।
निष्क्रिय फोस्फोरिलेज b सक्रिय फोस्फोरिलेज में फोस्फोरिलेज काइनेज एंजाइम की उपस्थिति में होता है। फोस्फोरिलेज काइजेज भी निष्क्रिय अवस्था में पाया जाता है। जो एन्जाइम प्रोटीन काइनज व ALP उपस्थिति में सक्रिय होता है। प्रोटीन काइनेज चक्रीय AM द्वारा उद्वीपित होता है। चक्रीय AMP का निर्माण एडीनाइल साइकलेज की उपस्थिति में ATP से होता है जो वास्तव में व ग्लूकागोन द्वारा उत्तेजित होता है। इन्सुलीन CAMP निर्माण को संदमित करता है। एपोनेफ्रीन स्तनधारियों में ग्लाइकोजिनोलाइसिस को यकृत व पेशी कोशिकाओं में एमीनेफ्रेरीन उत्तेजित करता है जबकि सिर्फ ग्लूकागोन यकृत कोशिकाओं में इस प्रक्रिया को उत्तेजित करता है।
सक्रिय प्रोटीन काइजेन फोस्फोरिलेज को सक्रिय करने के साथ ही ग्लाइकोजन सिन्थेटेज को निष्क्रिय करता है। इस प्रकार ग्लाइकोजन अवघटन के समय ग्लाइकोजन का संश्लेषण संदमित रहता है। यह एपिनेफ्ररीन व ग्लूकोगोन द्वारा प्रभावित होता है।
इसके विपरीत इन्सूलिन चक्रीय AMP क्रिसा को संदमित करता है इसका परिमाण एपिनेफ्ररीन व ग्लूकागोन के प्रभाव के विपरीत होता है। इसीलिए इन्सूलिन ग्लाइकोजिनेसिस को उत्तेजित व ग्लाइकोजिनोलाइसिस को संदमित करता है।
इन्सुलिन के प्रभाव (Effect of insulin)
इन्सुलिन मुख्य उपापचयी क्रियाओं तथा वृद्धि को निम्न प्रकार से प्रभावित करता है-
इन्सुलिन का
(Effect of Insulin on carbohydrate metabolism)
कार्बोहाइड्रेट उपापचय पर प्रभाव
इन्सुलिन कार्बोहाइड्रेट उपापचय को निम्न तीन प्रकार से प्रभावित करता है- (i) यह कार्बोहाइड्रेट उपापचय (ग्लूकोज) की दर को बढ़ावा है,
(ii) यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है, (iii) यह ऊत्तकों में ग्लाइकोजन संग्रह को बढ़ाता है।
शरीर के ऊत्तकों में ग्लूकोज उपापचय की दर को बढ़ाना इन्सुलिन का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। शरीर में इन्सुलिन की बहुत ज्यादा कमी होने पर डाइबिटीज मैलिस (diabetes mellitus) नामक रोग हो जाता है। इस बीमारी के निम्न लक्षण होते हैं-
(i) रुधिर-ग्लूकोज स्तर में वृद्धि (hyperglycemia i.e. high blood sugar level) एवं ग्लूकोज मूत्र में आना (glycosuria i.e. sugar in urine.)
(ii) मूत्र के निर्माण में वृद्धि ( diuresis ie increased flow of urine)
(ii) यकृत ग्लाइकोजन स्तर में सामान्य से कम परन्तु पेशीय ग्लाइकोजन स्तर लगभग सामान्य तथा हृदय पेशीय ग्लाइकोजन स्तर सामान्य से अधिक,
(iv) कार्बोहाइड्रेट्स के वसा परिवर्तनप में कमी, एवं
(v) ग्लूकोज का प्रोटीन तथा अन्य पदार्थों से संश्लेषण (ग्लूकोनिओजिनेसिस) ।
रक्त – ग्लूकोज सान्द्रता पर प्रभाव (Effect on blood glucose concentration)
इन्सुलिन की कमी होने पर अवशोषित ग्लूकोज का ऊत्तकीय कोशिकाओं में कम वितरण हो पाता है जिससे रक्त मे आहार नाल से अवशोषित ग्लूकोज की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। ग्लूकोज की रक्त में सामान्य मात्रा लगभग 90 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली. तक हो जाता है।
प्रोटीन उपापचय पर प्रभाव (Effect on protein metabolism)
इन्सुलिन शरीर में प्रोटीन उपापचय को बढ़ाता है। इसके कारण शरीर के ऊत्तकों में संग्रहित प्रोटीन की सम्पूर्ण मात्रा में वृद्धि होती है । इन्सुलिन की कमी होने पर कोशिकाओं में प्रोटीन का संग्रह काफी कम हो जाता है।
इन्सुलिन का वृद्धि पर प्रभाव (Effect on insulin on growth)
इन्सुलिन जंतुओं में वृद्धि हेतु आवश्यक होता है। इसकी कमी होने में वृद्धि हार्मोन (सोमेटोट्रोपिन हार्मोन) जंतु के शरीर की वृद्धि को प्रभावित नहीं करता है ।
इस प्रकार इन्सुलिन का स्रवण (secretion) रक्त में शर्करा – स्तर (sugar level) का अनुक्रमानुपाती (directly proportion) होता है। यह भी ज्ञात है कि छोटी श्रृंखला वाले वसा अम्ल (fatty acid) इन्सुलिन स्रवण को प्रेरित करते हैं तथा मुक्त हुए इन्सुलिन का परिमाण आंशिक रूप में शर्करा – अपचयन की दर से सम्बन्धित होता है। ग्लूकोज, स्टीराइड हार्मोन, वृद्धि हार्मोन एवं ग्लूकागोन (glucagon) इन्सुलिन की मुक्ति को उत्तेजित करते हैं जबकि एड्रीनेलिन (adrenaline) इन्सुलिन स्रवण को सदमित (inhibit) करता है।
प्र. 1.
प्रश्न (Questions)
(i) ग्लूकोनिओजेनेसिस क्या है और कब होता है ? (ii) ATP किस प्रकार ऊर्जा भण्डार का कार्य करता है? (iii) अपचय एवं उपचय में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
(iv) ग्लाइकोलाइसिस तथा ग्लाइकोजेनेसिस में क्या अन्तर है ?
(v) विभिन्न प्रकार के डाइसैकेराइड्स कौन-कौन से है?
(vi) कार्बोहाइड्रेट एवं वसा में अधिक ऊर्जा किससे प्राप्त होती है? कारण सहित बताइए। (viii) ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण क्या है?
(ix) इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र का वर्णन कीजिये।
(x) पाइरुविक अम्ल के डीकार्बोक्सीकरण को रासायनिक समीकरण द्वारा बताइये । (xi) कोशीय श्वसन में ATP तथा ADP के कार्यों का वर्णन कीजिये।
(xii) कोशीय श्वसन से आप क्या समझते हैं ?
प्र.2. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये- (i) कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण
(ii) पौलीसैकेराइड्स
(ii) कार्बोहाइड्रेट्स का जैविक महत्व
(iv) ग्लाइकोइसिस
(v) ऑक्सीकारी विकार्बोक्सीकरण
(vi) क्रैब्स चक्र
(vii) ग्लाइकोजेनेसिस
(vii) ग्लाइकोजेनोलाइसिस
(ix) इन्सुलिन के प्रभाव
(x) सिट्रिक अम्ल चक्र का महत्त्व
प्र. 3. निम्नलिखित प्रश्नों का विस्तृत उत्तर दीजिये –
(i) कार्बोहाइड्रेट्स की संरचना एवं प्रकार को विस्तार से समझाइये। (ii) कार्बोहाइड्रेट्स के वर्गीकरण एवं महत्त्व पर एक लेक लिखिये ।
(ii) कोशिकीय श्वसन में माइटोकॉण्ड्रिया की भूमिका बताइये । [Raj.2011]
(iv) जंतुओं में कोशीय श्वसन में इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र को रेखा चित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिये। इसकी पूरी प्रक्रिया मे कितने ATP बनते हैं?
(v) कोशिकीय श्वसन की क्रियाविधि स्पष्ट रूप से समझाइये।
(vi) क्रैब्स चक्र में हाइड्रोजन का निष्कासन किन-किन चरणों में होता है? यह हाइड्रोजन किन
पदार्थों द्वारा ग्रहण की जाती है।
(vii) एक अणु ग्लूकोज के ऑक्सीकारण से कितने अणु ATP के बनते हैं, गणना करके बताइये। (vii) क्रैब्स चक्र का नामांकित चित्रण और वर्णन कीजिये। यह क्रिया कहाँ पर होती है? (ix) इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र क्या है? माइटोकॉण्ड्रिया का इस चक्र में उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
(x) पाइरुविक अम्ल का पेशी एवं जीवाणुओं में भविष्य का उल्लेख कीजिये। यह एसिटाइल को एंजाइम – A में कहाँ और और प्रकार परिवर्तित होता है ।
प्र. 4. ग्लाइकोलिसिस के अन्तर्गत होने वाली विभिन्न एन्जाइम उत्प्रेरितं क्रियाओं एवं ऊर्जा उत्पादन को समझाइये।
[Raj.2013] प्र. 5. क्रेब चक्र के दौरान होने वाली विभिन्न एंजाइम्स उत्प्रेरित क्रियाओं का वर्णन कीजिये तथा इसके महत्व पर टिप्पणी लिखिये । [Raj.2012]
प्र. 6. सिट्रिक अम्ल चक्र का सविस्तार वर्णन कीजिये एवं इसके महत्व पर प्रकाश डालिये। [Raj.2008]
प्र. 7. कार्बोहाइड्रेट्स की संरचना एवं कार्यों को समझाइये एवं क्रेब चक्र पर एक संक्षिप्त टिप्प्णी लिखिये। [Raj.2009]
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