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ग्लाइकोजन किसे कहते हैं , glycogen in hindi storage , ग्लाइकोजन में संग्रहित है संग्रहण कहा होता है

पढ़े ग्लाइकोजन किसे कहते हैं , glycogen in hindi storage , ग्लाइकोजन में संग्रहित है संग्रहण कहा होता है ?

                                      पॉलीसैकराइड (Polysaccharides)

होमोपॉलीसैकराइड (Homopolysaccharide           हैटेरोपॉलीसैकराइड (Heteropolysaccharide)

मंड (पादप) सेलुलोज़ (पादप)                                        पैक्टिन (पादप)

ग्लाइकोजन (जन्तु, कवक)                                            काइटिन (कवक)

होमोपॉलीसैकराइड को ग्लाइकैन (glycans) भी कहते हैं। संघटक इकाई शर्करा के नाम के अनुसार होमोपॉलीसैकराइड का नाम रखा जाता है। जाइलोज़ एवं गैलेक्टोज़ (galactose) से बने पॉलीसैकराइड क्रमशः जाइलैन (xylans) एवं गैलेक्टैन (galactans) कहलाते हैं। मैनोज़ से निर्मित बहुलक मैनन (mannans) कहलाते हैं। मंड, सेलुलोज़ एवं ग्लाइकोजन आदि होमोपॉलीसैकराइड के कुछ उदाहरण हैं। हैटैरोपॉलीसैकराइड एक से अधिक प्रकार के मोनोसैकराइड से बने होते हैं। पैक्टिन एवं काइटिन आदि इनके कुछ उदाहरण हैं। कुछ पॉलीसैकराइड संचित कार्बोहाइड्रेट होते हैं जैसे मंड, ग्लाइकोजन तथा कुछ संरचनात्मक पॉलीसैकराइड होते हैं जैसे सेलुलोज, काइटिन आदि। कुछ महत्वपूर्ण पॉलीसैकराइड निम्न प्रकार हैं।

मंड (Starch)

पादपों में प्रकाशसंश्लेषण के फलस्वरूप शर्करा का संचय मंड के रूप में होती है। मंड a-D-ग्लूकोज़ से निर्मित पॉलीसैकराइड है। मंड एमाइलोज़ (amylose) एवं एमाइलोपैक्टिन (amylopectin) नामक दो प्रकार के पॉलीसैकराइड के मिश्रण से बना होता है। एमाइलोज़ अशाखित पॉलीसैकराइड है जबकि एमाइलोपैक्टिन शाखित पॉलीसैकराइड है। इनका अनुपात विभिन्न ऊतकों एवं पादपों में भिन्न-भिन्न हो सकता है। सामान्यतः एमाइलोपैक्टिन लगभग 80-85% तथा एमाइलो 15-20% होता है। मोमी मक्का की एक किस्म में 100% एमाइलोपैक्टिन होता है। एमाइलोज लगभग 100-500/-500-1000 a-D ग्लूकोज़ इकाइयों से निर्मित होता है जो 14 ग्लाइकोसिडिक बन्ध से जुड़े होते हैं।

एमाइलोपैक्टिन में a1→4 एवं 16 दोनों प्रकार के बन्ध होते हैं। सीधी श्रृंखला में a। 4 तथा शाख्वन स्थलों पर a 1 6 बन्ध होते हैं

मंड पादप के विभिन्न अंगों यथा मूल, तना (कंद आदि) बीज एवं कच्चे फलों में भी मंड कणों के रूप में संग्रहित होता है। मंड कण एवं आकृति यथा अण्डाकार, गोलाकार, बहुभुजी, लैंस अथवा अनियमित आकार के भी हो सकते हैं। इनका आकार 1u (धान) से 100 (आलू) तक हो सकता है। ये सरल अथवा जटिल संरचना युक्त हो सकते हैं।

मंड उपस्थित माइल के कारण यह आयोडीन के साथ गहरा नीला रंग देते हैं एवं एमाइलोपैक्टिन आयोडीन से क्रिया कर लाल- बैंगनी सा रंग देते हैं।

मंड के एन्जाइम अथवा अम्ल के द्वारा जल अपघटन के फलस्वरूप डैक्सट्रिन (dextrins) प्राप्त होता है। ये कम जटिल होते हैं तथा भुने अनाजों में मिलता है जो छोटे शाखित अणु होते हैं इनसे माल्टोज़ एवं अंत में ग्लूकोज़ से प्राप्त होता है। विभिन्न प्रकार के डैक्सट्रिन आयोडीन के साथ भिन्न-भिन्न प्रतिक्रिया देते हैं।

डेहलिया (Dahlia) जैसे कुछ पादपों के शल्ककंद (bulb ) में इनुलिन (inulin) नामक पॉलीसैकराइड होता है। यह फ्रक्टोज इकाइयों के B2-1 बन्ध द्वारा बहुलकीकरण के फलस्वरूप बना अशाखित अणु होता है।

ग्लाइकोजन (Glycogen)

ग्लाइकोजन जंतुओं की कोशिकाओं में संचित कार्बोहाइड्रेट है अतः यह प्राणिज मंड (animal starch) भी कहलाता है। यह अधिकांशतः पेशी ऊतक एवं यकृत कोशिकाओं में मिलता है। यह एमाइलोपैक्टिन के समान शाखित अणु होता है किन्तु इसकी श्रृंखलाओं की लम्बाई अपेक्षाकृत कम होती है। इसमें लगभग 12a-D ग्लूकोज अणु । →4 बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं किन्तु शाखन बिन्दु ( branching point ) पर a 1-6 बन्ध बनते हैं।

ग्लाइकोजन जल में विलेय होता है तथा आयोडीन के साथ नीला – लाल रंग देता है। एन्जाइम अथवा तनु अम्ल द्वारा अपघटन के फलस्वरूप ग्लाइकोजन ग्लूकोज अणुओं में टूट जाता है। यकृत एवं पेशियों में संचित ग्लाइोजन आवश्यकतानुसार (रक्त में ग्लूकोज़ सान्द्रता कम होने पर) जलापघटन के द्वारा ग्लूकोज़ विमुक्त करता है ।

सैलुलोज़ (Cellulose)

सैलुलोज़ सर्वाधिक व्यापक रूप से पाया जाने वाला संरचनात्मक पॉलीसैकराइड है जो पादप कोशिका का अभिन्न घटक है यह अपेक्षाकृत निष्क्रिय सफेद ठोस पदार्थ है जो जल में अविलेय होता है ।

सेलुलोज़ B-D ग्लूकोज़ इकाईयों के 14 ग्लाइकोसिडिक बन्धों द्वारा जुड़ने से बनता है। इसमें लगभग 1500-2700 अणु मिल कर तंतु नुमा लम्बी वृहत् अणु बनाते हैं।

प्राप्त होते हैं। इसके पूर्ण अपघटन से 95% ग्लूकोज प्राप्त होता है। सेलुलोज़ के अपघटन हेतु एन्जाइम कुछ जीवाणु, कवक, सेलुलोज़ के तनु अम्ल द्वारा जल अपघटन से अनेक ऑलिगोसैकराइड जैसे सेलोबायोज़, सैलोट्रोयोज, सैलोटेट्रोज, आर्टि प्रोटोजोआ एवं कुछ कीट आदि में पाये जाते हैं जिससे इसका जलअपघटन से ग्लूकोज बनता है। जन्तुओं में मात्र (ruminants) में ही सेलुलोज का अपघटन हो सकता है।

हेमीसेलुलोज (Hemicellulose)

सेलुलोज के समान यह भी पादप कोशिका भित्ति का घटक है जो जायलैन (xylans) एवं ग्लूकोमैनेन (glucomannans) आदि पदार्थों से निर्मित होता है। इनमें सीधी श्रृंखला में 31 -4 बन्ध होते हैं किन्तु शाख्वन पर भिन्न प्रकार के बन्ध होते हैं।

पैक्टिन (Pectin)

पादप कोशिकाओं में उपस्थित मध्य पटलका मुख्यतः पैक्टिन से निर्मित होती है। यह मुख्यतः B-D गैलेक्टोयूरोनिक अम्ल एवं कुछ अल्प मात्रा में जायलैन के बहुलकीकरण के फलस्वरूप बनता है।

काइटिन (Chitin)

यह कवकों की कोशिका भित्ति, कीटो के बाह्यकंकाल में पाया जाता है। यह N एसिटाइल D- ग्लूकोसैमिन इकाइयों से निर्मित है जो BI 4 बंध द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं। एसिटाइलीकृत अमिनो समूह इन इकाईयों के दूसरे कार्बन परमाणु पर उपस्थित हाइड्रॉक्सिल (OH) समूह को विस्थापित करते हैं। इनके जलअपघटन से एसीटिक अम्ल एवं ग्लूकोसैमिन प्राप्त होता है।

ग्लाइकोसेमीनोग्लोइकैन (Glycosaminoglycans)

इन्हें सामान्य भाषा में म्यूकोपॉलीसैकराइड (mucopolysaccharides) भी कहते हैं। ये जन्तुओं की त्वचा एवं संयोजी ऊतक में पाये जाते हैं। ये D-ग्लूकोयूरोनिक अम्ल (D- Glucouronic acid ) एवं N – एसिटाइल ग्लूकोऐमीन (N-acetyl glucosamine) इकाईयों से निर्मित होते हैं जो B 3 एवं 14 ग्लाइकोसिडिक बन्धों से जुड़े रहते हैं।

ये जल में अविलेय होते हैं किन्तु विभिन्न आयनिक सान्द्रता के घोलों में इनकी विलेयता भी परिवर्तित हो जाती है। हिपेरिन (heparin), हायलूरोनिक अम्ल आदि इनके कुछ उदाहरण हैं।

इसी प्रकार जीवाणु कोशिका में सम्पुट (capsule) भी पॉलीसैकराइड से निर्मित होती है। जीवाणु कोशिका भित्ति का मुख्य भाग पेप्टिडोग्लाइकैन का बना होता है। यह N एसिटाइल ग्लूकोसेमीन (Nacetyl glucosamine NAG) एवं N एसिटाइल म्यूरेमिक अम्ल (N-acetyl muramic acid, NAM) इकाइयों के बहुलकीकरण से बनती है। इनके अतिरिक्त इसमें अमीनो अम्ल भी पाये जाते हैं।

ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins)

पादपों एवं जन्तुओं में अनेक ऑलिगोसैकराइड एवं पॉलीसैकराइड विभिन्न प्रोटीन के साथ सहसंयोजी बंध (covalent bond) द्वारा संयुग्मित अवस्था में पाये जाते हैं। इन कार्बनिक पदार्थों को ग्लाइकोप्रोटीन कहते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा । से 30 प्रतिशत तक हो सकती है। जंतु कोशिकाओं की बाह्य सतह पर पायी जाने वाली एवं अधिकांश स्रावी प्रोटीन, कुछ प्रतिजन प्रोटीन (antigens) एवं प्रतिरक्षी ग्लोबूलिन ( immunoglobulin) भी ग्लाइकोप्रोटीन ही होते हैं।

मानव प्रतिरक्षी ग्लोबूलिन (IgM. IgE, IgA एवं IgG) में प्रोटीन श्रृंखला के एस्पार्जिन अमिनो अम्ल का एमाइड समूह कार्बोहाइड्रेट ऑलिगोसैकराइड के मैनोज़ एवं N-एसिटाइल ग्लूकोसेमीन (NAG) समूह से जुड़ा रहता है। इनके अतिरिक्त IgA E एवं G में फ्यूकोज़ (Fucose), गैलेक्टोज़ (galactose) एव N – एसिटाइल न्यूरैमिनिक अम्ल (Nacetyl neuraminic acid) भी पाये जाते हैं।

कुछ ग्लाइकोप्रोटीन में शाखित श्रृंखला युक्त पॉलीसैकराइड भी पाये जाते हैं। कुछ ग्लाइकोप्रोटीन में पॉलीसैकराइड 10- ग्लाइकोसिल बन्ध (O – glycosyl bond) द्वारा प्रोटीन के सिरीन (serine) अमिनो अम्ल से भी जुड़े रहते हैं। एसिटाइल ग्लूकोसैमीन के अतिरिक्त जायलोज़ एवं गैलेक्टोस शर्करा भी प्रोटीन के साथ बंध बना सकते हैं। उदाहरण- कोलेजन (collagen ) एवं प्रोटीओग्लाइकैन (proteoglycan) रोगकारक जीवाणुओं की कोशिका भित्ति में उपस्थित प्रतिजन भी ग्लाइकोप्रोटीन होते हैं।

ग्लाइकोलिपिड (Glycolipids)

प्रोटीन के अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट लिपिड के साथ भी सहसंयोजी बंधों के माध्यम से संयुग्मित होते हैं जो ग्लाइकोलिपिड (glycolipids) कहलाते हैं। गैंगलियोसाइड (ganglioside), सिरेमाइड (ceramide) आदि इनके कुछ उदाहरण हैं। गैंग्लियोसाइड मैं एक अथवा अनेक न्यूरामिनिक अम्ल (neuraminic acid) अथवा N एसिटाइल न्यूरामिनिक अम्ल (Nacetyl neuraminidic acid, NANA) के अणु होते हैं जो शर्करा अणुओं से संलग्न होते हैं। इनके बारे में विस्तार से लिपिड के अध्याय में दिय गया है।

कार्बोहाइड्रेट के कार्य (Functions of carbohydrates)

विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट जो सरल अथवा अन्य अणुओं के साथ सायुज्जित होते हैं विभिन्न जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण होते हैं। यहां पर पॉलीसैकराइड एवं व्युत्पन्न अणुओं (ग्लाइकोप्रोटीन एवं ग्लाइकोलिपिड) का उल्लेख किया जा रहा है। मोनोसैकराइड के विभिन्न कार्यों का उल्लेख पूर्व में किया जा चुका है।

  1. अनेक पॉलीसैकराइड जैसे मंड एवं ग्लाइकोजन संचयी कार्बोहाइड्रेट होते हैं। मंड पादपों में ग्लाइकोजन जन्तुओं एवं कवकों में पाये जाते हैं। मंड आवश्यकतानुसार सरल शर्कराओं में परिवर्तित हो जाता है जिनके ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है।

ग्लाइकोजन जन्तुओं में यकृत एवं पेशी ऊतक की कोशिकाओं में पाया जाता है। यह रक्त में ग्लूकोज का स्तर बनाये रखने में मदद करता है। रक्त में इस का स्तर कम होने पर ग्लाइकोजन का ग्लूकोज में परिवर्तन होता है ।

  1. संरचनात्मक पॉलीसैकराइउ जैसे सेलुलोज, हेमीसेलुलोज, पेक्टिन, आदि पादप कोशिका भित्ति के अभिन्न घटक हैं। इसी प्रकार काइटिन कवक कोशिका भित्ति, क्रस्टेशिया (crustacean) समूह के कवक तथा कीटो के बाह्य कंकाल (exoskeleton) के महत्वपूर्ण घटक हैं।
  2. ग्लाइकोसैमीनोग्लाइकैन जन्तुओं की त्वचा एवं संयोजी ऊतक के मुख्य घटक हैं। हॉयल्यूरॉनिक अम्ल (hyaluronic acid) संयोजी ऊतक ( connective tissues) कार्टिलेज (cartilage). नेत्र के काचांभ द्रव ( vitreous fluid) एवं सायनोवियल द्रव (synovial fluid) में पाया जाता है।
  3. अनेक मानव प्रतिरक्षा ग्लोबुलिन (human immunoglobulin) ग्लाइकोप्रोटीन ही होते हैं। इनमें (lgM, IgA, IgE एवं IgG मुख्य है एवं विभिन्न रोगाणुओं से रक्षा करने में सहायक होते हैं।
  4. अनेक रोगकारक ग्राम ऋणात्मक जीवाणुओं की कोशिका भित्ति में उपस्थित O-प्रतिजन (O-antigen ) पॉलीसैकराइड होते हैं।
  5. जीवाणुकोशिका भित्ति मुख्यतः पेप्टिडोग्लाइकैन ( Peptidoglycan) से निर्मित होती है।
  6. ग्लाइकोलिपिड एवं ग्लाइकोप्रोटीन जंतु कोशिका झिल्ली की संरचना के महत्वपूर्ण घटक हैं।