गेज दाब की परिभाषा क्या है , वायुमण्डलीय दाब किसे कहते है , विमा , मात्रक , सूत्र gauge pressure in hindi
gauge pressure in hindi , गेज दाब की परिभाषा क्या है , वायुमण्डलीय दाब किसे कहते है , विमा , मात्रक , सूत्र :-
तरलो के यांत्रिक गुण :
दाब : एकांक सतह क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते है।
P = F/A
यदि A = m2 हो तो –
दाब का मात्रक P = F/A
P = N/m2
P = Pa (पास्कल)
1 atm = 1.013 x 105 पास्कल
1 atm = 1 x 105 पास्कल
1 atm = 105 पास्कल
दाब की विमा :- P = F/A
P = [M1L1T-2]/[L2]
P = [M1L-1T-2]
प्रश्न : क्या कारण है कि कील का अगला सिरा नुकीला बनाया जाता है ?
उत्तर : किल का अगला सिरा नुकीला बनाया जाता है क्योंकि कील के नुकीले सिरे का क्षेत्रफल कम होने के कारण उस पर आरोपित दाब का मान बढ़ जाता है जिसके कारण कील दिवार में आसानी से प्रवेश कर जाती है। P = F/A
P ∝ 1/A
क्षेत्रफल कम तो दाब ज्यादा।
प्रश्न : क्या कारण है कि हाथी का पैर रखने पर हड्डियाँ टूट जाती है जबकि सर्कस में लकड़ी के फट्टे (फन्टे) का उपयोग करने पर ऐसा नहीं होता है ?
उत्तर : सरकस में लकड़ी के फन्टे का उपयोग करने के कारण सतह क्षेत्रफल का मान बढ़ जाता है जिसके कारण दाब का मान कम हो जाता है।
P = F/A
P ∝ 1/A
क्षेत्रफल ज्यादा तो दाब कम।
घनत्व : पदार्थ का द्रव्यमान व आयतन का अनुपात घनत्व कहलाता है।
घनत्व = द्रव्यमान/आयतन
p या d = m/L
यहाँ p (रॉ)
घनत्व का मात्रक = Kg/m3
घनत्व की विमा = द्रव्यमान/आयतन
घनत्व की विमा = M1/L3 = M1L-3
मानक ताप और दाब पर जल का घनत्व 1000 kg/m3 होती है।
पास्कल का नियम
पास्कल ने बताया कि एक ही ऊँचाई पर स्थित वस्तु के सभी बिन्दुओ पर विराम अवस्था में दाब का मान समान होता है।
अर्थात जब कोई वस्तु किसी तरल में डूबी हुई होती है , तो तरल के द्वारा वस्तु पर उसकी विराम अवस्था में समान ऊंचाई वाले बिन्दुओ पर दाब का मान समान होता है।
अत: पास्कल के नियम से –
संतुलन अवस्था में –
Fb cosθ = Fa समीकरण-1
Ab cosθ = Aa समीकरण-2
समीकरण-1 में समीकरण-2 का भाग देने पर –
Fb cosθ/ Ab cosθ = Fa/ Aa
Fb/Ab = Fa/Aa
चूँकि P = F/A
Pb = Pa समीकरण-3
Fbsinθ = Fc समीकरण-4
Absinθ = Ac समीकरण-5
समीकरण-4 में समीकरण-5 का भाग देने पर –
Fbsinθ/ Absinθ = Fc / Ac
Fb/Ab = Fc/Ac
Pb = Pc समीकरण-6
समीकरण-3 और समीकरण-6 से –
Pb = Pa = Pc
गहराई के साथ परिवर्तन : माना m द्रव्यमान व h ऊँचाई की कोई वस्तु किसी तरल में डूबी हुई है जिसके ऊपर पृष्ठ दाब P1 जबकि निचे की ओर दाब P2 लग रहा है।
भार बल के कारण लगने वाला बल –
Pg = F/A
F = w = mg
pg = mg/A
pg = mgh/Ah
चूँकि V = Ah
pg = mgh/V
चूँकि d = M/V
pg = dgh निचे की ओर (i)
(ii) P1 दाब नीचे की ओर
(ii) P2 दाब ऊपर की ओर
संतुलित अवस्था में –
P2 = P1 + dgh
P2 – P1 = dgh गेज दाब
गहराई पर दाब –
P2 = P1 + dgh
दाब की निर्भरता :
(i) घनत्व बढ़ने पर दाब बढ़ता है।
(ii) गहराई के साथ दाब बढ़ता है।
गेज दाब : h गहराई पर स्थिर किसी बिंदु पर लगने वाले दाब को गेज दाब कहते है।
द्रव स्थैतिक ऊर्जा विरोधोक्ति : द्रव स्थैतिक विरोधोक्ति दाब का मान वस्तु के आकार , संरचना व क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है बल्कि दाब , द्रव स्तम्भ की ऊंचाई पर निर्भर करता है।
माना तीन पात्र है , जिनका आकार , संरचना तथा क्षेत्रफल अलग अलग लेकिन द्रव का तरल एक समान होने के कारण लगने वाला बल एवं समान होगा।
वायुमण्डलीय दाब या गेज दाब : किसी एकांक अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाली नली में भरे द्रव का भार एक वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है।
माना पारे (पानी) से भरा हुआ एक बीकर लेते है। एक नली को पारे से भरकर बीकर के अन्दर उल्टा करके रखा जाता है अत: A बिंदु पर लगने वाला दाब नली में भरे पानी के भार के बराबर होगा।
अत: A बिंदु पर दाब = B बिंदु पर दाब
Pa = F/A
Pa = mg/A
Pa = mg x h/Axh
Pa = mgh/Ah
Pa = mgh/V
चूँकि m/V
Pa = dgh
गेज दाब = dgh
- समुद्र के तल पर दाब का मान 76 सेंटीमीटर पारे के स्तम्भ के बराबर होता है , इसे टोरिसेली का नियम कहा जाता है।
- वायुमण्डलीय दाब का मान ज्ञात करने के लिए सामान्यत: बैरोमीटर का उपयोग किया जाता है।
- 1 atm = 76 सेंटीमीटर पारे के स्तम्भ
- 1 mm (Hg) = 1 टोर
- 1 टोर = 133 Pa
मौसम विज्ञान में दाब को सामान्यतया बार या मिलिबार में मापा जाता है।
1 bar = 105 पास्कल
1 bar = 1 ate
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