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functions of thyroxine hormone class 10 in hindi , थायरोक्सिन हार्मोन की अधिकता से होने वाले रोग

जाने functions of thyroxine hormone class 10 in hindi , थायरोक्सिन हार्मोन की अधिकता से होने वाले रोग ?

थायरोक्सिन के कार्य (Functions of thyroxine)

  1. उपापचयी प्रभाव (Metabolic effects)

इस हारमोन्स के प्रभाव से समतापी जंतुओं में ऊष्मा का अधिक उत्पादन एवं संग्रह कम होता है। सर्दी के मौसम में यह ग्रन्थि अधिक क्रियाशील रहती है। शीत निष्क्रिय (hibernating ) जंतुओं में यह अक्रिय तथा बसन्त ऋतु में सक्रिय बनी रहती है अतः देह में ताप नियंत्रण करती है।

इस हारमोन का सभी प्रकार के उपापचय कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा पर विस्तृत प्रभाव होता है। थायरोक्सीन का जंतु की आधार पर उपापचय दर (basic metabolic rate) पर व्यापक प्रभाव होता है। यह प्रभाव हृदय, यकृत, वृक्क एवं पेशियों पर अधिक तथा सस्तिष्क, प्लीहा एवं वृषण पर कम होता है।

इलेक्ट्रोलाइट व जल संतुलन पर भी गहरा प्रभाव इन हारमोन द्वारा देखा गया है। इसकी कमी Nat, CI-व जल की मात्रा को देह में रोका जाता है। इसके अधिक स्रावण होने पर कंकाल में से Cat+ निकलकर मूत्र व विष्ठा के साथ देह से बाहर निकलना आरम्भ हो जाता है।

  1. प्रजनन क्रिया पर प्रभाव (Effect on reproduction)

थायरोक्सीन हॉरमोन प्रजनन अंगों पर एवं इनके द्वारा स्रावित हॉरमोन्स पर नियंत्रण कर प्रजनन क्रिया पर प्रभाव प्रकट करता है। इसकी कमी से किशोरों में लैंगिक परिपक्वता में कमी व वयस्कों में वृषण की क्रियाशीलता में ह्यस होता है। मादाओं में अण्डाशय के कार्यों में परिवर्तन होने लगता है। पुटकों में वृद्धि अवरोध होना व जनन शक्ति में कम आना, चूहों में शिशुओं का आमाप में घटना आदि प्रभाव भी इसी के कारण देखे गये हैं । अपर्याप्त दुग्ध स्रावण के कारण शिशुओं की मृत्यु भी इसके परिणामस्वरूप हो सकती है।

  1. वृद्धि पर प्रभाव (Effect on growth)

इस हॉरमोन की कमी से प्राणिबौना रह जाता है इनकी टाँगें मुडी, त्वचा. मोटी, बाल कड़े व लैंगिक अंग अविकसित, उदर बहि:सारित हो जाता है। आयु की वृद्धि के साथ पूर्ण बौद्धिक विकास नहीं होता है। यह हॉरमोन TSH के साथ सहयोग कर वृद्धि की प्रभावित करता है ।

4.विभेदन का प्रभाव (Effect on differentiation)

प्राणियों में ऊत्तकों के विभेदन पर यह प्रभाव रखता है । मेंढ़क के टेडपोल का कायान्तरण (metamorphosis) इसकी कमी से रूक जाता है।’

  1. निर्मोचन पर प्रभाव (Effect on moulting)

सरीसृपों में यह निर्मोचन हेतु आवश्यक होतौ । यूरोडेल्स व पक्षियों में इसकी से निर्मोचन रूप जाता है। निओटेनी (neoteny), आयोडीन की कमी के कारण की कुछ उपापचयी जंतुओं जैसे एम्बाइस्टोमा तथा नेक्ट्यूरस की लारवास्थाओं द्वारा ही जनन क्रिया होने लगती है ।

  1. तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव (Effect on nervous system)

थायरोक्सीन के प्रभाव से तंत्रिका तंत्र अधिक संवेदनशील हो जाता है। इसके अधिक सक्रिय होने पर मस्तिष्क की उत्तेजनशीलता बढ़ जाती है। इसकी कमी से तंत्रिका तंत्र के कार्यों में शिथिलता आ जाती है।

  1. हृदय संवहन तंत्र पर प्रभाव (Effect on cardio-vascular system)

थायरोक्सीन की कमी से हृदय के परिमाण में वृद्धि हो जाती है, इसकी संकुचन दर व आमाप में कमी हो जाती है, अत: रक्त सामान्य से कम यात्रा में देह में भेजा जाता है। हॉरमोन की मात्रा में वृद्धि होने पर हृदय क्रिया तेज हो जाती है, रक्त की मात्रा में वृद्धि हो जाती है परिधीय वाहिकाएँ फैलकर स्पन्दन – दाब (pulse presure) का बढ़ा देती है।

  1. नींद पर प्रभाव (Effects on Sleep)

पेशियों व केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर थाइरॉक्सिन के समग्र प्रभाव के कारण थाइरॉइड की अतिक्रियाशील अवस्था में हमेशा थकाव महसूस होता है। सिनेप्स (synapse) पर उत्तेजक प्रभाव के कारण अनिद्रा की अवस्था बनी रहती है।

  1. स्तन ग्रन्थियों पर प्रभाव (Effects on Mammary glands)

में वृद्धि भी करता है। थाइरॉक्सिन का अल्पस्रवण इसके विपरीत प्रभाव उत्पन्न करता है। थाइरॉक्सिन स्त्रियों में दूध के स्रावण को उत्प्रेरित करता है। यह हार्मोन दूध में वसा की मात्रा

  1. जननांगों पर प्रभाव (Effects on gonads)

सामान्य थाइराइड स्रवण (न कम, न अधिक) पर लैंगिक कार्य सामान्य होते हैं। नर में थाइरॉइड . हार्मोन की अनुपस्थिति में कामलिप्सा (Libido) पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती है दूसरी ओर अतिस्रवण में होने वाले चक्र अनियमित हो जाते हैं। थाइरॉक्सिन के अल्प स्रवण के आते प्रावस्था व काल षण्ढता (Impotency) उत्पन्न करता है। मादाओं में थाइरॉइड हार्मोन की कमी के कारण अण्डाशयों अनियमित हो जाता है।

  1. अन्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों पर प्रभाव (Effects on Other endocrine glands)

थाइरॉइड हार्मोन का अधिक स्रावण दूसरी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्रवण को भी प्रभावित करता है। विभिन्न ऊत्तकों में विभिन्न हार्मोन की आवश्यकताओं को बढ़ाता है। उदाहरणतः थॉइराइड हार्मोन के अधिक स्रवण से ग्लूकोज उपापचय की दर में वृद्धि होती है फलतः यह अग्नाशय ग्रन्थि को अधिक इन्सुलिन स्रावित करने के लिए उद्दीपित करता है। इसी प्रकार थाइरॉइड हार्मोन का अंतिस्रवण अस्थि निर्माण से संबंधित उपापचय को प्रभावित करता है परिणामस्वरूप पैराथाइरॉइड हार्मोन की आवश्यकतानुसार वृद्धि होती है।

  1. कायान्तरण पर प्रभाव (Effects on Metamorphosis)

कई कशेरूक प्राणी थाइरॉइड स्राव के अभाव में सामान्य व्यस्क अवस्था प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण मेंढक के टैडपोल लार्वा का व्यस्क में रूपान्तरण है। (चित्र 8.27 ) जो थाइरॉइड हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है। गुडरनेश (Gudernatsh, 1912 ) ने सर्वप्रथम उभयचरों के टैडपोल पर थाइरॉक्सिन के प्रभाव का अध्ययन करके पता लगाया कि यह हार्मोन कायान्तरण के लिए आवश्यक होता है। कायान्तरण के समय कई शरीरक्रियात्मक एवं आकृतिक परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों को थाइरॉक्सिन नियंत्रित करता है। जैसे लार्वा टैडपोल मोनिया उत्सर्जित (मोरोटोलिक) करते हैं एवं व्यस्क मेंढक यूरिया (यूरिओटेलिक) । रूपान्तरण के समय यूरिया चक्र (ऑरनिथीन चक्र) का प्रमुख एन्जाइम कार्बेमाइल फॉस्फेट सिन्थटेज थाइरॉक्सिन द्वारा उत्प्रेरित होता है ( कोहन, 1970 ) । इसी कायान्तरण क्रिया पर थायरॉइड प्रकार कायान्तरण के समय टैडपोल की पूंछ के पुनः शोषण हॉरमोनों के प्रभाव का प्रदर्शन (Resorption) के लिए आवश्यक लाइसोसोम एन्जाइम (कैथेप्सिन, फॉस्फेटेज) की क्रिया भी थाइरॉक्सिन की उपस्थिति में तीव्र होती है (वेबर, व साथी 1974)।

यह देखा गया है कि जल में थाइरॉक्सिन या आयोडीन मिला देने पर टैडपोल में कायान्तरण । शीघ्र एवं तीव्र गति से होता है। इसके विपरीत जल में आयोडीन की कमी हो या टैडपोल की थाइरॉइड ग्रन्थि निकाल दी जाये तो टैडपोल में कायान्तरण नहीं होता है।

  1. चिरभ्रूणता पर प्रभाव (Effects on neoteny)

 

कुछ पुच्छ युक्त उभयचरों (यूरोडेल) के लार्वा में कायान्तरण नहीं हो पाता है। लेकिन यह लार्वा निष्क्रियता के कारण होता है। इस प्रक्रिया को सर्वप्रथम एमेरिकन ऐस्सोलोटल लार्वा में देखा गया। प्रजनन करने लगते हैं। इस प्रक्रिया को चिरभ्रूणता (Neoteny) कहते हैं। यह थाइरॉइड ग्रन्थि की

“उत्तरी अमेरिका के आयोडीन की कमी वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ऐम्बिस्टोमा (Ambystoma) के लार्वा प्रायः व्यस्क में रूपान्तरित नहीं हो पाते हैं तथा शिशु प्रावस्था में ही जनन करने लगते हैं। इन्हें एक्सोलोटल लार्वा कहते हैं। ऐम्बिस्टोमा के वह लार्वा जो निचले इलाकों (आयोडीन युक्त वातावरण) में निवास करते हैं सामान्य कायान्तरण द्वारा व्यस्क में परिवर्तित हो जाते हैं। इन सभी . प्रेक्षणों से प्रतीत होता है कि थाइरॉइड की निष्क्रियता या हार्मोन स्रावण की क्षमता की कमी ही इसके लिए उत्तरदायी है।

एक्सोलोटल लार्वा में थाइरॉइड निष्कर्ष (Thyroid Extracts) के अन्त:क्षेपण से कायान्तरण प्रेरित किया जा सकता है। आयोडीन युक्त आहार एवं जल की पर्याप्त उपलब्धता एक्सोलोटल लार्वा के कायान्तरण को प्रेरित करती है।

  1. निर्मोचन पर प्रभाव (Effects on Moulting)

थाइरॉक्सिन निर्मोचन को भी प्रभावित करता है । थाइरॉक्सिन यूरोडेला प्राणियों की त्वचा के निर्मोचन को सीधे ही प्रभावित करता है । थाइरॉइड उच्छेदन से निर्मोचन क्रिया रूक जाती है।