अन्तर जाइलमी फ्लोयम का निर्माण (formation of interxylary phloem in hindi) अंतर जाइलमी फ्लोएम बनना
अंतर जाइलमी फ्लोएम बनना समझाइये | अन्तर जाइलमी फ्लोयम का निर्माण (formation of interxylary phloem in hindi)
जाइलम में फ्लोयम खांचो का निर्माण (development of phloem wedges in xylem) : बिग्नोनिया के तने में प्राथमिक संरचना पूर्णतया सामान्य होती है और जब द्वितीयक वृद्धि प्रारंभ होती है तो उस समय भी संवहन कैम्बियम एक सामान्य वलय के रूप में पाया जाता है। लेकिन इस वलय के एक दूसरे के सम्मुख चार स्थानों पर यह संवहन कैम्बियम द्वितीयक फ्लोयम ऊतक अधिक मात्रा में और द्वितीयक जाइलम बहुत कम मात्रा में बनाता है। फलस्वरूप इन चार स्थानों पर द्वितीयक जाइलम के मध्य में फ्लोयम की चार स्पष्ट खाँचे बन जाती है जो कि क्रास रुपी आकृति में व्यवस्थित होती है। इन चारों खाचों में द्वितीयक फ्लोएम ऊतक धंसा रहता है क्योंकि द्वितीयक फ्लोयम अपेक्षाकृत कोमल कोशिकाओं का बना होता है , अत: अधिक संभावना इस बात की होती है कि इन खांचो पर दबाव पड़ सकता है और इनके द्वितीयक फ्लोयम ऊतक कुचल कर नष्ट हो सकते है। इसलिए द्वितीयक जाइलम में दबाव का सामना करने के लिए द्वितीयक फ्लोएम की खांचों के बीच बीच में स्क्लेरेनकाइमा ऊतक की अनुप्रस्थ छड़े बन जाती है। इन दृढोतकी संरचनाओं के कारण फ्लोयम खांचो की आकृति यथावत बनी रहती है और यह विरूपित नहीं होती। पुराने तने में परिधि में वृद्धि के कारण इन चार खांचो के एकांतर नए चार खाँचे और बन जाते है।
बिग्नोनिया की कुछ प्रजातियों में फ्लोयम खाँचो की आकृति विशेष प्रकार की पायी जाती है। यहाँ इन खाँचो की भित्तियां सीधी ने होकर सीढ़ीनुमा आकृति प्रदर्शित करती है। परिणामस्वरूप यह खाँचे नीचे की तरफ सकड़ी और ऊपर की तरफ चौड़ी होती जाती है। यह सीढ़ीनुमा आकृतियाँ भी फ्लोयम खाँचो वाले क्षेत्र में कैम्बियम की असामान्य सक्रियता के कारण निर्मित होती है।
बिग्नोनिया तने में द्वितीयक वृद्धि के दौरान इस प्रकार द्वितीयक जाइलम के मध्य चार लम्बवत क्रामसरुपी फ्लोएम खाँचो का निर्माण इनके तने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी पारिस्थितिकी अनुकूलन का लक्षण है जो कि तने की यांत्रिक आवश्यकताओं के अनुरूप होता है जब तेज हवाएँ चलती है , बरसात और आंधियो के झकोरों में इन काष्ठीय तनों पर भारी दबाव पड़ता है तो दबाव और खिंचाव का सामना करने के लिए और तने का टूटने से बचाने के लिए खाँचो में उपस्थित द्वितीयक फ्लोएम ऊतक प्रघात अवशोषक के रूप में कार्य करते है।
अन्तर जाइलमी फ्लोयम का निर्माण (formation of interxylary phloem)
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