WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम Fleming’s right hand rule in hindi दाएं हाथ के अंगूठे का नियम क्या है

Fleming’s right hand rule in hindi फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम क्या है ? : हमने फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण नियम में देखा की कुंडली तथा चुम्बक के आपस में गति करने से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है तथा इस वि.वा.बल के कारण प्रेरित विद्युत धारा भी उत्पन्न हो जाती है .

चुम्बकीय प्रेरण के कारण उत्पन्न इस प्रेरित विद्युत धारा की दिशा का मान ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम प्रयोग किया जाता है।
फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम के अनुसार ” दायें हाथ की तर्जनी , मध्य अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाया जाए की ये तीनो एक दूसरे के लंबवत हो तथा तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की तरफ हो , तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा को दर्शाए तो माध्यिका प्रेरित विद्युत धारा को प्रदर्शित करेगी “
इसे ही फ्लेमिंग का दाये हाथ का नियम कहते है।
जैसा चित्र में दिखाया गया है की अंगूठा चालक की दिशा की तरफ किया हुआ है तथा तर्जनी अंगुली को चुंबकीय क्षेत्र की तरफ।  तो माध्यिका अंगुली की दिशा प्रेरित धारा की दिशा में होगी।

एक सरल रेखीय चालक का चुम्बकीय क्षेत्र (field due to a straight linear conductor) : ऑसर्टेड  के प्रयोग से यह ज्ञात हो चुका है कि एक तार में धारा प्रवाहित करने पर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस क्षेत्र की प्रकृति का पता लगाने के लिए एक प्रयोग करते है।

चित्र में एक सरल रेखीय चालक न दिखाकर बंद परिपथ इसलिए दिखाया गया है जिससे यह ज्ञात हो जाए कि धारा की दिशा विपरीत हो जाने पर बल रेखाओं की दिशा (अर्थात चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा) भी विपरीत हो जाती है। एक हल्के क्षैतिज गत्ते में से उर्ध्वाधर तारों को गुजारा गया है और गत्ते पर लोहे का बुरादा छिडक दिया गया है। एक प्रबल धारा प्रवाहित करने पर यदि गत्ते को धीरे से खटखटा दिया जाए तो बुरादा कुछ समकेन्द्रीय वृत्तों में समंजित हो जाता है। इस प्रकार बनी हुई बल रेखाएं वृत्ताकार होती है जिनका केंद्र तार पर स्थित होता है। यदि एक छोटी सी कम्पास सुई को गत्ते के ऊपर लाकर रखा जाए तो यह ज्ञात होगा कि यह सुई बल रेखाओं की दिशा में संकेत करती है लेकिन चालक की ओर कभी भी संकेत नहीं करती। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि “सरल रेखीय चालक में धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय ध्रुव उत्पन्न नहीं होते बल्कि वृत्ताकार चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। ”

इन बल रेखाओं की दिशा निम्न नियमों से दी जाती है –

(1) मैक्सवेल का काग पेंच नियम (maxwell corkscrew rule in hindi) : इस नियम के अनुसार , “यदि धारावाही चालक के अक्ष पर दाहिने हाथ से एक दक्षिणावर्त पेच को घुमाने की कल्पना करे और पेंच की नोक चालक में प्रवाहित धारा की दिशा में गति करे तो अंगूठे के घुमने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेगी। ”

(2) दाहिने हाथ का नियम (right hand rule in hindi) : इस नियम के अनुसार “यदि धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़ने की कल्पना करे कि अंगूठा चालक के समान्तर रहे और यदि अंगूठे द्वारा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा व्यक्त होती है तो उँगलियों का घुमाव चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेगा। ”

नोट : इस नियम का उपयोग चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा निकालने में भी किया जाता है। इस नियम में चारों अंगुलियाँ धारा की दिशा को व्यक्त करती है और अंगूठा चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा को व्यक्त करता है।

(3) दाहिने हाथ की हथेली का नियम नंबर 1 (right hand palm rule number 1) : इस नियम के अनुसार “यदि हम दाहिने हाथ का पूरा पंजा इस प्रकार फैलाएं कि अंगुलियाँ अंगूठे के लम्बवत हो और अंगूठा चालक में बहने वाली धारा i की दिशा की ओर तथा फैली हुई उँगलियाँ बिंदु P की तरफ संकेत करे तो P पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा हथेली के लम्बवत बाहर की ओर होती है। ”

नोट : इस नियम से किसी भी बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र निकालना आसान है। हमेशा इसी नियम का प्रयोग करना चाहिए।