WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

FIFRA full form in hindi कवकनाशी और कृतकनाशी अधिनियम Federal Insecticide, Fungicide, and Rodenticide Act

Federal Insecticide, Fungicide, and Rodenticide Act FIFRA full form in hindi कवकनाशी और कृतकनाशी अधिनियम ?

उत्तर : FIFRA  = Federal Insecticide, Fungicide, and Rodenticide Act

हिंदी में इसकी फुल फॉर्म = कवकनाशी और कृतकनाशी अधिनियम |

भावी कार्यनीतियों की पहचान
1980 के दशक के आरंभ में मात्र एक संकल्पना से आई पी एम अब नई सहस्राब्दी की शुरुआत के लिए राजनीतिक एवं सामाजिक बल बन गया है। आई पी एम का दर्शन और व्यवहार बदलते तथा विकसित होते रहेंगे। यह अपने विविधतापूर्ण स्वरूप के कारण और अपने अध्ययन, विकास एवं कार्यान्वयन में निहित अनेक प्रकार के व्यक्तियों, विषयों तथा संगठनों के कारण गतिशील रहेगा। आई पी एम कई वर्षों तक पीड़क प्रबंधन समस्याओं पर ध्यान देने का एक महत्वपूर्ण साधन बना रहेगा, अतरू भविष्य में आई पी एम पीड़कों के प्रबंध में जैविक तथा पारिस्थितिक ज्ञान पर बल देगा। इसके अतिरिक्त यहाँ उन विशिष्ट क्षेत्रों का वर्णन किया गया है जो भविष्य में आई पी एम के अनुसंधान और कार्यान्वयन को प्रभावित करेंगे।

विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों ने तो आई पी एम को एक किसान-मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण के । रूप में स्वीकार कर लिया है क्योंकि यह रोजगार के अवसर पैदा करता है तथा निवेश में बचत करता है और क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल है तथा कृषिपारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करता है, लेकिन पूरे लाभ उठाने के लिए इसे अभी बहुत सफर तय करना है। जब तक FFS के माध्यम से किसान निपुण नहीं हो जाएंगे और पारिस्थितिक तंत्र पर नियंत्रण करने की कोशिश की बजाय उसका प्रबंध नहीं करने लगेंगे और जब तक विभिन्न समुदाय आई पी एम को अपना नहीं लेंगे तब तक चिरस्थायित्व प्राप्त नहीं हो सकता।

भारत के सामने देश भर में पादप संरक्षण में लगे हुए विस्तार कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या को प्रशिक्षित करने का चुनौतीपूर्ण और विशाल कार्य है। देश के सामने जनंसख्या की समस्या है जिसका प्रभाव संस्थागत प्रशिक्षण समर्थन पर पड़ता है। भारत में एक लाख से अधिक विस्तार कर्मी हैं जिन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है और फिर वे 15 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को प्रशिक्षित करेंगे। आई पी एम दृष्टिकोण के प्रयोग के प्रसार का सारा काम विशाल तथा काम साध्य है किंतु हासिल किया जा सकता है। इसके लिए यथेष्ट सामग्री तथा वित्तीय सहायता के अतिरिक्त, सभी स्तरों पर भारी उत्साह, जोश, ऊर्जा, खेत के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण की, और सभी के हित में अपेक्षित उद्देश्यों को प्राप्त करने की दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है।

अनुसंधान प्रयासों के साथ विकासात्मक प्रयासों को जारी रखना होगा और निम्नलिखित पर विशेष बल दिया जाएगारू

प) प्रशिक्षकों और किसानों के प्रशिक्षण द्वारा आई पी एम में मानव संसाधन विकास ।
पप) खेत में परीक्षित आई पी एम व्यवहारों के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन ।
पपप) राज्य विस्तार कर्मचारियों,SAU (State Agriculture Universities) के विज्ञानियों, कृषि अनुसंधान संस्थाओं, गैर-सरकारी
संगठनों, किसानों के समूहों आदि के बीच भागीदारी की भावना।
पअ) प्रशिक्षित किसानों द्वारा अपने साथी किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए किसान-से किसान कार्यक्रम- एक सामुदायिक दृष्टिकोण।

हाल के वर्षों में हमने अपने देश में उगाई जाने वाली फसलों के पीड़क परिदृश्य में परिवर्तन देखे हैं। विश्व कृषि एक अन्य क्रांति के कगार पर है, जैव-क्रांति। अनेक देशों में आनुवंशिकतः संशोधित (GM) फसलें उगाई जा रही हैं। भविष्य में शायद भारत के किसान भी ट्रांसजीनीध्ळड फसलों की खेती करने लगे। और फिर, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के परवर्ती काल में, कृषि के उदारीकरण एवं भूमंडलीकरण के साथ, देश में पीड़कों की स्थिति अब तक जिस गति से बदलती रही है, उससे तेज गति से बदलने की संभावना है।

नीचे कुछ कार्यनीतियों पर चर्चा की जा रही है। भविष्य में यदि उन्हें ढंग से कार्यान्वित किया गया तो आई पी एम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प) महिलाओं के लिए प्रशिक्षण

विश्व भर में, कृषि उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी काफी अधिक है, और अनेक प्रदेशों में ग्रामीण महिलाएं अधिकांश पीड़क प्रबंधन गतिविधियों के लिए उत्तरदायी होती हैं, पीड़क नियंत्रण में प्रायरू पुरुषों की अपेक्षा अधिक समय देती हैं।

विकासशील देशों में यह धारणा बढ़ती जा रही है कि आई पी एम जैसे दृष्टिकोणों में महिला किसानों के ज्ञान, आवश्यकताओं और बोध पर पूरा ध्यान दिया जाए। श्रम के लिंग विभाजन को और भूमि, श्रम, वित्त तथा शिक्षा तक पहुंच में अंतर को देखते हुए महिला किसानों की प्रौद्योगिक आवश्यकताएं प्रायरू पुरुषों से भिन्न होती हैं, उन्हें कम बाह्य निवेश, छोटे पैमाने के लिए अनुकूलित समय बचाने वाली प्रौद्योगिकाएँ और असमान निर्वाह फसल उत्पादन की जरूरत पड़ती है।

आई पी एम के आधारभूत सिद्धांत आवश्यकताओं के लिए बहुत उपयुक्त हैं, लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर आई पी एम प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में लिंग के मुद्दों का समावेश करने वाले बहुत कम तंत्र विद्यमान हैं।

क्योंकि किसान महिलाएं वर्तमान विस्तार तंत्रों के माध्यम से आई पी एम प्रौद्योगिकियों तक अक्सर नहीं पहुंच पाती हैं, अतरू यह स्पष्ट होता जा रहा है कि उन तंत्रों में संशोधन किया जाए या कृषि संबंधी जानकारी के लिए नए चौनल स्थापित किये जाएं। यह धारण भी प्रबल होती जा रही है कि ग्रामीण महिलाओं की भूमिका पर बेहतर जानकारी और अनुसंधान कार्यक्रमों में लिंग के मुद्दों पर समावेश पीड़क प्रबंधन में सुधार ला सकते हैं, विशेषतरू छोटे प्लाटों में।

पप) स्वैच्छिकध्गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी

किसानों को ज्ञान तथा कुशलताएं देने में स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रशिक्षण प्रभावी पाया गया है। किसानों को प्रशिक्षण देने में इन संगठनों की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है। अधिक संख्या में गैर-सरकारी संगठनों की सक्रिय भागीदारी किसानों के बीच पारिस्थितिकी-अनुकूल आई पी एम व्यवहारों को लोकप्रिय बनाने में बहुत मदद करेगी।

पपप) आई पी एम पर विश्वविद्यालय शिक्षा

राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (SAUs) तथा कृषि महाविद्यालयों को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में इन महाविद्यालयों से निकलने वाले कृषि स्नातक आई पी एम दृष्टिकोण में किसानों की मदद करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सेवा क्षेत्र में बहुत गुंजाइश है, जैव-नियंत्रण एजेंट, पीड़कनाशीध्जैव-पीड़कनाशी अनुप्रयोग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जैव-नियंत्रण प्रयोगशालाएं स्थापित करना और पादप संरक्षण उपस्कर का रख-रखाव । पादप संरक्षण में तीव्र प्रगति के साथ चलने के लिए जरूरी है कि आई पी एम प्रौद्योगिकी, पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम की विषयवस्तु को संशोधित किया जाए तथा उसमें नया ज्ञान दिया जाए। पीड़क प्रबंधन के प्रति आई पी एम की वर्तमान संकल्पना तथा दृष्टिकोण को विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या में पूरी तरह समाविष्ट करना होगा।

पअ) खाद्य सुरक्षा
खाद्य गुणता संरक्षण अधिनियम (FQPA) और संशोधित फेडरल कीटनाशी, कवकनाशी और कृतकनाशी अधिनियम (FIFRA) EPA से अपेक्षा करते हैं कि फेडरल स्तर पर पंजीकृत सभी पीड़कनाशियों की अगले 10 वर्षों में समीक्षा की जाए और पुन: पंजीकरण की अनुमति देते समय अधिक व्यापक स्वास्थ्य मानक का प्रयोग किया जाए। इसका अंत्य प्रभाव तो ज्ञात नहीं है, लेकिन पूरी संभावना है कि थ्व्च्। के फलस्वरूप खाद्य में पीड़कनाशी अवशेषों के संबंध में, विशेषतरू ऑर्गेनोक्लोरीन, ऑर्गेनोफॉस्फेट तथा कार्बामेट के संबंध में अधिक कड़े नियम अपनाएं जाएंगे। कुछ अत्यंत विषाक्त पीड़कनाशियों का पंजीकरण उनके पूर्व के कुछ प्रयोगों के संदर्भ में पहले ही रद्द किया जा चुका है। इन विनियमों से आई पी एम को अधिक व्यापक स्तर पर अपनाए जाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। थ्फच्। किसानों तथा आई पी एम परामर्शदाताओं को मजबूर करेगा कि वे पीड़कनाशियों की भिन्न-भिन्न विषाक्तताओं की जांच करें, खाद्य सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में पीड़कनाशियों के प्रयोग, संसाधन तथा वितरण प्रणालियों पर स्वयं को और ग्राहकों को पुनरूशिक्षित करें।

अ) नए विकल्प
जनता संश्लिष्ट रासायनिक पीड़कनाशियों के पर्यावरण तथा स्वास्थ्य पर प्रभावों के प्रति जागरूक हो रही है और फलस्वरूप जो कानून बनाए गये हैं, उनके कारण पीडक नियंत्रण विधियों का विकास और विविधीकरण हो रहा है। ऑर्गेनिक पीड़क प्रबंधन विधियों के तीव्र विकास का एक कारण यह भी हो सकता है कि ऑर्गेनिक खाद्य बाजार में बहुत वृद्धि हुई हैपिछले अनेक वर्षों में 20 प्रतिशत वार्षिक प्रसार हुआ है।

कृषि पीड़क अनेक संश्लिष्ट कृषि-रसायनों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं और नये संश्लिष्ट रासायनिक द्रव्यों का पंजीकरण पहले की अपेक्षा धीमी दर से हो रहा है। इस स्थिति ने सूक्ष्मजीवीय पीड़कनाशियों की नई पीढ़ी के लिए मार्केट खोलने में मदद की है।

प्राकृतिक अंतः पादपों (कवक या बैक्टीरिया जिनका अपने परपोषी पादप के साथ सहजीवी (symbiosis) संबंध होता है) और पादप पीड़कों पर उनके प्रभावों के बारे में अनुसंधान चल रहा है। इस अनुसंधान से ऐसे उत्पाद मिलने की संभावना है जिनका प्रयोग कुछ पीड़कों के प्रति पादपों का संरोपण (inoculate) करने के लिए किया जा सके।

अप) अधिक खरपतवार आई पी एम
अधिक सतत् कृषि तंत्रों के विकास में, विशेषतरू ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ी फसलों में, खर पतवार प्रमुख बाधा होते हैं। मृदा अपरदन और जल की गुणता से जुड़ी हुई समस्याएं प्रायरू खरपतवार के नियंत्रण के उपायों का परिणाम होती हैं जैसे जुताई, खरपतवारनाशी, खेती, रोपण की तिथि और तरीका आदि। भविष्य में अनुसंधान मृदा अपरदन जैसे लक्षणों पर नहीं, बल्कि आधारभूत समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेगा जैसे मृदा का सतत् रूप से प्रबंध कैसे किया जाए। सतत् मृदा प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में, खरपतवार पर, आई पी एम या समाकलित फसल प्रबंधन (ICM) कार्यक्रमों में अधिक जोर दिया जाएगा।

अपप) खेत पर संसाधन
एक लाभकारी आधार स्तर के परिरक्षण के लिए खेत प्रबंधन कार्यनीतियों के अधिकाधिक समंजित हो जाने के साथ खेत पर संसाधनों का संरक्षण, उपयोग और विकास अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा। आई पी एम के संदर्भ में इसका अर्थ होगा रू मृदा प्रबंधन और लाभकारी जीवों के संरक्षण पर भी अधिक जोर, लाभकारी आवासों को बनाये रखना तथा विकसित करना और शायद लाभकारी कीटों के पालन के लिए खेत पर कीटशालाएं बनाना।

अपपप) विस्तृत क्षेत्र उपागम (Area wide approaches)
आई पी एम के प्रति विस्तृत क्षेत्र दृष्टिकोण 30 वर्षों से चल रहे हैं। पहले, केवल कीटनाशियों का विस्तृत क्षेत्र अनुप्रयोग किया जाता था, किन्तु हाल में पारिस्थितिकीआधारित तकनीकों का उपयोग करने के प्रयास किये गये हैं जैसे ओरियंटल फ्रूट शलभ के नियंत्रण के लिए संगम में बाधा, भंडारित अन्न में कीटों के नियंत्रण के लिए सफाई और वातन सामुदायिक प्रयास के माध्यम से पीड़क दमन में विस्तृत क्षेत्र की संकल्पना जो संगठनों द्वारा समन्वित की जाए, एक सराहनीय कदम है।

पग) ऑन-लाइन आई पी एम
इंटरनेट के माध्यम से उत्पादकों को उत्पादन, विपणन तथा रिकार्ड रखने के बारे में अधिकाधिक जानकारी उपलब्ध है। आई पी एम, लाभकारी कीटों, उपजों, और अलग-अलग फसलों हेतु पीड़क नियंत्रण विकल्पों के बारे में भी सूचना का भी इंटरनेट एक उत्तम स्रोत है। आई पी एम के विशेषज्ञ एक आधुनिक शिक्षा प्रदान उपकरण के रूप में उच्च-गुणता वाले वेबसाइट तैयार कर रहे हैं, और अनेक विस्तार सेवा पर्चे अब केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही उपलब्ध हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध आई पी एम संसाधनों की संपूर्ण सूची के लिए अब अधिकाधिक कृषिकार इंटरनेट का ज्ञान प्राप्त करेंगे, तब यह प्रवृत्ति और तेज होगी।

ग) आई पी एम प्रमाणन और विपणन
आई पी एम या किन्हीं अन्य पारिस्थितिकी आधारित मानकों के अनुसार उगाई गयी फसलों का प्रमाणन उत्पादकों को विपणन में लाभ दे सकता है, क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरणी सुरक्षा के बारे में जनता की चिंताएं बढ़ गयी हैं। उदाहरणतःए 1995 से वेगमैंज अपना आई पी एम लेबल वाला स्वीट कॉर्न अपने कार्निंग, जेनेवा, इथाका, साइराक्यूस, और रोचेस्टर, न्यूयॉर्क के भंडारों में बेच रहा है। वेगमैंज ने डिब्बाबंद वनस्पतियों की अपनी सूची में आई पी एम लेबल वाले कॉर्न, चुकंदर तथा सेम को भी शामिल कर लिया है। विपणन का एक साधन होने के अतिरिक्त इस कार्यक्रम का एक लक्ष्य यह है कि उपभोक्ताओं को कृषि तथा खाद्य प्रणाली के बारे में शिक्षित किया जाए। एक अन्य लक्ष्य सभी उत्पादकों को श्श्आई पी एम कान्टिनुअम” के साथ चलाते रहने का है। लेबलों तथा सक्रिय विपणन रणनीतियों (समाचारपत्र, विवरणिका आदि) का प्रयोग करने से जागरूकता और उपभोक्ताओं द्वारा आई पी एम की स्वीकार्यता बढ़ गयी है, क्योंकि मानव स्वास्थ्य के लिए इसके सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। इसी प्रकार, आई पी एम प्रमाणन इन विधियों से उगाये गये उत्पादों के लिए उपभोक्ता मांग पैदा करने में किसानों की मदद कर सकता है और उत्पादकों को आई पी एम कार्यविधियों में निवेश करने के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त करने का अवसर दे सकता है।

ये श्श्ईकोलेबलश्श् (Ecolabel) (जिस नाम से वे जाने जाते हैं) अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं और अब एक दर्जन से ज्यादा ब्रांड अस्तित्व में हैं। आशा है कि वे एक अधिक सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराएंगे और शायद दाम में वृद्धि भी, जिससे किसानों को सतत् कृषि व्यवहार लागू करने से संबंधित अपने खर्चे पूरे करने में मदद मिलेगी। कुछ लोगों द्वारा यह शंका प्रकट की गयी है कि आई पी एम का लेबल लगने से उपभोक्ता पीड़कनाशी के प्रयोग तथा पारंपरिक उपज की सुरक्षा के बारे में अधिक प्रश्न उठाएंगे। ऑर्गेनिक खेती के कुछ समर्थकों को चिंता है कि उपभोक्ता को ईकोलेबल और श्श्प्रमाणित ऑर्गेनिकश्श् लेबल के बीच संबंध के बारे में भ्रांति होगी।

गप) सामाजिक मुद्दे
आई पी एम के भविष्य के लिए सामाजिक मुद्दे महत्वपूर्ण बने रहेंगे। कृषि की संरचना, खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा और संकटग्रस्त वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए समाज की चिंता आई पी एम के भविष्य में बड़े परिवर्तन कराएगी। आई पी एम को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण या हिफाजत के लिए एक ठोस निवेश के रूप में देखना चाहिए। पारंपरिक रूप से आई पी एम उस नाजुक स्थिति पर प्रतिक्रिया का निरूपण करता है जो रूढ़िवादी पीड़क नियंत्रण दृष्टिकोणों द्वारा पैदा की गयी है। यदि आई पी एम को जनता की जागरूकता और स्वीकार्यता में आगे बढ़ना है तो इस विचारधारा को बदलना होगा।
आई पी एम का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वैज्ञानिक समुदाय, जनता और निर्णयकर्ताओं के बीच संचार किस प्रकार होता है। ..
बोध प्रश्न 5
प) आई पी एम में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।
पप) आई पी एम को आगे बढ़ाने में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका के बारे में लिखिए।