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फेन प्लवन / झाग प्लवन विधि क्या है fen palwan ya jhaag aplwan vidhi

fen palwan ya jhaag aplwan vidhi kiya hai hindi me फेन प्लवन /झाग प्लवन विधि क्या है  : सल्फाइडो अयस्क इस विधि से किया जाता है की यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है की सल्फाइड के कण तेल में भीगते है जबकि आधात्री के कण जल में भीगते है।

एक आयताकार पात्र में पिसा हुआ अयस्क , संग्राही , फेन स्थायी कारक , जूल डालकर इसमें वायु प्रवाहित करते है जिससे सल्फाइड के कण झाग के रूप में पानी की सतह पर एकत्रित हो जाते है जबकि आधात्री (मिट्टी) पेंदे में एकत्रित हो जाती है।

संग्राही क्या होते है ? : वे पदार्थ जो सल्फाइड अयस्क की अक्लेदनियता (non wettability ) को बढ़ा देते है उन्हें संग्राही कहते है।

जैसे चीड़ का तेल , वसीय अम्ल , जेन्थेट

फेन स्थायीकारक क्या होता है  :

वे पदार्थ जो सल्फाइड अयस्क के झागों का स्थायित्व बढ़ा देते है उन्हें स्थायी कारक कहते है।

जैसे ऐनिलीन , क्रीसॉल

नोट : दो सल्फाइड अयस्क को एक दूसरे से पृथक करने के लिए जो पदार्थ काम में आते है उन्हें अवनमक कहते है।

ZnS तथा PbS को एक दूसरे से पृथक करने के लिए अवनमक(NaCN ) काम में लेते है।

अवनमक ZnS से तो क्रिया कर लेता है परन्तु PbS से क्रिया नहीं करता अतः फेन प्लवन विधि में PbS झाग के रूप में पानी की सतह पर एकत्रित हो जाता है।

ZnS + 4NaCN  = Na2[Zn(CN)4]  + Na2S