exchange of gases in hindi , श्वसन और गैसों का विनिमय क्या है , समझाइये
श्वसन और गैसों का विनिमय क्या है , समझाइये exchange of gases in hindi ?
श्वसन की कार्यिकी (Physiology of respiration)
श्वसन की कार्यिकी की निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत अध्ययन किया जा सकता है।
(1) गैसों का विनिमय ( Exchange of gases) : निश्वसन एवं उच्छवसन की क्रियाओं के मध्य श्वसन गैसों का विनिमय (exchange) होता है। गैसों का आदान-प्रदान वायु कोष्ठिकाओं या कूपिकाओं ( alveoli) के चारों ओर केशिकाओं के घने जाल में उपस्थित तथा रक्त एवं फेफड़ों की कूपिकाओं में उपस्थित वायु के मध्य होता है। बाह्य एवं आन्तरिक श्वसन में गैसों का आदान-प्रदान सरल भौतिकीय विसरण (physical diffusion) सिद्धान्त के अनुसार सम्पन्न होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार गैसें उच्च आंशिक दाब (lowerpartial pressure) से (high partial pressure) निम्न आंशिक दाब (lower parital pressure) की ओर गमन करती है।
वातावरण में उपस्थित वायु का संगठन निम्न प्रकार का होता है :
ऑक्सीजन (O2) 21%
नाइट्रोजन (N2) 78%
कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) 0.4%
दुर्लभ गैसे (rare gases) 1%
जल वाष्प (water vapour ) परिवर्तनशील
वायुमण्डलीय गैसों का समुद्री सतह पर कुल सामान्य दाब 760 mm Hg होता है। वायु में उपस्थित प्रत्येक गैस कुल दाब का कुछ भाग उत्पन्न करती है जिसे आंशिक दाब (partial pressure) कहते हैं यह दाब सम्पूर्ण वायु में उपस्थित उस निश्चित गैस की सान्द्रता पर निर्भर करता है। आंशिक दाब का तात्पर्य है कुल दाब का अंश । गैस का आंशिक दाब गैस मिश्रण में उस गैस की प्रतिशत (percentage) का समानुपाती होता है। इसे गैस मिश्रण द्वारा प्राप्त दाब (760mm Hg) को किसी गैस के व्यक्तिगत दाब की प्रतिशत से भाग देकर निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिये-
ऑक्सीजन (02) का आंशिक दाब = 760 x 21 / 100 = 159.6 mm Hg
कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) का आंशिक दाब = 760 x 0.4/100 = 0.3 mm Hg
नाइट्रोजन का आंशिक दाब = 760 x 78 / 100 = 600 mm Hg
इस प्रकार वायुमण्डलीय गैसों के मिश्रण में 02. CO2 एवं N2 का दाब क्रमश: 159.6, 0.3 तथा 600mm Hg होता है।
गैसों का विनिमय सम्बन्धित गैस की रूधिर एवं एल्विओलस की वायु में उपस्थित सान्द्रण प्रवणता (concentration gradient) पर तो निर्भर करता ही है परन्तु इसके साथ-साथ यह, गैसों की घुलनशीलता तथा श्वसन झिल्ली ( respiratory membrane) में उपस्थित लिपिड की संरचना पर भी निर्भर करता है। ऑक्सीजन एवं कार्बन डाई ऑक्साइड लिपिड में उत्त स्तरीय एवं समान रूप से आसानी से विसरित हो सकती है। यद्यपि, जल में CO2 की घुलनशीलता O2 की अपेक्षा 20 गुना अधिक होती है।
एल्विओलस की वायु में 02 एवं CO2 का आंशिक दाब क्रमश: 107 एवं 40mm Hg होता है। एल्विओलस की वायु में O2 केवल 13.6% होती हैं जिससे इसका आंशिक दाब वायु में उपस्थ्तृित दाब से कम होता है। फुफ्फुस – केशिकाओं (pulmonary capillaries) में प्रवाहित होने वाले शिरीय रक्त (venous blood) में 02 एवं CO2 का आंशिक दाब क्रमश: 40 एवं 46 mm Hg होता है। इस प्रकार एल्विओलस की वायु एवं फुफ्फुस केशिकाओं में उपस्थित O2, के आंशिक दा में अन्तर (107 – 40 = 67 mg Hg) के कारण ऑक्सीजन वायु में रक्त में विसरित होती है। जब तक रक्त फेफड़ों से बाहर आता है, इसका ऑक्सीजन दाब (PO2) भी लगभग 107 mm Hg के बराबर हो जाता है। इन केशिकाओं में O2 का माध्य आंशिक दाब (mean partial pressure) 1 mm Hg माना जाता है। किसी सामान्य स्वस्थ वयस्क में श्वसन सतह से 0, विसरण की क्षमता लगभग 21 मि.ली. प्रति मिनिट प्रति मि.मी. मापी जाती है। इस प्रकार श्वसन झिल्ली द्वारा एल्विओलस की वायु से फुफ्फुसीय रक्त में लगभग 230 मि.ली 02 (11 × 21 ) का विसरण होना चाहिए । व्यायाम की स्थिति में 02 के लिए श्वसन झिल्ली की विसरण क्षमता लगभग तीन गुना बढ़ जाती है।
कार्बनडाईऑक्साइड का आंशिक दाब शिरीय रक्त (venous blood) एवं एल्विओलस की वायु ( alveolar air) में क्रमश: 46 एवं 36 mm Hg होता है अर्थात् दोनों ओर उपस्थित CO2 के आंशिक दाब में लगभग 10mm Hg (46-36) होता है अर्थात् दोनों ओर उपस्थित के आंशिक दाब में लगभग का अन्तर होता है। इसी के साथ, श्वसन झिल्ली से CO2 की विसरण क्षमता ऑक्सीजन की अपेक्षा लगभग 20 गुना अधिक होती है। आंशिक दाब में अन्तर एवं उच्च विसरण क्षमता के कारण CO2 फुफ्फुसीय रक्त से शीघ्रता के साथ बाहर की ओर विसरित हो जाती है। श्वसन गैसों में विभिन्न स्थानों पर पाये जाने वाले आशिक दाब के अन्तर को चित्र 4.6 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
(2) रूधिर द्वारा ऑक्सीजन का परिवहन (Transport of oxygen by blood) : मनुष्य में प्रत्येक 100 मि.ली. रूधिर द्वारा लगभग 20 मि.ली. ऑक्सीजन ले जाई जाती है। ऑक्सीजन जल में बहुत कम मात्रा में घुलनशील होती है। इस कारण रूधिर प्लाज्मा द्वारा यह गैस बहुत की कम मात्रा में ले जाई जाती है। 37° C पर वायु-मण्डलीय वायु के साथ साम्यवस्था ( equilibrium) के समय 100 मि.ली. जल में मात्रा 0.46 मि.ली. ऑक्सीजन घुलनशील होती है। ऑक्सीजन की यह मात्रा उच्च स्तरीय प्राणियों की आवश्यकता पूर्ण करने के लिये सक्षम होती है जिनमें उपापचयी दर (metabolic rate) सामान्यतया कम होती है। उच्च स्तरीय जन्तुओं में रक्त वहन क्षमता (oxygencarrying capacity) विभिन्न कार्बनिक पदार्थों (organic substances) की उपस्थिति बढ़ा दी जाती है। ये पदार्थ श्वसन रंजक (blood pigments) कहलाते हैं। ये (श्वसन रजेके विभिन्न • प्रकार के जैसे (हीमोग्लोबिन ( haemoglobin) हीमोसाएनिन (heaomocyanin), हीमोइरिथिन (heamoerythrin) एवं क्लेरीक्रुआनिन (chlorocrycnin) इत्यादि होते हैं। कशेरूकियों (vertebrates में श्वसन – रंजक हीमोग्लोबिन होता है। हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता बढ़ जाती है तथा यह 20 प्रतिशत ऑक्सीजन का परिवहन करने में सक्षम हो जाता है।
सामान्य परिस्थितियों में फुफ्फुसीय धमनियों में उपस्थित सम्पूर्ण रक्त ऑक्सीकृत (oxygenated) नहीं हो पाता है। लगभग 100 मि.ली. O2 दाब पर 98 प्रतिशत रूधिर 02 के साथ संतृप्त हो पाता है। रूधिर में उपस्थित हीमोग्लोबिन द्वारा लगभग सम्पूर्ण वहन की जाने वाली 2 का 98 प्रतिशत (19.6 मि.ली. प्रति 100 मि.ली रूधिर द्वारा) भाग ले जाया जाता है तथा शेष 2 प्रतिशत 02 (0.4 मि. ली. प्रति 100 मि.ली. रूधिर द्वारा) प्लाज्मा द्वारा घुलित अवस्था में ले जाई जाती है। विभिन्न जन्तुओं में रूधिर में उपस्थित हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन वहन क्षमता भिन्न होती है। प्रत्येक 100 मि.ली. रूधिर द्वारा पिसीज (pisces) में 9.0, एम्फीबियन्स (amphibians) में 12.0 रेप्टाइल्स (reptiles) में 9.0 एवीज (aves) में 18.5 तथा मैमल्स में 20.0 मि.ली. का O2 का परिवहन होता है।
हीमोग्लोबिन एक लोह (iron) युक्त यौगिक है जिसमें हीम (heam) होता है जो ग्लोबिन (globin) नामक प्रोटीन से जुड़ा रहता है। हीमोग्लोबिन का अणुभार (molecular weight) 67,000 होता है। ग्लोबिन में चार पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएं पाई जाती है। इनमें 2α तथा 2β प्रकार की होती है। प्रत्येक शृंखला एक ‘हीम समूह’ से जुड़ी रहती है। हीम एक लौह-पोफिरीन वलय पर आधारित होती है जिसमें एक लौह-परमाणु फैरस (Fet) चार पाइरौल (pyrrol) समूहों से घिरा रहता है। इसका संरचनात्मक सूत्र चित्र 4.7 द्वारा दर्शाया गया है।
हीमोग्लोबिन को ‘Hb’ द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। हीर्मोग्लोबिन में उपस्थित प्रत्येक हीम ऑक्सीजन के एक अणु से संयोग करता है। इस प्रकार, सम्पूर्ण हीमोग्लोबिन अणु चार ऑक्सीजन अणुओं का परिवहन कर सकता है। हीमोग्लोबिन एवं ऑक्सीजन के संयुग्मन से बने पदार्थ को ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) कहा जाता है।
Hb4 + 402 → Hb4 (O2)4 or Hb4O8
हीमोग्लोबिन एक गहरे लाल रंग (dark red) का पदार्थ होता है जबकि ऑक्सोहीमोग्लोबिन चमकीले लाल रंग (bright red) का होता है। एक सामान्य व्यक्ति के प्रति 100 मि.ली. रूधिर में लगभग 15.0 ग्रा. हीमोग्लोबिन पाया जाता है। 1 ग्रा. हीमोग्लोबिन लगभग 1.34 मि.ली. 02 संयुग्मित कर सकता है। इस प्रकार 100 मि.ली. शुद्ध रूधिर 20 मि.ली. O2 को परिवहन करता धमनियों में उपस्थित रूधिर एवं एल्विओलाई में एक समान 02 दाब (107mm Hg) होता है रूधिर एवं शारीरिक कोशिकाओं में 02 दाब में अन्तर होने के कारण ऑक्सीजन ऑक्सीहीमोग्लोबिन परन्तु कोशिकाओं एवं उत्तकों में 02 का दाब काफी कम (1 से 40mm Hg) होता है। इस प्रकार पृथक होकर कोशिकाओं में विसरित हो जाती है। कोशिकाओं में ऑक्सीजन भोजन में काम आती है जिसमें ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
ऑक्सीजन एवं हीमोग्लोबिन के संयुग्मन से प्राप्त ऑक्सीहीमोग्लोबिन आवश्यकता पड़ने पर पुन: ऑक्सीजन एवं हीमोग्लोबिन में विघटित हो सकता है अर्थात् ऑक्सीहीमोग्लोबिन का बनना एक उत्क्रमणीय (reversible) क्रिया होती है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन का वियोजन (dissociation) निम्न प्रकार से होता है।
Hb408 → 4Hb + 402
(ऑक्सीहीमोग्लोबिन अपचित) हीमोग्लोबिन
ऑक्सीहीमोग्लोबिन के बनने एवं वियोजित होने पर लौह हमेशा ही फेरस अवस्था (Fe++) में रहता है। इस प्रकार लौह एवं 02 के मध्य भौतिक बंधता (physical bonding) पाई जाती है।
अपचित हीमोग्लोबिन रूधिर द्वारा पुनः फुफ्फुसों तक प्रवाहित किया जाता है जिससे फिर से ऑक्सीहीमोग्लोबिन का निर्माण हो जाता है। इस प्रकार प्राप्त ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः ऑक्सीजन को दैहिक कोशिकाओं तक लेकर जाने का कार्य करता है।
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