आवर्ती दोलकों के उदाहरण क्या है (example of Harmonic oscillator in hindi) स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान का दोलन
पढ़िए कि आवर्ती दोलकों के उदाहरण क्या है (example of Harmonic oscillator in hindi) स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान का दोलन किसे कहते हैं ?
आवर्ती दोलकों के उदाहरण (example of Harmonic oscillator)
(i) स्प्रिंग के सिरे पर जुड़ा द्रव्यमान पिण्ड (mass attached to a spring)
- क्षैतिज स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान का दोलन – चित्रानुसार (4) किसी घर्षण रहित (frictionless) सतह पर भारहीन (massless) स्प्रिंग के एक सिरे को दृढ़ आधार से कस कर (clamp) दुसरे सिरे पर द्रव्यमान m का एक पिण्ड जोड़ दिया जाता है |
अब यदि स्प्रिंग को थोडा सा खिंच कर छोड़ दिया जाए तो पिण्ड m अपनी माध्य स्थिति के इधर उधर दोलन करने लगता है | हम जानते है कि स्प्रिंग में उत्पन्न प्रत्यानयन बल विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है | इसलिए यदि किसी क्षण t पर पिण्ड का विस्थापन x हो तो स्प्रिंग द्वारा m पर आरोपित प्रत्यानयन बल (हुक के नियमानुसार)
F = -kx …………………..समीकरण-1
यहाँ k स्प्रिंग नियतांक है | इस समीकरण में ऋण चिन्ह यह प्रकट करता है कि स्प्रिंग में प्रत्यानयन बल विस्थापन के विपरीत दिशा में उत्पन्न होता है |
यदि इस बल के कारण पिण्ड में त्वरण d2x/dt2 हो तो द्रव्यमान m के गति का समीकरण होगा ,
- d2x/dt2 = -kx
अथवा
d2x/dt2 + kx/m = 0 …………………..समीकरण-2
यह एक सरल आवर्ती दोलक के अवकल समीकरण के समतुल्य है इसलिए दोलक का आवर्त्तकाल –
T = 2π √m/k …………………..समीकरण-3
- उर्ध्वाधर स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान का दोलन : माना l लम्बाई के भारहीन स्प्रिंग के एक सिरे को दृढ़ आधार से कस (clamb) कर दुसरे सिरे पर m द्रव्यमान का एक पिण्ड लटकाया जाता है | चित्र तो पिण्ड के भार से खिंचाव उत्पन्न होता है | माना इस खिंचाव के कारण स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि y0 है | स्प्रिंग अपनी प्रत्यास्थता के कारण द्रव्यमान m पर प्रत्यानयन बल उर्ध्व दिशा में लगता है | हुक के नियमानुसार तनाव बल विस्थापन के समानुपाती होता है |
अत: तनाव बल F = -k y0
साम्यावस्था में द्रव्यमान m का त्वरण शून्य के बराबर है | अत:
F + mg = 0
Ky0 = mg
अथवा k = mg/ y0 ……………….समीकरण-4
अब यदि संतुलन की स्थिति से द्रव्यमान m को y दूरी तक खिंच कर छोड़ दिया जाए तो द्रव्यमान m दोलन करना प्रारंभ कर देता है | इस स्थिति में तनाव बल
F = -k (y + y0)
इसलिए पिण्ड m पर नीचे की तरफ लगा बल = mg
अत: परिणामी प्रत्यानयन बल
F’ = mg – k(y + y0)
समीकरण-4 रखने पर
F’ = ky0 – k(y + y0)
अत: पिण्ड के गति का समीकरण होगा –
m d2y/dt2 = -ky
अथवा d2y/dt2 + ky/m = 0
यह भी सरल आवर्ती दोलक का अवकल समीकरण है इसलिए द्रव्यमान m का आवर्तकाल
T = 2π √m/k ………………..समीकरण-7
समीकरण 4 से k का मान रखने पर
T = 2π √y0/g ………………..समीकरण-8
अत: स्प्रिंग द्वारा द्रव्यमान m के लटकाने से उत्पन्न विस्थापन y0 का मान ज्ञात करके समीकरण 8 की सहायता से स्प्रिंग का आवर्त काल ज्ञात किया जा सकता है |
- दो समान्तर स्प्रिंगों से लटके द्रव्यमान का दोलन : चित्र में प्रदर्शित दो द्रव्यमान हीन स्प्रिंगों के एक सिरों को दृढ़ आधार पर कस कर दुसरे सिरों पर एक साथ द्रव्यमान m लटकाया जाता है | जब द्रव्यमान m को विस्थापन y देकर छोड़ा जाता है तो यह दोनों स्प्रिंगों के सम्मिलित प्रभाव से दोलन करता है |
जब द्रव्यमान को y दूरी से उर्ध्वाधर नीचे की तरफ विस्थापित करते हैं तो दोनों ही स्प्रिंगों की लम्बाईयों में समान परिवर्तन y होता है | यदि स्प्रिंगों के बल नियतांक k1 और k2 हैं और उनमें प्रत्यानयन बल क्रमशः F1 और F2 उत्पन्न हो तो
F1 = -k1y और F2 = -k2y
अत: द्रव्यमान m पर परिणामी प्रत्यानयन बल
F = F1 + F2 + = -(k1 + k2)y = -ky
यहाँ k = k1 + k2 दोनों स्प्रिंगों का कुल प्रभावी बल नियतांक है | अत: समान्तर क्रम में स्प्रिंगों द्वारा लटके द्रव्यमान के दोलन में प्रभावी बल नियतांक का मान उन स्प्रिंगों के बल नियतांकों के योग के बराबर होता है | स्पष्टत: द्रव्यमान पिण्ड का आवर्तकाल
T = 2 π √m/k = 2 π √m/( k1 + k2) ………………..समीकरण-9
चित्र में प्रदर्शित दोलक के लिए भी उपरोक्त सम्बन्ध यथार्थ होता है |
- श्रेणीक्रम में जुड़े दो स्प्रिंगो से लटके द्रव्यमान का दोलन : चित्रानुसार दर्शायी गई स्प्रिंगों की स्थिति में m द्रव्यमान को y दूरी विस्थापित करने से दोनों स्प्रिंगों में समान प्रत्यानयन बल उत्पन्न होते हैं लेकिन विस्थापन भिन्न भिन्न उत्पन्न होते हैं | यह स्प्रिंगों के संधि बिंदु A के संतुलन से सिद्ध किया जा सकता है | माना दोनों स्प्रिंगों में विस्थापन क्रमशः y1 और y2 हैं |
अत: कुल विस्थापन y = y1 + y2 ………………..समीकरण-10
दोनों स्प्रिंगों के लिए बल नियतांक और विस्थापन में सम्बन्ध लिखने पर
F = -k1y1 और F = -k2y2
यदि प्रभावी बल नियतांक k है तो
F = -ky
उपरोक्त संबंधों से y , y1 और y2 का मान समीकरण 10 में रखने पर
-F/k = -F/k1 – F/k2
अथवा
1/k = 1/k1 + 1/k2
या k = k1k2/(k1+k2) ………………..समीकरण-11
अत: श्रेणीक्रम में जुड़े स्प्रिंगों के बल नियतांको के व्युत्क्रमों का योग प्रभावी बल नियतांक के व्युत्क्रम के बराबर होता है |
स्पष्टत: द्रव्यमान पिण्ड का आवर्तकाल
T = 2 π √m( k1 + k2)/ k1k2
उपरोक्त विवेचन से सिद्ध किया जा सकता है कि यदि किसी स्प्रिंग के बराबर लम्बाई के n टुकड़े कर दिए जाए तो प्रत्येक टुकड़े का स्प्रिंग नियतांक सम्पूर्ण स्प्रिंग के नियतांक का n गुना होगा | चूँकि पूरी स्प्रिंग n टुकड़ों से जुड़ी मानने पर
1/k = 1/k1 + 1/k2 + 1/k3 + ……….+ 1/kn
टुकड़े समान होने से
k1 = k2 = k3 = …………= Kn = k’
अत: 1/k = n/k’
या k’ = nk
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