european federation of biotechnology in hindi , EFB जैव प्रौद्योगिकी की यूरोपियन फेडरेशन क्या है
european federation of biotechnology in hindi , EFB जैव प्रौद्योगिकी की यूरोपियन फेडरेशन क्या है ?
जैवप्रौद्योगिकी (Biotechnology)
परिचय (Introduciton)
आज के इस वैज्ञानिक युग में हम प्रतिपल विज्ञान द्वारा प्रदत्त साधनों का उपयोग कर रहे हैं। मानव जीवन के हर परिप्रेक्ष्य में चाहे वह चिकित्सा, कृषि, संचार, ऊर्जा, रक्षा, परिवहन अथवा अंतरिक्ष से सम्बन्ध रखता हो विज्ञान व प्रौद्योगिकी के बिना कोई भी उपलब्धि संभव नहीं है।
जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई विविधतापूर्ण विषय सम्मिलित हैं। हजारों वर्षों पूर्व से मानव जैव पौद्योगिकी का उपयोग दही जमाने व सोमरस आदि बनाने में प्रयोग करता आ रहा है। वर्तमान में वैज्ञानिकों ने इसके कार्यक्षेत्र को विस्तार देते हुए बेहतरीन निदानी (diagnostic) तकनीकें विकसित की है। जैसे प्रतिरक्षी (antibodies) या न्यूक्लिक अम्ल प्रोब का इस्तेमाल निदान हेतु किया जा रहा है। कई महत्त्वपूर्ण अणु जो मनुष्य को स्वास्थ्य देने हेतु परम आवश्यक है जैसे प्रतिजैविक (antibiotics), हार्मोन वैक्सीन आदि का उत्पादन, पुनर्योगज डीएनए तकनीक, पी. सी. आर तकनीक, डीएनए फिंगर प्रिंटिंग द्वारा कई उलझे हुए मामले सुलझाना, ऊतक संवर्धन, ट्रांसजैनिक पादप व जन्तु बनाना आदि का उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा बहुतायत से किया जा रहा है।
जैव प्रौद्योगिकी की अपार विविधता को देखते हुए इसे किसी एक परिभाषा द्वारा परिभाषित करना संभव नहीं है। हांलाकि अलग-अलग समय पर जो परिभाषायें दी गई है। वह निम्न हैं-
प्रकार्यात्मक परिभाषा (Functional definition)
बायोटेक्नोलॉजी शब्द की उत्पत्ति बायोलोजी व टेक्नोलॉजी शब्दों को जोड़ने से हुई है। जैविक कारक जैसे सूक्ष्मजीव, जीव एवं पादप कोशिकाओं या उनके नियंत्रित उपयोग द्वारा मनुष्य के लिए उपयोगी उत्पाद अथवा सेवाओं का उत्पादन बायोटेक्नोलॉजी कहलाता है।
बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग करके मानव अपना जीवन सुविधापूर्वक व्यतीत करने में सफल हुआ है। इसमें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के सिद्धान्तों का उपयोग करके जीवित जीवों अथवा उनके अवयवों द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोगी उत्पाद बनाने में मानव ने महारथ हासिल की है। इस प्रक्रिया में जन्तु व पादप कोशिकाओं के पात्रे – संवर्धन (in-vitro culture) द्वारा उत्पाद प्राप्त किये जाते हैं ।
- जैव प्रौद्योगिकी की यूरोपियन फेडरेशन (The European Federation of Biotechnology = EFB)
इसके अनुसार जैव प्रौद्योगिकी में जैव रसायन, सूक्ष्मजीव विज्ञान, कोशिका विज्ञान, अभियांत्रिकी विज्ञान का समाकलित उपयोग करके तकनीकी या व्यवसायिक अनुप्रयोगों द्वारा सूक्ष्मजीवों व संवर्धित ऊतक कोशिकाओं व भागों का उपयोग किया जाता है। (“Biotechnology is the integrated use of biochemistry, microbiology, cell biology and engineering science in order to achieve technological (industrial) application of the capabilities of microorganisms, cultured tissue cell and parts there of”)
- आर्थिक विकास एवं सहयोग हेतु संगठन
इसके अनुसार ‘जैविक कारकों द्वारा वैज्ञानिकों एवं सिद्धान्तों का अनुप्रयोग करते हुए विभिन्न पदार्थों (The Organisation For Economic Cooperation and Development-OECD) का उत्पादन जैव प्रौद्योगिकी है।” (It is the production of various substances by application of scientific and technological principles using biological agents.
- ब्रिटिश वैज्ञानिक (British Scientists)
इनके अनुसार “जैविक जीव तंत्रों या प्रक्रियाओं का मानव हितों के लिए औद्योगिक अनुप्रयोग जैव प्रौद्योगिकी है।” (Biotechnology is the application of biological organisms systems or processes to manufacturing and service industries”.
आधुनिक भारत के पुनर्निमाण में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्ता को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् विज्ञान की इन क्षेत्रों को उन्नत स्वरूप प्रदान करने का कार्य प्रारम्भ किया। इसके लिए सर्वप्रथम भारत सरकार ने 1982 में राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी बोर्ड (NBTB) की स्थापना की जो डिर्पाटमेन्ट ऑफ साइन्स व तकनीक के तहत (D. S.T.) के तहत कार्य करता था ।
सन 1986 से NBTB स्थान पर एक सम्पूर्ण जैव प्रौद्योगिकी डिपार्टमेन्ट (DBT) मिनिस्ट्री ऑफ साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत कार्य कर रहा है। इसका मुख्य कार्य जैवप्रौद्योगिकी से सम्बन्धित कार्यों की परिकल्पना व अवकलोकन करना तथा उसके उद्देश्यों को जनोपयोगी बनना है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के आव्हान पर विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने के लिए ‘इन्टरनेशनल सेन्टर फॉर जेनेटिक इन्जीनियरिंग व बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB ) के दो केन्द्र गठित किये गये एक दिल्ली में व दूसरा इटली में। दिल्ली का यह केन्द्र 1987 से कार्य कर रहा है।
डीबीटी (DBT) ने जैव प्रौद्यौगिकी के उच्चतर अध्ययन के लिए मुख्यतया निम्न केन्द्र स्थापित किये हैं-
(1) इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इन्स्टीट्यूट (IARI) नई दिल्ली। इस एग्रीकल्चर संस्थान में स्वर्गीय राजीव गांधी ने लाल बहादुर सेन्टर फॉर एडवांस्ड रिसर्च इन बायोटेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया था। यह केन्द्र 1993 से कार्य कर रहा है।
(2) तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (TNAU) कोयम्बटूर,
(3) जी. बी. पंत युनिवर्सिटी- पंतनगर ।
IIHR ने नई दिल्ली में 1980 के दशक में एक नया प्रभाग खोला है जो पादप जेनेटिक रिसोर्स (PGR) के नाम से जाना जाता है। PGR जर्मप्लाज्म के प्रशीतन के कार्य से सम्बन्धित है।
डीबीटी (DBT) ने राइजोबिया का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में सफलता हासिल की है जिससे मुख्य फसलों को समय पर राइजोबिया उपलब्ध करवाया जा सके। DBT ने पादप आण्विक जीवविज्ञान (molecular biology) का प्रोत्साहन के द्वारा उन्नत बनाने हेतु निम्न इन्स्टीट्यूट में 6 केन्द्र स्थापित किये हैं-
(1) जवाहर लाल यूनिवर्सिटी – नई दिल्ली
(2) उस्मानिया यूनिवर्सिटी- हैदराबाद
(3) बोस इन्स्टीट्यूट – कोलकाता
(4) नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इन्स्टीटयूट-लखनऊ
(5) मदुर्रे कामराम यूनिवर्सिटी – मदुरै
(6) तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (TANU)
DBT के अन्तर्गत जो सरकारी व गैर सरकारी संस्थायें कार्यरत हैं उनकी मान्यता है कि जैव प्रौद्योगिकी के कार्य को मुख्यतः या निम्न क्षेत्रों में किया जाना चाहिए-
(1) चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी
(2) पादप मोलीक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी व कृषि जैव प्रौद्योगिकी
(3) पादप कोशिका संवर्धन, एक्वाकल्चर व मेरीनु जैव प्रौद्योगिकी
(4) इधन, चारा, जैव ऊर्जा व जीनी संरचना का अध्ययन
(5) वेटरनरी जैव प्रौद्योगिकी आदि ।
पादप ऊतक संवर्धन की मूलभूत अभिमुखतायें (Basic Aspects of Plant Tissue Culture)
पादप ऊतक संवर्धन का अर्थ पादप कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों का पात्रे (invitro) संवर्धन है। पादप ऊतक संवर्धन वनस्पति विज्ञान की अन्य शाखाओं के समान अलग शाखा नहीं है अपितु यह प्रायोगिक प्रक्रियाओं का चरणबद्ध संग्रह है। इसके द्वारा वियुक्त कोशिकाओं अथवा ऊतकों को निर्जमित व नियंत्रित अवस्था में उपयुक्त संवर्धन माध्यम पर उगाया जाता है जिससे कैलस या भ्रूणाभ व अन्ततः नवोद्भिद पादपक बनते हैं ।
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