(euphorbiaceae family in hindi plant meaning definition ) यूफोर्बियेसी या यूफार्बिएसी क्या है लक्षण गुण आर्थिक महत्व पौधों का नाम लिस्ट पादप कौनसे है ?
यूफोर्बियेसी – कुल (euphorbiaceae family) :
( यूफोर्बिया कुल , यह नामकरण मारिशियाना के प्रसिद्ध चिकित्सक , यूफोर्बस के सम्मान में किया गया है। )
वर्गीकृत स्थिति – बेन्थम और हुकर के अनुसार –
प्रभाग – एन्जियोस्पर्मी
उप प्रभाग – डाइकोटीलिडनी
वर्ग – मोनोक्लेमाइडी
श्रृंखला – यूनीसेक्सुएल्स
कुल – यूफोर्बियेसी
कुल यूफोर्बियेसी के विशिष्ट लक्षण (salient features of euphorbiaceae)
- सदस्य शाक , क्षुप या वृक्ष , पादपों में आवश्यक रूप से दूधिया रबड़ क्षीर उपस्थित।
- पर्ण एकान्तरित , सरल , अननुपर्णी , हस्ताकार रूप से पालिवत अथवा संयुक्त।
- पुष्पक्रम सरल अथवा शाखित , रेसीम , स्पाइक , पुष्प गुच्छ अथवा विशेष प्रकार का पुष्पक्रम जैसे सायेथियम।
- पुष्प नियमित , एकलिंगी और अधोजायांगी।
- परिदल पुंज एक चक्र में अथवा अनुपस्थित होता है।
- पुंकेसर 1 से असंख्य , पृथक अथवा एकसंघी।
- जायांग त्रिअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय त्रिकोष्ठीय , उच्चवर्ती और बीजांडविन्यास स्तम्भीय वर्तिकाएँ 3 , वर्तिकाग्र द्विशाखी।
- फल भिदुर रेग्मा अथवा कभी कभी ड्रुप।
वितरण और प्राप्तिस्थान (occurrence and distribution)
आवृतबीजी पौधों के इस रोचक और महत्वपूर्ण कुल में लगभग 300 वंश और 7500 प्रजातियाँ सम्मिलित है जो उत्तरध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर विश्व के लगभग सभी भागों में पाई जाती है। इस कुल के अधिकांश सदस्य मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सघन रूप से पाए जाते है। भारत में इस कुल का प्रतिनिधित्व 61 पादपवंश और 336 प्रजातियों द्वारा होता है जो हिमालय के तराई वाले इलाकों और दक्षिणी भारत की पहाडियों में वितरित है , कुछ प्रजातियाँ मैदानी भागों और शुष्क क्षेत्रों में भी मिलती है।
कायिक लक्षणों का विस्तार (range of vegetative characters)
प्रकृति और आवास : इस कुल के सदस्यों के स्वभाव में अत्यधिक विविधता दृष्टिगोचर होती है जो कि निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है –
एकवर्षीय शाक – युफोर्बिया पारवीफ्लोरी , युफोर्बिया हिरटा , फाइलेन्थस फ्रेटरनस।
बहुवर्षीय – क्रोटोन बोनप्लेन्डियानम
आरोही – ट्रेगिआ इन्वोल्यूक्रेटा
क्षुप – कोडियम वेरीगेटम जेट्रोफा गोसीपीफोलिया।
केक्टस सम क्षुप – युफोर्बिया नेरीफोलिया , यूफोर्बिया निवुला।
वृक्ष – रिसीनस कम्यूनिस – छोटा वृक्ष (अरंडी) , एम्बलीका ओफिसेनेलिस – मध्यम ऊँचाई का वृक्ष (आँवला) , हिविया ब्रेसीलीयेन्सिस – बड़ा वृक्ष (रबर)
जड़ : सामान्यतया शाखित मूसला जड पायी जाती है , कुछ पौधों जैसे मेनीहॉट की कुछ प्रजातियों की जड़ें , भोजन संचय के कारण फूल कर मोटी हो जाती है और खाने के काम आती है।
स्तम्भ : शाकीय अथवा काष्ठीय , उधर्व अथवा भूशायी शाखित , इस कुल के मरुदभिदीय सदस्यों में तना पर्णाभ स्तम्भ जैसा हो जाता है , इन प्रजातियों की प्रकृति कैक्टस के समान होती है , इनकी पत्तियाँ शीघ्रपाती होती है और अनुपर्ण काँटो में रूपान्तरित हो जाते है। तना हरा और चपटा हो जाता है और प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है। यहाँ इस तथ्य की चर्चा करना भी तर्कसंगत और आवश्यक है कि कैक्टस और इसके समान दिखने वाली युफोर्बिया प्रजाति की पहचान कैसे संभव है। इस तथ्य की जानकारी के लिए काँटों का अध्ययन करना चाहिए। यदि कांटे दो दो के जोड़ों में हो तो यह समझना चाहिए कि यह कैक्टस जैसा दिखने वाला पौधा युफोर्बिया है क्योंकि ये काँटे अनुपर्णों का रूपान्तरण है और अनुपर्ण सदैव दो होते है। यदि काँटों की संख्या दो से अधिक हो तो यह समझना चाहिए कि पौधा वास्तविक कैक्टस है क्योंकि वास्तविक कैक्टस के काँटें पत्तियों का रूपांतरण होते है।
पर्ण : एकान्तरित अथवा सम्मुख , कभी कभी एक ही पौधे में निचली पत्तियां एकान्तरित होती है और ऊपरी पत्तियाँ सम्मुख होती है जैसे – पेडीलेन्थस में जबकि मिशोडोन में पत्तियाँ चक्रीय होती है।
पर्ण सरल , अनुपर्णी , अच्छिन्नकोर अथवा हस्ताकार संयुक्त जैसे मेनीहॉट में , जेट्रोफा में अनुपर्ण , शाखित पक्ष्माभिकीय ग्रंथि युक्त होते है जबकि युफोर्बिया की केक्टस सम प्रजातियों में अनुपर्ण कंटको में रूपांतरित हो जाते है। शिराविन्यास बहुशिरीय जालिकावत होता है। रिसीनस में पर्णफलक पर्णवृंत की संधि पर एक अथवा दो ग्रंथियां उपस्थित होती है। युफोर्बिया की कुछ प्रजातियों में पत्तियां शीघ्रपाती अथवा अत्यधिक समानित होती है।
पुष्पीय लक्षणों का विस्तार (range of floral characteristics)
पुष्पक्रम – पुष्पक्रम विभिन्न प्रकार का पाया जाता है , जैसे –
असीमाक्ष – क्रोजोफोरा।
नतकणिश अथवा केटकिन – ऐकेलिफा में
कणिश अथवा शूकी – क्रोटोन में
ससीमाक्षों का असीमाक्ष अथवा स्पाइक – रिसीनस और जेट्रोफा में।
यूफोर्बिया और अन्य कुछ उदाहरणों में एक विशेष प्रकार का जटिल और रोचक पुष्पक्रम पाया जाता है जिसे सायेथियम कहते है। इस पुष्पक्रम में कुछ सहपत्र लाल और पत्ती के समान होते है जबकि शेष सहपत्र एक प्यालेनुमा संरचना बनाते है। इसकी बाह्य भित्ति पर एक मकरंदकोष होता है। इस पुष्पक्रम के केंद्र में उपस्थित एकल मादा पुष्प अनेक नर पुष्पों से घिरा होता है। नर पुष्प अपकेन्द्रीय क्रम में व्यवस्थित होते है। मादा पुष्प केवल एक स्त्रीकेसर द्वारा और प्रत्येक नरपुष्प एक पुंकेसर द्वारा परिलक्षित होता है।
पुष्प – सामान्यतया अपूर्ण , छोटे , एकलिंगी , त्रिज्यासममित , सहपत्री अधोजायांगी लेकिन ब्राइडेलिया में पुष्प परिजायांगी होता है। इस कुल के सदस्यों में अनेक पुष्पीय विविधताएँ दृष्टिगोचर होती है , जैसे –
- यूफोर्बिया में परिदलपुंज अनुपस्थित होता है , नर और मादा दोनों प्रकार के पुष्प नग्न होते है।
- जैट्रोफा के पुष्पों में बाह्यदलपुंज और दलपुंज दोनों ही उपस्थित होते है।
- एंथोस्टीमा में नर और मादा पुष्प दोनों ही नलिकाकार परिदलपुंज से घिरे होते है।
- क्रोटॉन में दलपुंज केवल नर पुष्पों में स्पष्ट होता है जबकि मादा पुष्पों में अल्पविकसित , अस्पष्ट अथवा अनुपस्थित होता है।
- मेनीहॉट में बाह्यदलपुंज दलाभ होता है।
- रिसीनस के नरपुष्पों में 5 और मादा पुष्पों में 3 बाह्यदल होते है।
- ट्रेविया में बाह्य दल 3 अथवा 4 और मरक्यूरेलिस में केवल 3 बाह्यदल होते है।
- फाइलेन्थस फ्रेटरनस में परिदलपुंज 3 + 3 के दो चक्रों में पाया जाता है। दलपुंज यदि उपस्थित हो तो पृथक दलीय होते है लेकिन जेट्रोफा में संयुक्तदलीय होते है। बाह्यदल पुंज और दलपुंज कोरस्पर्शी अथवा कोरछादी क्रम में व्यवस्थित।
पुमंग : केवल नर पुष्पों में उपस्थित। पुंकेसरों की संख्या में भी असमानता दिखाई देती है , यूफोर्बिया में केवल एक पुंकेसर ही नर पुष्प को निरुपित करता है , ब्रेनिया में तीन पुंकेसर , फाइलेन्थस में तीन से पाँच (3-5) पुंकेसर पाए जाते है।
जबकि क्रोटोन में पुंकेसरों की संख्या 80 से 100 अथवा असंख्य होती है। जेट्रोफा में दस पुंकेसर 5 + 5 के दो चक्रों में व्यवस्थित होते है और रिसीनस में 5 पृथक पुंकेसर अत्यधिक शाखित होते है और शाखित पुंकेसर की अंतिम शाखा पर परागकोष उपस्थित होते है। ब्रेनिया और जेट्रोफा के पुंतंतु संयुक्त होते है। फाइलेन्थस में पुंतन्तु के अतिरिक्त परागकोष भी संयुक्त होकर एक अंगूठीनुमा संरचना बनाते है। परागकोश एक कोष्ठीय (monothecous जैसे फाइलेंथस और रिसीनस में) अथवा द्विकोष्ठीय जैसे – युफोर्बिया में हो सकते है। फाइलेन्थस साइक्लेन्थीरा में पुंकेसर संपुमंगता प्रदर्शित करते है। परागकोष प्रस्फुटन बहिर्मुखी और लम्बवत अथवा अनुप्रस्थ होता है।
जायांग : सामान्यतया त्रिअंडपी लेकिन मरक्यूरियेलिस में द्विअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय सामान्यतया उच्च्वर्ती लेकिन ब्राइडेलिया में अर्धअधोवर्ती , त्रिकोष्ठीय और बीजांडविन्यास स्तम्भीय होता है , वर्तिका छोटी और अंडपों के बराबर संख्या में , वर्तिकाग्र द्विशाखित और चटक रंगों के होते है। अंडाशय के आधारीय भाग में एक वलयाकार मकरंद चक्रिका अथवा पृथक ग्रन्थियां उपस्थित होती है।
फल और बीज : सामान्यतया 3 कोष्ठीय भिदुर फल रेग्मा पाया जाता है जो एकबीज युक्त फलांशकों (कोकाई) में विभक्त होता है। पुत्रंजीवा में अष्ठिल फल और बिशोफिया में सरसफल बेरी पाया जाता है। बीज माँसल , भ्रूणपोश युक्त और इनमें सामान्यत: स्पष्ट बीज चोलक अथवा केरन्कल पाया जाता है।
परागण और प्रकीर्णन : प्राय: कीट परागण पाया जाता है लेकिन रिसीनस और मरक्यूरियेलिस में वायु परागण होता है।
रिसीनस और हिविया आदि में बीजों का प्रकीर्णन विस्फोटी प्रक्रिया द्वारा होता है जबकि ट्रेविया में फलों की उत्प्लावकता की वजह से बीजों का प्रकीर्णन जल के द्वारा होता है।
पुष्प सूत्र :
यूफोर्बिया – नर पुष्प –
मादा पुष्प –
रिसीनस – नर पुष्प –
मादा पुष्प –
फाइलेन्थस – नर पुष्प –
मादा पुष्प –
जेट्रोफा गोसीपिफोलिया – नर पुष्प
मादा पुष्प –
बन्धुता और जातिवृतीय सम्बन्ध (affinities and phylogenetic relationships)
यूफोर्बियेसी कुल की वर्गीकृत बन्धुता के बारे में अधिकांश विद्वान एकमत नहीं है। बैंथम और हुकर ने इसे वर्ग मोनोक्लेमाइडी में अर्टिकेसी के पूर्व रखा है , रेन्डल और वेटस्टीन ने इसे अलग से गण माल्वेल्स और जिरेनियेल्स गुणों के मध्य रखा है। हचिन्सन ने इसके लिए एक स्वतंत्र ऑर्डर यूफोरबियेल्स का गठन किया है।
कुल यूफोर्बियेसी की गण माल्वेल्स विशेषकर इसके कुल स्टेरक्यूलियेसी से अत्यधिक समानता है। गण जिरेनियेल्स और सेपिन्डेल्स से भी विशेषकर डिस्क की उपस्थिति के कारण इसकी समानता परिलक्षित होती है।
ऐसा समझा जाता है कि संभवत: यूफोर्बियेसी का विकास गण माल्वेल्स के इनके पूर्वजों से हुआ होगा। ऐसा परिदलपुंज के भीतरी चक्र के हास और जायांग और पुमंग के अपहासन द्वारा संभव हो सका होगा। जेट्रोफा में बाह्यदल पुंज और दलपुंज की उपस्थिति और पुंतन्तुओं का संयुक्त होना (एकसंघी अवस्था) इस तथ्य की पुष्टि करते है।
आर्थिक महत्व (economic importance)
I. खाद्योपयोगी पादप :
1. मेनिहाट एस्क्यूलेन्टा : केसावा , जड़ें , कंदील और माँसल होती है , इनकी सब्जी बनती है और ये स्टार्च का प्रमुख स्रोत है।
2. एम्बलिका औफिसेनेलिस : आंवला इसके फल विटामिन C के प्रमुख स्रोत है। ये अचार , मुरब्बा और सब्जी के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
II. रबर :
हीविया ब्रेसीलियेन्सिस : पारा रबड़ वृक्ष और मेनीहाट ग्लेजियोवाई के वृक्षों में उत्पन्न लेटेक्स से उच्च कोटि का रबर प्राप्त होता है।
III. शोभाकारी पौधे :
- यूफोर्बिया पल्चेरिमा – पनसेटिया
- यूफोर्बिया ट्राइकोलाई
- एकेलिफा हिस्पिडा
- ऐकेलिफा विल्केसियाना
- जेट्रोफा गोसीपिफोलिया – रतन जोत
- जेट्रोफा पोडाग्रिका
- कोडियम वेरीगेटम – क्रोटन।
IV. औषधिक पादप :
1. रिसीनस कम्यूनिस – अरंडी इसके बीजों से प्राप्त तेल मृदु विरेचक के तौर पर औषधि में प्रयुक्त होता है। यह वर्निश के काम भी आता है।
2. जेट्रोफा गोसीपीफोलिया की जड़ें कुष्ठ रोग के उपचार और सर्पदंश प्रतिकारक के रूप में काम आती है। पत्तियों का उपयोग एक्जीमा और फोड़े के उपचार में होता है।
3. जेट्रोफा कुरकस : रतन जोत के बीज रेचक होते है और कृमिनाशक के रूप में प्रयुक्त होते है। बीजों से प्राप्त तेल त्वचा रोगों और गठिया रोग में प्रभावी है।
V. अन्य उपयोग :
1. किर्गेनेलिया रेटिकुलेटा की जड़ से लाल रंग प्राप्त होता है।
2. आँवला की छाल का उपयोग चर्मशोधन के लिए किया जाता है।
3. पुत्रंजीवा रोक्सबर्गाई के बीजों से जपमाला बनाई जाती है और इसकी काष्ठ का उपयोग गृह निर्माण के लिए और कृषि यंत्रों को बनाने में किया जाता है।
कुल यूफोर्बियेसी के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक वर्णन (botanical description of typical plant from euphorbiaceae)
1. रिसीनस कम्यूनिस लि. (ricinus communis linn.) :
स्थानीय नाम – अरंड
प्रकृति और आवास : बहुवर्षीय बड़ा क्षुप अथवा छोटा वृक्ष , सामान्यतया उगाया जाता है लेकिन प्राकृतिक अवस्था में भी पाया जाता है।
मूल : शाखित मूसला जड़।
स्तम्भ :उधर्व , काष्ठीय , ठोस बेलनाकार और अरोमिल।
पर्ण : सवृंत , हस्ताकार रूप से विभाजित , सरल एकान्तरित , अनुपर्णी , पत्ती के उपांत क्रकची , शिराविन्यास बहुशिरीय जालिकावत।
पुष्पक्रम : असीमाक्षी ससीमाक्ष अथवा यौगिक पुष्प गुच्छीय ससीमाक्ष।
पुष्प : सवृन्त , सहपत्री , एकलिंगी , पादप उभयलिंगाश्रयी , नर पुष्प नीचे और मादा पुष्प पुष्पक्रम में ऊपर की तरफ , अपूर्ण , त्रिज्यासममित और अधोजायांगी।
परिदलपुंज : केवल एक चक्र में , बाह्य दलाभ , हरा अथवा हल्का हरा , नरपुष्प में 5 और मादा पुष्प में 3 परिदल पत्र उपस्थित , पृथक परिदली , विन्यास कोरस्पर्शी।
पुमंग : पुंकेसर-5 , केवल नर पुष्प में उपस्थित , प्रत्येक पुंकेसर अत्यधिक शाखित होता है , परागकोष पुंतन्तु शाखाओं के शीर्ष पर उपस्थित , द्विकोष्ठी और आधारलग्न होते है।
जायांग : त्रिअंडपी , युक्तांडपी , शूलमय अतिवृद्धियों से आवरित , अंडाशय उच्चवर्ती , त्रिकोष्ठीय , बीजांडन्यास स्तम्भीय , वर्तिकाएँ 3 , वर्तिकाग्र द्विशाखित।
फल : भिदुर फल रेग्मा।
पुष्प सूत्र :
नर पुष्प :
मादा पुष्प :
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : यूफोर्बियेसी कुल सम्मिलित है –
(अ) मोनोक्लेमाइडी
(ब) पोलीपेटेली
(स) गेमोपेटेली
(द) बाइकार्पोलिटी
उत्तर : (अ) मोनोक्लेमाइडी
प्रश्न 2 : शाखित पुंकेसर पाए जाते है –
(अ) यूफोर्बिया
(ब) रिसीनस
(स) फाइलेन्थस
(द) हिविया
उत्तर : (ब) रिसीनस
प्रश्न 3 : यूफोर्बियेसी कुल में अंडाशय होता है –
(अ) द्विअंडपी
(ब) बहुअंडपी
(स) त्रिअंडपी
(द) एकांडपी
उत्तर : (स) त्रिअंडपी
प्रश्न 4 : यूफोर्बिया वंश में पुष्पक्रम पाया जाता है –
(अ) नवकणिश
(ब) असीमाक्ष
(स) ससीमाक्ष
(द) सायेथियम
उत्तर : (द) सायेथियम
प्रश्न 5 : यूफोर्बियेसी कुल में पुष्प होते है –
(अ) एकलिंगी
(ब) द्विलिंगी
(स) नपुसंक
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर : (अ) एकलिंगी