एपिग्राफी क्या है , एपिग्राफी किसे कहते हैं परिभाषा अर्थ मतलब Epigraphy in hindi definition meaning
Epigraphy in hindi definition meaning एपिग्राफी क्या है , एपिग्राफी किसे कहते हैं परिभाषा अर्थ मतलब ?
उत्तर : प्राचीन कालीन शिलालेखों के अध्ययन को अर्थात उन्हें पढने या उनके अर्थ निकालकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का अनुमान लगाना | अर्थात प्राचीन काल में लिखे गए विभिन्न प्रकार के पत्थरों , हड्डियों , धातु , मिट्टी पर लिखे गए लेखों को पढने को एपिग्राफी कहते है |
प्रश्न: प्राचीन भारतीय इतिहास के मुख्य स्त्रोतों के प्रकार बताइए तथा किसी एक का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर: प्राचीन भारतीय इतिहास के मुख्य स्त्रोतों को सामान्यत: मोटे रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है:-
(अ) साहित्यिक (ब) पुरातात्विक
(अ) साहित्यिक को पुनः देशी व विदेशी स्त्रोतों में बाँट सकते हैं। देशी साहित्य को पौराणिक (धार्मिक) एवं ऐतिहासिक (लौकिक) साहित्य में बाँट सकते हैं। पौराणिक में हिन्दू, बौद्ध एवं जैन साहित्य को रखा जाता है। यहाँ पौराणिक स तात्पर्य किसी धर्म विशेष के ग्रंथ से है जिसका मुख्य विषय धार्मिक है। लेकिन प्रसंगवश राजनैतिक, सामाजिक एव सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का भी उल्लेख मिल जाता है। ऐतिहासिक साहित्य किसी व्यक्ति विशेष, स्थान विश व्यवस्था या समय विशेष के संदर्भ में लिखे गये हैं। विदेशी साहित्य में यूनानी, रोमन, अरबी, चीनी, तिब्बती, सिहला आदि को सम्मिलित किया जाता है।
(ब) पुरातात्विक: स्त्रोत – पुरातात्विक स्त्रोतों में अभिलेख सिक्के, ताम्रपत्र, मुद्राएँ आदि को सम्मिलित किया जाता है।
(1) एपिग्राफिक (अभिलेख शास्त्र)ः कुछ प्रमुख अभिलेख निम्नलिखित हैं –
बोगजकोई अभिलेख: भारत के सदर्भ में सबसे पहला अभिलेख बोगजकोई अभिलेख है जो 1400 ई. पूर्व है। इसमें इन्द्र, मित्र, वरूण और नासत्य चार वैदिक देवताओं का उल्लेख हैं जिनका संदर्भ ग्रंथ ईरानिया, ‘जेन्दावेस्ता‘ है। इसका महत्व इस बात में है कि प्रारम्भ वैदिक आर्यों का सम्बन्ध मध्य एशिया से था।
अशोक के अभिलेख: भारत के सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के अभिलेख हैं। जिनमें अशोक के शासन काल को सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। भण्डारकर जैसे इतिहासकार ने तो केवल अभिलेखों के आधार पर ही अशोक कालीन इतिहास की रचना कर डाली। ये सरकारी अभिलेख हैं।
समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति: इसका लेखक हरिषेण था तथा यह पहला अभिलेख है जो साहित्यिक संस्कृत भाषा में लिखा गया है तथा इसकी शैली गद्य-पद्य (चम्प) है इसमें समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख है।
रूद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख: यह भारत का पहला संस्कत भाषा का अभिलेख है। इसमें रूद्रदामन के अलावा चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक व स्कंदगुप्त के भी अभिलेख हैं।
खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख: यह कलिंग के राजा खारवेल की प्रशस्ति है जो कलिंग की उदयगिरी पहाड़ी की हाथीमुगुफा में उत्कीर्ण है। इसमें नन्दराज महापदमनन्द का भी उल्लेख हुआ है। इस अभिलेख में खारवेल को ‘महाराज‘ कहा गया है जो भारतीय इतिहास में प्रथम उदाहरण है। अभिलेखिक रूप से क्षत्रिय शब्द का पहली बार उल्लेख इसी अभिलेख में हुआ है।
भीतरी अभिलेख: इसमें स्कंदगुप्त व हणों के मध्य यद्ध की चर्चा की गई है। स्कंदगुप्त को गुप्त साम्राज्य का पुनर्सस्थापक कहा गया है।
मंदसौर प्रशस्ति: यह कुमारगुप्त की प्रशस्ति है। जिसमें उस समय की आर्थिक मंदी और व्यापारिक एवं व्यावसायिक श्रेणी व्यवस्था पर प्रकाश पड़ता है।
ग्वालियर प्रशस्ति: इसमें गुर्जर-प्रतिहार वंश का इतिहास दिया गया है और उस समय की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था का उल्लेख मिलता है।
अशोक मौर्य ने आजीवक सम्प्रदाय के लिए बिहार की बराबर पहाड़ियों में और दशरथ मौर्य ने नागार्जुनीय पहाड़ियों में गफाएँ बनाकर दान में दी थी जिनका उल्लेख गुहा अभिलेखों में मिलता है। इनके अलावा मूर्ति अभिलेख भी मिलते हैं जो विशेषकर गुप्तों के काल के हैं।
(2) न्यूमसमेटिक – (मुद्राशास्त्र)
सिक्के: इन्हें प्रामाणिक स्त्रोत माना जाता है। इनका अध्ययन न्यूमसमेटिक शाखा में किया जाता है। इनसे तत्कालीन समय की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, व्यापारिक जानकारी के साथ-साथ वंशावली, उपाधियाँ, भाषा एवं लिपि, देवी-देवताओं की मान्यताएँ आदि की जानकारी मिलती है। ये साहित्यिक ग्रंथों को प्रमाणित करने वाले सबसे अच्छे साक्ष्य माने जाते हैं। भारत में पाये जाने वाले सबसे पहले सिक्के ‘आहत् सिक्के‘ माने जाते हैं। जिनमें देवी-देवताओं, पश-पक्षियों आदि के चित्र उत्कीर्ण हैं। ये सामान्यतः चाँदी के होते थे। ऐतिहासिक जानकारी के लिए इनका विशेष महत्त्व नहीं है। भारत में सबसे पहले मुद्रांकित सिक्के शकों ने चलाये जो चांदी के थे। सोने के सिक्के कुषाणों के द्वारा चलाये गये। कुषाणों का अधिकांश इतिहास तो सिक्कों द्वारा ही निर्मित होता है। अभी तक विभिन्न प्रकार के और भारी मात्रा में जो सिक्के मिले हैं वे गुप्तों के हैं। पूर्वमध्यकालीन भारत में सिक्के बहुत कम मिलते हैं जिनका अर्थ यह लगाया जाता है कि उस समय विदेशी व्यापार की अवनति हो गयी थी।
(3) तास-पत्र: ताम्र-पत्र प्रांतीय प्रशासन की अथवा स्थानीय प्रशासन की जानकारी देते हैं। इनका सम्बन्ध भमिदान से था। भारत में सबसे पहले भूमिदान सातवाहनों के द्वारा किया गया। लेकिन बाद में गुप्तों तक आते-आते यह बहुत बड़े स्तर पर प्रचलित हो गया। इसी से सामन्तवादी प्रथा का उद्भव हुआ।
प्रश्न: विविधता में भारतीय भौगोलिक एकता की भावना के विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर: आजकल ये धारणा प्रायः प्रचलित मिलती है कि भारतीयों को अपने देश की भौगोलिक एकता का भान ब्रिटिश काल में हुआ पंरतु यह मान्यता निराधार है। भारत में अति प्राचीन काल से ही भारतीय प्रजा की भौगोलिक और सांस्कृतिक एकता को निर्विवाद रूप से स्वीकार किया गया है। प्राचीनकाल में यह देश भारतवर्ष के नाम से विख्यात था और यहां के निवासी भारतीय कहे जाते थे। डा. राधाकुमुद मुखर्जी ने कहा है ‘‘प्राचीनकाल में इस समस्त प्रदेश का एकनाम से पुकारा जाना ही यह सिद्ध करता है कि प्राचीन भारतीय इसकी मूलभूत भौगोलिक एकता से परिचित थे।
अति प्राचीन समय से यहां भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, वेशभूषा तथा आचार-विचार के लोग निवास करते रहे हैं। इतनी विविधता होने के बावजूद भी देश में न केवल भौगोलिक एकता वरन् सामाजिक-सांस्कृतिक एकता प्राचीन काल से ही थी। जिसे निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट किया जा सकता है-
प्राचीन काल में यह देश भारतवर्ष तथा यहां के निवासी भारतीय संतति कहलाते थे। देश की समान प्राकृतिक सीमाओं ने यहां के निवासियों के मस्तिष्क में समान मातृभूमि की भावना को जागृत किया और भौगोलिक एकता का विचार यहां सदैव बना रहा। जिसने देश के राजनैतिक आदर्श को प्रभावित किया है।
सांस्कृतिक एकता अधिक सुस्पष्ट रही है लेकिन यदि हम प्राचीनकाल से ही भारतीयों के भौगोलिक एकता के बारे में ज्ञान की जानकारी प्राप्त करे तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे सम्पूर्ण भारत को आज की भाँति ही जानते थे।
ऋग्वैदिक काल में आर्यों का भौगोलिक ज्ञान सप्त सिन्धु (उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों) तक सीमित था पूर्व दिशा में उनका ज्ञान गंगा-यमुना तक सीमित था क्योंकि इन नदियों का उल्लेख एक दो स्थानों पर हुआ हैं। दक्षिण भारत से तो उनका परिचय बिल्कुल नहीं था। ऋग्वेद के एक मंत्र में आर्यों ने देश की भूमि को माता और स्वयं को उसका पुत्र माना। अतः दुस भारत भूमि की एकता के प्रति आर्यों की भक्ति भावना की प्रथम अभिव्यक्ति कहा जा सकता है। उत्तर वैदिक काल का भारत भूमि से परिचय बढ़ा। शतपथ ब्राह्मण में वे बिहार की सदानीरा नदी से आगे बढ़ते दिखाई देते हैं। मनस्पति आर्य क्षेत्र के क्रमिक विस्तार की स्मृति सुरक्षित है। इसमें ब्रह्मवर्त (सरस्वती) ब्रह्मर्षि (कुरू क्षेत्र, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन) मा देश (जिसके उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विन्धयाचल व पश्चिमी में राज.) तथा मगध का उल्लेख है।
पाणिनि के समय आर्यावर्त की अवधारणा उभरी। इसमें कहा गया कि जो हिमालय, विन्धय पर्वत और पश्चिमी तथा पती समुद्रों से घिरा है वह आर्यावर्त है। बौद्ध साहित्य में सूत्तनिपात में दक्षिणापथ शब्द का उल्लेख आया है जो विन्ध्य के दक्षिणी भाग को इंगित करता है। पाणिनि के भाष्यकार कात्यायन ने अपनी कृति में पाण्ड्यों और चोलो का उल्लेख किया है। मौर्य साम्राज्य की स्थापना से भौगोलिक ज्ञान के क्षेत्र में विशेष प्रगति हुई। अशोक के शिलालेख न केवल सम्पर्ण भारत में मिलते हैं बल्कि उत्तर पश्चिमी प्रदेशों तक पाये जाते हैं। इनमें सुदूर दक्षिणी राज्यों का भी उल्लेख किया गया है जो भारत खण्ड में ही अवस्थित थे। इससे यह प्रमाणित होता है कि इस समय तक लोगों को भारत के संदर्भ में एक देश का भौगोलिक ज्ञान हो चुका था।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कहा गया है कि ‘‘हिमालय से लेकर समुद्र तक हजार योजन विस्तार वाला भाग चक्रवर्ती राजा का शासन क्षेत्र होता है।‘‘ रामायण एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों और पुराणों में भारत के भूगोल का विस्तृत परिचय मिलता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि ‘‘समुद्र के उत्तर एवं हिमालय के दक्षिण में स्थित भूखण्ड का नाम भारत है और उसमें रहने वाली जनता भारतीय है। प्राचीन काल में भारत की भौगोलिक एकता की भावना की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति कालिदास के ग्रंथों में हुई है। रघुवंश में कालिदास अपने रघु के साथ दिग्विजय के दौरान समस्त भारतवर्ष की परिक्रमा करता है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics