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enzyme kinetics in hindi , एंजाइम गतिकी किसे कहते हैं , विकर गतिकी से क्या तात्पर्य है समझाइये

पढ़िए enzyme kinetics in hindi , एंजाइम गतिकी किसे कहते हैं , विकर गतिकी से क्या तात्पर्य है समझाइये ?

विकरों के प्रकार (Classification of enzymes)

उपर्युक्त तालिका-1 में दर्शायेनुसार, डिक्सन एवं वेब (Dixon and Webb) ने विकरों को निम्न छः मुख्य वर्गों में बांट है-

  1. आक्सीडोरिडक्टेज (Oxidoreductases)

आक्सीडोरिडक्टेज (oxidoreductase) वर्ग में उन विकरों को रखा गया है जो कि उपचयन-अपचयन अभिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं अर्थात यह कोशिका श्वसन से सम्बन्धित होते हैं। इस वर्ग में डीहाइड्रोजिनेज (dehydrogenase) ऑक्सीडेज (oxidase) विकरों को सम्मलित किया गया है। डीहाइड्रोजीनेज के अन्तर्गत सक्सिनेट, मैलेट, ग्लूटामेट आइसोसिट्रेट डीहाइड्रोजीनेज आते हैं। यह NAD एवं NADP जैसे हाइड्रोजन ग्राही विकरों के साथ सम्मलित होकर आक्सीकरण में भाग लेते हैं।

एल्कोहॉल + NAD +            एल्कोहॉल /डिहाइड्रोजिनेज           एल्डीहाइड / कीटोन + NADH+H

  1. ट्रान्सफरेज (Transferases)

इस प्रकार के विकर विभिन्न समूहों को स्थानान्तरित करते हैं जैसे किसी दाता अणु क्रियाधार से ग्राही अणु को एक कार्बन समूह अथवा फास्फेट समूह का स्थानान्तरण ।

AB + C = AC + B

उदाहरण : ग्लूटामिक अम्ल + ऑक्सेलोएसिटिक अम्ल एस्पार्टेट अमीनो a – कीटोग्लूटरिक अम्ल ऐस्पार्टिक अम्ल

ट्रांसफरेज

  1. हाइड्रोलेज (Hydrolases)

इस वर्ग में उन विकरों को सम्मिलित किया गया है जो कि विभिन्न जल अपघटनी (hydrolytic) अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं जिसमें जल का अणु योजित होता है। इस समूह के विकर एस्टर सहलग्नता (linkage), ग्लाइकोसाइडिक बन्ध एवं पेप्टाइड बन्ध का जल अपघटन करने में प्रयुक्त होते हैं।

AB + H2 O  – AH + BOH

ईस्टरेज, कार्बोहाइड्रेज, प्रोटिएज, एमाइलेज एवं फास्फेटेज विकर इस समूह में आते हैं।

C12 H22O11 + H2O(सुक्रोज)/ इंवर्टेज’ C6H12O6 + C6H12

(सुक्रोज)                 (ग्लूकोज)              (फ्रक्टोज)

  1. लायेज (Lyases)

यह विकर द्विबन्धों में किसी समूह के संयोजन (addition) को उत्प्रेरित करते हैं अथवा इसका विपरीत (-) प्रभाव भी होता है। इस वर्ग में डीकार्बोक्सिलेज, एल्डोलेस इत्यादि सम्मिलित है।

PEP + CO2 → आक्सेलोएसिटिक अम्ल

फ्रक्टोज – 6- डाइफॉस्फेट  – डाइहाइड्रोक्सी एसीटोन फास्फेट + ग्लिसरेल्डिहाइड 3- फास्फेट

  1. आइसोमरेज (Isomerase)

इस वर्ग के विकर समावयवीकरण (isomerization) में प्रयुक्त होते हैं। इस में एपिमरेज आइसोमरेज एवं अन्य विकर सम्मलित हैं।

ग्लूकोज – 6- फॉस्फेट/ फॉस्फोहेक्सोज/ आइसोमरेज → फ्रक्टोज 6-फॉस्फेट

6.लाइगेज (Ligases)

ये विकर उन अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते है जिनमें दो अणुओं (C-C, C – N, CS, CO आदि) के जुड़ने के साथ ATP अथवा अन्य ट्राइफास्फेट अणुओं का विघटन (breakdown) भी होता है। उदाहरण – थायोकाइनेज (thiokinase), DNA पॉलीमरेज इत्यादि।

ऐस्पर्टिक अम्ल + NH3 + ATP ऐस्पर्जिन/ सिंथेटेज ऐस्पार्जिन +AMP+ iPP

विकरों के गुण (Characteristics of enzymes )

1.प्रोटीन प्रकृति (Proteinaceous nature)

सभी विकर प्रोटीन से बने होते हैं।

  1. अणु भार (Molecular weight)

विकर उच्च अणुभार के होते हैं। उदाहरण- परऑक्सीडेज़ (peroxidase), कैटालेज़ (catalase), एवं यूरीऐज़ (urease) का अणु भार क्रमश: 40,000, 250000 तथा 483000 होता है।

  1. कोलॉयडी प्रकृति (Colloidal nature)

सभी विकर रासायनिक रूप से कोलॉयडी प्रकृति के होते हैं। इसी कारण ये रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए अपेक्षाकृत अधिक पृष्ठीय क्षेत्रफल प्रदान करते हैं।

  1. उभयधर्मी प्रकृति (Amphoteric nature)

बाह्य विलयन की अम्लता के आधार पर यह अम्ल अथवा क्षार की तरह आयनीकरण में सक्षम होते हैं। इनमें कम क्षारीय विलयन में H+ आयन प्रदान करने वाले तथा कम अम्लीय विलयन में OH आयन प्रदान करने वाले समूह उपस्थित होते हैं। इस प्रकार अम्ल व क्षार दोनों की भांति व्यवहार करने की प्रकृति उभयधर्मी प्रकृति कहलाती है।

  1. उत्प्रेरक गुण (Catalytic properties)

विकर अल्प मात्रा में भी बहुत अधिक सक्रिय होते हैं। उदाहरण के लिए कैटालेज (catalase) का एक अणु ही परऑक्साइड (peroxide) के 5,000,000 अणुओं के परिवर्तन (conversion) में सहायक होता है। परन्तु अभिक्रिया के अन्त में विकर अपरिवर्तित रहता है।

  1. अभिक्रिया की उत्क्रमणीयता (Rerversibility of reaction)

उत्प्रेरक की भांति ही विकर भी किसी रासायनिक क्रिया को किसी भी दिशा अर्थात सीधे अथवा उसके विपरित दिशा में त्वरित करते हैं। उदाहरण –

C2H5OH  एल्कोहॉल डीहाइड्रोजीनेज (Alcohol dehydrogenase) CH3CHO + NAD + H+

  1. सक्रियण (Activation)

कभी-कभी विकर के विलयन में किसी पदार्थ के डालने पर विकर की उत्प्रेरकता बढ़ जाती है। इसे विकर सक्रियण (enzyme activation) कहते हैं। उत्प्रेरकता बढ़ाने वाले पदार्थ को सक्रियकारक (activator) कहते हैं ।

  1. विशिष्टता (Specificity)

विकर, क्रियाधार विशिष्ट होते हैं। विकरों का यही गुण कोशिका के क्रमिक (orderly) उपापचयन को बनाये रखता है। परन्तु इनकी विशिष्टता में विभिन्नता पायी जाती है। विकरों में विशिष्टता निरपेक्ष (absolute) होती है अर्थात ये केवल एक ही क्रियाधार पर क्रिया करते हैं तथा समूह विशिष्टता (group specificity) भी पायी जाती है। समूह विशिष्ट विकर, कुछ विशेष समूह युक्त कई क्रियाधारों पर क्रियाशील होते हैं। ये त्रिविमितीय विशिष्टता (stereospecificity) भी दर्शाते है। अर्थात ये किसी विशेष प्रकार के प्रकाशीय समावयव (optical isomer) के प्रति अनुराग रखते हैं। कुछ विकर सममीतिय अणुओं (symmetrical molecules) में एक समान रासायनिक समूहों को विभेदित (distinguish) कर लेते हैं।

विकर – क्रियाधार संकुल (enzyme substrate complex) की प्रकृति को समझने के लिए विकर की विशिष्टता का ज्ञान होना अतिआवश्यक है। उच्च विशिष्टता दो संरचनाओं के बंधनी स्थल (binding site) के जुड़ने की अधिक संभावनाओं को व्यक्त करती है। अभिक्रियाधार अणुओं के विशिष्ट समूहों अथवा क्रियाधारों को अलग-अलग समूहों से बदलकर कार्यशील समूहों का पता लगाना संभव है।

एन्जाइम गतिकी (Enzyme kinetics)

एल्बर्ट एल. लेहनिन्गर (Albert L. Lehninger) के अनुसार अभिक्रियाओं की दर का अध्ययन तथा प्रायोगिक मापदण्ड (experimental parameters) में परिवर्तन के कारण इन क्रियाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन गतिकी (kinetics) कहलाता है। विभिन्न घटकों (factors) में परिवर्तन के कारण एन्जाइमों द्वारा उत्प्रेरित (catalysed) होने वाली क्रियाओं की दर में परिवर्तन का अध्ययन एन्जाइम गतिकी (enzyme kinetics) के अन्तर्गत किया जाता है। एन्जाइमों द्वारा प्रेरित गतियाँ को प्रभावित करने वाले मुख्य घटक में से एक क्रियाधार (substrate) है जो अभिक्रिया की दर (rate) को प्रभावित करता है।

एक माइक्रोमोल (1pmol) क्रियाधार (substrate) प्रति मिनट की दर से रूपान्तरण के लिए आवश्यक एन्जाइम की मात्रा, एन्जाइम इकाई (Enzyme unit) कहलाती है।

एन्जाइम इनवर्टेज़ (Invertase) द्वारा शर्करा के जल अपघटन का अध्ययन करते समय लिओनॉर माइकेलिस (Leonor Michaelis) तथा मॉड मेन्टन (Moud Menten) ने 1913 में एन्जाइम गतिकी के सिद्धान्त को प्रस्तुत किया।

इन्होंने बताया कि क्रियाधारा अणु (substrate molecule) के संलग्न होने के लिए निश्चित सक्रिय स्थल (active site) होते हैं। इस सक्रिय स्थल पर एन्जाइम तीव्र अभिक्रिया द्वारा क्रियाधार (substrate) के साथ कमजोर बंध संकुल बनाता है तथा यह संकुल एक धीमी अभिक्रिया (slow reaction) द्वारा उत्पाद मुक्त करने वाले एन्जाइम में बदल जाता है।

E+S           तीव्र (Fast)   ES        मंद (Slow) E+P

E = एन्जाइम, S = क्रियाधार, P = उत्पाद, ES = एन्जाइम क्रियाधार संकुल

एन्जाइम उत्प्रेरित तंत्र द्वारा प्रदर्शित गतिकी माइकेलिस मेन्टन गतिकी (Michaelis Menten kinetics) कहलाती है। वास्तव में यह अभिक्रिया वेग (reaction velocity = v) तथा क्रियाधार सान्द्रता S (substrate concentration =s) के बीच का सम्बन्ध है जिनके मध्य का आलेख (graph) संतृप्ति आलेख (saturation plot) कहलाता है क्योंकि जब एन्जाइम क्रियाधार से संतुष्ट हो जाता है तो अभिक्रिया की दर क्रियाधार सान्द्रता से स्वतन्त्र हो जाती है।

इस प्रकार संतृप्ति गतिकी (saturation kinetics) से प्रदर्शित होता है कि साम्य अवस्था ( equilibrium process) सीमाकारी अवस्था क़ी पूर्वावस्था है। इस प्रकार जैसे-जैसे क्रियाधार की सान्द्रता बढ़ती जाती है, एक बिन्दु पर आकर सभी एन्जाइम अणु ES (एन्जाइम – क्रियाधार) संकुल बना लेते हैं अर्थात् एन्जाइम क्रियाधार से सन्तुष्ट हो जाते हैं। चूँकि अभिक्रिया की दर ES की सान्द्रता पर निर्भर करती है अतः अभिक्रिया दर और अधिक नहीं होगी क्योंकि ES की सान्द्रता में एन्जाइम्स की अनुपलब्धता (unavailability) के कारण वृद्धि नहीं होगी। जब किसी एन्जाइम को क्रियाधार की अत्यधिक मात्रा के साथ मिलाया जाता है, साधारणतया मिली सैकण्ड्स के अति सूक्ष्म समय में एन्जाइम – क्रियाधार संकुल तथा मध्यस्थों (intermidiates) का एक स्तर तक निर्माण होता है। यह पूर्व स्थिर अवस्था काल (pre-steady-state period) कहा जाता है। एक बार मध्यस्थ (intermediate) स्तर बनने के बाद ये तुलनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं जब तक कि क्रियाधार पूर्णतः समाप्त नहीं होते, यह काल स्थिर अवस्था या विश्राम अवस्था (steady state) कहलाती है।

सामान्यतः एन्जाइम गतिकी के मान स्थिर अवस्था (steady state) के दौरान ही मापे (measure) जाते हैं। एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं की गतिकी को निम्नलिखित माइकेलिस मेन्टन समीकरण (Michalis – Menten equation) द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।

V = Vmax[S] K+ [S]

जहाँ = दर या वेग (मोल / लीटर / सैकण्ड),

Vmax = अधिकतम वेग (क्रियाधार की अधिकतम सान्द्रता पर )

तथा Km = स्थिरांक है जो साधारणतया मोलरता के रूप में लिया जाता है तथा एक विशिष्ट एन्जाइम क्रियाधार तंत्र का लाक्षणिक गुण है। Km, एन्जाइम को आधा सन्तुष्ट करने के लिए आवश्यक क्रियाधार की मात्रा को प्रदर्शित करता है।

Km = S, जब v = 1/2Vm

अधिकांश कोशिकीय तंत्रों में सामान्यतः क्रियाधार सान्द्रता Km के लगभग समान होती है। Km का मान जितना कम होगा उतनी ही दृढ़ता के साथ एन्जाइम क्रियाधार से बन्ध बनाता है। Km के प्रारूपिक मान 106 से 103 M के बीच होते हैं।

माइकेलिस एवं मेन्टन (Michaelis and Menten) समीकरण द्वारा प्रायोगिक मानों से (experimental data) से Vmax तथा Km के मान ज्ञात किये जा सकते हैं।