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विद्युत अपघटनी सेल क्या है , प्रक्रिया , एनोड कैथोड , विद्युत अपघटन सैल (electrolytic cell in hindi)

(electrolytic cell in hindi) विद्युत अपघटनी सेल क्या है , प्रक्रिया , एनोड कैथोड , विद्युत अपघटन सैल : वह सेल जो विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है , उसे विद्युत अपघटनी सेल कहते है , तथा विद्युत ऊर्जा को रासायनिक उर्जा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को विद्युत अपघटन कहते है।
जब रिचार्ज होने वाले सेल जैसे मोबाइल की बैटरी आदि को पुन: रिचार्ज करने के लिए विद्युत धारा से जोड़ा जाता है तो उस स्थिति में यह सेल विद्युत अपघटनी सेल कहलाता है क्यूंकि इस सेल में विद्युत धारा को पुन: रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है और जरुरत होने पर इसका उपयोग किया जा सकता है।
किसी भी सेल में ऑक्सीकरण और अपचयन की क्रियाएं साथ साथ चलती है इसलिए हम कह सकते है कि किसी विद्युत अपघटनी सेल में ऑक्सीकरण और अपचयन की क्रियाओं को शुरू करने के लिए विद्युत धारा या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यही विद्युत ऊर्जा इस सेल द्वारा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
“जो सेल विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है उस सेल को विद्युत अपघटनी सेल कहा जाता है। ”

विद्युत अपघटनी सेल कैसे कार्य करता है ?

इसमें एक पात्र होता है जो कांच आदि जैसे कुचालक का बना होता है , इस पात्र में उचित मात्रा में विद्युत अपघट्य का विलयन लिया जाता है।
इस विद्युत अपघट्य विलयन में दो धातु की बनी हुई छड डूबी हुई रहती है , दोनों दोनों धातु की छड़ो को इलेक्ट्रोड कहते है।
इन दोनों इलेक्ट्रोड को तार से सहायता से बैटरी के सिरों से जोड़ा जाता है।
कैथोड और एनोड इलेक्ट्रोड : जो इलेक्ट्रोड बैट्री के धन सिरे से जोड़ा जाता है उसे एनोड कहते है तथा जो इलेक्ट्रोड बैट्री के ऋण सिरे से जोड़ा जाता है उस इलेक्ट्रोड को कैथोड इलेक्ट्रोड कहते है।
विद्युत अपघट्य पदार्थ , विलयन में अपने आयनों में अर्थात धन आयन और ऋण आयन में वियोजित हो जाता है , अर्थात विद्युत अपघट्य विलयन में आयन होते है जो गति करने के लिए मुक्त रहते है।  एनोड को बैट्री के धन सिरे से जोड़ा जाता है इसलिए यह धन आवेशित हो जाता है तथा चूँकि कैथोड बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ा जाता है इसलिए यह ऋण आवेशित रहता है अर्थात विद्युत अपघटनी सेल में एनोड धनावेशित रहता है और कैथोड ऋणावेशित रहता है।
अब जब विलयन में धारा प्रवाहित की जाती है तो जो विलयन में उपस्थित धन आयन और ऋण आयन विपरीत इलेक्ट्रोडो की तरफ गति करते है अर्थात धन आयन कैथोड की तरफ गति करता है और ऋण आयन एनोड की तरफ गति करता है।
ऋण आयन एनोड पर अपना इलेक्ट्रॉन त्याग देता है और दूसरी तरफ धन आयन कैथोड पर पहुचकर इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है और इस प्रकार दोनों आयन उदासीन हो जाते है और पुन: अणु में परिवर्तित हो जाते है।
अर्थात एनोड पर ऑक्सीकरण अभिक्रिया होती है क्यूंकि यहाँ इलेक्ट्रॉन मुक्त किया जाता है और कैथोड पर अपचयन अभिक्रिया होती है क्यूंकि यहाँ इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है।
अर्थात ऑक्सीकरण अभिक्रिया निम्न होती है –
X –> X + e
तथा
अपचयन अभिक्रिया निम्न होती है –
Y+ + e –> Y
यहाँ दोनों ही स्थितियों में ही X और Y आयन उदासीन होकर अणु (X और Y) में परिवर्तित हो जाते है।
यह इसलिए हुआ क्यूंकि बैटरी के द्वारा सेल को विद्युत धारा दी गयी , अत: यह ऐसा सेल होता है जो विद्युत धारा को रासायनिक धारा में परिवर्तित कर देता है।