(electric discharge gas tube in hindi) विद्युत विसर्जन नलिका , गैस विद्युत विसर्जन , गैसों में विद्युत विसर्जन : गैस के विद्युत विसर्जन का बहुत अधिक महत्व होता है , इसकी सहायता से परमाणु के बारे में कई जानकारी मिलती है तथा इसके अलावा इसका उपयोग करके लाइट (प्रकाश/चमक) उत्पन्न की जाती है , अर्थात इसका उपयोग क्र विभिन्न प्रकार के लैंप बनाये जाते है साथ ही कई रंग का प्रकाश वाला लैंप भी आसानी से बनाया जा सकता है।
कम दाब और कम विभवान्तर पर गैस विद्युत की कुचालक की तरह व्यवहार करती है इसका कारण यह है कि कम दाब और कम विभंवातर पर गैस में कोई भी मुक्त धनायन या ऋणायन उपस्थित नहीं होते है जिससे गैस में विद्युत का चालन संभव नहीं होता है।
कम दाब और कम विभवान्तर पर गैस विद्युत की कुचालक की तरह व्यवहार करती है इसका कारण यह है कि कम दाब और कम विभंवातर पर गैस में कोई भी मुक्त धनायन या ऋणायन उपस्थित नहीं होते है जिससे गैस में विद्युत का चालन संभव नहीं होता है।
गैस में विद्युत विसर्जन (electric discharge through gas)
सामान्य ताप तथा दाब पर जब लगभग एक सेंटीमीटर पर रखे दो एलेक्ट्रोड़ पर उच्च विभवान्तर आरोपित किया जाता है इन दोनों इलेक्ट्रोड के बीच में विद्युत प्रवाह चिंगारियों के रूप में होने लगता है , गैस में इस प्रकार के विद्युत प्रवाह को विद्युत विसर्जन कहते है।
यहाँ उच्च विभंवातर का तात्पर्य है कि दोनों एलेक्ट्रोड़ के मध्य लगभग 20 Kv या इससे अधिक का विभवान्तर स्थापित करने आवश्यक है तभी गैस में विद्युत विसर्जन संभव है। क्यूंकि कम विभवान्तर पर गैस कुचालक की तरह व्यवहार करती है।
गैस में विद्युत विसर्जन देखने के लिए हम निम्न प्रयोग करते है –
चित्रानुसार एक विसर्जन नलिका लेते है और इसके दोनों सिरों पर बहुत अधिक मान का विभंवातर स्थापित करते है , जब दाब का मान बहुत कम होता है तो नलिका में कोई विसर्जन नहीं होता है।
लेकिन जैसे जैसे दाब को बढाया जाता है तो नलिका के अन्दर चमक उत्पन्न होने लगती है और धीरे धीरे और अधिक दाब बढाने पर इस चमक का मान अधिक होता जाता है , लगभग 10 मिमी (Hg) दाब पर नली में एक इलेक्ट्रोड से दुसरे एलेक्ट्रोड़ की तरफ टेढ़ी मेढ़ी लाल रंग की चिंगारी चलती हुई दिखाई देने लगती है और चट-चटाने की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देने लगती है।
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