dna protein interaction notes in hindi , डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रिया क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं
पढ़िए dna protein interaction notes in hindi , डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रिया क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं ?
डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रिया (DNA-Protein Interaction)
जीवों में डीएनए तथा प्रोटीन दो अत्यन्त महत्वपूर्ण जैविक अणु होते हैं। इनमें डीएनए में आनुवंशिक सूचना का समावेश रहता है तो प्रोटीन्स जैविक प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने व नियंत्रित करने में सहायक है। यही कारण है कि डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रियायें जैविक प्रक्रियाओं जैसे डीएनए पुनरावृत्ति, अनुलेखन (transcription ) इत्यादि में सक्रिय रूप भाग लेते हैं।
डीएनए – प्रोटीन पारस्परिक क्रिया (DNA-Protein Interaction)
जीवों में डीएनए तथा जीन नियमन ( Gene regulation) में प्रयुक्त प्रोटीन्स के मध्य जो पारस्परिक क्रिया (interaction) सम्पन्न होती है उसे डीएनए – प्रोटीन पारस्परिक क्रिया (DNA-Protein Interac- tion) कहते हैं। डीएनए के द्विकुण्डल ( double helix) के बड़े खांच (Major groove) में यह क्रिया सम्पन्न होती है। इस पारस्परिक क्रिया के फलस्वरूप विभिन्न प्रोटीन्स डीएनए के खांच में दृढ़ता से गठबंधन बनाते हैं। यह डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रियायें केन्द्रीय जैविक प्रक्रियाओं में लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। इनमें सबसे प्रमुख प्रोटीन – कुण्डल है डीएनए के बड़े खांच इसका प्राथमिक बन्धित स्थल है।
न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम पर मौजूद सूचना (information) ही वास्तव में कोशिका का रचनात्मक प्रोग्राम है। प्रोटीन डीएनए पारस्परिक क्रिया, प्रारम्भिक तौर पर अनुवांशिक संदेश के नियमन की भावाभिव्यक्ति (regulation of expression of genetic message), से सम्बधित है। प्रोटीन डीएनए के संरचनात्मक तथ्य जैसे- द्विकुडण्ल ( double helix), उसके लक्षणात्मक गुण (characteristic features) तथा द्विकुण्डल विरुपण अथवा विकृति (distortion) डीएनए के प्रोटीन के साथ पारस्परिक क्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटीन डीएनए पारस्परिक क्रिया, जीव विज्ञान की सबसे विशिष्ट आण्विक पारस्परिक क्रियाओं का प्रमुख दृढ़ बंधन ( tightest union) है। प्रोटीन डीएनए अभिज्ञान (protein DNA recognition) का प्रत्येक उदाहरण विशिष्ट होता है। बहुत से प्रोटीन्स, जो जीन नियमन (regulation) के लिए आवश्यक व जिम्मेदार होते है, वे एक से अधिक स्थायी वलयित प्रतिरूपों (stable folding patterns) में पाए जाते हैं जिन्हे प्रोटीन अनुकल्प (proteins motifs) कहते हैं। यह प्रोटीन के स्थायी अनुकल्प डीएनए के द्विकुण्डन के बड़े खांच (major groove) में दृढ़ता से फिट हो जाते हैं। डीएनए के छोटे तान (short stretcher) क्षारक युग्मों के साथ दृढ़ बंधन बनाते हैं। प्रोटीन अनुकल्प जब डीएनए के साथ जुड़ जाता है तो इसे डीएनए बंधी अनुलेख (DNA binding motifs) कहते हैं ।
डीएनए बंधित प्रोटीन’ (DNA Binding Proteins)
डीएनए में जो सूचना निहित रहती है वह सुगठित रहती है, प्रतिकृतिकृत (पुनरावृत्त) होती है। तत्पश्चात विभिन्न प्रकार के डीएनए बंध प्रोटीन द्वारा यह सूचना पढ़ी जाती है। कुछ प्रोटीन डीएनए से निश्चित दूरी पर लम्बाई में साथ-साथ रहते है जबकि अन्य विशिष्ट अनुक्रम पर ही बंधित होते हैं जो विशिष्ट कार्यों में सलग्न रहते हैं। कुछ प्रोटीन लम्बे डीएनए अणु को दोहरा (fold) करके उनके साथ जुड़ कर निश्चित डोमेन (domains) निर्मित करते हैं। यह डीएनए पुनरावृत्ति (replication) को प्रारम्भ करते हैं तथा अन्य बहुत से जीन अनुलेख को नियंत्रित करते हैं। इस तरह प्रोटीन डीएनए के साथ बंधन कर के डीएनए बंधित प्रोटीन निर्मित करते हैं।
चित्र- 20 : जीन विनिमय प्रोटीन का डीएनए के साथ बन्धन (binding of gene regulation protein to DNA)। चित्र में एकमात्र स्पर्श (contact) दर्शाया गया है। ऐसे 10-20 स्पर्श दोनों के बीच स्थापित होते हैं जो प्रोटीन डीएनए पारस्परिक क्रिया को मजबूती प्रदान करते हैं। प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए एक स्पर्श की आवश्यकता होती है।
डीएनए बंधी प्रोटीन (binding protein ) डीएनए द्विकुण्डल के साथ युग्म बनाकर द्वितय (dimers) के रूप में गठबंधन (bind) करते हैं। प्रोटीन का द्वितयीकरण (dimerization) डीएनए के साथ सम्पर्क क्षेत्र को लगभग दुगुना कर देता है जिससे प्रोटीन डीएनए पारस्परिक क्रिया की सामर्थ्य ( strength ) तथा उसकी विशिष्टता बढ़ जाती है। दो विभिन्न प्रकार के प्रोटीन भी युग्म में जुड़कर द्वितय (dimer) बना सकते हैं। अतः द्वितयीकरण (dimerization) द्वारा यह सम्भव हो जाता है कि कई अलग-अलग डीएनए अनुक्रम, प्रोटीन की सीमित संख्या की पहचान (recognised) कर सकते हैं।
जीन नियमन प्रोटीन (Gene Regulatory Protein)
वह प्रोटीन जो डीएनए के साथ गठबंधन करते हैं उन्हें जीन नियमन प्रोटीन (Gene regulatory proteins) कहते हैं। डीएनए नियमन अनुक्रम (regulatorry DNA sequence) लगभग सभी जीनों, प्रोकेरियोट तथा यूकेरियोट में उपस्थित होते हैं जिसका कार्य जीन के लिए स्विच को खोलने व बन्द करने का होता है।
आज लगभग 100 डीएनए नियमन अनुक्रमों (regulation DNA sequence) की पहचान हो गयी है। प्रत्येक एक या अधिक जीन, नियमन प्रोटीन द्वारा मान्यता प्राप्त (recognised) हैं। प्रोटीन, जो विशिष्ट डीएनए अनुक्रम की पहचान करता है वो इसलिए कर पाता है कि प्रोटीन की सतह डीएनए के द्विकुण्डलन की बड़ी खांच (major groove) प्रदेश में अच्छी तरह दृढ़ता से फिट ( tightly fit) हो जाती है। यह न्यूक्लियोटाइड अनुलेख के अनुसार भिन्नता (vary) प्रदर्शित करती है जिससे अलग-अलग प्रोटीन विभिन्न प्रकार के न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम की पहचान कर पाने में सफल होते हैं। अधिकतर मामलों (cases) में यह डीएनए द्विकुण्डल के बड़े खांच (major groove) में निवेशित (insert) होते हैं तथा क्षारक युग्म द्वारा आण्विक सम्पर्क बनाकर एक श्रंखला (series) का निर्माण करते हैं।
यह निम्न बंध (bond) द्वारा डीएनए के साथ डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रिया करके जुड़ते हैं-
(1) हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen bond),
(2) आयनिक बन्ध (Ionic bond),
(3) जल विरागी पारस्परिक क्रिया (Hydrophobic interactions)
यह प्रोटीन्स क्षारकों के किनारों पर इस तरह जुड़ते हैं कि उनके मध्य स्थित हाइड्रोजन बंध (bond) को कोई हानि नहीं होती तथा यह क्षारकों के युग्मों को अच्छी तरह बाँधे रखता है। यह सम्पर्क कमजोर होता है, परन्तु यह सम्पर्क प्रोटीन डीएनए अन्त्यावस्था (interphase) पर 20 स्थानों पर होने से यह बंधन बहुत विशिष्ट व मजबूत हो जाता है।
प्रोटीन तथा डीएनए के बीच विशिष्ट पारस्परिक क्रिया के आण्विक आधार (molecular basis) पर अत्यधिक अध्ययन हो चुका है। डीएनए के विशिष्ट अनुक्रम बंधी (binding) प्रोटीन प्रतिलिपिकरण (replication), पुनर्नियोजन (recombination), तंतु कैंची (strand scissors) व अनुलेख (transcription) में संलग्न (involved) रहते हैं। यह प्रोटीन तत्पश्चात गुणसूत्र के पृथक्करण (segregation) व विभाजन अवस्थाओं (divisional stages) के दौरान क्रोमेटीन फाइबर (chromatin fibre) के नियंत्रित संघनन (controlled condensation) में संलग्न रहता है।
प्रोटीन व डीएनए कैसे आपस में पारस्परिक क्रिया में करते हैं इसको X-ray क्रिस्टलोग्राफी व एनएमआर (NMR) की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है। फुटप्रिन्ट तकनीक का इस्तेमाल 1970 में विशिष्ट डीएनए प्रोटीन बन्धन ज्ञात करने में किया जाता था।
सर्वप्रथम एक्सरे (X-ray.) क्रिस्टलोग्राफी से 10 संरचनायें 1980 तक ज्ञात हुई थी। परन्तु 20वीं सदीं तक उच्च आवर्धन (resolution) वाले डीएनए प्रोटीन सम्मिश्र (structure of DNA protein) के 240 प्रकार के संरचना ज्ञात हो चुके हैं जिनमें 220 एक्सरे क्रिस्टलोग्राफी से व 20 अन्य NMR से प्राप्त हुए हैं।
प्रोटीन के संरचनात्मक अनुकल्प (Structural Motifs of Proteins)
विशिष्ट डीएनए अनुक्रम की पहचान करने तथा उससे गठबंधन (bind) करने के लिए जीन नियमन प्रोटीन्स (Gene regulation proteins) दो प्रमुख संरचनात्मक अनुकल्पों (structural motifs) का प्रयोग करते हैं। अनुलेख HTH संरचना तथा जिंक फिंगर संरचना प्रमुख अनुलेख माने जाते हैं जो अधिकतर काम मे आते हैं। इनके अलावा कुछ अन्य अनुलेखों का भी आगे वर्णन इस प्रकार है-
(1) हेलिक्स टर्न हेलिक्स अनुलेख [Helix – Tum-Helix (HTH) motif ],
(2) जिंक फिंगर अनुलेख (Zinc Finger motif),
(3) होमियोडोमेन ( Homeodomain)
(4) हेलिक्स लूप हेलिक्स अनुलेख [Helix loop Helix (HLH) motif ],
(5) ल्यूसीन जिपर (Leucine Zippers).
प्रमुख HTH तथा जिंक फिंगर अनुलेख (motifs) हैं जो अनुक्रम विशेष डीएनए बंधित क्षेत्र में मिलते हैं। शेष वर्णित अनुलेख डीएनए मे उपस्थित अनुलेख (motif) हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर बंधित में संलग्न नहीं होते ।
प्रोटीन अनुलेख इस प्रकार हैं –
(1) हेलिक्स टर्न हेलिक्स अनुलेख [ Helix – Turn-Helix (HTH) Motif ] – यह HTH अनुलेख मुख्य रूप से बैक्टीरिया में मिलते हैं। HTH अनुलेख की संरचना में दो a कुण्डल (a helices) एक छोटे अकुण्डलित खण्ड द्वारा पृथक-पृथक रूप में मिलते हैं।
(2) जिंक फिंगर अनुलेख (Zinc Finger Motif) – जिंक फिंगर अनुलेख उच्च पादपों में मिलते हैं। इन अनुलेखों में प्रोटीन जिंक आयन ( zinc ion) पर बाह्य फंदे (out looping) के रूप में स्थित रहते हैं। जिंक आयन पर संरक्षित अमीनों अम्ल का एक छोटे समूह (small group of conserved amino acid) से जुड़े रहकर प्रोटीन का स्वतंत्र प्रान्त (independent domain) बनाते हैं। जिंक फिंगर अनुलेख निम्न दो प्रकार के होते हैं।
(i) जिंक फिंगर (Zinc Finger)
(i) स्टीरॉयड ग्राह्मी ( Steroid Receptors)
(i) फिंगर प्रोटीन (Finger protein) में जिंक फिंगर की एक श्रंखला होती है जिसका एक फिंगर इस प्रकार होता है-
Cys-X2-4-Cys X3-Phe-X,-Leu X2-His X3-His
जो अनुलेख बनता है उसका नामकरण फंदे (loop) के रूप में बाहर निकले अमीनो अम्ल के नाम पर रखा जाता है जैसे इस अनुलेख को Cys 2/His, फिंगर कहा जाता है। जिंक सिस्टीन तथा हिस्टीडीन की चतुष्फलकीय (tetrahedral) संरचना स्थित होती है। एक फिंगर में 23 अमीनो अम्ल होते हैं तथा दो फिंगर के बीच 7-8 अमीनो अम्ल मिलते हैं।
जिंक फिंगर एक सामान्य (common) डीएनए बंधी (DNA-binding) प्रोटीन है। SPI नामक सामान्य अनुलेख कारक के डीएनए बंध प्रान्त (binding domain) में 3 जिंक फिंगर मिलते हैं। ड्रोसोफिला के प्रान्त (domain) में 2 जिंक फिंगर होते हैं।
(ii) स्टीरॉयड अनुलेख ( Steroid motif) – विभिन्न यौगिक जैसे स्टीरॉयड, थायरॉयड, हारमोन, रेटीनोएक अम्ल आदि का एक छोटा अणु विशिष्ट ग्राही (spceific receptor ) के साथ जुड़कर जीन अनुलेख को सक्रिय (activate) करते हैं।
(3) होमियोडोमेन (Homeodomain) – यह अनेक डीएनए बंधी (DNA-binding) प्रोटीन्स में पाया जाने वाला संरचनात्मक अनुलेख है। इसमें तीन a- कुण्डल (a-helices) आपस में संलग्न रहते हैं। डीएनए के साथ अधिकतर हेलिक्स – 3 (Helix – 3) जुड़ते हैं
चित्र-23: होमियोडोमेन का कुण्डल जो डीएनए के बड़े खांच में बन्धित हैं तथा डीएनए के द्विकुण्डल से बाहर दिखाई दे रहा है। कुण्डल दोनों फॉस्फेट्स तथा विशिष्ट क्षारों को स्पर्श (contact) करता है। N-अन्तस्थ भुजा डीएनए की छोटी खांच में स्थित रहकर और मजबूती से डीएनए प्रोटीन पारस्परिक क्रिया के फलस्वरूप दृढ़ बंधन बनाते हैं।
(4) ल्यूसीन जिपर (Leucine Zipper ) – ल्यूसीन जिपर ऐसे प्रोटीन हैं जो उच्च जीव के जीन के दो प्रमुख नियंत्रण स्थल CAAT box तथा सर्व्वर्द्धक (enhancer) से गठबंधन (bind) करता है। ल्यूसीन की साइड चेन एक प्रोटीन से दूसरे के बीच एकान्तरित क्रम से व्यस्थित रहती है तथा तार पर कपड़े सुखाने के क्लिप जैसे दिखाई देती है। यह जिपर (चेन) समान होती है जो दो अणुओं को आपस में बांध कर रखती है। यह प्रोटीन डाइमर (Dimer) डीएनए के साथ पारस्परिक क्रिया करके जीन भावाभिव्यक्ति का नियमन (regulation of gene expression) करती है। पहले यह प्रोटीन 10 ऐमीनो अम्ल युक्त छोटे पेप्टाइड के बने होते थे जो छोटे जीन द्वारा विनिर्दिष्ट (specified) थे तथा सम्भवतया आरएनए से बने थे। ये आज के एक्सॉन (exons) के पूर्वज (forerunner) थे जो कालान्तर में एक्सॉन (exon) में परिवर्तन व उत्परिवर्तन द्वारा जटिल ( complex) हो गए।
चित्र-24: ल्यूसीन जिपर अनुलेख (Leucine Zipper Motif), यह डीएनए बन्धित (DNA-Binding) अनुलेख दो भिन्न प्रोटीन से प्राप्त दो a- कुण्डल (a- helix from two different proteins) से बनते हैं।
ल्यूसीन जिपर अनुलेख (Leucine Zipper Motif)
डीएनए से जुड़ने वाले बन्धीय प्रोटीन में मुख्यतया निम्न दो विशेषताएँ होती हैं-
(1) डीएनए समान कुण्डलीय प्रदेश
(2) दो प्रोटीन्स के द्वितयीकरण द्वारा द्वितय (dimer by dimerization) निमार्ण में सक्षम होना अर्थात् प्रोटीन के द्वितय रूप में मिलना। यह दोनों ही गुण Helix-loop Helix प्रोटीन्स में प्रदर्शित होते हैं जो एक ही प्रकार के अनुलेखों ( sequences motifs) का उपयोग करते हैं। 40-50 अमीनों अम्ल के तान में दो उभयसंवेदी (amphipathic) a- कुण्डल एक फंदे (loop) द्वारा पृथक् (separate) रहते हैं। इस फंदे की लम्बाई भिन्न-भिन्न हो सकती है। HLH प्रोटीन्स में HLH अनुलेख के पास एक उच्च क्षारीय स्थान होता है जो डीएनए के साथ जुड़ने योग्य होता है ।
DNA प्रोटीन पास्परिक क्रिया के कार्य (Function of DNA Protein Interaction )
(1) अनुलेख अथवा ट्रांसक्रिप्सन (transcription) कारक अनुलेखन समारम्भन (initiation) को बढ़ाता है। यह कार्य डीएनए के आधारीय उपकरण (basal apparatus) में प्रोटीन डीएनए पास्परिक क्रिया के दौरान अन्य अनुलेख कारकों जैसे प्रोटीन अनुकल्प (protein motif) के साथ मिलकर होता है। अनुलेख की दर बढ़ाने के लिए यह सम्पर्क (contact ) जैसे प्रोटीन डीएनए बंध, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष (direct and indirect) होता है तथा इसके लिए आरएनए पॉलीमरेज (RNA polymerase) की आवश्यता नहीं होती है ।
(2) प्रोटीन डीएनए बंध, प्रोटीन डीएनए पास्परिक क्रिया के फलस्वरूप कोशिका विभाजन (cell division) के दौरान डीएनए को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन्हें क्षतिग्रस्त होने से बचाने का कार्य करते हैं। मनुष्य के गुणसूत्रों के डीएनए अत्यधिक लम्बे होते हैं। अतः इस प्रकार के लम्बे डीएनए के क्षतिग्रस्त होने की पूरी संभावना होती है परन्तु डीएनए के गुणसूत्रों में सुरक्षित रहने से ये क्षतिग्रस्त नहीं होते ।
(3) डीएनए प्राटीन पारस्परिक क्रिया प्राथमिक तौर पर जीन क्रिया के नियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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