पृथ्वी के घनत्व का वितरण क्या है समझाइये Distribution of Density of Earth in hindi
Distribution of Density of Earth in hindi पृथ्वी के घनत्व का वितरण क्या है समझाइये ?
पृथ्वी के घनत्व का वितरण
(Distribution of Density of Earth)
पृथ्वी वृताकार पथ पर अपने अक्ष पर परिभ्रमण करती है तथा इसका औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति सेन्टीमीटर है। इसका घनत्व पृथ्वी पर पाई जाने वाला सम्पूर्ण चट्टानों से अधिक है। महाद्वीपों के आधार तल में चट्टाने फैली है उनका घनत्व 2.8 है तथा पृथ्वी पर फेल हुए भारी आग्नेय चट्टानों का घनत्व 3 से अधिक नहीं है। आन्तरिक भाग में घनत्व वृद्धि का मुख्य कारण ऊपरी भार के कारण ही हो सकता है, परन्तु इसमें कुछ ऐसे भी भारी पदार्थ है, जिनके फलस्वरूप इसका आन्तरिक घनत्व अधिक है। केन्द्रीय भागके घनत्व की जो मात्रा प्रदर्शित की जाती है वह अनिश्चित है। इसके लिए एक समीकरण प्रस्तुत किया काला जा रहा है। जिससे घनत्व निकाला जाय। यहाँ पर विभ्रमिषा (Moment of Inertia) के लिए (ब्). पृथ्वी की मात्रा के लिए (ड) तथा भूमध्यीय अर्द्धव्यास के लिए (अ) का प्रयोग किया गया है- इस प्रकार एक घनत्व वाली परिधि पर पृथ्वी की विभ्रमिषा कम लक्षित होती है जिससे यह सिद्ध होता है कि केन्द्रीय भाग में मात्रा एवं विभ्रमिषा सम्भावित घनत्व के नियमों से आयन्त्रित किया गया है। भूशैलिक तथा अन्य आधारों के अनुसार महाद्वीपीय पर्त के आधार तल का घनत्व 3.3 ग्राम/सेण्टीमीटर से अधिक नहीं है।
पृथ्वी के धरातल में रश्मियुक्त विभिन्नतामा या अद्धव्यास संवत् जैसे गुरूत्व दबाव एवं अण्डवृताकृति को निकालने के लिए विभिन्न समीकरणों का प्रयोग किया जाता है। भौकम्पिय घटनाओं के आधार पर 2900 किलोमीटर की गइराई पर एक विषम-विन्यास क्षेत्र या असमानता प्रदर्शित होती है। अशुद्ध धारणाओं के आधार पर पृथ्वी के आवरण एवं केन्द्रीय भाग इन दोनों का घनत्व स्थिर है। इस प्रकार केन्द्रीय भाग के परिचित अर्द्धव्यास और पृथ्वी के विभ्रमिषा एवं औसत घनत्व के आधार पर इसका उचित घनत्व निकाला जा सकता है। पदार्थों पर असीमित दबाव पड़ने से केन्द्रीय भाग एवं आवरण पर फैल पदार्थों का घनत्व बढ़ जाने का भी कल्पना की जाती है। इसके विपरीत यह मानने में कोई कठिनाई नहीं है कि केन्द्रीय भाग की बाह्य सीमा में घनत्व में असमानता न पाई जाती हो। इस प्रकार वास्तविक तथ्य यह मानना पड़ेगा कि घनत्व की दो विभिन्न वक्र रेखाओं के मध्यस्थ वास्तविक वक्र रेखा जो खींची जा सके वहीं घनत्व को ठीक ठीक दर्शा सकती है। इसके विषय में अत्यधिक जानकारी तभी सम्भव है जब कि कोई अन्य साध्य की कल्पना की जाय। माना कि पृथ्वी के आन्तरिक भाग में विभिन्न गहराई में कुछ ऐसा पदार्थ भरा है जिसकी रचना में कोई भी अन्तर नहीं है तथा इस में किसी भी अवस्था में कोई अन्तर नहीं होता है। यदि आन्तरिक भाग की रचना में एक समान पदार्थ नहीं हैं तो इसके मध्य भाग में हल्के पदार्थों के नीचे दबाव का घनत्व अपेक्षाकृत अधिक रहने पर घनत्व प्रवणता की न्यूनता प्रदर्शित करेगी जिससे स्पष्ट होगा कि गहराई पर। घनत्व कम है।
यह कल्पना की जा सकती है कि केन्द्रीय भाग एवं आवरण की रचना में विभिन्न प्रकार के पदार्थों का हाथ है। पपड़ी के नीचे के पदार्थ का घनत्व ठीक उतना ही हो सकता है जितना कि उस भाग का सम्भव है जिसमें च्द एवं ैद तरंगें प्रसारित होती है। यदि यह औलिभिन चट्टानें हुई तो इसका घनत्व 3.32 ग्राम/सेण्टीमीटर होगा। इसके अतिरिक्त अन्य पदार्थों से इसका सम्भावित परिणाम नहीं निकाला जा सकता है।
पृथ्वी के आवरण में एकरूपता न होने के कारण इस तथ्य का निरूपण करने में कठिनाईयां उपस्थित होती है। बुलन ने एक तरह के अतिक्रम की खोज एक समान पदार्थ से की है जिसके अनुसार उन्हान यह कल्पना की है कि 413 एवं 984 किलोमीटर के मध्यस्थ पदार्थ की रचना एवं घनत्व में अत्यधिक परिवर्तन होता है, जहाँ जेफ्रीज के अनसार 20° विषम-विन्यास से नीचे वेग में अत्यधिक वृद्धि होती है। बुलन के अनुसार प्रथम केन्द्रीय भाग में घनत्व में विभिननता पाई जाती है तथा दूसरा आन्तरिक भाग की अपेक्षा इसमें घनत्व की कल्पना 10 ग्राम प्रति सेकण्ड अधिक की जा सकती है। बुलन ने गुटनबर्ग का अनुकरण करके गहराई पर 20° विषम-विन्यास की कल्पना की है। इन्होंने यह कल्पना की है कि केन्द्रीय भाग में दबाव की मात्रा बढ़ती रहती है। कई विद्वानों ने विभिन्न घनत्व वाले पदार्थों की उपस्थिति के कारण पृथ्वी की आन्तरिक रचना में एक समान पदार्थों की कल्पना नहीं की बल्कि उन्होंने 2700 एवं 2900 किलोमीटर की गहराई पर विषम – विन्यास की कल्पना की है।
आवरण का घनत्व 3-9 ग्राम/सैन्टीमीटर है तथा मापों का अन्तर 1012-7×1012 डाइन प्रतिसेन्टीमीटर तथा च् तरंग के वेग का अन्त 8-14 किलोमीटर प्रति सेकण्ड है। इसमें केवल सिलिकेट ही संयोगिक तत्व है जिसके कारण इनमें न्यून घनत्व एवं अनुदैर्ध्य च् तरंग का वेग अत्यधिक रहता है। भशैलिक, तथ्यों से स्पष्ट होता है कि जिन चट्टानों का पदार्थ अत्यधिक गहराई से निकलता है उसमें सिलिका की सिलिका की कमी या सिलिका का कुछ न कुछ अंश के अतिरिक्त न्यून अम्लीय खनिज एवं एल्युमीनियम की मात्रा भी कम ही रहती है। इस प्रकार की चट्टानों में मुख्य रूप से लोहा एवं मैग्नीशियम सिलिकेट की मात्रा सम्मिलित रहती है जैसे फोर्सटेराइट के सरूपीय, Mg2SiO4 औलिभिन (MgFe)2SiO4 : फेलाइट Fe2SiO4 अथवा परोशित जैसे (MgFe)SiO3 घनत्व तरंगों के वेग एवं भूशैलिक रचना की दृष्टि से डयूनाइट चट्टानें जिनमें औलिभिन मुख्य रूप से रहता है उसके द्वारा पृथ्वी के आवरण के वाह्य-भाग की रचना मुख्य स्थान रखती है।
गहराई में घनत्व की जो वृद्धि जेफ्रीज के अनुसार 20° विषम-विन्यास पर होती है उसका मुख्य कारण पदार्थ की स्थिति में परिवर्तन या बहुरूप संक्रान्ति के कारण आंकी गई है जो कि 400 से 1000 किलोमीटर के मध्यस्थ होती है। बर्नल ने यह सिद्ध किया है कि उच्च दबाव पर औलिभिन्न चट्टाने तिर्यग्वर्ग से घनाका रूप में बदल जाती हैं जो कि निम्न दबाव पर स्थिर रहते है। बीर्च ने यह स्पष्ट किया है कि पृथ्वी के आवरण के निचले भाग में मुख्यतः मैग्नीशियम, सिलिकन तथा लोहा-आक्साइड का सम्मिश्रण रहता है जो कि बर्मन के द्वारा ऊपर वर्णित औलिभिन्न चट्टानों के उच्च दबाव से कम वैभिन्य रखता है। ब्रीगमैन ने उच्च दबाद 1011 डाइन प्रति सैन्टीमीटर वर्ग माना है। 300 किलोमीटर पर ऊपर वर्णित दबाव के फलस्वरूप 206 विषमविन्यास में परिवर्तन आंका जा सकता है परन्तु इसका अध्ययन सम्भव नहीं है।
महत्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
1. पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाए जाने वाले उच्च तापक्रम के प्रमाणों की जानकारी दीजिए।
2. पृथ्वी के आंतरिक की संभावित स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
3. पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाए जाने वाले ठोस और गैसीय अवस्था के प्रमाणों की जानकारी दीजिए।
4. स्वेस के अनुसार किए गए आंतरिक पर्तों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीएजि।
5. पृथ्वी आंतरिक भाग के गुणों की विवेचना कीजिए।
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. पृथ्वी की आंतरिक रचना से क्या तात्पर्य है?
2. पृथ्वी के आंतरिक भाग की द्रवीय अवस्था की जानकारी दीजिए।
3. पृथ्वी की आंतरिक भाग के ठोस अवस्था के कोई दो प्रमाण बताइए।
4. पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाई जाने वाली गैसीय अवस्था के कोई दो प्रमाण बताइए।
5. पृथ्वी की आंतरिक पर्तो का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. पृथ्वी के आतंरिक भाग में उच्च तापमान का कारण-
(अ) ज्वालामुखी (ब) गर्म स्रोत (स) खदाने (द) सभी
2. पृथ्वी की आंतरिक रचना-
(अ) द्रव के समान है (ब) द्रव के समान नहीं है (स) A & B (द) इनमें से कोई नहीं
3. लेजीन्ड्री के अनुसार पृथ्वी के धरातल का घनत्व लगभग
(अ) 1.5 रहता है (ब) 2.5 रहता है (स) 3.7 रहता है (द) 7.2 रहता है
4. पृथ्वी के आंतरिक भागों में गहराई में जाने पर-
(अ) तापक्रम कम होता जाता है। (ब) तापक्रम में वृद्धि होती है।
(स) तापक्रम में वृद्धि नहीं होती। (द) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तरः 1.(द), 2.(अ), 3.(ब), 4.(ब)
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