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द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय – द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order and Special Functions in hindi)

अवकल समीकरण (DIFFERENTIAL EQUATION

वह समीकरण जो अज्ञात फलन y = f (x) तथा इसके अवकलजों (derivatives) को स्वतंत्र चर राशी x के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है। उसे अवकल समीकरण कहते हैं।

अवकल समीकरण का वर्गीकरण (Classification of differential equations)

(i) यदि अवकल समीकरण में अज्ञात फलन तथा उसके अवकलज केवल एक चर राशी पर निर्भर करते हैं तो उसे साधारण अवकल समीकरण (ordinary differential equation) कहते हैं और यदि अवकल समीकरण में अज्ञात फलन दो या दो से अधिक चर राशी पर निर्भर करते तथा उनके अवकलज आंशिक होते हैं तो उसे आंशिक अवकल समीकरण (partial differential equation) कहते हैं। उदाहरणार्थ,

ये सभी समीकरण साधारण अवकल समीकरण कहलाते हैं क्योंकि इनमें अज्ञात फलन y केवल एक चर राशी x पर निर्भर करता है।

ये दोनों आंशिक अवकल समीकरण कहलाते हैं, क्योंकि इनमें अज्ञात फलन y दो चर राशी x वt पर निर्भर करती है।

(ii) किसी अवकल समीकरण को कोटि (order) उस अवकल समीकरण में उपस्थित उच्चतम अवकलज (highest derivative) द्वारा निर्धारित होती है। उदाहरणार्थ निम्न अवकल समीकरण में उच्चतम अवकलज तीसरा अवकलज है। अतः यह तृतीय कोटि का अवकल समीकरण होगा।

क्रमशः प्रथम तथा द्वितीय कोटि के साधारण अवकल समीकरण होंगे।

(iii) किसी अवकल समीकरण के अवकलजों को बहुपद (Polynomial) की तरह लिख उसमें स्थित उच्चतम अवकलज की उच्चतम घात (power) उस अवकल समीकरण की घात या डिग्री (degree) कहलाती है। उदाहरणार्थ,

इस अवकल समीकरण में उच्चतम अवकलज की घात तीन है इसलिये यह तृतीय घात या डिग्री का अवकल समीकरण होगा।

(iv) यदि अवकल समीकरण nth कोटि तथा प्रथम घात का अवकल समीकरण है तो यह रेखीय अवकल समीकरण कहलाता है। उदाहरणार्थ,

जहाँ PO, P1…. Pn तथा g (x) या तो नियतांक है या x के फलन है परन्तु Po ≠ 0 अन्यथा यह (n-1)th कोटि का अवकल समीकरण हो जायेगा तथा यह dx” अवकल समीकरण (1) nth कोटि का रेखीय अवकल समीकरण कहलाता है।

(v) यदि उपरोक्त समीकरण (1) में g (x) = 0 है तो इसे समांगी रेखीय अवकल समीकरण (homogeneous linear differential equation) तथा यदि g(x) ≠ 0 है तो यह असमांगी रेखीय अवकल समीकरण (inhomogeneous differential equation) कहलाते हैं।

7.2 बहुपद एवं घात श्रेणी (POLYNOMIAL AND POWER SERIES)

जब किसी फलन में

गिरते हुए क्रम में घात वाले चर राशी के पद हों तथा घात धनात्मक व परिमित हो वह फलन बहुपद (polynomial) कहलाता है । घात ॥ बहुपद की डिग्री या घात कहलाती | बहुपद में गुणांक (coefficients) A तथा स्वतंत्र चर राशी x वास्तविक (real) एवं समिश्र (complex) दोनों हो सकते हैं। है।

स्वतंत्र चर x का फलनिक श्रेणी (functional series )

जिसमें बढ़ते हुए क्रम में घात वाले चर राशी x के पद हो तो वह घात श्रेणी कहलाती है जहाँ a0, a1, a2……… सभी स्थिरांक है तथा ये श्रेणी के गुणांक कहलाते हैं।

यह श्रेणी अंतराल – R< x < R के बीच अभिसारित (convergent) होती है। अर्थात् इस श्रेणी का योग परिमित होता है यदि

अभिसरण – त्रिज्या (radius of convergence) कहलाती है।

चर गुणांकों का रैखिक अवकल समीकरण तथा श्रेणी हल विधि (LINEAR DIFFERENTIAL EQUATION WITH VARIABLE COEFFICIENTS AND SERIES SOLUTION METHOD) भौतिकी में अनेक समस्याएँ होती है जिनमें विभिन्न प्रकार की चर गुणांकों वाली द्वितीय कोटि की समांगी रैखिक अवकल समीकरणों को हल करने की आवश्यकता होती है। अतः इस अध्याय में निम्न प्रकार की अवकल समीकरण के हल की विवेचना करेंगे।

इस अवकल समीकरण का यथार्थ हल ज्ञात नहीं किया जा सकता है तथापि इस अवकल समीकरण का हल कुछ शर्तों के साथ या तो अनंत श्रेणी के रूप में या निश्चित समाकल के रूप में ज्ञात कर सकते हैं। सर्वप्रथम उन शर्तों की विवेचना करेंगे। (i) साधारण बिन्दु के निकट हल (Solution around Ordinary point) अवकल समीकरण (1) में, जब गुणांक Po(x), P1 (x) व P2 (x) बहुपद है तो x = a एक साधारण बिन्दु कहलाता है जब Po (a) ≠ 0 अर्थात् Po(a) का मान शून्य नहीं हो। जब गुणांक Po(x), P1(x) व P2(x) बहुपद नहीं हैं तो x = a एक साधारण बिन्दु कहलाता है जब इस बिन्दु पर p1 (x)/Po (x) व P2 (x)/P0 (x) के मान परिमित हो तथा x = a के निकट (x-a) की घात श्रेणी में विस्तारित किया जा सके।

साधारण बिन्दु के निकट समीकरण (1) का हल निम्न घात श्रेणी के रूप में सदैव ज्ञात किया जा सकता है।

साधारण बिन्दु के निकट यह श्रेणी अभिसारित (convergent ) रहती है।

(ii) विचित्र बिन्दु के निकट हल (Solution around singular point) अवकल समीकरण (1) में x = विचित्र बिन्दु कहलाता है यदि इसके लिये Po (x) – Pola) = 0 है अर्थात् Po(a) शून्य के बराबर हो । विचित्र बिन्दु दो प्रकार के होते हैं- (a) नियमित विचित्र बिन्दु (regular singular points)

(b) अनियमित विचित्र बिन्दु (irregular singular points).

यदि [ (x – 4)p1 (x)/P0(x)] तथा [(x -1) 2 P2(x)/P0(x)] को विचित्र बिन्दु ( x = a) के निकट टेलर श्रेणी में विस्तारित किया जा सके तथा इनके मान परिमित हो तो विचित्र बिन्दु (x = 8) नियमित विचित्र बिन्दु कहलाता है और यदि I(x – a)pi (x)/po(x)] तथा [(x-a)2p2(x)/Po(x)] में से कोई एक विचित्र बिन्दु के निकट टेलर श्रेणी में विस्तारित नहीं किया जा सकता है तथा इसका मान परिमित नहीं होता है तो विचित्र बिन्दु (xa) अनियमित विचित्र बिन्दु कहलाता है। उदाहरण के तौर पर निम्न अवकल समीकरण में विचित्र बिन्दु ज्ञात करते हैं।

इस अवकल समीकरण में Po (x) = (x2 – 4)2, p1 (x) = (x – 2 ) तथा P2 (x)= 1.

विचित्र बिन्दु के लिये Po (x) = (x2 – 4 )2 = 0, or x = +2

. इस अवकल समीकरण का विचित्र बिन्दु x = ° 2 है।

विचित्र बिन्दु x = 2 पर,

अतः x = 2 नियमित विचित्र बिन्दु है।

अतः x = – 2 अनियमित विचित्र बिन्दु है।

नियमित विचित्र बिन्दु के निकट द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण (1) का हल निम्न घात श्रेणी के रूप में होगा ।

जहाँm उपरोक्त घात श्रेणी में (x – a) की न्यूनतम घात है जिसे वैध प्रतिबंध लगाकर ज्ञात किया जा सकता है।

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