लोहे पर जंग लगने की क्रियाविधि & संक्षारण क्या है Corrosion in hindi की रोकथाम Prevention , working
जब धातुओं का सम्पर्क वायु व नमी से होता है तो उसकी सतह पर अवांछनीय पदार्थ जैसे ऑक्साइड कार्बोनेट , सल्फेट , सल्फाइड आदि बन जाते है इसे संक्षारण कहते है।
उदाहरण : (1) लोहे पर जंग लगना।
(2) चांदी का काला पड़ना।
(3) कॉपर व पीतल की सतह पर हरे रंग की परत का बनना।
लोहे पर जंग लगने की क्रियाविधि :
लोहे पर जंग लगने की क्रियाविधि को विधुत रासायनिक सिद्धान्त से समझाया जाता है जब लोहे का सम्पर्क वायु व नमी से होता है तो उसकी सतह पर विधुत रासायनिक सेल का निर्माण हो जाता है। इस सेल में अशुद्ध लोहा ऐनोड की तरह, शुद्ध लोहा कैथोड की तरह तथा जल की बून्द विधुत अपघट्य की तरह काम करती है।
सेल में निम्न क्रियायें होती है :
एनोड पर 2Fe → 2Fe2+ + 4e–
कैथोड पर 4H+ + 4e– + O2 → 2H2O
कुल अभिक्रिया 2Fe + 4H+ + O2 → 2Fe2+ + 2H2O
2Fe2+ + 2H2O + (½)O2 → FeO3 + 4H-1
Fe2O3 . xH2O → Fe2O3 . xH2O ( जंग लगना )
संक्षारण की रोकथाम (Prevention of corrosion):
- धातुएं शुद्ध होनी चाहिए।
- धातु की सतह चिकनी होनी चाहिए।
- धातुओं की सतह पर तेल , गिरिस , पेंट का लेप करना चाहिए।
- धातुओं लोहे की सतह पर अधिक सक्रीय धातु Zn का लेप करना , यहाँ Zn अधिक सक्रीय होता है , Zn ज़्यादा सक्रीय होने के कारण यह स्वम् वायु व नमी से क्रिया करता रहता है तथा लोहे को जंग से बचाता है अर्थात लोहे को जंग से बचाने के लिए जिंक अपना बलिदान कर देता है इसे बलिदानी सुरक्षा कहते है। लोहे पर जिंक का लेप करना गैल्वेनिकरण कहलाता है।
- भूमिगत लोहे के पाइप का सम्पर्क अधिक सक्रीय धातु Mg से करने पर लोहे में जंग नहीं लगती।
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