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धनिया (coriander in hindi) , वानस्पतिक नाम : Coriandrum sativum , उत्पादक देश , धनिया आकारिकी , महत्व

(coriander in hindi) धनिया :

वानस्पतिक नाम : Coriandrum sativum

कुल : Apiaceae या Umpelliferal

उपयोगी भाग : Cremocarp फल

उत्पत्ति तथा उत्पादक देश

  • प्राचीन स्रोतों के अनुसार धनिया की उत्पत्ति भू-मध्य सागरीय क्षेत्र में हुई है।
  • धनिया मुख्यतः क्रस , भारत , मोरक्को , कोलेंड , रोमानिया तथा अमेरिका में बोया जाता है।  वही भारत में राजस्थान , मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र , तमिलनाडु , कर्नाटक तथा बिहार में बोया जाता है।
  • राजस्थान में इसे प्रमुखत: बारां , कोटा तथा झालावाड में बोया जाता है तथा इन क्षेत्रो में इसे सर्वाधिक रूप से इसे उपयोग किया जाता है।

पादप की आकारिकी

  • धनिये का पादप एक वर्षीय , तीव्र गंध वाला शाखीय पादप होता है।
  • इसके तने की लम्बाई मुख्यतः 02 से 03 फीट पायी जाती है तथा इस पादप का तना सीधा , दुर्बल तथा खोखला होता है , इसके अतिरिक्त पादप शाखित प्रकृति का पाया जाता है।
  • इस पादप की पत्तियां द्विसंयुक्त या बहुपिच्छाकर होती है।
  • इस पादप में पुष्पक्रम सामान्यत: संयुक्त छत्रक प्रकार का पाया जाता है तथा पुष्पक्रम में छोटे सफ़ेद रंग के पुष्प पाए जाते है।
  • फल त्रिमुखारक प्रकार का होता है तथा फल का सामान्य आकार डोलक के आकार जैसा होता है तथा फल को दो भागो में विभाजित किया जा सकता है व प्रत्येक भाग पेरिकार्म के नाम से जाना जाता है।
  • प्रत्येक फल की सतह पर 10 समान्त तथा 10 उधर्व स्थिति में धारियां पायी जाती है।
  • धनिये का फल दीर्घाकार होता है।
  • धनिये के फल में 1% सगंध तेल पाया जाता है जिसे coriandrol के नाम से जाना जाता है , इसके अतिरिक्त इस फल में गहरा भूरा स्थिर तेल पाया जाता है जो 11 से 21% होता है।
  • धनिये की खेती प्रमुखत: शीत ऋतू में की जाती है।

धनिये का आर्थिक महत्व

  • परिपक्व फल को चूर्ण के रूप में परिवर्तित करके मसालों के रूप में सब्जियों में चाट में तथा कड़ी के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
  • विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थ जैसे – Zin तथा विभिन्न तम्बाकू के उत्पाद व अन्य खाद्य सामग्रियों को सुरक्षित करने हेतु धनिये का उपयोग किया जाता है।
  • धनिये के फलों को वातहर , उद्दीपक , ह्रदय बल तथा आमाशय से सम्बन्धित विकारों को दूर करने हेतु उपयोग किया जाता है।
  • पकाई गयी सब्जियों को सगंधित करने हेतु तथा चटनियो के निर्माण हेतु पादप की ताजा पत्तियों का उपयोग किया जाता है।