(convolvulaceae family in hindi) कान्वाल्वुलेसी कुल या रिणपदी कुल क्या है meaning पादप नाम लक्षण बताइये ?
कान्वाल्वुलेसी कुल (convolvulaceae family) :
(मोर्निंग ग्लोरी कुल : शकरकंद , कुल , लेटिन कान्वाल्वो = पौधे की वल्लरी अथवा आरोही प्रवृत्ति के सन्दर्भ में )
वर्गीकृत स्थिति – बेन्थैम और हुकर के अनुसार –
प्रभाग – एन्जियोस्पर्मी
उपप्रभाग – डाइकोटीलिडनी
वर्ग – गेमोपेटेली
श्रृंखला – बाइकार्पेलेटी
गण – पोलीमोनियेल्स
कुल – कान्वाल्वुलेसी
कुल कान्वाल्वुलेसी के विशिष्ट लक्षण (salient features of convolvulaceae)
- अधिकांश सदस्य शाक या क्षुप , जो वल्लरी प्रवृति प्रदर्शित करते है , कुछ सदस्य पराश्रयी।
- स्तम्भ की आंतरिक संरचना में उभयफ्लोएमी संवहन बंडलों की उपस्थिति।
- पर्ण सरल , एकान्तरित , प्राय: अननुपर्णी।
- पुष्पक्रम प्राय: ससीमाक्षी , कभी कभी असीमाक्ष।
- पुष्प , पूर्ण , द्विलिंगी , पंचतयी और त्रिज्यासममित , अधोजायांगी।
- दलपुंज संयुक्त , प्राय: घंटिकाकार , कीपाकार अथवा दीवटरूपी।
- पुंकेसर 5 दललग्न।
- जायांग एक चक्रिका पर अवस्थित , द्विअंडपी , अंडाशय , उच्चवर्ती।
- फल फालिकल।
प्राप्ति स्थान और वितरण (occurrence and distribution)
आवृतबीजी पौधों के इस कुल में लगभग 58 वंश और 1850 पादप प्रजातियाँ सम्मिलित है जो अधिकांशत: उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत में इस कुल के लगभग 21 वंश और 158 प्रजातियाँ मुख्यतः दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में पाई जाती है।
कायिक लक्षणों का विस्तार (range of vegetative characters)
प्रकृति : इस कुल के अधिकांश पौधे शाक या क्षुप है , कुछ अन्य पादप जैसे आइपोमिया हेडीरीफोलिया आरोही है , जबकि इरीसिबी एक वृक्ष है और अमरबेल अथवा कसक्यूटा रिफ्लेक्सा एक परजीवी , पर्णविहीन , शाकीय वल्लरी है। तामेसरी अथवा आरजीरिया स्पीसियोसा एक काष्ठीय आरोही और इवोल्वुलस एल्सीनोइडिस एक विसरित , शयान और उधर्वशिर्षी शाकीय पादप है।
मूल : मूसला और शाखित जड़ें पायी जाती है। इस कुल के पौधों की जड़ें बहुत अधिक फैली हुई और गहराई तक जाने वाली होती है। शकरकंद में जड़ें भोजन संचय के कारण , फूलकर मोटी और कंदिल हो जाती है और रूपान्तरण प्रदर्शित करती है। अमरबेल में विशेष प्रकार की अपस्थानिक जड़ें पायी जाती है। इनको परजीवी मूल कहते है। ये जड़ें पोषक पौधे में प्रवेश कर बना बनाया भोजन और जल अवशोषित करती है।
स्तम्भ : प्राय: शाकीय और आरोही अथवा वल्लरी प्रवृत्ति का होता है। अमरबेल में परजीवी और पीले रंग का होता है। कानवाल्वुलस स्केमोनिया में भूमिगत प्रकन्द में रूपान्तरित होता है और दूधिया रबड़क्षीर पाया जाता है।
पर्ण : प्राय: एकान्तरित , सरल , अननुपर्णी , कभी कभी हस्ताकार जैसे – आइपोमिया पेस्टीग्रीडिस अथवा पिच्छाकार जैसे – आइपोमिया क्यूमोक्लिट अथवा कुंताभ जैसे – आइपोमिया एक्वेटिका अथवा रेखीय भालाकार जैसे – कान्वाल्वुलस माइक्रोफिल्लस अथवा दीर्घवृत्ताकार जैसे – इवोल्वुलस एल्सीनोइडिस होती है। अमरबेल में या तो पत्तियाँ नहीं होती अथवा बहुत छोटी होती है।
पुष्पीय लक्षणों का विस्तार (range of floral characteristics)
पुष्पक्रम : प्रारूपिक तौर पर द्विशाखी ससीमाक्ष होता है। कैलिस्टिजिया में एक कक्षस्थ पुष्पक्रम पाया जाता है और पोराना में संयुक्त ससीमाक्षी पुष्प पाए जाते है। आइपोमिया पेस्टीग्रेडिस में मुंडक समान पुष्पक्रम पाया जाता है।
पुष्प : सामान्यतया सहपत्री , सहपत्रकी , सवृंत , उभयलिंगी और पंचतयी लेकिन हिल्डेब्रेंडटिया से चतुष्तयी और एकलिंगी पुष्प पाए जाते है। पुष्प प्राय: अधोजायांगी और चक्रिक होते है।
बाह्यदल पुंज : बाह्यदलपत्र – 5 , चिरलग्न , पृथक और पालित , बाह्यदल की पालियां कभी कभी असमान होती है। कस्क्यूटा में बाह्यदल आधारीय भाग में संयुक्त होते है। विन्यास कोरछादी।
दलपुंज : दलपत्र-5 , संयुक्तदलीय और विभिन्न आकृतियों के होते है। दलपुंज घंटिकाकार जैसे – कान्वाल्वुलस में अथवा कीपाकार जैसे – आइपोमिया क्यूमोक्लिट में। कसक्यूटा में दलपुंज के आधार पर 5 किरीटीय अतिवृद्धियां होती है जो पुंकेसरों से एकांतर क्रम में व्यवस्थित होती है। दलपुंज विन्यास अंतर्गत कोरस्पर्शी प्रकार का होता है जो व्यावर्तित जैसा प्रतीत होता है।
पुमंग : पुंकेसर 5 , पृथक पुंकेसरी , दललग्न , प्राय: असमान लम्बाई वाले अथवा विषमदीर्घी। परागकोष द्विकोष्ठीय , पृष्ठलग्न और अंतर्मुखी।
जायांग : सामान्यतया द्विअंडपी लेकिन आइपोमिया और इरीसिबी की कुछ प्रजातियों में जायांग 3 (तीन) से 5 (पाँच) अंडपी होता है , संयुक्तांडपी , अंडाशय उच्चवर्ती और द्विकोष्ठीय , बीजांडविन्यास स्तम्भीय कभी कभी आभासी पट बन जाने से अंडाशय चतुष्कोष्ठीय हो जाता है लेकिन इरीसिबी में अंडाशय एककोष्ठीय और बीजांडविन्यास भित्तीय होता है।
वर्तिकाग्र द्विपालित और समुंड। सामान्यतया जायांग के नीचे एक पालिवत अथवा प्यालाकार , मकरंद चक्रिका पाई जाती है।
फल और बीज : फल सामान्यतया 2 अथवा 4 कपाट युक्त संपुटिका होता है। कुछ पौधों जैसे आरजिरिया में केप्सूल जो माँसल और अस्फुटनशील होता है , जबकि कसक्यूटा में यह शुष्क या माँसल और अनियमित अथवा अनुप्रस्थ क्रम में स्फुटित होता है। बीज भ्रूणपोषयुक्त होता है।
परागण और प्रकीर्णन : इस कुल के सदस्यों में आकर्षण और चमकीले रंग के पुष्पों की उपस्थिति के कारण कीट परागण होता है। इसके अतिरिक्त मकरंद चक्रिका द्वारा स्त्रावित मकरंद से भी कीट पुष्पों की तरफ आकर्षित होता है लेकिन कसक्यूटा में स्वपरागण होता है।
बीजों का प्रकीर्णन सामान्यतया पशुओं और पक्षियों द्वारा होता है।
पुष्प सूत्र :
बन्धुता और जातिवृत्तीय सम्बन्ध
यह कुल , बोरेजिनेसी से अनेक लक्षणों में समानता प्रदर्शित करता है लेकिन अपने विभाजित वर्तिकाग्र , अंडाशय के नीचे मकरंद डिस्क की उपस्थिति और वक्रित भ्रूण के कारण कान्वाल्वुलेसी को आसानी से अलग किया जा सकता है।
दूसरी तरफ सोलेनसी से भी कुल की समानता परिलक्षित होती है लेकिन सोलेनेसी कुल के सदस्यों के फलों में बीज बहुत अधिक पाए जाते है जबकि इस कुल के फलों में बीज कम संख्या में होते है।
आर्थिक महत्व (economic importance)
I. खाद्य पदार्थ :
1. आइपोमिया बटाटास – शकरकंद – इसकी माँसल और कंदील जड़ों में स्टार्च और शर्करा प्रचुर मात्रा में होती है और इनको भुनकर अथवा उबालकर खाते है।
2. आइपोमिया एक्वेटिका : नाली का साग – इसकी तरुण टहनियों और पत्तियों को सब्जी के लिए प्रयुक्त करते है।
II. शोभाकारी पौधे :
- आइपोमिया केरिका : रेलवे क्रीपर अथवा पचपत्ती।
- आइपोमिया परप्यूरिया : मार्निंग ग्लोरी।
- आइपोमिया वायोलेसिया : हेवनली ब्लू।
- आइपोमिया कोमोक्लिट : इश्कपेचा।
- आइपोमिया ट्यूबरोसा : वुडरोज
- पोराना पेनीकुलेटा : किसमस वाइन।
- जेकेमोंशिया पेन्टेन्था : लवली।
III. औषधीय पादप :
1. कान्वाल्वुलस माइक्रोफिल्लस : शंखपुष्पी अथवा शंखाहुली गर्मियों में इसके पुष्पों का मिश्री के साथ सेवन करने पर मस्तिष्क को शीतलता मिलती है। इसके पंचांग (जड़ + पत्ती + तना + पुष्प + फल) का प्रयोग स्मरणशक्ति को बढ़ाने में उपयोगी होता है। इसके अतिरिक्त इनको पेचिस , दमा , खाँसी के उपचार हेतु प्रयुक्त करते है।
2. इवोल्वुलस एल्सीनोइडिस : विष्णुकान्ता अथवा नीली शंखाहुली का उपयोग भी खाँसी और दमा के उपचार के लिए किया जाता है।
3. कसक्यूटा रिफ्लेक्सा : अमरबेल का उपयोग वातहर के रूप में किया जाता है।
IV. अन्य :
1. आइपोमिया कारनिया : बेशरम अथवा विलायती आँकड़ा , प्रारंभ में इसका उपयोग किसानों द्वारा खेत पर बाड़ लगाने के लिए किया जाता था लेकिन अब यह विदेशी पौधा सभी प्रकार की भूमि में फैलकर समस्या उत्पन्न कर रहा है।
2. आइपोमिया बाइलोबा : इसे जमीन के कटाव को रोकने के लिए बालू बंधक के रूप में मरुस्थलीय क्षेत्रों में विशेष रूप से उगाया जाता है। इसके पुष्प अत्यन्त सुन्दर होते है। अत: शोभाकारी पौधे के रूप में फर्न हाउस और उद्यानों की दीवारों पर भी देखा जा सकता है।
कानावाल्वुलेसी कुल के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक विवरण (botanical description of typical plant of convolvulaceae)
आइपोमिया कारनिया जैक (ipomoea carnea jacq) :
स्थानीय नाम : बेशरम आकड़ा अथवा विलायती आकडा।
प्रकृति और आवास : उपेक्षित और सभी प्रकार की भूमि में उगने वाला विदेशी बहुवर्षीय क्षुप।
मूल : मूसला और शाखित जड़ , इसके अतिरिक्त तने की आधारीय पर्वसंधियों पर भी अपस्थानिक जड़ें उत्पन्न होती है।
स्तम्भ : उधर्व , काष्ठीय , ऊपर से खोखला और शाकीय , अरोमिल , हरा और शाखित।
पर्ण : स्तम्भिक और शाखीय , सरल , एकान्तरित , सवृंत , अननुपर्णी , आधारीय भाग , ह्रदयाकार , अच्छिन्नकोर , शीर्ष लम्बाग , अरोमिल , शिराविन्यास एकशिरीय जालिकावत।
पुष्पक्रम : द्विशाखी ससीमाक्षी।
पुष्प : सहपत्री , सवृंत , त्रिज्या सममित , उभयलिंगी , पंचतयी , अधोजायांगी , आकर्षक हल्के बैंगनी अथवा गुलाबी रंग के , कीपाकार और बड़े।
बाह्यदल पुंज : बाह्यदल – 5 , पृथकबाह्यदली , विन्यास कोरछादी।
दलपुंज : बाह्यदल-5 , संयुक्त , कीपाकार , बड़े और गुलाबी बैंगनी रंग के , विन्यासी कोरस्पर्शी।
पुमंग : पुंकेसर-5 , स्वतंत्र पृथक , दललग्न , विषमदीर्घी , एकान्तरदलीय परागकोष द्विकोष्ठी , आधारलग्न बाणाकार और अंतर्मुखी।
जायांग : द्विअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय उच्चवर्ती , द्विकोष्ठीय , बीजांडविन्यास स्तम्भीय , वर्तिका लम्बी , वर्तिकाग्र डम्बल जैसे , द्विपालित।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : कान्वालवुलेसी किस गण का कुल है –
(अ) रूवियेल्स
(ब) जिरानिएल्स
(स) पोलीमोनिएल्स
(द) जैन्शिएल्स
उत्तर : (स) पोलीमोनिएल्स
प्रश्न 2 : शकरकन्द किस कुल का पादप है –
(अ) ब्रेसीकेसी
(ब) सोलेनेसी
(स) यूर्फाबिएसी
(द) कान्वाल्वुलेसी
उत्तर : (द) कान्वाल्वुलेसी
प्रश्न 3 : अमरबेल किस कुल का पादप है –
(अ) कान्वाल्वुलेसी
(ब) एसक्लेपियेडेसी
(स) रूबीएसी
(द) एपियेसी
उत्तर : (अ) कान्वाल्वुलेसी
प्रश्न 4 : अमरबेल का वानस्पतिक नाम है –
(अ) आइपोमिया बटाटास
(ब) कस्क्यूटा रिफलेक्सा
(स) आइपोमिया रिफ्लेक्सा
(द) जैकेमोनिशया पेन्टेन्या
उत्तर : (ब) कस्क्यूटा रिफलेक्सा
प्रश्न 5 : कान्वाल्वुलेसी का जायांग प्राय: होता है –
(अ) एकांडपी
(ब) द्विअंडपी
(स) बहुअंडपी
(द) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर : (ब) द्विअंडपी