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वेर्नेर सिद्धांत , संयोजकता बंध सिद्धांत (Connective bond theory) , (werner theory)

(Connective bond theory) (werner theory) वेर्नेर सिद्धांत संयोजकता बंध सिद्धांत उपसहसंयोजक यौगिकों में बंधन :उपसहसंयोजक यौगिकों में बंध की प्रकृति वह गुणों की व्याख्या करने के लिए निम्न सिद्धांत दिए गए |

  1.  वेर्नेर सिद्धांत (werner theory): इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्न है
  • उपसहसंयोजक यौगिकों में केंद्रीय धातु परमाणु की दो प्रकार की संयोजकता होती है ,  प्राथमिक संयोजकता तथा द्वितीयक संयोजकता
  • प्राथमिक संयोजकता आयनिक होती है जबकि द्वितीयक संयोजकता अन आयनिक होती है
  • प्राथमिक संयोजकता ऋण आयन द्वारा संतुष्ट होती है जबकि द्वितीय संयोजकता उदासीन अणु तथा ऋण आयन द्वारा संतुष्ट होती है
  • प्रत्येक धातु परमाणु की द्वितीयक संयोजक निश्चित होती है इसे धातु की उप सह संयोजकता भी कहते हैं
  • प्राथमिक संयोजकता से जुड़े परमाणु को डॉटेड लाइन (-  – – – –) से व्यक्त करते हैं जबकि द्वितीय संयोजकता से जुड़े समूह को फुल लाइन से व्यक्त करते हैं
  • धातु की द्वितीयक संयोजकता से जुड़े समूह एक विशेष  ज्यामिति का निर्माण करते हैं
  1. संयोजकता बंध सिद्धांत (Connective bond theory) :

इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्न है

  • सर्व प्रथम केंद्रीय धातु परमाणु अपने ऑक्सीकरण अवस्था की बराबर संख्या में इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाता है
  • केंद्रीय धातु परमाणु अपनी उपसहसंयोजन संख्या के बराबर संख्या में लिगेंड के लिए खाली कक्षक उपलब्ध कराता है
  • खाली कक्षक आपस में मिलकर खाली संकर कक्षक बनाते हैं जिनमें लिगेंड अपने लोन पेअर ऑफ़ इलेक्ट्रॉन्स देते हैं
  • अष्ठफलकीय ज्यामिति  मैं जब अंदर के d कक्षक संकरण में भाग लेते हैं तो d2sp3 संकरण होता है ,  तो बने संकुल को आंतरिक कक्षक संकुल या निम्न कक्षक संकुल या चक्रण युग्मित संकुल कहते हैं ,  जब संकरण मे बाह्य d कक्षक भाग लेते हैं तो sp3d2  संकरण होता है जिस से बने संकुल को बाह्य कक्षक संकुल या उच्च चक्रण संकुल या चक्रण मुक्त संकुल कहते हैं
  • यदि सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित है तो प्रतिचुंबकीय परंतु अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने पर अनुचुंबकीय संकुल कहते हैं
  • चुंबकीय आघूर्ण का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते हैं

n = अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या