WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

संक्रमण तत्वों के यौगिक (compounds of transition elements in hindi) , ऑक्साइड , पोटेशियम डाइक्रोमेट

(compounds of transition elements in hindi) संक्रमण तत्वों के यौगिक : वे तत्व जिनमें आने वाला इलेक्ट्रॉन d कक्षक में आता है या जिन तत्वों का d कक्षक आंशिक भरा हुआ रहता है उन्हें संक्रमण धातु कहते है।
d ब्लॉक के तत्व जो वर्ग 3 से 11 में पाए जाते है उन्हें संक्रमण तत्व कहा जाता है।
f ब्लॉक के तत्वों को आंतरिक संक्रमण धातु तत्व कहते है , इन तत्वों को आगे लेन्थेनाइड और ऐक्टिनाइड में भी बांटा जाता है या f ब्लाक के तत्वों को लेंथेनाइड और ऐक्टिनाइड भी कहा जाता है।

संक्रमण तत्वों के यौगिक

1. ऑक्साइड : जब संक्रमण धातुओं और ऑक्सीजन की अभिक्रिया उच्च ताप पर करायी जाती है तो अभिक्रिया के फलस्वरूप ऑक्साइड बनते है।
सभी संक्रमण धातुओं में स्केंडियम को छोड़कर सभी संक्रमण धातु MO प्रकार के आयनिक ऑक्साइड बनाते है।
धातुओं के ऑक्साइड में धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्था में वृद्धि होने से उनमें आयनिक गुणों में कमी हो जाती है और इनके सहसंयोजक गुणों में वृद्धि हो जाती है।
2. पोटेशियम डाइक्रोमेट : इस यौगिक का रासायनिक सूत्र या अणुसूत्र K2Cr2O7 होता है , संक्रमण तत्व से बना यह यौगिक नारंगी रंग का होता है।
इस यौगिक को क्रोमेट या फेरोक्रोम या क्रोम आयरन या FeO.Cr2O3 के अयस्क से प्राप्त किया जाता है या क्रोमेट या फेरोक्रोम या क्रोम आयरन या FeO.Cr2O3 अयस्क से बनाया जाता है।
इसे प्राप्त करने के लिए कई पद आते है जो निम्न प्रकार है –
  • सबसे पहले पद में सोडियम क्रोमेट बनाया जाता है या निम्न दो पदों में सोडियम क्रोमेट प्राप्त किया जाता है –
4FeO.Cr2O3 + O2 → Fe2O3 + 4Cr2O3

 

4Na2CO3 + 2Cr2O3 + 3O2 → 4Na2CrO4 + 4CO2

 

  • इसके बाद ऊपर पद में प्राप्त सोडियम क्रोमेट को सोडियम डाइ क्रोमेट में बदला जाता है , इसके लिए निम्न पद काम में आते है या निम्न अभिक्रिया काम में ली जाती है –

2Na2CrO4 + H2SO4 → Na2Cr2O7 + Na2SO4 + H2O

  • इसके बाद अंतिम पद में ऊपर अभिक्रिया से प्राप्त सोडियम डाइ क्रोमेट को पोटेशियम डाइ क्रोमेट में बदला जाता है इसके लिए यह निम्न क्रिया होती है –

Na2Cr2O7 + 2KCl → K2Cr2O7 + 2NaCl

यह पोटेशियम डाइक्रोमेट नारंगी लाल रंग का क्रिस्टल होता है और यह ठन्डे जल में आंशिक रूप से विलेय होता है लेकिन गर्म पानी में यह बहुत अधिक मात्रा में घुलता है अर्थात गर्म पानी में आसानी से घुल जाता है।
3. फेरस सल्फेट : इसका रासायनिक सूत्र या अणुसूत्र FeSO4.7H­2O होता है , यह हाइड्रेटेड रूप में हरे रंग का होता है और निर्जलित फेरस सल्फेट सफ़ेद रंग का होता है।
इसे बनाने के लिए सान्द्र H2SO4 में अशुद्ध Fe डाला जाता है जिससे इनमे आपस में क्रिया होती है और FeSO4 और हाइड्रोजन बनती है।
जब इस विलयन से H2SO4 को हटाने के लिए वायु और जल की क्रिया की जाती है तो यह  Fe2(SO4)3 को FeSO4 में बदल देती है।
4. फेरिक ऑक्साइड : इसका रासायनिक सूत्र या अणु सूत्र Fe2O3 होता है , इसे प्रकृति में हेमेटाइड के रूप में प्राप्त किया जाता है , Fe2O3 लाल रंग का होता है और यह पाउडर के रूप में होता है। फेरिक ऑक्साइड जल में विलेय नहीं होता है और न ही यह जल के साथ और वायु के साथ क्रिया करता है।
बोच क्रिया के अन्दर इसे CO को कार्बन डाइ ऑक्साइड में ओक्सिकृत करने के लिए फेरस ऑक्साइड को उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जाता है।
5. फेरिक क्लोराइड : इसका रासायनिक सूत्र या अणुसूत्र FeCl3 होता है , जब तनु HCl में फेरिक ऑक्साइड या Fe(OH)3 को घोला जाता है तो इससे हमें हाइड्रेटेड फेरिक क्लोराइड प्राप्त होता है , यहाँ हाइड्रेटेड फेरिक क्लोराइड का रासायनिक सूत्र FeCl3.6H2O होता है।
या
जब Fe की क्रिया शुष्क Cl2 के साथ करायी जाती है तो FeCl3 प्राप्त होता है।
फेरिक क्लोराइड पीले रंग का होता है और यह अत्यधिक जल में विलेय होता है अर्थात यह जल में आसानी से घुल जाता है।