(close packed structure in hindi) निबिड़ संकुलन , निबिड संकुलित संरचना क्या है , परिभाषा , प्रकार किसे कहते है ?
परिभाषा : निबिड संकुलित संरचना क्या है , परिभाषा , प्रकार : किसी
ठोस में अवयवी कण (
परमाणु ,
अणु या आयन) इस प्रकार उपस्थित रहते है कि इनके मध्य कम से कम रिक्त स्थान रहे और इसलिए ठोसों को आसानी से दबाया नहीं जा सकता है क्यूंकि इनके अवयवी कणों के मध्य विस्थापित होने के लिए रिक्त स्थान नहीं पाया जाता है।
जब ठोस में अवयवी कण इस प्रकार व्यवस्थित रहे कि इनके मध्य न्यूनतम रिक्त स्थान रहे तो इस प्रकार जो संरचना बनती है उसे निबिड़ संकुलित संचरना कहते है।
किसी
क्रिस्टल जालक के
जालक बिंदु में क्रिस्टल के अवयवी कण आकर जगह ले लेते है अर्थात क्रिस्टल पदार्थ के अवयवी कण जैसे परमाणु , अणु या आयन , क्रिस्टल के जालक में जालक बिंदु के रूप में उपस्थित रहते है , इन अवयवी कणों का आकार अलग अलग हो सकता है और इनके आकार के हिसाब से अवयवी कणों का संकुलित संरचना बदलती रहती है।
और चूँकि किसी क्रिस्टल ठोस में अवयवी कण अत्यंत पास पास उपस्थित रहते है इसलिए इस प्रकार ठोसों में अवयवी कणों की निबिड़ संकुलित संरचना रहती है।
किसी ठोस में निबिड़ संकुलन संरचना होती है अर्थात अवयवी कण जितने पास पास उपस्थित रहते है वह उतना ही अधिक स्थायी होता है।
हम यहाँ अवयवी कणों को समरूप कठोर और ठोस गोले के रूप में मान लेते है तो हम निम्न तीन पदों में त्रिविमीय निबिड़ संकुलित संरचना बना सकते है।
ठोसों में निबिड़ संकुलन तीन प्रकार से संभव है जो निम्न है –
1. एक विमीय निबिड़ संकुलन (One Dimensional Close Packing)
2. द्विविमीय निबिड़ संकुलन (Two Dimensional Close Packing)
3. त्रिविमीय निबिड़ संकुलन (Three Dimensional Close Packing)
1. एक विमीय निबिड़ संकुलन (One Dimensional Close Packing)
एक विमीय निबिड़ संकुलन बनाने के लिए गोलों को एक पंक्ति में एक दुसरे के पास स्पर्श करवाते हुए रखा जाता है , जब इस प्रकार अवयवी कण एक विमीय निबिड़ संकुलित रहते है तो प्रत्येक अवयवी कण पडोसी दो कणों को स्पर्श करता है।
एक गोला या अवयवी कण , पडोसी जितने कणों या गोलों को स्पर्श करता है वह उसकी उपसंह्संयोजन संख्या कहलाती है।
चूँकि एक विमीय निबिड संकुलन में प्रत्येक गोला या अवयवी कण निकटवर्ती दो गोलों को स्पर्श करता है इसलिए इसकी उपसह्संयोजन संख्या 2 होती है।
2. द्विविमीय निबिड़ संकुलन (Two Dimensional Close Packing)
जब एक विमीय निबिड़ संकुलित गोलों की पक्तियों को एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित किया जाए तो इस प्रकार जो निबिड़ संकुलन संरचना बनती है उसे द्विविमीय निबिड संकुलन संरचना कहते है।
एक विमीय गोलों की पंक्तियों को एक दुसरे के ऊपर दो प्रकार से रखा जा सकता है और इस आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है –
i. AAA प्रकार की संरचना
ii. ABAB प्रकार की संरचना
i. AAA प्रकार की संरचना
पहली एक विमीय निबिड़ संकुलित गोलों की पंक्ति पर दूसरी विमीय निबिड़ संकुलित गोलों की पंक्ति पर इस प्रकार रखा जाए कि गोलों के केंद्र उर्ध्वाधर व क्षैतिज दिशा में एक सीधी रेखा में हो तो ऐसी संरचना को AAA प्रकार की द्विविमीय निबिड़ संकुलन संरचना कहते है जैसा चित्र में दिखाया है , इसकी उपसहसंयोजन संख्या 4 होती है।
ii. ABAB प्रकार की संरचना
पहली एक विमीय निबिड़ संकुलित गोलों की पंक्ति को दुसरे गोलों की एक विमीय पंक्ति के गर्त में चित्रानुसार रखने पर जो संरचना बनती है उसे ABAB प्रकार की संरचना कहते है।
यहाँ प्रत्येक गोले की उपसहसंयोजन संख्या 6 होती है।
3. त्रिविमीय निबिड़ संकुलन (Three Dimensional Close Packing)
जब द्विविमीय निबिड़ संकुलित संरचनाओं को एक के ऊपर दूसरी इस प्रकार रखते हुए जाते है तो जो संरचना बनती है उसे त्रिविमीय निबिड़ संकुलन संरचना कहते है।
निबिड़ संकुलित संरचनायें (close packed structures) :
ठोसों में अवयवी कण इस प्रकार व्यवस्थित होते है कि उनके मध्य न्यूनतम रिक्त स्थान हो , अत: उनकी जो संरचना बनती है , उसे निबिड संकुलित संरचना (close packed structure) कहा जाता है।
यदि अवयवी कणों को समरूप कठोर , ठोस गोले मान लिया जाए तो हम निम्नलिखित तीन पदों में त्रिविमीय निबिड़ संकुलित संरचनाएँ बना सकते है।
(a) एक विमीय निबिड़ संकुलन (close packing in one dimension) : एक विमा में निबिड़ संकुलन बनाने के लिए गोलों को एक पंक्ति में एक दूसरे को स्पर्श करते हुए रखा जाता है , जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
इस प्रकार की निबिड़ संकुलित संरचना में प्रत्येक गोला दो निकटवर्ती गोलों को स्पर्श करता है।
एक गोला जितने निकटवर्ती गोलों को स्पर्श करता है वह उसकी उपसहसंयोजन संख्या (coordination number) कहलाती है।
अत: एक विमीय निबिड़ संकुलन में गोलों की उपसहसंयोजन संख्या 2 है।
(b) द्विविमीय निबिड़ संकुलन (close packing in two dimension) : द्विविमीय निबिड़ संकुलन बनाने के लिए उपरोक्त वर्णित एक विमीय गोलों की पंक्तियों को व्यवस्थित किया जाता है। यह व्यवस्था दो प्रकार की जा सकती है जिससे (i) वर्ग निबिड संकुलित तथा (ii) षट्कोणीय निबिड़ संकुलित संरचनाएँ बनती है।
(i) द्विविमीय वर्ग निबिड़ संकुलन (square close packing in 2d) : दूसरी पंक्ति को प्रथम पंक्ति के निकट इस प्रकार रखा जाता है कि दोनों पंक्तियों के गोलों के केन्द्र क्षैतिजीय तथा उर्ध्वाधर रूप से एक ही रेखा में हो। यदि प्रथम पंक्ति को A प्रकार की पंक्ति कहे तो दूसरी पंक्ति भी पहली के समान होने के कारण A पंक्ति ही होगी। इसी प्रकार अनेक पंक्तियों को व्यवस्थित करके AAAA…. प्रकार की व्यवस्था प्राप्त की जा सकती है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
इस व्यवस्था में प्रत्येक गोले को चार अन्य गोले निकटतम रूप से घेरे रहते है। स्पर्श करते है। अत: गोलों की उपसंयोजन संख्या 4 है। यदि सन्निकट चार गोलों के केन्द्रों को जोड़ा जाए तो एक वर्ग प्राप्त होता है। अत: यह वर्ग निबिड़ संकुलित संरचना कहलाती है।
(ii) द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलन (hexagonal close packing in two dimension) : द्वितीय पंक्ति को प्रथम पंक्ति के निकट इस प्रकार रखा जाता है कि द्वितीय पंक्ति के गोले प्रथम पंक्ति के गोलों से बने अवनमन (गर्त) में आ जाए। तीसरी पंक्ति को पहली पंक्ति के समान ही इस प्रकार रखा जाता है कि उनके गोलों के केंद्र एक रेखा में हो। यदि पहली पंक्ति को A कहा जाता है तो दूसरी पंक्ति को B कहेंगे तथा तीसरी पंक्ति पहली के समान होने के कारण A कहलाएगी इस प्रकार ABABA…. संरचना प्राप्त होती है जो कि चित्र में दिखाई गयी है।
इस व्यवस्था में प्रत्येक गोला छ: निकटवर्ती गोलों के सम्पर्क में रहता है। यदि इन छ: गोलों के केन्द्रों को सरल रेखाओं से जोड़ा जाए तो षट्कोण की आकृति प्राप्त होती है। अत: इस संरचना को षट्कोणीय निबिड़ संकुलित संरचना कहते है।
इस अवस्था में मुक्त स्थान वर्ग निबिड़ संकुलन की तुलना में कम होता है , अत: यह व्यवस्था अधिक दक्ष है।
(c) त्रिविमीय निबिड़ संकुलन (close packing in three dimensions)
निबिड़ संकुलित संरचनाएँ बनाने के दुसरे पद में हमने देखा है कि गोलों की दो प्रकार की द्विविमीय परतें प्राप्त होती है।
(i) वर्ग निबिड़ संकुलित तथा
(ii) षट्कोणीय निबिड़ संकुलित
अब इन द्विविमीय परतों को एक के ऊपर एक रखकर त्रिविमीय संरचना प्राप्त की जा सकती है। अब हम देखेंगे कि इन द्विविमीय परतों से कितने प्रकार की त्रिविमीय संरचनाएँ प्राप्त की जा सकती है।
(I) द्विविमीय वर्ग निबिड़ संकुलित परतों से त्रिविमीय निबिड़ संकुलन (three dimensional close packing from two dimensional square close packed layers) : इस प्रकार के संकुलन को प्राप्त करने के लिए दूसरी परत को पहली परत पर इस प्रकार से रखा जाता है कि ऊपरी परत के गोले पहली परत के गोलों के ठीक ऊपर रहे। इस प्रकार की व्यवस्था में दोनों परतों के गोलों के केंद्र क्षैतिज रूप से और उधर्वाधर रूप से एक रेखा में होते है। इसी प्रकार से अन्य परतों को भी रखा जा सकता है। यदि पहली परत के गोलों की व्यवस्था को A प्रकार की व्यवस्था कहा जाए तो दूसरी तथा तीसरी एवं अन्य परतों की व्यवस्था भी A प्रकार की होगी। इस प्रकार त्रिविम में AAAA… प्रकार की संरचना बनती है जो कि चित्र में दिखाई गयी है।
इस प्रकार से बनने वाला जालक सामान्य घनीय जालक है तथा उसकी एकक कोष्ठिका आद्य घनीय एकक कोष्ठिका है।
(II) द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलित परतों से त्रिविमीय संकुलन (three dimensional close packing from hexagonal close packing in two dimension) : द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलित परतों से त्रिविमीय निबिड़ संकुलित संरचना बनाने के लिए , इन परतों को एक दूसरे पर निम्न प्रकार से रखा जाता है।
(a) दूसरी परत को पहली परत पर इस प्रकार रखा जाता है कि दूसरी परत के गोले पहली परत के गोलों से बने गर्त (अवनमन) में आ जाए। इस प्रकार पहली तथा दूसरी परत के गोलों के केंद्र एक रेखा में नहीं होंगे। अत: दोनों परतें भिन्न भिन्न स्थिति को दर्शाती है। यदि पहली परत का A द्वारा प्रदर्शित करे तो दूसरी परत को B द्वारा प्रदर्शित करेंगे। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलन की प्रत्येक परत में कुछ रिक्तियाँ (खाली स्थान) होते है जिनकी आकृति त्रिकोणीय होते है। त्रिकोणी रिक्तियाँ दो प्रकार की होती है। एक पंक्ति में त्रिकोण का शीर्ष ऊपर की तरफ होता है तो दूसरी पंक्ति में निचे की तरफ होता है।
जब भी द्वितीय परत का एक गोला प्रथम परत की रिक्ति के ऊपर होता है तब एक चतुष्फलकीय बनती है। जब इन चारों गोलों के केन्द्रों को मिलाया जाता है तो एक समचतुष्फलक बनता है। इसलिए इस रिक्ति का चतुष्फलकीय रिक्ति कहते है।
इन्हें चित्र में t द्वारा दर्शाया गया है। चित्र में O द्वारा दर्शायी गयी रिक्तियाँ पहली परत की त्रिकोणी रिक्तियों के ऊपर की तरफ तो दूसरी का शीर्ष निचे की तरफ होता है। O रिक्तियाँ छ: गोलों से बनती है। इन छ: गोलों के केन्द्रों को मिलाने पर अष्टफलकीय आकृति बनती है। अत: इन रिक्तियों को अष्टफलकीय रिक्तियाँ कहते है। चित्र में चतुष्फलकीय तथा अष्टफलकीय रिक्तियों को अलग से दिखाया गया है।
(b) तीसरी परत को दूसरी परत पर रखना : तीसरी परत को दूसरी परत पर दो प्रकार से रखा जा सकता है।
(i) दूसरी परत के चतुष्फलकीय रिक्तियों के ठीक ऊपर तीसरी परत के गोलों को रखा जाए। इस स्थिति में तीसरी परत के गोले पहली परत के गोलों के ठीक ऊपर आ जाते है। अर्थात उनके केंद्र एक रेखा में होते है। इस प्रकार तीसरी परत भी पहली परत के समान (A) बन जाती है। इस प्रकार परतों का एकांतर क्रम में पुनरावृत होता है। अत: ABABAB. . . पैटर्न बन जाता है। इसे चित्र में दिखाया गया है। यह संरचना षट्कोणीय निबिड़ संकुलित संरचना [hexagonal close packing (hcp)] संरचना कहलाती है।
इस प्रकार की संरचना Mg , Lin आदि धातुओं में पायी जाती है।
(ii) तीसरी परत को दूसरी परत पर रखने का एक अन्य तरीका इस प्रकार है। तीसरी परत को दूसरी परत पर इस प्रकार रखते है कि उसके गोले अष्टफलकीय रिक्तियों के ठीक ऊपर हो तथा उन्हें पूर्ण रूप से ढक ले। इस प्रकार तीसरी परत के गोले पहली या दूसरी परत के गोले एक रेखा में नहीं होते। यदि इस व्यवस्था को C प्रकार की व्यवस्था कहा जाता है। चौथी परत पहली परत (A) के समान होती है। इस प्रकार ABCABC…. व्यवस्था बनती है। चित्र में ये व्यवस्था दिखाई गयी है।
इस संरचना को घनीय निबिड़ संकुलित संरचना cubic close packed structure (ccp) या फलक केन्द्रित घनीय face centred cubic (fcc) संरचना कहलाती है। Cu , Ag आदि धातु इस प्रकार की संरचना में क्रिस्टलीकृत होते है।
षट्कोणीय निबिड़ संकुलित (hcp) तथा घनीय निबिड़ संकुलित (ccp) दोनों ही संरचनाओं में संकुलन उच्च क्षमता का होता है। तथा क्रिस्टल का 74% स्थान सम्पूरित करता है। दोनों में ही प्रत्येक गोला 12 अन्य गोलों के सम्पर्क में रहता है , अत: इनकी उपसहसंयोजन संख्या 12 है।