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आग्नेय शैलों का वर्गीकरण classification of igneous rocks in hindi

classification of igneous rocks in hindi आग्नेय शैलों का वर्गीकरण : पृथ्वी की भूपर्पटी का लगभग 90% भाग आग्नेय शैलो से निर्मित है लेकिन इसकी इतनी उपस्थिति अवसादी व कायान्तरित शैलो की पतली परतों से पृथ्वी की सतह के निचे छिपी हुई है।

आग्नेय शैलो का वर्गीकरण एक जटिल प्रश्न है , विभिन्न वैज्ञानिको ने विभिन्न उद्देश्यों से भिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत किये है।  वर्गीकरण मुख्यतया निम्नलिखित आधारों पर किया गया है –

  1. रासायनिक संघटन व सिलिका प्रतिशत के आधार पर
  2. खनिज संघटन के आधार पर
  3. भू वैज्ञानिक उपस्थिति अवस्था के आधार पर
  4. शैलो के गठन के आधार पर

1. रासायनिक संघटन व सिलिका प्रतिशत के आधार पर

आग्नेय शैलो के रासायनिक वर्गीकरण के सन्दर्भ में क्रास , इंडीज , पिरसो एवं वाशिंगटन के नाम उल्लेखनीय है।  उन्होंने खनिज संरचना के सिद्धांतो के आधार पर रासायनिक संघटन से मानक खनिज समुदाय (norm) की गणना की।

आग्नेय शैल में ऑक्साइड कॉम्पोनेन्ट SiO2 शैल के वजन का 40-75% होता।  Al2O3 का प्रतिशत सामान्य 10-20% तक होता है।  इनके अतिरिक्त Ca , Mg , Fe के ऑक्साइड 10% तक उपस्थित रहते है।

सिलिका प्रतिशत के आधार पर 

सिलिका प्रतिशत के आधार पर आग्नेय शैलो को निम्न ग्रुपों में वर्गीकृत किया गया है।

  1. अल्ट्राबेसिक शैल : इन शैलो में सिलिका प्रतिशत 45% से कम होती है उदाहरण – पेरीडोटाइट (peridotite)
  2. बेसिक शैल : इन शैलो में सिलिका 45-55% तक होती है example – गेब्रो व बोसाल्ट (gabbro and basalt)

iii. बेसिक शैल : इन शैलो में सिलिका 55-65% तक होती है उदाहरण – डियोराइट (Diorite)

  1. ऐसिड शैल : इन शैलो में सिलिका की मात्रा 65% से भी अधिक होती है उदाहरण – ग्रेनाइट (granite)

2. खनिज संघटन के आधार पर

खनिज संघटन के आधार पर किये गए वर्गीकरण सहज और अधिक प्रचलित है।  आग्नेय शैलों में पाये जाने वाले खनिज मुख्यतया तीन प्रकार के होते है –

  • आवश्यक (essential)
  • गौण (accessory)
  • उत्तरजात (secondary)

वे समस्त खनिज जिनकी उपस्थिति शैल निदान के लिए आवश्यक है , आवश्यक खनिज कहलाते है।  वे खनिज जो अल्प मात्रा में पाए जाते है गौण खनिज कहलाते है।  आवश्यक व गौण खनिज सीधे मैग्मा से निर्मित होते है।  इन खनिजो पर ताप , दाब और परिसंचारी विलयन के प्रभाव में परिवर्तन से उत्पन्न खनिजो को उत्तरजात या द्वितीयक खनिज कहते है।

इन समस्त खनिजों को दो मुख्य वर्गों में रखा गया है –

 फेल्सिक (एसिड खनिज )  मैफिक (बैसिक खनिज )
 क्वार्ट्ज   अभ्रक 
 फेल्सपार   पाइरोक्सिन 
 फेल्सपैथोइड   एम्फिबोल 
   आलिविन 
   लौह ऑक्साइड 
   एपाटाइट 

फेल्सिक खनिज : बहुल क्षेत्र हल्के रंग के या अल्पवर्णी , कम आपेक्षिक घनत्व (about 2.7 ) वाले होते है।  इन्हें ऐसिड खनिज भी कहते है।  उदाहरण – ग्रेनाइट , एल्कली फेल्सपार मैफिक खनिज : ये खनिज श्यामवर्णी , अधिक आपेक्षिक घनत्व (about 3.2) वाले होते है।  इन्हें बेसिक खनिज भी कहते है।  इनमे अधिक मात्रा में फेरोमैग्नीशियम खनिज होते है।

3. भू वैज्ञानिक उपस्थिति अवस्था के आधार पर

शैंड एवं होम्स ने खनिजो की सिलिका संतृप्ति के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत किया है।  उच्च सिलिका वाले खनिज , जो मुक्त सिलिका अर्थात क्वार्ट्ज के साथ रह सकते है।  संतृप्त खनिज कहलाते है।

इसके विपरीत निम्नसिलिकीयन के मुक्त सिलिका के साथ अस्थिर खनिज असंतृप्त खनिज कहलाते है।

क्वार्ट्ज , फेल्सपार , पाइराक्सिन इत्यादि संतृप्त तथा ओलिविन , फेल्सपैथोइड इत्यादि असंतृप्त खनिज है।

इन्ही खनिजो की उपस्थिति के आधार पर शैलो को निम्नलिखित वर्गों में रखा जा सकता है –

  • अति संतृप्त शैल (upper saturated) – मुक्त सिलिका युक्त
  • संतृप्त शैल (saturated) – संतृप्त खनिजयुक्त
  • असंतृप्त शैल (under saturated) – असंतृप्त खनिज युक्त

4. शैलो के गठन के आधार पर

खनिजो के अतिरिक्त शैलों का गठन भी वर्गीकरण के लिए उपयोगी है।  गठन की सहायता से शैलो की उत्पत्ति की अवस्था ज्ञात की जा सकती है।  आग्नेय शैल निम्नलिखित उत्पत्ति के होते है –

  1. अंतर्वेधी शैल (intrusive rocks)
  2. बहिर्वेधी शैल (extrusive rocks)
  3. अन्तर्वेधी शैल :भू पृष्ठ के अन्दर गहराई पर मैग्मा से निर्मित होने वाले आग्नेय शैलो को अंतर्वेधी आग्नेय शैल कहते है।  उदाहरण – गेब्रो , डायोराइट निर्माण की गहराई के आधार पर इन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया है –
  • वितलीय शैल (plutonic)
  • अधिवितलीय (hypabyssal)
  • वितलीय शैल (plutonic) : जब शैल बहुत अधिक गहराई पर क्रिस्टलित होते है तो वे वितलीय शैल कहलाते है।  मैग्मा अधिक गहराई पर होने से इन्हें क्रिस्टलित होने का काफी समय मिल जाता है और ये सुविकसित क्रिस्टल शैल प्रदान करते है।
  • अधिवितलीय (hypabyssal) : इन शैलो का निर्माण तब होता है जब मैग्मा अर्द्ध सतह के समीप जमता है ये शैलो क्षेत्रीय शैल में इंजेक्शन की तरह प्राप्त होती है इनके texture वितलीय शैलो की तुलना में छोटे होते है।
  1. बहिर्वेधी शैल (extrusive rocks) :मैग्मा के भू सतह पर उद्गार के फलस्वरूप बने लावा के संघनन पर निर्मित आग्नेय शैलो को बहिर्वेधि शैल कहते है।  उदाहरण – बैसाल्ट , रायोलाइट

इसे ज्वालामुखी शैल भी कहते है।  जब लावा ठंडा होता है और तेजी से क्रिस्टलित होता है तो इस शैल के texture पतले , महीन एवं ग्लासी बनते है।