क्लोरीन क्या है , रासायनिक और भौतिक गुण , क्लोरीन बनाने की प्रयोगशाला विधि अभिक्रिया , क्रिया (chlorine in hindi)
यह अभिक्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
4HCl + MnO2 → Cl2 + MnCl2 + 2H2O
इसके बाद सन 1810 में डेवी नामक वैज्ञानिक ने क्लोरीन की प्रकृति के बारे में विस्तार से अध्ययन किया और इस तत्व का पिला रंग होने के कारण इसे क्लोरीन नाम दिया।
यह हरे पीले रंग की गैस होती है जिसमें तीखी गंध आती है।
क्लोरीन के रासायनिक और भौतिक गुण
- यह कमरे के ताप और वायुमण्डलीय दाब पर हरित पीले रंग की गैस होती है।
- इसमें तीव्र गंध आती है।
- यह सामान्य वायु से लगभग 2.5 गुना भारी होती है ,
- यह गैस लगभग −34 °C ताप पर द्रव में परिवर्तित हो जाती है।
- क्लोरीन गैस बहुत ही अधिक जहरीली होती है , यदि इसे हल्की सी मात्रा में सांस के साथ अन्दर ले लिया जाए तो सर दर्द आदि समस्या होने लगती है तथा अधिक मात्रा में सांस के साथ लेने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
- यह जल में बहुत अधिक विलेय होती है।
- इसका क्वथनांक 239K होता है अर्थात इस ताप पर यह उबलती है।
- जब इस गैस को दाब की उपस्थिति में ठण्डा किया जाता है तो यह सरलता से द्रवित हो जाती है अर्थात द्रव में बदल जाती है।
- इसका गलनांक 171.6K होता है।
- इसकी संयोजकता 7 होती है।
- जब क्लोरीन की क्रिया दिन के उजाले की उपस्थिति में जल के साथ की जाती है तो क्रिया के फलस्वरूप हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और हाइपोक्लोरस अम्ल बनाते है , यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है –
- चूँकि इस अभिक्रिया में बना हुआ हाइपोक्लोरस अम्ल स्थायी नहीं होता है और इसलिए यह टूट जाता है और नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करता है –
- क्लोरीन नाइट्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन आदि अधातुओं को छोड़कर लगभग अन्य सभी के साथ क्रिया करती है , यह धातुओं के साथ बहुत तेजी के साथ क्रिया करती है और इस प्रकार अभिक्रिया के फलस्वरूप क्लोराइड बनते है।
- क्लोरिन की हाइड्रोजन के साथ बंधुता बहुत अधिक होती है , क्लोरिन हाइड्रोजन के साथ प्रकाश की उपस्थिति में क्रिया करके हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाती है यह क्रिया निम्न प्रकार है –
- क्लोरीन एक अच्छा ऑक्सीकारक होता है , यह फेरस को फेरिक अम्ल में ओक्सिकृत कर देता है और इसी तरह सल्फर डाइऑक्साइड को सल्फ्यूरिक अम्ल में तथा आयोडीन को आयोडिक अम्ल में ओक्सिकृत कर देता है।
- नम क्लोरीन , नवजात ऑक्सीजन देने के कारण एक अच्छे ब्लीचिंग की तरह कार्य करता है अर्थात क्लोरिन का उपयोग विरंजक के रूप में भी किया जाता है।
क्लोरीन बनाने की विधियाँ
क्लोरिन के उपयोग
- सोने और प्लेटिनम आदि के निष्कर्षण के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
- क्लोरिन का उपयोग विरंजक चूर्ण , क्लोरोफार्म आदि कई यौगिक बनाने के लिए किया जाता है।
- पेपर , कोटन आदि के लिए विरंजक के रूप में क्लोरिन का इस्तेमाल किया जाता है।
- क्लोरिन गैस के इस्तेमाल से फास्फिन , आश्रू गैस , मस्टर्ड गैस आदि विषैली गैसों का निर्माण किया जाता है।
- बरसात के दिनों में पानी को जीवाणुरहित करने के लिए क्लोरिन का उपयोग होता है।
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