अपकेन्द्रिय बल के उदाहरण , अपकेन्द्रिय बल की परिभाषा क्या है , अपकेन्द्री बल किसे कहते है , centrifugal force in hindi
(centrifugal force in hindi) अपकेन्द्रिय बल के उदाहरण , अपकेन्द्रिय बल की परिभाषा क्या है , अपकेन्द्री बल किसे कहते है , इसको इंग्लिश में क्या कहा जाता है ?
अपकेन्द्री बल– अजड़त्वीय फ्रेम में न्यूटन के नियमों को लागू करने के लिए कुछ ऐसे बलों की कल्पना करनी होती है, जिन्हें परिवेश में किसी पिंड से संबंधित नही किया जा सकता। जिन्हें परिवेश में किसी पिंड से संबंधित नही किया जा सकता। ये बल छद्म बल या जड़त्वीय बल कहलाते है। अपकेन्द्रीय बल एक ऐसा ही जड़त्वीय बल या छद्म बल है। चूंकि घूमते निकाय मे त्वरण होता है, इसीलिए इस प्रकार के बल का अनुभव होता है। इस बल की दिशा अभिकेन्द्री बल के विपरीत होती है। इस प्रकार वृत्ताकार पथ में केन्द्र से बाहर की ओर लगनेवाले बल को अपकेन्द्री बल कहते है।
उदाहरण
मोड पर कार- यदि कोई व्यक्ति कार में बैठा है और कार अचानक दायी और घूम जाए तो व्यक्ति को बायीं ओर एक झटका लगता है। इससे व्यक्ति अपनी बायीं ओर एक बल लगा अनुभव करता है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। बल्कि होता यह है कि कार तथा व्यक्ति को दायी ओर घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्री बल चाहिए, कार तो यह अभिकेन्द्री बल सड़क एवं पहियों के बीच के घर्षण से प्राप्त कर लेता है, जबकि व्यक्ति को यह नहीं प्राप्त होता है। इसीलिए व्यक्ति जड़त्व के कारण अपनी पूर्ववत सीधी दिशा में गति करने की प्रवृत्ति रखता है और इसीलिए कार के मुड़ते ही वह विपरीत दिशा में झटका खाकर ऐसा अनुभव करता है, जैसे कि उस पर कोई बल कार्य कर रहा हो यही अपकेन्द्री बल है।
बल-आघूर्ण- बल द्वारा एक पिण्ड को एक अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति को बल-आघूर्ण कहते हैं। किसी अक्ष के परितः एक बल का बल-आघूर्ण उस बल के परिमाण तथा अक्ष से बल की क्रिया-रेखा के बीच की लम्बवत् दूरी के गुणनफल के बराबर होता है अर्थात बल-आघूर्ण = बल ग बलबाहु यानी बल को अक्ष से अधिक दूरी पर लगाया जाए, तो उसका बल-आघूर्ण अधिक होगा। बल-आघूर्ण एक सदिश राशि है, इसका SI मात्रक न्यूटन मीटर होता है। बल-आघूर्ण को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। माना कि ।ठब्क् एक दरवाजा है जिसके ग् और ल् स्थान पर कब्जा लगाया गया है। दरवाजे पर एक बल च बिन्दु पर लगाते है जो ग्ल् रेखा से क दूरी है पर है इसलिए बल-आघूर्ण =च्क होगा। यदि हम बल को अब च् के बदले फ स्थान पर लगाए जो ग्ल् रेखा से क‘दूरी पर है तो बल-आघूर्ण = फकश् होगा। एक ही बल के लिए लाम्बिक दूरी बढ़ जाने पर बल-आघूर्ण का मान बदल जाता है अर्थात घूमने की प्रवृत्ति बदल जाती है। समान बल के लिए कब्जे से जितना अधिक दूरी पर बल लगाएगें, बल-आघूर्ण उतना ही ज्यादा होगा अर्थात घूमने की प्रवृत्ति घूमने की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। यही कारण है कि घर के दरवाजे मे हत्था कब्जा से दूर लगाया जाता है।
बल-आघूर्ण के अन्य उदाहरण
1. घरों में गेहूँ पीसने का जाँता का हत्था कील से दूर लगाया जाता है ताकि जाँता को घुमाने के लिए कम जोर लगाना पड़े।
2. कुम्हार के चाक में घुमाने के लिए लकड़ी फसाने का गड्ढा चाक की परिधि के पास बनाया जाता है।
3. पानी निकालने वाला हैण्ड पम्प का हत्था लम्बा होता है।
कार्य, शक्ति और ऊर्जा
कार्य-दैनिक जीवन में कार्य का अर्थ ‘किसी क्रिया का किया जाना‘ होता है, जैसे- पढ़ना, लिखना, गाड़ी चलाना आदि। परन्तु भौतिकी में ‘कार्य‘ शब्द का विशेष अर्थ है, अतः भौतिकी में हम कार्य को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते है- ‘‘कार्य की माप लगाए गए बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है।’’
अतः कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन कार्य दो सदिश राशि का गुणनफल है, परन्तु कार्य एक अदिश राशि है। इसका ैप् मात्रक न्यूटन मीटर होता है, जिसे वैज्ञानिक जेम्स प्रेस्कॉट जूल के सम्मान में जुल का जाता है और संकेत श्र द्वारा व्यक्त किया जाता है।
1 जुल कार्य = 1 न्यूटन बल ग 1 मीटर (विस्थापन बल की दिशा में)
अब यदि बल थ् तथा विस्थापन े एक ही दिशा में नहीं है, बल्कि दोनो की दिशाओं के मध्य 0 कोण बनता है, तो कार्य ू = थ्गेण्बव0
इस प्रकार कार्य का मान महत्तम तभी होगा जब बल एवं बल की दिशा में विस्थापन के मध्य 00 का कोण हो, क्योंकि बव 0° =1 होता है। इसी प्रकार जब बल एवं बल की दिशा में विस्थापन के बीच 900 का कोण हो, तो कार्य का मान शून्य होगा क्योकि बव 90° =0 होता है।
शक्ति
कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। यदि किसी कर्ता द्वारा ॅ कार्य ज समय में किया जाता है, तो कर्ता की शक्ति ॅध्ज होगी। शक्ति का ैप् मात्रक वाट है, जिसे वैज्ञानिक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है और संकेत ॅ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
। बाट = 1 जूल/सेकण्ड = 1 न्यूटन मीटर/सेकण्ड
मशीनों की शक्ति को अश्व शक्ति में भी व्यक्त किया जाता है।
1भ्.च्.त्र 746 वाट
वाट सेकण्ड- यह ऊर्जा या कार्य का मात्रक है।
1ॅे = 1 वाट ग सेकण्ड = 1 जूल
वाट-घंटा- यह भी ऊर्जा या कार्य का मात्रक हैं। (ॅी त्र 3600 जूल)
किलोवाट घंटा- यह भी ऊर्जा (कार्य) का मात्रक है।
1 ाॅी = 1000 वाट घंटा = 1000 वाट ग् 1 घंटा = 1000ग3600 सेकण्ड
= 3.6 ग 10° वाट सेकण्ड = 3.6 ग 10° जूल
ूए ाॅए डॅ तथा भ्ण्च्ण् शक्ति के मात्रक है।
ॅेए ॅीए ाॅी कार्य अथवा ऊर्जा के मात्रक है।
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