Carbonyl compounds Aldehydes and Ketones in hindi कार्बोनिल यौगिक ऐल्डिहाइड और कीटोन क्या है
कार्बोनिल यौगिक ऐल्डिहाइड और कीटोन नोट्स क्या है Carbonyl compounds Aldehydes and Ketones in hindi notes
कार्बोनिल यौगिक – ऐल्डिहाइड और कीटोन (Carbonyl compounds -Aldehydes and Ketones)
परिचय (Introduction)
वे यौगिक जिनमें >C=O समूह उपस्थित होता है, कार्बोनिल यौगिक कहलाते हैं तथा >C=O समूह को कार्बोनिल समूह कहते हैं। जब कार्बोनिल समूह के कार्बन परमाणु की एक संयोजकता एक हाइड्रोजन परमाणु द्वारा सन्तुष्ट होती है और दूसरी हाइड्रोजन परमाणु अथवा ऐल्किल समूह के द्वारा तो यौगिक ऐल्डिहाइड कहलाते है। इस प्रकार ऐल्डिहाइड में
क्रियात्मक समूह उपस्थित होता है जिसे ऐल्डिहाइड समूह कहते हैं। यह ऐल्डिहाइड समूह सदैव श्रृंखली के अन्तिम सिरे पर ही उपस्थित हो सकता है क्योंकि इसमें ऐल्डिहाइड क्रियात्मक समूह (-CHO) के कार्बन परमाणु पर केवल एक ही संयोजकता उपलब्ध होती है। यदि कार्बोनिल समूह (>CO) के कार्बन परमाणु पर उपलब्ध दोनों संयोजकताएँ ऐल्किल समूहों द्वारा सन्तुष्ट हो तो यौगिक कीटोन कहलाते है तथा इनमें क्रियात्मक समूह उपस्थित होता है जिसे कीटोनिक समूह कहते हैं। इस क्रियात्मक समूह से स्पष्ट है कि यह सदैव कार्बन श्रृंखला के मध्य उपस्थित होता है। इस प्रकार ऐल्डिहाइड और कीटोन दोनो ही कार्बोनिल यौगिक कहलाते हैं।
कार्बोनिल यौगिकों को ऐल्केन से व्युत्पित भी माना जा सकता है जिनमें श्रृंखला के एक ही कार्बन परमाणु के दो हाइड्रोजन परमाणु (एक संयोजी) को एक द्विसंयोजी ऑक्सीजन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित
ऐल्डिहाइड प्राथमिक ऐल्कोहॉल के तथा कीटोन द्वितीयक ऐल्कोहॉल के प्रथम ऑक्सीकरण उत्पाद है। इन दोनों का एक ही सामान्य सूत्र CnH2nO होता है। ऐल्डिहाइड के सामान्य संरचना सूत्र को या R-C और कीटोन के सामान्य संरचना सूत्र को अथवा R-C-R द्वारा भी प्रदर्शित कर सकते हैं। उदाहरणार्थ
नामकरण पद्धति (Nomenclature)
ऐल्डिहाइड के नामकरण की पद्धति – इनके ऑक्सीकरण से प्राप्त होने वाले संगत अम्ल के नाम से अनुलग्न ‘इक अम्ल (ic acid)’ को हटाकर उसके स्थान पर ‘ऐल्डिहाइड (aldehyde)’ लगाकर नाम दिया जाता है जैसे-
शाखित श्रृंखला ऐल्डिहाइडों को अशाखित ऐल्डिहाइडों के व्युत्पन्न के रूप में नाम दिया जाता है। शाखाओं की स्थिति दर्शाने के लिए ग्रीक शब्दों a, B,y,s आदि को प्रयुक्त किया जाता है। वह C- परमाणु Q-कार्बन कहलाता है जिस पर -CHO समूह जुड़ा होता है।
नामकरण की IUPAC पद्धति में इन्हें ऐल्केन के अन्तिम अक्षर ‘ई’ (e) को ‘ऐल’ (al) द्वारा प्रतिस्थापित कर ‘ऐल्केनैल (alkanal) नाम दिया जाता है। जैसे- HCHO मेथेनैल, CH3CHO ऐथेनैल
कीटोन के नामकरण की पद्धति-
नामकरण की रूढ़ पद्धति में सबसे सरल कीटोन को ऐसीटोन (H3C – CO—CH3) कहते हैं । कीटोन दो प्रकार के होते हैं। यदि कीटोनिक समूह पर उपस्थित ऐल्किल समूह समान हों तो कीटोन सरल कीटोन (Simple ketone ) और भिन्न ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर मिश्रित कीटोन (Mixed ketone) कहलाते है। इनको कीटोन समूह से बंधित ऐल्किल समूहों को अंगेजी वर्णमाला के क्रम में लिखकर उनके साथ शब्द ‘कीटोन’ अनुलग्नित कर नाम दिया जाता है।
जैसे— एथिल मेथिल कीटोन।
IUPAC पद्धति में उस दीर्घतम कार्बन श्रृंखला का चयन करते हैं जिसमें कीटोनिक समूह उपस्थितहोता है और उसके संगत ऐल्केन (Alkane) से ‘ई’ (e) हटाकर अनुलग्न ‘ऑन’ (one) लगा देते हैं। इस प्रकार इन्हें ऐल्केनोन (Alkanone) कहते हैं । श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जिससे कीटोनिक समूह के कार्बन को न्यूनतम अंक मिले। इस संख्या को ऐल्केनॉन के साथ पूर्वलग्नित कर देते हैं।
सारणी 5.1 में पाँच कार्बन युक्त कार्बोनिल यौगिकों (ऐल्डिहाइड एवं कीटोन) के रूढ़ तथा IUPAC पद्धति मे नाम तथा उनकी संरचनाएँ दी गई हैं।
प्रतिस्थापित ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का नामकरण ऐल्किल या प्रायिकता क्रम में -CHO समूह के नीचे आने वाले प्रतिस्थापित समूहों युक्त ऐल्डिहाइड के नामकरण के लिये -CHO समूह के C परमाणु को संख्या 1 देते हैं । अन्य प्रतिस्थापियों की श्रृंखला पर स्थिति दर्शाते हुये उन्हें अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में नाम से पूर्व लिख देते हैं। उदाहरणार्थ-
यदि यौगिक में दो ऐल्डिहाइड समूह हों तो उन दोनो – CHO समूह की स्थिति दर्शाकर संलग्न डाइएैल लगा देते हैं।
प्रतिस्थापित कीटोन के नामकरण के भी ये नियम हैं। कीटो समूह श्रृंखला के बीच में आता है अतः श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जिससे कि कीटो समूह को न्यून संख्या मिले
चक्रीय ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का नामकरण
वे ऐल्डिहाइड जिनमें -CHO समूह वलय निकाय (ring system) से जुड़ा होता है, IUPAC नाम वलय के नाम के साथ कार्बेल्डिहाइड अनुलग्नित करके दिया जाता है। उदाहरणार्थ-
बेंजीनकार्बेल्डिाइड के स्थान पर बेंजेल्डिहाइड सामान्य रूप से प्रयुक्त होता है। चक्रीय कीटोन में चूंकि कीटोनिक समूह श्रृंखला के मध्य में आते हैं अतः इन्हें ऐलिफैटिक कीटोन का व्युत्पन्न मानकर निम्न प्रकार नाम दिये जाते हैं-
यदि किसी यौगिक में –CHO समूह पूर्वलग्न के रूप में लेना पड़े तो इसे फॉर्मिल या मेथेनोयल नाम देते हैं। इसी प्रकार CH3 – C – समूह को ऐसीटिल या एथेनोल नाम देते हैं। उदाहरणार्थ-
ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का संश्लेषण
यहाँ पर ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का संश्लेषण केवल उन यौगिकों से दिया जा रहा है जो पाठ्यक्रम वर्णित है।
अम्ल क्लोराइड से ऐल्डिहाइड एवं कीटोन (Aldehydes and ketones from acid chlorides)
(A) अम्ल क्लोराइड से ऐल्डिहाइड का संश्लेषण
(I) रोजनेमुण्ड अपचयन (Rosenmund reduction)– ऐल्केनोयल क्लोरोराइड (RCOCI) का हाइड्रोजन द्वारा उबलती हुई जाइलीन में Pd / BaSO4 उत्प्रेरक की उपस्थिति में अपचयन करने पर ऐल्केनैल प्राप्त होते हैं। यह अपचयन रोजेनमुण्ड अपचयन कहलाता है।
(ii) ऐल्केनोयल क्लोराइडों का अपचयन लीथियम ट्राइ-तृतीयक ब्यूटॉक्सी ऐलुमिनियम हाइड्राइड, LiAIH[OC(CH3)3]3 के साथ – 78° पर करने पर भी ऐल्केनैल प्राप्त होते हैं। ईथर विलायक के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
डाइआइसोब्यूटिल ऐलुमिनियम हाइड्राइड भी अपचायक के रूप में ले सकते हैं।
(B) अम्ल क्लोराइड से कीटोन का संश्लेषण
(i) ऐल्केनॉयल क्लोराइड की ग्रीन्यार अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया द्वारा-
ग्रीन्यार अभिकर्मक अभिक्रिया में बने कीटोन से तुरन्त अभिक्रिया कर लेता है और तृतीयक ऐल्कोहॉल बनते हैं।
(2) ऐल्केनोयल क्लोराइड की आर्गेनोकैडमियम यौगिकों के साथ अभिक्रिया द्वारा-
इसमें पहले ग्रीन्यार अभिकर्मक की क्रिया निर्जल कैडमियम क्लोराइड के साथ करके उसे डाइऐल्किल कैडमियम में बदल लेते हैं। यह डाइऐल्किल कैडमियम ऐल्केनोयल क्लोराइड से अभिक्रिया करके ऐल्केनॉन देता है।
(3) ऐल्केनॉयल क्लोराइड की ऑर्गेनों कॉपर यौगिकों से अभिक्रिया द्वारा
ऐल्किल या ऐरिल हैलाइड लीथियम धातु के साथ अभिक्रिया से ऑर्गेनो लीथियम यौगिक बनाते है जो क्यूप्रस हैलाइड के साथ अभिक्रिया करके लीथियम ऑर्गेनों क्यूप्रेट बना देते हैं। ये लीथियम ऑर्गेनो क्यूप्रेट R2CuLi या Ar2CuLi ऐल्केनॉयल हैलाइड के साथ अभिक्रिया करके कीटोन बनाते है।
R एवं R’ ऐल्किल या ऐरिल समूह हो सकते हैं।
(4) बेंजीन एवं बेंजीन सजातों की अम्ल क्लोइराइड के साथ निर्जल AICI3की उपस्थिति में अभिक्रिया से भी ऐरोमैटिक कीटोन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसिलीकरण कहते हैं। यह इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है ।
1,3– डाईथायऐन से ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का संश्लेषण (Synthesis of aldehydes and ketones from 1, 3 – dithianes) चक्रीय 1,3 डाइथायोऐसीटैल 1, 3 – इथायऐन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-
1,3-डाइथायऐन को फॉर्मेल्डिहाइड की 1, 3- प्रोपेनडाइथायोल के साथ अभिक्रिया से निम्न प्रकार बनाया जा सकता है-
1,3-डाइथेन की अभिक्रिया ब्यूटिल लीथियम से करने पर इसका निम्नलिखित कार्बेनियन बनता है जो ऐल्किल आयोडाइड से अभिक्रिया करके 2- ऐल्किल-1, 3 – डाइथायऐन बनाता है।
R= प्राथमिक ऐल्किल या द्वितीयक ऐल्किल या बेंजिलिक समूह हो सकता है। उदाहरणार्थ –
2- ऐल्किल-1,3- डाइथायऐन का आगे भी ऐल्किलीकरण किया जा सकता है और इससे 2,2- डाइऐल्किल-1,3- डाइथायऐन को निम्न प्रकार बना सकते हैं।
2,2- डाइऐल्किल – 1,3- डाइथेन को सीधे फार्मेल्डिहाइड के अतिरिक्त अन्य ऐल्डिहाइड से भी निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है-
22- डाऐल्किल 1, 3 – डाइथायऐन का जल अपघटन करने पर कीटोन बनते हैं। जल अपघटन मेथेनॉल या ऐसीटोनाइट्राइल एवं HgCl2 द्वारा करते है ।
यहाँ भी R’= प्राथमिक ऐल्किल, द्वितीयक ऐल्किल या बेंजिलिक समूह हो सकता है।
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