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callusing in plants in hindi , Plant Callus पादपों में कैलसिंग किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है

पढ़िए callusing in plants in hindi , Plant Callus पादपों में कैलसिंग किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है ?

कोशिकीय पूर्णशक्तता (Cellular Totipotency)

परिचय (Introduction)

पूर्णशक्तता (totipotency) शब्द की उत्पत्ति टोटीपोटेन्ट = द्विलिंगी से हुई है। प्रकृति में कायिक जनन के दौरान प्रकृति में किसी भी पादप के छोटे भाग से नवीन पादप का निर्माण हो जाता है जो यह दर्शाता है कि पादप की प्रत्येक कोशिका में वह सभी जीन्स मौजूद होते हैं जो पूर्ण पादप के विकास के लिए उत्तरदायी होते हैं।

पूर्णशक्तता की संकल्पना सर्वप्रथम श्लीडन व स्वॉन ने 1838 में प्रतिपादित की थी जिस पर 1920 में हेबरलैंड ने कार्य करते हुए यह बताया कि प्रत्येक वियुक्त कोशिका को अगर सही पोषण व पर्यावरण दिया जाये तो वह पूर्ण पादप बनाने की क्षमता रखती है। इस अवस्था को उन्होंने टाइटोबिट (Titauitebt) कहा जिसे आज हम टोटीपोटेन्सी (totipotency) के नाम से जानते हैं ।

परिभाषा (Definition)

पूर्णशक्तता की अभिव्यक्ति: सजीवों की प्रत्येक कोशिका में उसी जीव के सभी लक्षणों को उत्पन्न करने की क्षमता पूर्णशक्तता कहलाती है।

पादप की कोई भी निजर्मित अवस्था में प्राप्त कोशिका को जब संवर्धन माध्यम (culture medium) पर उपयुक्त पोष पदार्थ प्रदान करते हैं तब पादप बनने से पूर्व सामान्यतः कैलस निर्मित होता है इसकी भी प्रत्येक कोशिका पूर्णशक्तता प्रदर्शित करती है व सामान्य पादप में पुनर्जनित हो सकती है। पोष पदार्थ में कायनेटिन की अधिकता (ऑक्सिन कम) होने पर स्तंभ (stem) उत्पन्न हो जाता है यह स्तंभ विकास (caulogenesis) कहलाता है जबकि पोष पदार्थ में कायनेटिन की मात्रा कम होने पर (ऑक्सिन अधिक) जड़े उत्पन्न होती हैं वह यह मूल विकास (rhizogenesis) कहलाता है।

पूर्णशक्तता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्टीवर्ड ने प्रस्तुत किया था। इन्होंने डॉकस केरोटा के द्वितीयक फ्लोएम की कोशिकाओं को कर्तोतक के रूप में इस्तेमाल किया । इन्हें निर्जर्मित अवस्था में नारियल दूध पर संवर्धित किया जिससे यह ऊतक सक्रिय रूप से वृद्धि करने लगा। कुछ समय पश्चात् इस कैलस से कुछ कोशिकाओं का छोटा पुंज अलग करके जब नये पोष पदार्थ पर संवर्धित किया गया तब यह कायिक भ्रूण में परिवर्धित हो गया ।

कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी रिपोर्ट किया कि कुछ कोशिकायें विभेदित होकर जायलम तथा फ्लोएन निर्मित करने की क्षमता रखती हैं। यह प्रक्रिया ऊतकजनन (histogenesis) कहलाती है। सभी पादप जातियों के कर्तोंतक अलग-अलग प्रकार का संवर्धन माध्यम में व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। कई बार कोशिकाओं का व्यवहार सवंर्धन माध्यम में उपस्थित पोषक तत्वों पर तथा इस माध्यम के सूक्ष्म पर्यावरण पर भी आधारित होता है। कई बार जैसी संवर्धन माध्यम व पर्यावरण की अवस्था होती है उस पर निर्भर करके कैलस कोशिकायें मेरीस्टीमॉइड बना लेती हैं। इनमें या तो ऊतक विभेदन हो जाता है अथवा यह आद्य प्राइर्मोडिया बनाती हैं जो तने व जड़ को उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया के अलावा कभी-कभी कैलस की पूर्णशक्त कोशिकायें भ्रूण परिवर्धन की विभिन्न अवस्थायें जैसे गोलाभ, हृदयाकार आदि निर्मित करके भ्रूण बनाती है अतः उपरोक्त उदाहरण से यह ज्ञात होता है कि विभिन्न पादप जातियों की पूर्णशक्त कोशिकायें संवर्धन माध्यम में किस प्रकार स्वयं को अभिव्यक्त करेंगी ।

कोशिका की पूर्णशक्तता

कोशिका की पूर्णशक्तता तीन चरणों में पूर्ण होती है-

(i).कैलसिंग (Callusing)

(ii).विभेदन (Differentiation)

(ii) संरचना विकास (Morphogenesis)

प्रायोगिक तौर पर यह देखा गया है कि कैलस में परिवर्धित हो रही सभी कोशिकायें पूर्णशक्त नहीं होती हैं हालांकि सैद्धान्तिक रूप से हर सभी कोशिका पूर्णशक्त होनी चाहिए अतः यह विचारणीय प्रश्न हूँ कि क्या कारण हैं सभी कोशिकायें पूर्णशक्त नहीं होती वैज्ञानिकों का मानना है कि पूर्णशक्तता की अभिव्यक्ति सीमित होती है जो हर पादप जाति के लिए अलग-अलग होती है।

कैलसिंग  (Callusing)

कैलस ऊतक के उचित संवर्धन हेतु इसे नियंत्रित भौतिक अवस्थाओं यथा ताप, नमी, प्रकाश आदि की आवश्यकता होती है। कैलस की उचित वृद्धि हेतु इसे 25 ° 2°C का ताप व सोलह घंटे प्रकाश तथा आठ घंटे अंधेरा चाहिये होता है। इसे दो हजार से तीन हजार लक्स के कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता होती है। संवर्धन कक्ष में 55 से 60 प्रतिशत की आपेक्षिक आर्द्रता रहनी चाहिए ।

कैलस कुछ समय तक संवर्धन माध्यम में रहने पर पोषक तत्वों का अवशोषण कर लेता है तथा वृद्धि करता हुआ कैलस कुछ विषाक्त तत्व भी संवर्धन माध्यम में स्त्रावित कर देता है जिससे कैलस की वृद्धि रूक जाती है अतः स्वच्छ कैलस को उपसंवर्धन पर स्थानान्तरित किया जाता है।

कैलस ऊतक कोशिकीय विभेदन दर्शाता है क्योंकि इसमें पूर्णशक्तता पायी जाती है। यह जायलम फ्लोएम निर्माण करने व पूर्ण पादपक (plantlet) बनाने की क्षमता रखता है। यह अंगजनक कहलाती है। कैलस की पूर्णशक्तता का उदाहरण है कि कैलस में हार्मोन का उपयोग करके सीधे ही भ्रूण प्राप्त हो जाते हैं जो नये पादप बनाने की क्षमता रखते हैं। कैलस में कोशिकीय विभेदन के समय कुछ उपापचयी पथो द्वारा द्वितीयक उत्पादों (secondary metabolities) का भी निर्माण हो जाता है । जैसे एल्केहॉइड्स, स्टीरॉइड आदि ।

कैलस ऊतक की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या में अन्तर बहुगुणसूत्रता या सगुणसूत्रता होने से मिश्रित गुणसूत्र युक्त कैलस बनता हैं एवं यह पाया गया है कि जो भी कैलस की कोशिकायें द्विगुणित होती हैं केवल वही पूर्णशक्तता दर्शाने में सक्षम होती हैं। गुणसूत्रों की विभिन्नता कर्तोतक की कायिक कोशिकाओं में पहले से उपस्थित हो सकती हैं अथवा संवर्धन माध्यम में वृद्धि करते समय उत्पन्न हो सकती हैं।

कैलस का संगठन भी कोशिकाओं की पूर्णशक्तता पर असर डालता है जैसे किसी विषमांगी (heterogenous) कैलस की सभी कोशिकायें पूर्णशक्तता प्रदर्शित नहीं करेगी इसके विपरीत समांगी (homogenous) कैलस की सभी कोशिकायें पूर्णशक्तता प्रदर्शित करने में सक्षम होती हैं।

विभेदन (Differentiation)

पादपों में कोशिकाओं के विभेदन की अवस्था एक कोशिकीय युग्मनज के कोशिका विभाजन से आरम्भ होती है। कर्तोतक जिसे संवर्धन माध्यम पर रखा है वह चूंकि पादप का ही कोई भाग होता है अतः उसकी कोशिकायें विभेदन अवस्था में होती है। संवर्धन माध्यम पर कर्तातक अविभेदित कोशिकाओं का समूह या कैलस निर्मित कर लेती हैं। यह निर्विभेदन (dedifferentiation) अवस्था कहलाती है। इस कैलस को जब पुनर्जनन हेतु पोषक तत्वों से युक्त उपयुक्त पोष पदार्थ पर संवर्धन के लिए रखा जाता है तब यह कोशिकायें पादपक या पादप अंगों का निर्माण करने लगती हैं। पादप की सभी कोशिकायें यह कार्य करने में सक्षम होती हैं व वह पूर्णशक्त (totipotent) कहलाती हैं। पुनर्विभेदन प्रक्रिया के दौरान कुछ, कोशिकायें नव संवर्धन माध्यम में कोशिका जीर्णता या कोशिकाशीलता (cytosensescence of cytogeniescence) दर्शाती है। यह कोशिका विभेदन से सम्बन्धित होता है तथा यह जायलम, फ्लोएम निर्मित करते हैं।