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अमीटर का अंशशोधन क्या है परिपथ चित्र तथा संयोजन Calibration of ammeter in hindi circuit diagram

Calibration of ammeter in hindi अमीटर का अंशशोधन : जब किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान अमीटर की सहायता से ज्ञात किया जाता है तो धारा का यह पाठ्यांक गलत हो सकता है इसलिए अमीटर से प्राप्त पाठ्यांक को विभवमापी से प्राप्त धारा के पाठ्यांक से जाँच की जाती है , अमीटर के पाठ्यांक के विभवमापी के पाठ्यांक से जाँच को ही अमीटर का अंशशोधन कहते है।

परिपथ चित्र तथा संयोजन (circuit diagram and assembling)

यह चित्र आपको वोल्टमीटर का अंशशोधन जैसा ही दिख रहा होगा , इस परिपथ में हमने प्रतिरोध बॉक्स (RB) के स्थान पर 1 ओम की कुण्डली काम में ली है तथा इस एक ओम की कुंडली के श्रेणीक्रम में अमीटर का उपयोग किया है।
यह दोनों परिपथों में मुख्य अंतर है।
बाकी दोनों परिपथ (वोल्ट्मीटर का अंश शोधन व अमीटर का अंशशोधन) समान है।
अतः अमीटर के अंशशोधन के लिए चित्रानुसार परिपथ तैयार करते है , प्रत्येक अवयव को ध्यान से जोड़ते है।

कार्यविधि (working )

प्राथमिक परिपथ में कुंजी K1 पर डॉट लगाते है तथा द्विमार्गी कुंजी में टर्मिनल 1-2 पर भी डॉट लगाते है और सर्पी कुंजी को तार AB पर सरकाते है तथा धारामापी में में संतुलन की अवस्था ज्ञात करते है जिससे हमें मानक सेल का विद्युत वाहक बल (E1) प्राप्त होता है।
माना तार पर विभव प्रवणता (एकांक लम्बाई पर विभवांतर में अंतर ) x है तथा हमें संतुलन की स्थिति L0 लम्बाई पर प्राप्त होती है तो
E1 = xL0
x = E1/L0
अब र्मिनल 1-2 से डॉट हटाकर 2 व 3 के बीच डॉट लगा देते है तथा K2 कुंजी पर भी डॉट लगाकर द्वितीय परिपथ को पूर्ण कर देते है।
अमीटर में प्रवहित हो रही विद्युत धारा का मान नोट कर लेते है यह धारा का मान त्रुटिपूर्ण माना जाता है इसके अंशशोधन के लिए सर्पी कुंजी की सहायता से संतुलन की स्थिति ज्ञात करते है , माना संतुलन की स्थिति L2 लम्बाई पर प्राप्त होती है। 1 ओम कुंडली के सिरों पर माना विभवान्तर V’ है।
अतः  विभवमापी सिद्धांत से
V’ = xL2
ओम के नियम से
V’ = I’R
चूँकि R = 1 अतः
V’ = I’
अतः
I’ = xL2
I’ विभवमापी द्वारा मापा गया यथार्थ (सही ) मान है
विभवमापी तथा अमीटर द्वारा लिए गए पाठ्यांको में अंतर
I = I – I’
अतः यथार्थ या सही मान
I’ = I – I