जैव चिकित्सा तकनीके (bio medical technologies in hindi) , रक्त की जाँच , हीमोग्लोबिन की जाँच
रक्त की जाँच
मनुष्य की विभिन्न अवस्थाएँ
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हेमोग्लोबिन की मात्रा (ग्राम/100 ml रक्त)
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वयस्क नर
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15.5 ± 2.5
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व्यस्क मादा
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14.0 ± 2.5
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शिशु (3 माह)
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11.5 ± 2.5
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बालक (3 – 6 साल)
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12.0 ± 1.0
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बालक (10 से 12 साल)
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13.0 ± 1.5
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2. कुल श्वेताणु गणना (total lymphocyte count) (TLC)
मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले श्वेत रक्ताणु सामान्यत: निम्न प्रकार के होते है –
(A) न्युट्रोफिल्स : (40% – 75%)
(B) इयोसिनोफिल : (6-6.4%)
(C) बेसोफिल्स : (0 – 2%)
(D) लिम्फोसाइट्स : (20 – 47%)
(E) मानोसाइट्स (2 – 10%)
एक newbar’s chamber का चित्रित निरूपण निम्न प्रकार है –
TLC ज्ञात करने हेतु निम्न चरणों का उपयोग किया जाता है –
1. सर्वप्रथम पिपीट की सहायता से 0.5 अंक तक रक्त लिया जाता है तथा इसे 11.0 अंक तक लिए गए श्वेताणु तनुकारी विलयन के साथ मिश्रित किया जाता है।
cover slip की सहायता से newbarr’s chamber का ढका जाता है।
कवर स्लिप से ढकने के पश्चात् new barr’s चैम्बर के प्रत्येक बड़े खाने में उपस्थित 16 , 64 खाने में उपस्थित WBC की मात्रा को ज्ञात कर लिया जाता है।
New barr’s chamber में विलयन को डालने के पश्चात् 5 मिनट तक विलयन को स्थिर रखा जाता है।
4 बड़े खानों में उपस्थित 64 खानों में कुल WBC की संख्या ज्ञात करने हेतु निम्न सूत्र का उपयोग किया जाता है।
कुल WBC = चार बड़े खानों में उपस्थित WBC की संख्या x तनुता x कक्ष की गहराई
प्रत्येक घन मिली मीटर में WBC की संख्या ज्ञात करने हेतु निम्न सूत्र का उपयोग किया जाता है।
TLC = no. of wbc in /mm3 = कुल WBC x 20 x 10 x 0.1
उपरोक्त गणित संख्या के आधार पर मनुष्य के शरीर में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है जैसे रक्त कैंसर में WBC की संख्या कई गुना बढ़ जाती है , वही टाइफाइड , T.B. , कसरा , डेंगू , काला ज्वर आदि में WBC की संख्या कम हो जाती है।
differential leukocyte count (DLC)
विभिन्न प्रकार के WBC की असामान्य प्रकृति
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संभावित रोग का संकेत
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1. न्युट्रोफिल की संख्या में वृद्धि
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इसके फलस्वरूप सामान्य मवाद का संक्रमण होने का संकेत मिलता है। इसके अतिरिक्त प्रदाह क्रिया का संकेत मिलता है।
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2. इयोसिनोफिल्सकी वृद्धि
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वृद्धि के कारण किसी परजीवी का संक्रमण या अतिसंवेदनशील संक्रमण या एलर्जी होने का संकेत मिलता है।
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3. बेसोफिल की वृद्धि
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चिकन पोक्स रोग
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4. लिम्फोसाइड की संख्या में वृद्धि
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कुकर खाँसी
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5. मोनोसाइड की संख्या में वृद्धि
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T.B रोग उत्पन्न होने का संकेत
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6. T4 Lymphocyde की संख्या में वृद्धि
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एड्स उत्पन्न होने का संकेत
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