भरहुत स्तूप का निर्माण किसने करवाया ? भरहुत स्तूप की खोज किसने की विशेषताएं bharhut stupa in hindi
bharhut stupa in hindi भरहुत स्तूप का निर्माण किसने करवाया ? भरहुत स्तूप की खोज किसने की विशेषताएं ?
प्रश्न: भरहुत
उत्तर: यह स्थान मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है। यहां मौर्य सम्राट अशोक ने ईटों का एक स्तूप का निर्माण करवाया था। शुंगकाल में उसका
विस्तार किया गया तथा उसके चारों ओर पाषाण की वेष्टिनी निर्मित्त कर दी गयी। वेष्टिनी के चारों ओर एक-एक तोरणद्वार बना था। स्तूप तथा वेष्टिनी के मध्य प्रदक्षिणापथ था। वेष्टिनी में कुल 80 स्तम्भ लगाये गये थे। वेष्टिनी, स्तम्भ तथा तोरण पट्टों पर खुदी हुई मूर्तियाँ हैं तथा ये बुद्ध के जीवन की घटनाओं, जातक कथाओं तथा मनोरंजक दृश्यों से युक्त हैं। यक्ष, नाग, लक्ष्मी, राजा, सामान्य पुरुष, सैनिक, वृक्ष, बेल आदि उत्कीर्ण हैं। सबसे ऊपर की बड़ेरी पर धर्मचक्र स्थापित था जिसके दोनों ओर त्रिरत्न थे। तोरण वेष्टिी के ऊपर कुछ ऐतिहासिक दृश्यों का भी अंकन है। एक स्थान पर कोशलराज प्रसेनजित तथा दूसरे पर मगधराज अजातशत्रु को बुद्ध की वन्दना करते हुए प्रदर्शित किया गया है।
1873 ई. में कनिंघम महोदय ने भरहुत स्तूप का पता लगाया था। यह सम्प्रति अपने मूल स्थान से नष्ट हो गया है। इसके अवशेष कलकत्ता तथा प्रयाग के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। इन्हें देखने से लोक-जीवन के विविध अंगों की जानकारी मिलती है।
प्रश्न: बराबर गुफा
उत्तर: बिहार के गया जिले में बेला स्टेशन से आठ मील पूरब की ओर बराबर नामक पहाड़ी है। यहां से मौर्यकाल की बनी हुई सात गुफायें प्राप्त
हुई हैं। तीन में अशोक के लेख अंकित हैं। इन्हें अशोक ने आजीवक सम्प्रदाय के भिक्षुओं के निवास लिए बनवाया था। अशोक के पौत्र दशरथ के लेख. भी इन गुफाओं में खुदे हुए हैं। उसने भी यहां गुहा-विहार बनवाये थे। इन गुफाओं को नागार्जुनी गुफा भी कहा जाता है। अशोक कालीन गुफाओं में श्सुदामा गुफाश् तथा श्कर्णचैपारश् प्रसिद्ध है। दशरथ की गुफाओं में श्लोमशऋषि गुफाश् तथा श्गोपिकागुफाश् उल्लेखनीय हैं। इनमें मौर्य युगीन गहा-स्थापत्य की सभी विशेषतायें प्राप्त हो जाती हैं।
प्रश्न: धान्यकटक
उत्तर: आन्ध्र प्रदेश के गुन्टूर जिले में स्थिर धरणीकोट नामक स्थान सातवाहन युग में धान्यकटक नाम से विख्यात था। यह अमरावती क सान्नकट
था। यह कुछ काल तक सातवाहनों की राजधानी रहा। इस नगर की प्रसिद्धि का कारण इसका महत्वपूर्ण व्यापारिक मण्डी होना था। यहाँ
सातवाहन साम्राज्य के पर्वी भाग की सबसे बडी मण्डी थी जहाँ अत्यन्त धनी एवं समृद्ध व्यापारी एवं व्यवसायी निवास करते थे। यहाँ से
उत्तर तथा दक्षिण को अनेक व्यापारिक मार्ग होकर गुजरते थे। सातवाहन नरेशों का काल व्यापार-वाणिज्य के लिये अत्यन्त प्रसिद्ध रहा है
तथा इस प्रसिद्धि का कारण ऐसे ही व्यापारिक केन्द्र थे। समृद्ध व्यापारियों ने स्तूपों एवं अन्य बौद्ध स्मारकों का निर्माण करवाया था।
प्रश्न: नागार्जुनीकोण्ड
उत्तर: आन्ध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से 100 मील दक्षिण-पूर्व की दिशा में (वर्तमान गनटर जिले में) यह स्थल स्थित है। परम्परा के अनुसार बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन से संबंधित होने के कारण इसका यह नाम पड़ गया। महाभारत में इसका प्रारम्भिक नाम श्श्रीपर्वतश् मिलता है। सातवाहनों के राज्य में यह स्थान था। सातवाहन नरेश हाल ने श्रीपर्वत पर नागार्जुन के लिये एक विहार बनवाया था। यहाँ वे जीवन-पर्यन्त रहे जिससे यह स्थान नागार्जुनीकोंड नाम से प्रसिद्ध हो गया।
सातवाहनों के पश्चात् इस क्षेत्र में ईक्ष्वाकु वंश का शासन स्थापित हुआ। उनके समय में आन्ध्र की राजधानी अमरावती से हटकर नागार्जुनीकोंड में आई तथा इसे श्विजयपुरीश् कहा गया। ईक्ष्वाकु राजाओं ने यहाँ बौद्ध स्तूप तथा विहारों का निर्माण करवाया था। नागार्जुनीकोण्ड का पता 1926 ई. में लगा। 1927 से 1959 के बीच यहाँ कई बार खुदाइयाँ की गयीं जिससे बहुमूल्य अवशेष प्राप्त हुए। एक महास्तूप तथा कई अन्य स्तूपों के अवशेष मिलते हैं। कई ब्राह्मी लेख भी प्रकाश में आये हैं। महास्तूप गोलाकार था। इसका व्यास 106श् तथा ऊँचाई 80श् के लगभग थी। भूमितल पर 13श् चैड़ा प्रदक्षिणापथ था जिसके चतुर्दिक् वेदिका थी। बुद्ध का एक दन्तावशेष धातु-मंजूषा में सुरक्षित मिला है।
महास्तूप के अतिरिक्त कई छोटे स्तूपों के अवशेष भी यहाँ से मिले हैं। सबसे छोटा स्तूप 20श् के व्यास का है। लेखों से पता चलता है कि ईक्ष्वाकु राजाओं की रानियों ने यहाँ कई विहारों का निर्माण करवाया था। यहाँ श्कुलविहारश् तथा श्सीहलविहारश् नामक दो बड़े विहार बने थे। यहाँ से एक श्मल्लशालाश् का अवशेष भी मिला है जो 309श्ग356श् के अकार में थी। इसे पक्की ईटों से बनाया गया था। इसके पश्चिम की ओर एक मण्डप था। चारों ओर दर्शकों के बैठने के लिये चैड़ा स्थान था। नागार्जुनीकोंड के अवशेषों को देखने से स्पष्ट होता है कि यह महायान बौद्ध धर्म का एक प्रसिद्ध केन्द्र था।
प्रश्न: नासिक
उत्तर: महाराष्ट में नासिक के निकट गोदावरी नदी के तट पर यह स्थान है। शक-सातवाहन युग में यह बौद्धधर्म का प्रमुख स्थल था। यहाँ से
बौद्ध-गुफाओं का एक समूह मिला है। यहाँ कुल 17 गुफाओं का निर्माण हुआ जिनमें 16 विहार तथा एक चैत्य है। प्राचीनतम विहार से सातवाहन नरेश कृष्ण का एक लेख मिलता है। यह छोटा है। बड़े विहारों में श्नहपान विहारश् प्रथम है जिसमें 16 कोठरियाँ बनी हैं। इसमें नहपान के दामाद उषावदात का एक लेख मिलता है जिससे पता लगता है किन बाट संघ को एक विहार दान में दिया था। इसके अतिरिक्त सातवाहन नरेशों – गौतमीपुत्र शातकर्णि तथा यज्ञश्री – के समय के भी एक-एक बिहार यहाँ से मिलते हैं।
नासिक के चैत्यगह का निर्माण प्रथम शती ईसा पूर्व में हुआ था। इसके मण्डप में सीधे खम्भे लगे हैं। उत्कीर्ण ब्राह्मी लेख में दानकर्ताओं के नाम हैं। इसे श्पाण्डु-लेखश् कहा जाता है। नासिक का एक प्राचीन नाम गोवर्धन भी था। जैन तीर्थों में भी नासिक की गणना की गयी है। रामायण की कथाओं से संबंधित कई स्थल भी यहाँ विद्यमान हैं।
प्रश्न: पट्टडकल
उत्तर: कर्नाटक प्रान्त के बीजापुर जिले में मालप्रभा नदी के तट पर यह स्थान बसा हुआ है। 992 ई. के एक लेख से ज्ञात होता है कि यहाँ चालक्य
वंशी राजाओं की राजधानी थी जहाँ वे अपना अभिषेक कराते थे। पट्टडकल को चालुक्य वास्त एवं तक्षण कला का प्रमख केन्द्र माना जाता है। यहाँ से दस मन्दिर मिले हैं जिनमें चार उत्तरी तथा छः दक्षिणी शैली में निर्मित हैं। पाप-नाथ का मन्दिर तथा संगमेश्वर के मन्दिर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। विरुपाक्ष का मन्दिर सर्वाधिक सुंदर तथा आकर्षक है। इसका निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की रानी ने 740 ई. में करवाया था। मन्दिर के सामने नन्दिमण्डप और वेदिका तथा एक तोरणद्वार बना है। बाहरी दीवार में बने ताखों में शिव, नाग आदि की मूर्तियाँ रखी हैं तथा । के दृश्यों को उत्कीर्ण किया गया है।
पट्टडकल के सभी मन्दिरों में स्पूत के आकार के शिखर लगे हैं तथा उनमें कई तल्ले हैं। प्रत्येक तल्ले में मर्तियाँहै। मन्दिर पूर्णतया पाषाण-निर्मित हैं। यहाँ के मन्दिर उत्तरी और दक्षिणी भारत की वास्तुकला के बीच कडी हैं।
प्रश्न: मदुरा
उत्तर: ,तमिलनाडु प्रांत का वर्तमान मदुरै ही प्राचीनकाल का मदुरानगर था। यहां पाण्ड्य राज्य की प्रसिद्ध राजधानी थी। संस्कृत साहित्य में इसे
दक्षिणी मधुरा अर्थात् मथुरा कहा गया है। वैगा नदी के दक्षिणी किनारे पर यह नगर बसा था। इस नगर के स्थान पर पहले कदम्बों का एक वन था। इसके पूर्व में श्मणवूरश् में पहले पाण्ड्यों की राजधानी थी। कालान्तर में वन को काटकर पाण्ड्यों ने एक सुन्दर नगर बसाया तथा अपनी राजधानी मणवूर से लाकर यहां बसाई। यह नगर मदुरा कहा गया। इसका एक अन्य नाम कदम्बवन भी था। यहां सुन्दरेश्वर का भव्य मंदिर स्थित था। तमिल ग्रंथों से मथुरा नगर की समृद्धि सूचित होती है। यहां चैड़ी सड़कें थीं जिनके दोनों ओर भव्य भवन बने हुए थे। अलग-अलग जातियों के लिये यहां अलग-अलग बस्तियाँ थी। राज्य की ओर से. नगर में सार्वजनिक स्नानगृह, विद्यालय, बाजार, क्रीड़ास्थल तथा व्यायामशालायें बनी हुई थी। नगर के स्वच्छता की समुचित व्यवस्था थी।
मदुरा यद्यपि एक प्राचीन नगर था तथापि यहां के वर्तमान स्मारक 16वीं शती में निर्मित हुए जिनमें मीनाक्षी का मंदिर सर्वप्रमुख है।
प्रश्न: वातापी
उत्तर: कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में वर्तमान बादामी ही प्राचीन काल का वातापी है। यह नगर चालक्य वंश की राजधानी थी। इसकी स्थापना
पुलकेशिन् प्रथम (535-566) ने की तथा यहां एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया। उसक उत्तराधिकारियों के समय में इस नगर की महती
उन्नति हुई। आठवीं शती के मध्य यहां राष्ट्रकूटों ने अधिकार कर लिया।
वातापी हिन्दू, बौद्ध तथा जैन धर्मों का प्रसिद्ध केन्द्र था। चालुक्य शासकों ने यहां अनेक निर्माण कार्य करवाये। यहां से पाषाण काट कर बनवाये गये चार स्तम्भयुक्त मण्डपों (च्पससंतमक.त्वबा.ब्नज भ्ंससे) के उदाहरण मिलते हैं। इसमें तीन हिन्दू तथा एक जैन हैं। सभी में स्तम्भों वालें बरामदें, मेहराबदार ताख तथा वर्गाकार गर्भगृह हैं। एक वैष्णव गुहा मिलती ह जिसके बरामदे में विष्णु की दो रिलीफ मूर्तियाँ – अनन्तशायी तथा नृसिंहरूप – मिलती हैं। गुफाओं की भीतरी दीवारों पर सुन्दर चित्रकारियाँ मिलती हैं। इनकी वास्तु तथा स्थापत्य सराहनीय है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics