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जैव प्रक्रम : स्वपोषी पोषण और स्वपोषी जीवो autotrophic nutrition class 10 in hindi

autotrophic nutrition class 10 in hindi स्वपोषी पोषण और स्वपोषी जीवो : जैव प्रक्रम

इस अद्याय से हम biology वाला पार्ट start करेंगे |

जैव का मतलब सजीव से होता है और सजीव वे कहलाते है जिनमे वृद्धि संबंधी या अन्य गतियाँ हो सकती हैं। सभी कुत्ते , गाय , इन्सान और पौधे जिनमे वृद्धि या अन्य गतियाँ होती है संजीव कहलाते है

सजीव के शरीर की संरचना सुसंगठित होती है। कोशिकाएँ (Cell) जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। सभी जीव कोशिकाऔ से मिलकर बने होते है। कोशिकाऔ से मिलकर उतक बनते हैं। कई उतक मिलकर शरीर के अंगों का निर्माण करते हैं। प्रत्येक अंग का शरीर में महत्वपूर्ण काम होता है। जैसे दाँत का कार्य भोजन को चबाना है, काण का कार्य सुनना है, आदि। जीव का शरीर एक सुव्यवस्थित तथा सुगठित संरचना है जो की निरंतर गति में रहकर कार्य करती हैं एवं एक जीव को जीवित रखती हैं। सजीव की यह संगठित एवं सुव्यवस्थित संरचना पर्यावरण के प्रभाव के कारण समय के साथ-साथ विघटित या टूटने लगती है। यदि यह व्यवस्था टूटती है तो जीव और अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाता। जीवों के शरीर को मरम्मत तथा अनुरक्षण की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार से जीवों के शरीर में कई प्रक्रम होते है जो की जो शारीरिक संरचना का अनुरक्षण करते हैं।

जैव प्रक्रम की परिभाषा

वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं जैव प्रक्रम कहलाते है। पोषण, श्वसन, वहन, उत्सर्जन आदि सभी जैव प्रक्रम के उदाहरण है।

पोषण

क्षति तथा टूट-फूट रोकने के लिए अनुरक्षण प्रक्रम की आवश्यकता होती है अतः अनुरक्षण प्रक्रम के लिए शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा जीव के शरीर के बाहर से पोषण से प्राप्त होती है । ऊर्जा के स्रोत का बाहर से जीव के शरीर में स्थानांतरण के लिए कोई प्रक्रम का होना जरूरी है।

जीवों के भोजन ग्रहण करने तथा उसका उपयोग कर उर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया या प्रक्रम को पोषण कहलाता है।

सजीव अपना भोजन कुछ इस तरह से प्राप्त करते है

सभी जीवो के शरीर को काम करने के लिए को उर्जा की आवश्यकता होती है और यह उर्जा उन्हें भोजन से प्राप्त होती है। इसी प्रकार से सजीवों में उर्जा प्राप्त करने के तरीके अलग अलग होते हैं।

कुछ सजीवो जैसे की पेड़, पौधे तथा कुछ जीवाणु अकार्बनिक श्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल के रूप में सरल पदार्थ प्राप्त करते हैं, जिनसे उन्हें उर्जा मिलती है। ऐसे जीवो को स्वपोषी कहा जाता है। जो की उर्जा खुद से बनाए गए भोजन से प्राप्त करते है। अंग्रेजी में ऐसे जीवों को ऑटोट्रोप्स कहा जाता है जिसमे की ऑटो का अर्थ है खुद तथा ट्रॉप्स का अर्थ ह पोषण, अर्थात खुद से पोषण प्राप्त करने वाले।

दुसरे सजीव जैसे की जीव, जंतु , मनुष्य, गाय, तथा अन्य जानवर, जिनकी शारीरिक संरचना अधिक जटिल हैं, उर्जा प्राप्ति के लिए जटिल पदार्थों का भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। इन जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में खंडित किया जाना अनिवार्य है क्योकि यह सरल पदार्थ जीव के समारक्षण तथा बृद्धि में इनका उपयोग होता है।

जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करने के लिए जीव जैव उत्प्रेरक का उपयोग करते हैं, जिन्हें एंजाइम कहते हैं। ऐसे जीवो को विषमपोषी जीव कहा जाता हैं जो की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वपोषी पर आश्रित होते हैं।

पोषण को दो भागों में बांटा जा सकता है: (1) स्वपोषी पोषण  (2) विषमपोषी पोषण।

1.स्वपोषी पोषण

स्वयं के द्वारा बनाये गये भोजन से पोषण प्राप्त करना स्वपोषी पोषण कहलाता है। कुछ सजीव जैसे की हरे पेड़ पौधे तथा कुछ अन्य जीव, खुद ही भोजन बनाकर इनसे पोषण प्राप्त करते हैं, अत: ये जीव स्वपोषी पोषण से अपना पोषण प्राप्त करते है। अन्य जंतु जैसे जीव, जंतु ,मनुष्य, गाय, तथा अन्य जानवर इन स्वपोषी जीव पर भोजन तथा पोषण के लिए निर्भर होते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा स्वपोषी जीव पोषण के लिये आवश्यक उर्जा तथा कार्बन बना लेते है। इस प्रक्रिया में स्वपोषी जीव बाहरी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल लेते हैं। इस कार्बन डाइऑक्साइड को प्रकाश से क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट, जो उर्जा प्रदान करता है, के रूप में परिवर्तित कर संचित कर लेते हैं। यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है।

FIG :पत्ती का अनुप्रस्थ काट 

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)

प्रकाश संश्लेषण को अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस (Phostosynthesis) कहते हैं। जिसमे फोटोसिंथेसिस को दो शब्दों में “फोटो” (Photo) तथा “सिंथेसिस (Synthesis)” में बांटा जाता है। इसमें “फोटो” का अर्थ “प्रकाश” तथा “सिंथेसिस” का अर्थ “बनाना” होता है, अर्थात प्रकाश की उपस्थिति में भोजन बनाना या बनाने की प्रक्रिया।

प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक पदार्थ सूर्य का प्रकाश ,कार्बन डाइऑक्साइड,जल तथा क्लोरोफिल का होना अनिवार्य है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से स्वपोषी जीव अपना भोजन बनाते है जिसके लिए सूर्य का प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड, जल, तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति होना अनिवार्य है। इनमे से किसी एक की अनुपस्थिति भी प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया को पूरा करने में असमर्थ है।

प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया को पूरा होने के लिए दिए गए steps का होना अनिवार्य है।

1. क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना क्लोरोफिल जो की हरे पत्तो में होता है

2.प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपांतरित करना

3.जल अणुओं का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में अपघटन या टूटना ।

4.कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन।

इस पार्ट मे , केवल स्वपोषी पोषण और स्वपोषी जीवो के बारे मे discuss किया | अब आगे के आर्टिकल मे  विषमपोषी पोषण और  विषमपोषी जीवो को discuss करेगे |