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स्वायत्त तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं ? what is autonomic nervous system in hindi अनुकंपी तंत्रिका तन्त्र

what is autonomic nervous system in hindi स्वायत्त तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं ? अनुकंपी तंत्रिका तन्त्र की परिभाषा क्या है ?

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (autonomic nervous system) : स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को ‘vegetative nervous system’ भी कहते है | स्वायत्त तंत्रिका तन्त्र में परिधीय तंत्रिकाओं का विशिष्ट समूह होता है जो ह्रदय , फेफड़ें , आहारनाल और अन्य आंतरिक अंगों को उत्तेजित (innervate) करते है और अनेक कार्य करते है जो इच्छा के अधीन नहीं होते हैं | वास्तव में सभी आंतरिक अंगों की क्रिया स्वायत्त शासी तंत्रिका तंत्र के तंत्रिका तन्तुओं के द्वारा उनकी चिकनी पेशियों और ग्रंथियों के नियमन के द्वारा समन्वित होती है | CNS से उत्पन्न होने वाले कुछ चालक तन्तु स्वायत्तशासी गुच्छक से गुजरते है जो फूले हुए और अनेक न्यूरोन की कोशिका काय युक्त बल्ब जैसी संरचना होती है | तंत्रिका तंतु जो स्वायत्त गुच्छक में प्रवेश करते है , preganglionic fibres के रूप में उत्पन्न होते है | postganglionic fibres गुच्छकों में उत्पन्न होते है और चिकनी पेशियों और ग्रंथियों को आपूर्ति करते है | ये preganglionic और postganglionic fibres और autonomic ganglia मिलकर स्वायत्तशासी तंत्रिका तंत्र बनाते है |

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कार्यात्मक रूप से स्वत: ही अनुकंपी (sympathetic) और परानुकंपी (para-sympathetic) तंत्रिका तंत्र में बंटा होता है | अनुकंपी और परानुकंपी तंत्र को क्रमशः ‘thoracolumbar’ और ‘craniosacral’ outflow भी कहते हैं | क्योंकि प्रारंभिक मेरुरज्जु के वक्षीय (उच्च) और कटि खण्ड (निम्न) से और पश्च भाग मस्तिष्क और मेरुरज्जु के सैक्रल भाग से उत्पन्न होते हैं | दोनों तंत्र antagonistic होते हैं क्योंकि एक तंत्र की तंत्रिका दूसरे के विपरीत प्रभाव रखती है |

अनुकंपी तंत्रिका तन्त्र : अनुकंपी तन्त्रिका तंत्र में मेरुरज्जु के प्रत्येक तरफ एक ganglionated nerve fibres की दो लम्बी श्रृंखलाएँ होती हैं | इस तंत्र के तंत्रिका तन्तु (preganglionic sympathetic fibres) मेरुरज्जू के धूसर द्रव्य के पाशर्व भाग से प्रथम वक्षीय से द्वितीयक कटि खण्ड तक विस्तारित रहते हैं | प्रत्येक preganglionic fibre अधर मेरू तंत्रिका मूल के द्वारा मेरुरज्जु को छोड़ता है और मेरू तंत्रिकाओं से उत्पन्न होता है और कुछ दूरी के बाद पाशर्व अनुकंपी श्रृंखला के एक ganglion में प्रवेश करता है | तंतु बाद में अन्दर की तरफ शाखित हैं और इसकी शाखाएँ अनेक ganglia में उसकी गुच्छक कोशिकाओं के साथ सिनेप्स बनाती हुए समाप्त हो जाती है | इन सिनेप्सों से post ganglionic तंत्रिका तंतु उत्पन्न होते हैं और अपने गंतव्य (destination) की तरफ बढ़ते है | कुछ preganglionic तन्तु पाशर्व ganglia में बिना समाप्त होते हुए गुजरते हैं | ये तन्तु पाशर्व श्रृंखला से उत्पन्न होने की बजाय ऊतक के समीप विलगित गुच्छक के लिए गुजरते हैं और श्रृंखला से दूर उन ganglia में समाप्त हो जाते है | इस तरह के ganglia पाशर्वीय गुच्छक (collateral ganglia) कहलाते है |

अनुकंपी गुच्छक : अनुकम्पी गुच्छक संरचना है जहाँ pre- और post ganglionic sympathetic fibres के मध्य सिनेप्स बनता है –

  • Sympathetic trunk : यह कशेरूक दण्ड के ठीक पाशर्व में गर्दन से काकिक्स (coccyx) तक विस्तारित गुच्छक की अत्यावश्यक श्रृंखला है | यहां कशेरूक दंड के प्रत्येक पाशर्व में तंतुओं के द्वारा जुड़े हुए दो sympathetic trunks होते हैं | प्रत्येक trunk में 21 गुच्छक होते है |
  • पाशर्वीय गुच्छक : ये गुच्छक prevertebral ganglia कहलाते हैं | ये उदरीय गुहा में समान नाम वाली धमनियों (arteries) के उत्पत्ति स्थल के समीप स्थित होते हैं | ये निम्न हैं –
  • coeliac ganglion , coeliac artery की उत्पत्ति स्थल के समीप स्थित होता है |
  • superior mesenteric ganglion , superior mesenteric artery के समीप स्थित होता है |
  • Inferior mesenteric ganglion , inferior mesenteric artery की उत्पत्ति के समीप स्थित होता है |
  • Terminal ganglia : ये bladder और रेक्टम के समीप स्थित होते है |
  • अनुकंपी तंत्रिका एड्रिनल ग्रंथि को एड्रिनेलिन के स्त्रावण के लिए उत्तेजित करती है | post ganglionic sympathetic fibres मुख्यतः एड्रिनर्जिक प्रकार के होते है अत: ये अंत सिरे पर दो न्यूरोट्रांसमीटर एड्रिनेलिन या नार एड्रिनेलिन मुक्त करते है | इसलिए अनुकंपी तंत्रिका तंत्रिका एड्रिनल ग्रंथि के साथ sympatheticoadrenal system के रूप में विस्तृत प्रभाव के साथ कार्य करती है |

परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र : परानुकम्पी अपवाही constricts मेरुरज्जु के सेक्रल खण्ड की तरह brain stem से बनते है और यह तंत्र craniosacral outflow भी कहलाता है |

  • Cranial outflow : 3rd (ओक्युलोमोटर) , 7th (फेशियल) , 9th (ग्लोसोफेरिजियल) और 10th (वेगस) कपालीय तंत्रिकाएँ है जिनके द्वारा परानुकम्पी तंत्रिकाएं bronchi constricts मस्तिष्क से उत्पन्न होती है और परिधीय संरचनाओं में वितरित होती है |
  • Sacral outflow : सेक्रल क्षेत्र के 2nd , 3rd और 4th खण्ड के पाशर्वीय श्रृंग से परानकुंपी तन्तु pelvic splanechnie nerves (प्रत्येक साइड एक) के रूप में बाहर आते है | इन तंत्रिकाओं के उद्दीपन से पेनिस (penis) उत्तेजित होता है | ये ‘nervous erigens’ कहलाती है |

परानुकंपी तंत्रिकाएं (कपालीय और splanic) सभी preganglionic तंत्रिकाएँ है | ये अपने गुच्छक ciliary (3rd ) , lachrymal और salivary (7th) और otic (9th) में प्रसारित होती है | वेगस अपवाहक के ganglia उनके लक्ष्य अंग के समीप स्थित होते हैं |

अनुकंपी तंत्रिका तंत्र परानुकंपी तंत्रिका तंत्र
1.       इसके संघटक एकीकृत होते है इसके संघटक विलगित होते है
2.       इसके गुच्छक श्रृंखला बनाने के लिए जुड़ते हैं इसके गुच्छक विलगित रहते हैं
3.       इसके preganglionic तन्तु केवल मेरू तंत्रिकाओं से उत्पन्न (thoracicolumbar outflow) होते हैं इसके preganglionic तन्तु मेरू तंत्रिकाओं की तरह कपाल से भी (craniosacral outflow) उत्पन्न होते है
4.       इसके preganglionic तन्तु शाखित होकर अनेक गुच्छकों में प्रवेश करते हैं और अनेक preganglionic तंतुओं का तंत्रिका आवेग स्थानांतरित करते हैं अत: इनका प्रभाव विस्तृत होता है | इसके preganglionic तंतु शाखित नहीं होते हैं , प्रत्येक एकल ganglion में प्रवेश करते हैं तथा एकल postganglionic तंतु को तंत्रिका आवेग स्थानान्तरित करते हैं अत: इनका प्रभाव सिमित होता है |
5.       Preganglionic और postganglionic तन्तुओं से छोटे होते है | Preganglionic तंतु post ganglionic तंतुओं से बड़े होते है |
6.       Postganglionic तन्तु मुख्यतः adrenergic होते हैं Postganglionic तंतु cholinergic होते हैं
7.       यह साधन तंत्र के अलावा उपापचय की दर बढाती है यह पाचन तन्त्र के अलावा उपापचय की दर घटाती है

 

कुछ संरचना जैसे एड्रिनल मेड्युला , मुख्यतः धमनियां , मूत्र वाहिनी , गर्भाशय , फैलोपियन नलिका , सेमिनल वेसाइकल आदि अनुकंपी तंत्रिका तंत्र द्वारा आपूर्ति प्राप्त करती है |

और कुछ संरचनाए जैसे ग्रासनाल , आंत्रीय ग्रंथि , अग्नाशय , लैंगरहैंस की द्विपिकाएं और लेक्राइयल ग्रंथि आदि परानुकंपी तंत्रिका तंत्र द्वारा आपूर्ति प्राप्त करती है |

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के प्रभाव :

अंग अनुकंपी तन्त्र परानुकंपी तंत्र
1.       ह्रदय ह्रदय गति बढ़ाता है ह्रदय गति घटाता है
2.       रक्त वाहिनियाँ कोरोनरी वाहिनी के अलावा सभी रक्त वाहिनियों को संकुचित करता है कोरोनरी वाहिनी के अलावा सभी रक्त वाहिनियों को फैलता (dialate) है
3.       ब्रेकियल पेशी और bronchioles शिथिलन या bronchodilation संकुचन या bronchoconstriction
4.       Gastrointestinal tract गति घटाता है और स्फिंकटर संकुचित करता है गति बढाता है और स्फिंकटर शिथिल करता है
5.       पित्ताशय गति बढाता है और स्फिंकटर शिथिल करता है गति घटाता है और स्फिन्क्टर को संकुचित करता है
6.       मूत्राशय पेशीय शिथिलन और स्फिंकटर संकुचित करता है पेशीय संकुचन और स्फिंकटर शिथिलन करता है
7.       आँख की पुतली फैलाता है संकुचित करता है
8.       ग्रंथिल स्त्रावण स्वेद ग्रंथि के उद्दीपन के अलावा संद्मित करता है स्वेद ग्रंथि संदमन के अलावा अन्य सभी में बढाता है
9.       अश्रु ग्रंथि स्त्रावण कम करता है स्त्रावण उत्तेजित करता है
10.    त्वचा की errrector pilli पेशियाँ संकुचन उत्तेजित करता है शिथिल करता है