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आफबाऊ सिद्धांत , पाउली का अपवर्जन नियम , हुण्ड की अधिकतम बहुलता का नियम , (n + l) , कक्षकों की आकृति 

आफबाऊ सिद्धांत : ऑफबाऊ एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है निर्माण करना , अर्थात परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को लिखना “आफबाऊ नियम सिद्धान्त ” कहलाता है।
इस नियमानुसार इलेक्ट्रॉन पहले कम ऊर्जा के कक्षकों में भरे जाते है और बाद में अधिक ऊर्जा के कक्षकों में भरे जाते है।  इस नियम में निम्न तीन नियमों को शामिल किया गया है।
1. पाउली का अपवर्जन नियम
2. हुण्ड की अधिकतम बहुलता का नियम
3. (n + l) का नियम

1. पाउली का अपवर्जन नियम

इस नियम के अनुसार एक कक्षक में उपस्थित दोनों इलेक्ट्रॉनों के लिए चारों क्वांटम संख्याओं के मान समान नहीं हो सकते है , अधिकतम तीन क्वांटम संख्याओं के मान ही समान हो सकते है और लेकिन चौथी क्वांटम संख्या का मान भिन्न होगा , इस नियम से यह सिद्ध होता है कि किसी कक्षक में विपरीत चक्रण वाले 2 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं हो सकते है।

2. हुण्ड की अधिकतम बहुलता का नियम

इस नियम के अनुसार संपन्न ऊर्जा के सभी कक्षकों में पहले एक एक इलेक्ट्रॉन जाता है इसके बाद इलेक्ट्रॉन का युग्मन होता है।
अलग अलग कक्षकों में इलेक्ट्रॉन जाने से उनमें प्रतिकर्षण कम होता है साथ ही सममितता अधिक होती है जिससे परमाणु अधिक स्थायी होता है।

3. (n + l) का नियम

इस नियमानुसार इलेक्ट्रॉन पहले उस उपकोश में जाते है जिनके लिए (n + l) का मान समान होता है तो इलेक्ट्रॉन पहले उस उपकोश में जाता है जिसके लिए n का मान कम होता है
उपरोक्त नियमानुसार इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम :-
1S < 2S < 2P < 3S < 3P < 4S < 3d < 4p < 5S < 4d < 5p < 6s < 4f < 5d < 6P
इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम 
1S , 2S , 2P , 3S , 3P , 4S , 3d , 4P , 5S , 4d , 5P , 6S , 4f , 5d , 6P , 7S , 5f , 6d , 7P , 8S ………
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने का क्रम 
1S ; 2S ; 2P ; 3s ; 3P ; 3d ; 4S , 4P , 4d , 4f ………
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने का क्रम 
यह क्रम इलेक्ट्रॉन भरने के क्रम में लिखा जायेगा |
note : किसी धनावेशित आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखते समय इलेक्ट्रॉन हमेशा लिखने के उपक्रम से बाहर निकालेंगे।
नोट : अर्धपूरित और पूर्ण पूरित कक्षक अन्य कक्षकों की तुलना में अत्यधिक स्थायी होते है क्यूंकि इनमें सममितता अधिक होती है।
अपवाद : क्रोमियम

कक्षकों की आकृति

1. S कक्षक : S उपकोश एक कक्षक से मिलकर बना होता है . इसकी आकृति गोलाकार होती है , S कक्षक अदिशात्मक होते है।
2. p कक्षक : P उपकोश तीन कक्षकों से मिलकर बना होता है , इसकी आकृति डम्बलाकार होती है , ये कक्षक Px , Py , Pz होते है।  ये कक्ष दिशात्मक होते है।
3. d कक्षक : d उपकोश s कक्षकों से मिलकर बने होते है ये कक्षक dxy , dyz ,dz2 , dx2y2
,  dzx होते है।  इनकी आकृति द्विडम्बलाकार होती है , ये सभी कक्षक दिशात्मक होते है।
पांच d कक्षकों में से 3d कक्षक (dxy , dyz ,dzx  )की पालियां अक्षों के मध्य में स्थित होती है और इन्हें t2g कक्षक कहते है।
2d कक्षक (,dz2 , dx2y2) की पालियाँ अक्षों पर स्थित होती है इन्हें eg कक्षक कहते है।

4. f कक्षक : यह उपकोश 7 कक्षकों से मिलकर बना होता है इसकी आकृति जटिल होती है।

tag in English : aufbau principle in hindi ?