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आण्विक ठोस , आयनिक ठोस , धात्विक , सहसंयोजक / नेटवर्क ठोस , हाइड्रोजन बंध आण्विक ठोस , ध्रुवीय , अध्रुवीय

ठोस अवस्था : सामान्यत: पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती है –

1 ठोस अवस्था
2. द्रव अवस्था
3. गैस अवस्था
ठोस अवस्था : पदार्थ की वह अवस्था जिसमे अवयवी कण प्रबल अंतराआण्विक आकर्षण बलों द्वारा निकटतम संतुलित अवस्था में रहते है , ठोस अवस्था कहलाती है।

ठोस के गुण

  • ठोस का आकार , आयतन व द्रव्यमान निश्चित होता है।
  • इसमें अवयवी कणों के मध्य दूरियां न्यूनतम होती है।
  • इसमें अवयवी कणों के मध्य प्रबल अन्तराण्विक आकर्षण बल होता है।
  • यह ठोस व असंपीडय होते है।
  • इसमें कणों की स्थितियाँ निश्चित होती है लेकिन यह कण अपनी माध्य स्थिति के चारो ओर दोलन कर सकते है।

ठोस के प्रकार

आन्तरिक संरचना के आधार पर ठोस दो प्रकार के होते है –

1. क्रिस्टलीय ठोस : ऐसे ठोस जिनमे अवयवी कण एक निश्चित ज्यामितिय व्यवस्था में पाए जाते है , क्रिस्टलीय ठोस कहलाते है।
क्रिस्टलीय ठोसों को वास्तविक ठोस भी कहते है।
उदाहरण : हिरा , NaCl , क्वार्टज़ आदि।
2. अक्रिस्टलीय ठोस : ऐसे ठोस जिनमे अवयवी कण एक निश्चित ज्यामितिय व्यवस्था में नहीं पाए जाते , अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है।
अक्रिस्टलीय ठोस को आभासी ठोस या अतिशीतित द्रव भी कहते है।
उदाहरण : काँच , प्लास्टिक , रबर आदि।

क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर

 क्रिस्टलीय ठोस
 अक्रिस्टलीय ठोस
 1. इनका निश्चित ज्यामितीय आकार होता है।
 इनका निश्चित ज्यामितीय आकार नहीं होता है।
 2. इनमे अवयवी कणों की नियमित व्यवस्था होती है।
 इनमे अवयवी कणों की अनियमित व्यवस्था होती है।
 3. इन्हें वास्तविक ठोस भी कहते है।
 इन्हें आभासी ठोस या अतिशितित द्रव भी कहते है।
 4. यह विषमदैशिक होते है।
यह समदैशिक होते है।
 5. इनमे कणों की दीर्घपरासी व्यवस्था होती है।
 इनमे कणों की लघुपरासी व्यवस्था होती है।
 6. इनका गलनांक निश्चित होता है।
 इनका गलनांक निश्चित नही होता है अर्थात यह एक विशेष ताप परास के मध्य नरम होने लगते है।
 7. इनकी गलन ऊष्मा निश्चित होती है।
 इनकी गलन ऊष्मा निश्चित नहीं होती है।
 8. इनमे स्पष्ट विदलन का गुण पाया जाता है।
 इनमे स्पष्ट विदलन का गुण नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 1 : समदैशिकता व विषमदैशिकता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर : समदैशिकता : किसी ठोस के भौतिक गुणों जैसे कठोरता , अपवर्तनांक , तनन सामर्थ्य , चालकता इत्यादि का अध्ययन अलग अलग दिशाओं से करने पर यदि सभी दिशाओ में उस भौतिक गुण का एक समान मान प्राप्त होता है तो वह समदैशिक ठोस कहलाते है तथा उसका यह गुण समदैशिकता कहलाता है।
विषमदैशिकता : किसी ठोस के भौतिक गुणों जैसे कठोरता , अपवर्तनांक , तनन सामर्थ्य , चालकता इत्यादि का अध्ययन भिन्न भिन्न दिशाओ से करने पर भिन्न भिन्न मान प्राप्त होते है तो वह विषमदैशिक ठोस कहलाता है और उसका यह गुण विषमदैशिकता कहलाता है।
उदाहरण : क्रिस्टलीय ठोस।
प्रश्न 2 : क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते है जबकि अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते है , क्यों ?
उत्तर : क्रिस्टलीय ठोसों में एक भौतिक गुण का अध्ययन यदि भिन्न भिन्न दिशाओ से करते है तो भिन्न भिन्न दिशाओ में भिन्न प्रकार के अवयवी पथ प्राप्त होते है इसलिए भिन्न भिन्न दिशाओ में एक भौतिक गुण का भिन्न भिन्न मान प्राप्त होगा , इसलिए क्रिस्टलीय ठोस विषमदेशिक होते है।

जबकि अक्रिस्टलीय ठोसो में अवयवी कणों की लघुपरासी व अनियमित व्यवस्था होने के कारण सभी दिशाओ में लगभग समान प्रकार के अवयवी पथ प्राप्त होते है इसलिए सभी दिशाओं में एक भौतिक गुण का समान मान प्राप्त होगा अत: अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते है।
प्रश्न 3 : एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओ से अध्ययन करने पर एक समान मान प्रेक्षित होता है , इस ठोस की प्रकृति बताइये तथा क्या यह विदलन के गुण प्रदर्शित करेगा ?
उत्तर : जब एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओ से अध्ययन किया जाए और एक समान मान प्राप्त हो तो इसका अभिप्राय है यह अक्रिस्टलीय ठोस है (समदैशिकता के गुण के कारण)
इनमे स्पष्ट विदलन का गुण नहीं पाया जाता है।
प्रश्न 4 : काँच को अतिशितित द्रव माना जाता है , क्यों ?
उत्तर : क्योंकि कांच में भी द्रव के समान बहने का गुण पाया जाता है लेकिन यह बहुत मंद गति से बहता है , इसलिए इसे अतिशितित द्रव माना जाता है।
उदाहरण : पुरानी इमारतों की खिडकियों के काँच बहने की प्रवृति के कारण शीर्ष से पतले व नीचे से मोटे हो जाते है।
प्रश्न 5 : पुरानी सभ्यता के कांच के बर्तनों में दुधियापन / धुंधलापन पाया जाता है , क्यों ?
उत्तर : काँच एक अक्रिस्टलीय पदार्थ है अत: एक निश्चित ताप पर इसके क्रिस्टलीय रूप में बदल जाने के कारण काँच के पुराने बर्तनों में दुधियापन पाया जाता है।
प्रश्न 6 : सूर्य के प्रकाश को विद्युत में रूपांतरित करने वाला श्रेष्टतम प्रकाश वोल्टीय पदार्थ कौनसा है ?
उत्तर : सूर्य के प्रकाश को विद्युत में रूपांतरित करने वाला श्रेष्टतम प्रकाश वोल्टीय पदार्थ “अक्रिस्टलीय सिलिकन” है।

क्रिस्टलीय ठोसो का वर्गीकरण

अवयवी कणों के मध्य अन्तरा आण्विक आकर्षण बलों के आधार पर क्रिस्टलीय ठोस चार प्रकार के होते है –
1. आण्विक ठोस (atomic solids in hindi)
  • अध्रुवीय आणविक ठोस
  • ध्रुवीय आण्विक ठोस
  • हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोस
2. आयनिक ठोस
3. धात्विक ठोस
4. सहसंयोजक ठोस / नेटवर्क ठोस
अध्रुवीय आणविक ठोस :
अवयवी कण : अणु , परमाणु
आकर्षण बल : परिक्षेपण बल , लन्दन बल
उदाहरण : H2, I2 , Cl2 , N2 , O2 , Pu , CH4 , CO2 , CCl4 आदि
भौतिक प्रकृति : मुलायम
विद्युत चालकता : विद्युतरोधी
गलनांक : अत्यधिक
ध्रुवीय आणविक ठोस :
अवयवी कण : अणु
आकर्षण बल : द्विध्रुव – द्विध्रुव आकर्षण बल
उदाहरण : HCl , SO2 , H2S , CHCl3 आदि।
भौतिक प्रकृति : मुलायम
विद्युत चालकता : विद्युतरोधी (ठोस) , (जलीय विलयन में चालक)
गलनांक : निम्न
हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोस :
अवयवी कण : अणु
आकर्षण बल : हाइड्रोजन बंध
उदाहरण : HF , H2O , NH3 आदि।
भौतिक प्रकृति : मुलायम (बर्फ कठोर)
विद्युत चालकता : विद्युत रोधी (अत्यंत कम चालक)
गलनांक : निम्न
आयनिक ठोस :
अवयवी कण : आयन
आकर्षण बल : स्थिर विद्युत आकर्षण बल या कुलामी बल
उदाहरण : NaCl , MgCl2 , CaF2 , NH4Cl , LiBr , ZnS आदि।
भौतिक प्रकृति : कठोर , भंगुर
विद्युत चालकता : ठोस अवस्था में विद्युतरोधी लेकिन गलित अवस्था या जलीय अवस्था में चालक है।
गलनांक : उच्च
धात्विक ठोस :
अवयवी कण : इलेक्ट्रॉन के समुद्र में वितरित धातु धनायन
आकर्षण बल : धात्विक बन्ध
उदाहरण : Fe , Cu , Ag , Au , Pt , पीतल तथा सभी धातुएँ आदि।
भौतिक गुण : कठोर , तन्य , आघातवर्धनीय
विद्युत चालकता : ठोस व गलित दोनों अवस्थाओ में चालक है।
गलनांक : उच्च
सहसंयोजक ठोस या नेटवर्क ठोस :
अवयवी कण : परमाणु
आकर्षण बल : सहसंयोजक बल
उदाहरण : हीरा , क्वार्टज़ (SiO2) , सिलिकन कार्बाइड (SiC) , ग्रेफाइट , AlN आदि।
भौतिक प्रकृति : कठोर व मुलायम (ग्रेफाईट)
विद्युत चालकता : विद्युत रोधी , अपवाद – ग्रेफाईट (सुचालक)
गलनांक : अत्यधिक उच्च
प्रश्न 1 : किस प्रकार के ठोस आघातवर्धनीय और तन्य होते है ?
उत्तर : धात्विक ठोस ठोस आघातवर्धनीय और तन्य होते है।
प्रश्न 2 : एक ठोस A ठोस और गलित दोनों अवस्थाओ में विद्युतरोधी है व अत्यधिक उच्च ताप पर पिघलता है , तो यह किस प्रकार का ठोस है ?
उत्तर : सहसंयोजक ठोस , क्योंकि सहसंयोजक ठोस गलित दोनों अवस्थाओ में विद्युतरोधी है व अत्यधिक उच्च ताप पर पिघलता है।
प्रश्न 3 : आयनिक ठोस , ठोस अवस्था में विद्युत रोधी लेकिन गलित अवस्था में विद्युत के चालक होते है , क्यों ?
उत्तर : आयनिक ठोस , ठोस अवस्था में विद्युत रोधी लेकिन गलित अवस्था में विद्युत के चालक होते है क्यूंकि आयनिक ठोसो में ठोस अवस्था में आयनों के मध्य आकर्षण बल अधिक होने के कारण आयन गति के लिए स्वतंत्र नहीं होते है जबकि गलित अवस्था या जलीय विलयन में इसके आयन गति के लिए स्वतंत्र हो जाते है।