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प्राणी जगत की परिभाषा क्या है , प्रकार , वर्गीकरण animal kingdom in hindi

animal kingdom in hindi  प्राणी जगत :

वर्गीकरण के आधार : जन्तुओ को उनमे पाये जाने वाले लक्षणों के आधार पर अलग अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया है।

वर्गीकरण के आधार निम्न है –

1. शारीरिक संगठन :

(a) कोशिकीय स्तर का संगठन : कुछ जीवो में सभी उपापचय क्रियाएं एक या अनेक कोशिकाओ द्वारा किया जाता है अर्थात इनमें कोशिका स्तर का संगठन होता है।

उदाहरण – अमीबा , स्पंज

(b) उत्तक स्तर का संगठन : कुछ जीवो में कोशिकाएं संगठित होकर उत्तक के रूप में कार्य करती है , इसे उत्तक स्तरीय संगठन कहते है।  उदाहरण – सिलेन्ट्रेटा

(c) अंग स्तरीय संगठन : अनेक जन्तुओ में उत्तक संगठित होकर अंग का निर्माण करते है तथा प्रत्येक अंग विशेष कार्य करता है अर्थात अंग स्तर का संगठन पाया जाता है।

उदाहरण – प्लेटीहेल्मिन्थिज , एनिलिडा , मौलस्का , आर्थीपोड़ा

(d) अंग तंत्र स्तरीय संगठन : अनेक जीवो में अंग मिलकर तंत्र के रूप में शारीरिक कार्य करते है अर्थात प्रत्येक तंत्र एक विशिष्ट कार्य करता है इसे अंग तंत्र स्तरीय संगठन कहते है।  उदाहरण – कशेरुकी जंतु।

 2. परिसंचरण तंत्र

इसके आधार पर जन्तुओं को दो समूहों में बांटा जा सकता है।
(a) खुला परिसंचरण तंत्र : कुछ जीवों में रक्त संचरण के लिए कोई नलिका नहीं होती है तथा रक्त कोटरों में भरा रहता है जिसमे कोशिकाएं व उत्तक दबे रहते है तो इसे खुला परिसंचरण तंत्र कहते है।  उदाहरण – अकशेरुकी जंतु।
(b) बंद परिसंचरण तंत्र : अनेक जीवो में रक्त संचरण के लिए धमनियां व शिराएँ पायी जाती है अर्थात रक्त नलिकाओ में रहता है तो बंद परिसंचरण तंत्र कहते है।  उदाहरण – कशेरुकी जन्तु।

3. सममिति

(a) असममिति : जब जंतु को किसी भी केन्द्रीय अक्ष से गुजरने वाली रेखा दो बराबर भागो में विभाजित नहीं कर सकती तो इसे असममिति कहते है तथा ऐसे प्राणियों को असममिति प्राणी कहते है।
(b) द्विपाशर्व सममिति : जब किसी जन्तु को एक ही अक्ष से गुजरने वाली रेखा द्वारा दो समरूप दायें व बाएं भागो में बांटा जा सकता है तो इसे द्विपाशर्व सममिति कहते है , तथा ऐसे प्राणियों को द्विपाश्र्व सममित कहते है।
(c) अरीय सममित : जब किसी भी केन्द्रीय अक्ष से गुजरने वाली रेखा प्राणी के शरीर को दो समरूप भागो में विभाजित करती है तो इसे अरीय सममित कहते है।  उदाहरण – सिलेन्ट्रेटा , टीनोफोरा ,इकाइनोर्डमेटा आदि।

4. द्विकोरक व त्रिकोरिक संगठन

द्विकोरिक : विकास के दौरान दो जनन स्तरों (एक्टोडर्म व एण्डोडर्म) से विकसित होने वाले जंतु द्विकोरिक कहलाते है।  उदाहरण – पोरिफेरा , सिलेन्ट्रेटा
त्रिकोरिक : विकास के दौरान तीन जनन स्तर (एक्टोडर्म व एण्डोडर्म व मीसोडर्म ) से विकसित होने वाले जन्तु त्रिकोरिक कहलाते है।  उदाहरण – प्लेटिहेल्मिनथिज , एनिलिडा , मोल्सका , आर्थोपोड़ा व कोड्रेटा।