एंग्लो सैक्सन मॉडल क्या होता है | anglo-saxon model of corporate governance in hindi एंग्लो सैक्सन किसे कहते है
एंग्लो सैक्सन किसे कहते है एंग्लो सैक्सन मॉडल क्या होता है | anglo-saxon model of corporate governance in hindi ? meaning definition अर्थ मतलब क्या है ?
एंग्लो सैक्सन और अन्य मॉडल
संकीर्ण अर्थ में कारपोरेट शासन प्रबन्धकों और शेयरधारकों के बीच संघर्ष से संबंधित है। इसमें एक विशेष प्रकार की फर्म की कल्पना की जाती है जिसमें असंख्य बिखरे हुए शेयरधारक होते हैं तथा किसी भी शेयरधारक के पास फर्म के शेयरों का बड़ा भाग नहीं होता है।
अनुभव सिद्ध साक्ष्यों से यह मान्यता यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स में सत्य प्रतीत होती है। इसीलिए इसे कारपोरेट शासन का एंग्लो-सैक्सन मॉडल कहा जाता है। तथापि, विश्व के अनेक भागों में स्थिति बिल्कुल भिन्न है। अनेक देशों में, निम्नलिखित स्थितियाँ दिखलाई पड़ती हैं:
ऽ अनेक फर्म, यहाँ तक कि शेयर बाजारों में सूचीबद्ध फर्म में भी प्रभुत्वशाली स्वामी रहता है।
ऽ यह प्रभावशाली शेयरधारक बहुधा फर्म के प्रबन्धन में सम्मिलित रहता है।
ऽ कभी-कभी बैंक प्रमुख शेयरधारक होता है किंतु बहुधा किसी घराना अथवा राज्य का प्रमुख हिस्सा रहता है।
इस वस्तु स्थितियों का निहितार्थ क्या है? अब प्रबन्धकों और शेयरधारकों के बीच संघर्ष का स्थान प्रबन्धकों, अल्पसंख्यक निवेशकों तथा थोक शेयरधारकों के बीच त्रि-आयामी संघर्ष ने ले लिया है।
थोक शेयर धारक बेरोक-टोक ऐसा निर्णय कर सकते हैं जिससे अल्पसंख्यक शेयरधारकों को क्षति हो सकती है क्योंकि वे बोर्ड में अपने बहुसंख्यक मताधिकार होने के कारण इन प्रस्तावों को पारित करा सकते हैं।
इतना ही नहीं, अब अधिग्रहण बाजार के कार्यकरण की प्रकृति भी बदल गई है। प्रतिस्पर्धी अधिग्रहण अब प्रायः असंभव है क्योंकि एक स्वामी के नियंत्रण में अधिसंख्य शेयर होता है। अल्पसंख्यक शेयरधारकों की एक समस्या यह भी रहती है कि ऐसे शेयरों के लिए शेयर बाजार में कम कारोबारी होंगे, जिससे अल्पसंख्यक शेयर धारकों को, यदि वे फर्म के प्रचालन से असंतुष्ट हैं, अपना शेयर बेचने में कठिनाई होती है।
इसलिए, वैसी स्थितियों में अल्पसंख्यक शेयरधारकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इस तरह की सुरक्षा एक शेयर-एक वोट नियम से विचलन की मनाही अथवा डाक द्वारा प्रतिनिधि मतदान (च्तवगल टवजपदह) की अनुमति देकर प्रदान की जा सकती है।
बोध प्रश्न 3
1) कारपोरेट शासन के एंग्लो-सैक्सन मॉडल तथा अन्य मॉडलों में क्या अंतर है?
2) अन्य मॉडलों में कारपोरेट शासन सुनिश्चित करने के लिए इन अंतरों के निहितार्थ क्या हैं?
उद्देश्य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ कारपोरेट शासन के महत्त्व को समझ सकेंगे;
ऽ कारपोरेट शासन की अवधारणा का व्यापक अर्थ समझ सकेंगे;
ऽ कारपोरेट शासन की अवधारणा को संकीर्ण अर्थ में जान सकेंगे;
ऽ कारपोरेट शासन को सुनिश्चित करने की रणनीति के बारे में जान सकेंगे; और
ऽ कारपोरेट शासन के संबंध में भारतीय अनुभव को परख सकेंगे।
प्रस्तावना
विकसित देशों की नीति कार्यसूची में कारपोरेट (कंपनी) शासन का सदैव ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। विकासशील विश्व में भी, विभिन्न वित्तीय संकटों ने कारपोरेट (कंपनी) शासन पर प्रकाश डाला है।
उदाहरण के लिए, भारत में, जैसे शेयर बाजारों को विनियमित करने की माँग की गई है, यह और अधिक स्पष्ट हो गया है कि निवेशकों में विश्वास पैदा करने में कारपोरेट शासन एक मुख्य मुद्दा है। निवेशकों में विश्वास जगने से इक्विटी (शेयर) बाजारों के विकास को प्रोत्साहन मिलता है- जैसा कि फर्मों के मूल्यांकन, स्टॉक एक्सचेन्ज में सूचीबद्ध फर्मों की संख्या और फर्मों द्वारा सार्वजनिक निर्गम जारी करने की दर से देखा जा सकता है। इक्विटी बाजारों के विकास के माध्यम से बचत में वृद्धि और इन बचतों को वास्तविक निवेश की ओर मोड़ने से आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया तेज होती है।
सारांश
एक फर्म को अपने उद्देश्यों का अनुसरण करने के क्रम में विभिन्न शेयरधारकों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। अच्छे कारपोरेट शासन का मूल यही है। अच्छा कारपोरेट शासन विभिन्न बाजार शक्तियों तथा नियमों और विनियमों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है। अनेक देशों में, शासन की संहिता विकसित की गई है। भारत में भी कुमारमंगलम्-बिड़ला कमेटी की स्थापना करके, जिसने के अपनी रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी है, इस संबंध में कदम उठाए गए हैं। चूँकि विभिन्न देशों में स्वामित्व का स्वरूप भिन्न-भिन्न प्रकार का है इसलिए अच्छा कारपोरेट शासन सुनिश्चित करने के लिए कोई एक सूत्र नहीं निर्धारित किया जा सकता है।
शब्दावली
स्टेकहोल्डर्स ः जो फर्म के प्रचालन से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में प्रभावित होते हैं।
शेयरों का परोक्ष लेन-देन कंपनी के लोगों जैसे प्रबन्धकों जिन्हें फर्म के प्रचालन और (Insider Trading) ः भविष्य के संबंध में बाहरी लोगों की अपेक्षा बेहतर जानकारी होती है द्वारा फर्म के शेयरों का लेन-देन ।
सीमित दायित्व निगम ः शेयरधारकों का वित्तीय दायित्व उनके शेयरों के अंकित मूल्य तक ही सीमित होता है।
परिसंपत्ति बेचना ः जब कंपनी के लोग अपने स्वामित्व वाली दूसरी फर्म को बाजार (Asset&Stripping) मूल्य से कम पर अपने नियंत्रणाधीन किंतु बाहरी निवेशकों द्वारा वित्तपोषित निर्गत अथवा परिसम्पत्तियाँ बेच देते हैं।
अधिग्रहण से बचाव ः वर्तमान प्रबन्धकों द्वारा अधिग्रहण प्रयासों को विफल करने के (Takeover Defenses) लिए अपनाई गई नीति ।
अधिमान आबंटन ः एक कंपनी द्वारा सामान्यतया बाजार मूल्यों से कम मूल्य पर सिर्फ कतिपय व्यक्तियों द्वारा खरीद हेतु उपलब्ध नए शेयरों का निर्गम।
कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
बर्गलौफ, एरिक एण्ड अर्नस्ट-लुडविग वॉन थाडेन, (1999). ‘‘दि चेन्जिंग कारपोरेट गवर्नेन्स पाराडाईम्स: इम्पिलकेशन्स फोर डेवलपिंग एण्ड ट्रांजीशन इकनॉमीज‘‘, इन बी, प्लेसकोविक एण्ड जे.ई. स्टिग्लिट्ज (संपा.); विकासशील अर्थव्यवस्थाओं संबंधी वार्षिक विश्व बैंक सम्मेलन, विश्व बैंक, वाशिंगटन डीसी।
श्लीफर, ए. एण्ड आर विश्नी, (1997). ‘‘ए सर्वे ऑफ कारपोरेट गवर्नेन्स‘‘, जर्नल ऑफ फाइनेन्स 52ः737-83
साइट www.sebi.com पर उपलब्ध सेबी के नियम और विनियम।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics