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अगरतला किसकी राजधानी है ? agartala is the capital of which state in hindi कौनसी नदी पर कहाँ स्थित है

agartala is the capital of which state in hindi कौनसी नदी पर कहाँ स्थित है अगरतला किसकी राजधानी है ?
अगरतला
यह त्रिपुरा राज्य की राजधानी शहर है। यह हओरा नदी के तट पर स्थित है, जो वहाँ के निवासियों को आधारभूत आजीविका प्रदान करती है। यह बांग्लादेश के साथ निर्मित होने वाली भारत की सीमा के बहुत समीप (2 किमी. दूर) स्थित है। इस शहर का नाम दो शब्दों अगर (एक महंगा सुगंधित तेल) और तला (भण्डार स्थल) से मिलकर बना है। यहां की जनता द्वारा बोली जाने वाली भाषा श्कोक्बोराकश् है और यह भारतीय संविधान की 22 विशेष भाषाओं में से एक है।

अगरतला में सबसे उत्कृष्ट स्थानों में एक से उज्जयंत महल है। यह शहर धार्मिक उत्साह में डूबा रहता है जिसे इसमें स्थित अनेक मंदिरों की संख्या से अनुभव किया जा सकता है। शहर में सबसे पुराना और महत्वपूर्ण मंदिर उज्जयंत महल परिसर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर है। यहाँ के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक दुर्गा पूजा हैं, क्योंकि अगरतला में रहने वाले अधिकतर लोग हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं। खर्ची और गरिया पूजा जैसे महत्वपूर्ण आदिवासी त्यौहार भी यहां मनाए जाते हैं।

अहमदाबाद
यह गुजरात राज्य की पूर्व राजधानी है और राज्य का सबसे बड़ा शहर है। राज्य का उच्च न्यायालय अहमदाबाद में स्थित है। नवरात्रि या देवी दुर्गा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए नौ दिनों का उपवास, यहाँ बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले सबसे रंग-बिरंगे त्यौहार में से एक है। लोगों द्वारा गुजरातियों के एक लोक नृत्य ‘गरबा‘ का आयोजन किया जाता है। उत्तरायण (या बसंत पंचमी) यहां के अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों में सम्मिलित है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति पतंग उड़ाता है। यह जनवरी के महीने में आता है।
सांस्कृतिक रूप से इस शहर में गुजराती विद्या सभा और गुजराती साहित्य परिषद के माध्यम से अत्यधिक योगदान दिया है। ये गुजराती में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। संगीत के मामले में, सप्तक संगीत विद्यालय के स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। गुजरात के व्यंजन गुजरातियों के जीवन में अहम भूमिका का निर्वहन करते हैं। गुजराती थाली में रोटी, दाल, और कई प्रकार की सब्जियों का संयोजन होता है। किसी राजा को शोभा देने योग्य अचार, चटनी और मीठे व्यंजन उनके साथ लिए जाते हैं। गुजराती व्यंजनों की अन्य प्रमुख खाद्य वस्तुएँ थेपला, ढेबरा और ढोकला हैं। ये व्यंजन इतने अधिक लोकप्रिय हैं कि वे अब पूरे भारत में निर्मित किए जा रहे हैं और और यहां तक कि पूरी दुनिया में भारतीय समुदायों के लिए निर्यात किए जा रहे हैं।

अजोध्या/अयोध्या
यह वह प्राचीन एतिहासिक नगर है जिसे रामायण महाकाव्य के नायक, भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। यह उत्तर प्रदेश राज्य में सरयूनदी के तट पर स्थित है, और ऐतिहासिक दृष्टि से कौशल साम्राज्य का भाग था। यह हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, क्योंकि सप्तपुरी का प्रमुख तीर्थ स्थल इसके क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या ने बाबरी मस्जिद विवाद के कारण सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया है। दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा यह तर्क दिया जाता रहा है कि मुगल सम्राट बाबर ने अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर को नष्ट करने के बाद बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था।
इस तर्क के अनुसार विश्व हिंदू परिषद (वि.हि.प.) ने इस स्थल को पुनः प्राप्त करने और मस्जिद को नष्ट करने के लिए वर्ष 1984 में एक आंदोलन का आरम्भ किया। वे बाबरी मस्जिद के खंडहर पर पुनः मंदिर निर्मित करना चाहते थे। वर्ष 1992 में, कई दक्षिणपंथी समूहों जैसे विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल इत्यादि ने एक रैली आयोजित की और मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जबकि राज्य के अधिकारियों और पुलिस ने कोई भी कार्रवाई नहीं की। इसके कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और यहां तक कि संबंधित पार्टियों के विरुद्ध एक मुकदमा हुआ।

अजंता की गुफाएं
ये गुफाएँ महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। वे शिलाओं को काटकर निर्मित 30 बौद्ध गफा स्मारकों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनकी दीवारों पर अत्यधिक नक्काशीदार छवियाँ उकेरी गई हैं। इन गुफाओं के स्मारक ईसा पर्व दसरी शताब्दी से ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी के हैं। इन्हें वर्ष 1983 में एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। हालांकि राज्य उनके संरक्षण के लिए जिम्मेदार है, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस स्थल को क्षति से सरक्षित करने हेतु और कला के संरक्षण के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करता रहा है।
अजंता गुफाएँ सघन वन से घिरी हुई हैं और लम्बे समय से इनका उपयोग नहीं किया गया था। शिकार पार्टी पर निकले एक ब्रिटिश अधिकारी ने उन्हें वर्ष 1819 में फिर से खोज निकाला था। यू-आकार के मार्ग में अपनी स्थिति के अनुसार गुफाओं को 1-28 तक क्रम संख्या दी गई है। प्रमुख चित्रकला बौद्ध धर्म से संबंधित हैं और जातकों से कई कहानियों को दीवारों पर चित्रित किया गया है। ये गुफाएँ, एलोरा गुफाओं के बहुत निकट हैं, जिनमें हिंदू धर्म और जैन धर्म के कि चित्रकारियाँ पाई जाती हैं। इनमें से कुछ गुफाएं बौद्ध संप्रदायों के लिए भी समर्पित हैं। वाघुर नामक छोटी नदी अजंता गुफाओं के अति समीप से होकर बहती है।

अमृतसर
आरम्भ में रामदासपुर नाम से पहचाना जाने वाला, आधुनिक समय का यह अमृतसर शहर, पंजाब राज्य में ऐतिहासिक दष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। हरमन्दिर साहिब या स्वर्ण मंदिर, जो सिख समुदाय के सबसे पुराने और सबसे पवित्र गुरुद्वारों में से एक है, अमृतसर में स्थित है। यह शहर अकाल तख्त या खालसा के सिख समुदाय के लौकिक प्राधिकरण के उच्चतम पद का स्थान भी है।
वे सिखों के प्रमख संप्रदायों के प्रबंधन और गुरुद्वारों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार हैं। स्वर्ण मंदिर को वर्ष 2004 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल की अंतरिम सूची में डाला गया है। यह शहर वाघा सीमा के निकट भी है जो भारत और पाकिस्तान को विभाजित करती है।
इतिहास में, इसे वर्ष 1919 के जालियाँवाला बाग के भीषण नरसंहार स्थल के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें ब्रिटिश जनरल डायर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ बरसाने का आदेश दिया था। यहाँ पर उस नरसंहार का एक स्मारक है, जो उस घटना में शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप स्थापित है और कई पर्यटक आज भी वहाँ जाते हैं। यह अंतिम महान सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह का जन्म स्थान था और उनके शासनकाल की स्मृतियों को समेटे हुए वहाँ एक संग्रहालय स्थापित है। अमृतसर में अन्य प्रमुख स्थान गोविन्दगढ़ किला, राम बाग उद्यान इत्यादि प्रमुख हैं।

बोधगया
बोधगया बिहार के गया जिले में स्थित है और यह बौद्ध धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के पवित्र स्थानों में से एक है। बोधगया में महाबोधि मंदिर सबसे अधिक पूजनीय स्मारकों में से एक है। मंदिर और उसके चारों ओर के परिसर को वर्ष 2002 में एक विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। यह वह स्थान (बोधि-मंडल) माना जाता है जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया। वह बोधि वृक्ष जिसके नीचे महात्मा बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया वह भी इस परिसर के अंतर्गत है।
बोधगया में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वैशाख (अप्रैल-मई) के महीने में एक वार्षिक मेला लगता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, इस स्थान को उरुवेला, वज्रसेना, महाबोधि या संबोधि, के रूप में जाना जाता था, क्योंकि ये सभी नाम बुद्ध द्वारा मोक्ष (निर्वाण) प्राप्ति से संबंधित हैं। बोधगया परिसर में स्थित प्रमुख बौद्ध मठ को पहले बोधिमण्ड-विहार कहा जाता था।

भीमबेटका
भीमबेटका मध्य प्रदेश में स्थित है और इसे एक प्रागैतिहासिक शैलाश्रय माना जाता है। कई विशेषज्ञों ने आश्रय की दीवारों की कलाकृतियों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है कि यह पाषाण काल अवधि से संबंधित है। यह भारतीय महाद्वीप पर मानव जीवन के चिन्हों को प्रदर्शित करता प्रतीत होता है, जिससे इसे दक्षिण एशियाई पाषाण युग की नवजात अवधि में निर्मित किए जाने की अवधारणा को बल प्राप्त होता है। इसे वर्ष 2003 में एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
अध्ययनों से संकेत प्राप्त हुए हैं कि लगभग 1, 00, 000 वर्ष पहले इन शैलाश्रयों में संभवतः होमो इरेक्टस निवास करते थे। इस समूह की नवीनतम शैल चित्रकारी लगभग 30, 000 वर्ष पुरानी है। इसकी पुरातनता के कारण इस स्थल से कई किंवदंतियां जोड़ी जाती रही हैं। इसके नाम ‘भीम-बेटका‘ का अर्थ है – ‘भीम के बैठने का स्थान‘, जो पांडव भाइयों में से एक थे।
शैलाश्रय अनेक आवास स्तरों को प्रदर्शित करते हैं। पहली अवधि उत्तरकालीन पुरापाषाण काल का पर्याय है और बड़े जानवरों जैसे गौर (बाइसन), राइनो और बाघों को प्रदर्शित करती है। दूसरा चरण या मध्यपाषाण काल, छोटे और अस्वाभाविक मानव आकारों का प्रदर्शित करता है। इन मानव आकारों को कांटेदार भाले, नुकीली छड़ियों एवं धनुष-बाण जैसे हथियारों के साथ दिखाया गया है। वे नाचना, अंत्येष्टि, पीने, खाने इत्यादि जैसे सामाजिक व्यवहारों को भी प्रदर्शित करते हैं। ताम्र पाषाण युग, तीसरा युग है जो कृषि गतिविधियों एवं घुमन्तू जातियों और कृषि आश्रित जातियों के बीच आदान-प्रदान को प्रदर्शित करता है।

सबसे रुचिकर चित्रकारियाँ प्रारंभिक ऐतिहासिक युग की हैं, जो विस्तृत प्रकार के रंग पैटर्न को प्रदर्शित करती हैं, जिसमें चित्रकारियों में लाल, सफेद और पीले रंग का प्रयोग किया गया है। इन चित्रकारियों में जादुई प्राणियों, आकाशगामी-रथों, वृक्ष-देवताओं को भी प्रतिनिधित्व मिला है। अंतिम अवधि जिसे प्रारम्भिक मध्ययुगीन अवधि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, मैगनीज, लकड़ी कोयला और हेमाटाइट के उपयोग को प्रदर्शित करती है। सर्वाधिक ध्यान आकर्षित करने वाली विशेषता ‘जन्तु-शैल‘ है जिसमें हाथियों, गौर (बाइसन), हिरण और सांभर को चित्रित किया गया है। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित किया गया है।

चंडीगढ़
चंडीगढ़ एक केंद्र-शासित प्रदेश है और हरियाणा और पंजाब राज्यों की राजधानी है। यह शहर एक वास्तुशास्त्रीय चमत्कार है क्योंकि यह भारत का प्रथम सुनियोजित शहर है। इस शहर हेतु मास्टर प्लान अत्यधिक प्रसिद्ध स्विस-फ्रांसीसी आर्किटेक्ट ली कोर्बुजिए द्वारा निर्मित किया गया था। चंडीगढ़ का विधान सभा भवन उसकी प्रसिद्ध स्थापत्य अभिकल्पनाओं में से एक है। यह शहर सघन रूप से वनाच्छादित भी है और भारत के शहरों में सघन वनाच्छादन की दृष्टि से इसका तीसरा स्थान है। चंडीगढ़ एक बहुत ही खूबसूरत स्थानहै, क्योंकि यह शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है एवं सुखना झील इस शहर के उत्तरी भाग को निर्मित करती है।

एक अन्य वास्तुशास्त्रीय आश्चर्य रॉक गार्डन है, जो नेक चन्द द्वारा स्थापित किया गया था। इस उद्यान में धातु तारों, चीनी मिट्टी के बरतन, टूटी चूड़ियों और टाइल्स, मडगार्ड, कांटे, हैंडल बार्स आदि जैसी अपशिष्ट सामग्रियों से निर्मित विभिन्न मूर्तियां है। रोज गार्डन, जिसका नामकरण भारत के राष्ट्रपति, डॉ. जाकिर हुसैन के नाम से किया गया है, गलाबों की 825 से अधिक प्रजातियों एवं हजारों अन्य औषधीय पौधों की खेती करने वाला अग्रणी उद्यान है।

चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान
यह पुरातात्विक उद्यान गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है। यह उद्यान इतना प्रसिद्ध है कि युनेस्को ने इसे वर्ष 2004 में विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया। इस उद्यान के प्रांगण में कई दुर्ग, द्वार, मस्जिदें तथा मंदिर स्थित हैं। इस स्थल को अनोखा बनाने वाली चीज है आवासीय भवन समूहों के रूप में सजीव सांस्कृतिक विरासत जो उद्यान में दीख पड़ती हैं।

इस पुरातात्विक उद्यान की सर्वाधिक प्राचीन बस्ती ताम्रपाषाण युग से संबंध रखती है। इसमें 8वीं से 14वीं शताब्दी के बीच की अवधि के सीढ़ियों वाले कुएँ तथा तालाब पाए गए हैं। इसमें ऐसे महत्वपूर्ण स्थूल अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनके माध्यम से हम कह सकते हैं कि चंपानेर उन सोलंकी राजाओं की राजधानी थी, जिन्होंने 14वीं शताब्दी में एक पहाड़ी दुर्ग का निर्माण करवाया। यह उद्यान पावागढ की तराइयों में स्थित है तथा इसके सर्वाधिक प्रसिद्ध स्मारकों में से एक-कालिका माता मंदिर इस पहाड़ी के शिखर पर स्थित है।

अहमदाबाद के मुस्लिम शासक महमूद बेगडा ने इस राजधानी पर अधिकार स्थापित किया उन्होंने चंपानेर के नगर-दुर्ग के भीतर कई स्मारकों का निर्माण किया। सर्वाधिक प्रसिद्ध स्मारक था नगीना मस्जिद। मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा चंपानेर पर आक्रमण किए जाने पर इस नगर का अवसान आरम्भ हो गया। यह स्थल ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, चूँकि यह भारतीय उप-महाद्वीप में मुगल-पूर्व युग का एकमात्र अपरिवर्तित इस्लामिक नगर है।